यूपी में स्लाटर हाउस चलाने के लिए मालिक अफसरों पर रुपए लुटाता रहा। हर दिन 600 मवेशी कटते रहे। बदले में सब इंस्पेक्टर से लेकर बड़े अफसर मौज करते रहे। दो जिलों की पुलिस रिश्वत लेती रही। डीएम को 26 हजार की टेबल भेंट की गई तो एसएसपी पर 1 लाख रुपए खर्च किए गए। इसका खुलासा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) को दिए लिखित स्टेटमेंट से हुआ है। स्टेटमेंट बरेली के स्लाटर हाउस मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शकील कुरैशी ने दिया। सर्चिंग के दौरान फाइल, कंप्यूटर में मौजूद डाटा के आधार पर कुरैशी से पूछताछ में जो सामने आया, वो काफी चौंकाने वाला है। मामला अब सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PCB) ने 4 जुलाई को मैसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को 12 लाख जुर्माने का नोटिस भेजा। नोटिस के बाद दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। इसमें आईटी डिपार्टमेंट की पूछताछ की फाइल मिली। कंपनी के मालिक शकील कुरैशी से सवाल-जवाब की पूरी लिस्ट थी। इसी फाइल में पता चला कि स्लाटर हाउस चलाने के लिए किस तरह कंपनी, अधिकारियों को रिश्वत देकर मैनेज करती थी। शकील कुरैशी के स्टेटमेंट की कॉपी हमारे पास है, सबसे पहले जानिए स्लाटर हाउस के बारे में… स्लाटर हाउस बरेली के शाहजहांपुर रोड यानी NH-24 पर मोहनपुर ठिरिया गांव में है। इसे मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाती है। इसी के मालिक हैं शकील कुरैशी। 21 दिसंबर, 2022 को कुरैशी के स्लाटर हाउस पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा। इसमें टैक्स चोरी पकड़ी गई। आयकर टीम ने 8 और 9 फरवरी, 2023 को कुरैशी को पूछताछ के लिए बुलाया। वहीं, मामले की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कमेटी ने 4 अप्रैल, 2024 को बूचड़खाने का निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि स्लाटर हाउस के बाहर बहने वाले नाले में बिना ट्रीटमेंट किए गंदा पानी छोड़ा जा रहा था, जो नरकटिया नाले से होते हुए 3 किमी बाद रामगंगा नदी को प्रदूषित कर रहा है। नतीजा- स्लाटर हाउस को सीज कर दिया गया। अब चलते हैं अफसरों की भ्रष्टाचार की कहानी पर… बहराइच से लेकर लखीमपुर पुलिस को बांटते रहे रुपए: आईटी टीम ने कंपनी का डिजिटल डाटा सीज किया था। इसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंस यानी एक जगह से दूसरे जगह आने-जाने के खर्चे और ऑफिस एक्सपेंस यानी ऑफिस में होने वाले खर्चे की फाइल मिली। उसमें दर्ज जो ब्यौरे सामने आए, उसमें कई जिलों के बड़े-बड़े अफसरों के नाम निकले। इसमें लखीमपुर जिले के डीओ ऑफिस, एडीएम ऑफिस के अलावा बहराइच के डीओ ऑफिस, चीफ एफएसओ, एसएचओ जरवल, फखरपुर, कैसरगंज, चांदपुरा और आरटीओ ऑफिस के नाम हैं। इन्हें अलग-अलग 10 हजार से लेकर 50,000 रुपए दिए गए हैं। ये पैसे दिसंबर 2020 में दिए गए थे। कुल मिलाकर सभी को 2 लाख 68 हजार 694 रुपए रिश्वत में दिए गए। बात यहीं खत्म नहीं होती…। दूसरी डाटा शीट में मार्च, 2021 में दी गई रिश्वत की डिटेल है। इसमें बताया गया है कि कब-कब किसको कितने रुपए दिए गए हैं। एसआई ननपारा को दो बार में नसीब नाम के व्यक्ति के हाथों 15-15 हजार रुपए दिए गए हैं। वहीं, चांदपुरा एसआई को वकील के माध्यम से 10 हजार रुपए दिए गए हैं। डीओ बहराइच विनोद शर्मा को डायरेक्ट 50 हजार रुपए दिए गए हैं। न्यू ईयर के मौके पर विनोद शर्मा ने 15 हजार रुपए की रिश्वत ली। शराब पार्टी पर 30 हजार से ज्यादा रुपए खर्च किए गए हैं। इस बारे में आयकर विभाग ने पूछा तो शकील कुरैशी ने लिखित जवाब में बताया कि इस फाइल में दर्ज सारे खर्चे एक अन्य कंपनी मेसर्स सारा से संबंधित हैं। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी करती थी। डीएम के नाम 26 हजार की टेबल
‘Expense’ नाम की फाइल के अंदर बरेली शीट मिली है। इसमें डीएम सुरेंद्र के नाम पर हयात होटल में रुकने का 13 हजार 781 रुपए खर्च दर्ज है। डीएम विक्रम सिंह के नाम पर टेबल का 26 हजार 700 खर्च दिखाया गया है। एसएसपी के इंटीरियर के नाम पर एक लाख रुपए खर्च दिखाया गया है। हालांकि एसएसपी का नाम नहीं दिया गया है। डीएम के ड्राइवर का भी जिक्र है। ड्राइवर के नाम पर 47 हजार होटल का खर्च बताया गया है। किसी अफसर को एसआई के माध्यम से तो किसी SHO को ड्राइवर के माध्यम से पैसों की बांट
शकील कुरैशी की कंपनी से बरामद ‘ऑफिस एक्सपेंस’ नाम की शीट में एक नहीं, कई चौंकाने वाले नाम और किरदार दिखते हैं। किसी अफसर को पैसा कभी सीधे उनके खाते में दिया गया तो कभी ड्राइवर के माध्यम से। तो कभी एसआई के माध्यम से उन तक पहुंचाया गया। उदाहरण के लिए RTO ऑफिस बहराइच में दो बार पैसे दिए गए। एक बार 12 नवंबर, 2020 को तो दूसरी बार 19 दिसंबर, 2020 को। एक बार 18 हजार रुपए तो दूसरी बार 15 हजार रुपए। दोनों ही बार ये पैसे RTO ड्राइवर के माध्यम से अफसर तक पहुंचाए गए। इसी तरह SHO जरवाल को एसआई अफजल खान के माध्यम से 22 हजार रुपए दिए गए। SHO फखरपुर को एसआई अतीउल्लाह खान के माध्यम से 15 हजार रुपए दिए गए। कुछ अफसरों को डायरेक्ट पैसे देने की बात भी लिखी मिली। जैसे- DO ऑफिस बहराइच विनोद को सीधे उनके हाथ में 50 हजार रुपए दिए गए। अब इनकम टैक्स विभाग के सवाल और शकील कुरैशी के जवाब- आईटी अफसर: आपकी कमाई का जरिया क्या है?
शकील कुरैशी: मेरी आय का स्रोत कंपनी से मिलने वाली सैलरी और अचल संपत्तियों से मिलने वाला है। इसके अलावा मैं बकरी और भेड़ें पालकर बेचता हूं। आईटी अफसर: आप किन-किन फर्म में पार्टनर हैं। इन फर्म के व्यवसाय के तरीके भी बताएं?
शकील कुरैशी: मैं एक फर्म जिसका नाम मराठवाडा एग्रो फूड्स है, उसमें सरफराज अहमद अंसारी के साथ पार्टनर हूं। इस फर्म को खरीदने के लिए निवेश मराठावाडा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से किया गया है। इस कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में जमीन खरीदी है। इसमें लगभग 50 से 60 लाख निवेश किए गए हैं। आईटी अफसर: 21 दिसंबर 2022 को हुई सर्चिंग के दौरान आपके प्रतिष्ठान से डिजिटल डाटा सीज किया गया था, जिसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंसेस नाम की फाइल मिली है। इन खर्चों का स्रोत और प्रवृत्ति बताएं। जिसका डाटा ये है- शकील कुरैशी: फाइल में दिया गया खर्च मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी द्वारा किया जाता है। आईटी अफसर: ऑफिस एक्सपेंस की फाइल क्या है? शकील कुरैशी: ऊपर दिया गया खर्चा मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। ये खर्चे विभिन्न मौकों जैसे कि नए साल या किसी त्योहार पर दिए जाने वाले खर्चे से संबंधित हैं। आईटी अफसर: Expense नाम की फाइल के अंदर ‘बरेली शीट’ मिली है। इसके बारे में क्या कहना है? शकील कुरैशी: इस संबंध में मुझे कुछ याद नहीं है। इस विषय में मैं अपने रिकार्ड में देखकर सारी जानकारी आपको दे दूंगा। प्रथम दृष्टया यह सभी खर्चे लाइजनिंग से संबंधित हैं। भ्रष्टाचार के तीन बड़े किरदार, सूत्रधार बीमार
मामले में हमारे सामने तीन मुख्य सूत्रधार सामने आए। शकील कुरैशी, दो डीएम- सुरेंद्र और राघवेंद्र विक्रम सिंह। हमने तीनों से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की। बरेली से हमें शकील कुरैशी के तीन मोबाइल नंबर मिले, लेकिन तीनों ही काम नहीं कर रहे हैं। शकील कुरैशी की कंपनी के एक कर्मचारी इशान अहमद से जब बात हुई। उन्होंने बताया, 4 जुलाई को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नोटिस के खिलाफ हम हाईकोर्ट गए थे। जहां से उस ऑर्डर पर रोक लगा दी गई है। वर्तमान में फैक्ट्री बंद है। जहां तक शकील कुरैशी की बात है तो उनकी तबीयत खराब है, इस वजह से किसी से बात नहीं कर रहे हैं। वहीं, बरेली शीट में डीएम सुरेंद्र का नाम सामने आया। इसके बाद जब हमने बरेली के डीएम की लिस्ट देखी तो उसमें 21 जनवरी, 2017 से 27 अप्रैल, 2017 तक आईएएस सुरेंद्र सिंह की तैनाती दिखी। वहीं, राघवेंद्र विक्रम सिंह भी जुलाई, 2017 से मार्च 2018 तक डीएम रहे। फिलहाल, इन्होंने वीआरएस ले लिया है। इस समय यह आउल वाइज रियल स्टेट कंपनी चला रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के शकील कुरैशी से पूछताछ में इनके नाम का भी जिक्र है। हालांकि, दोनों अफसरों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। यूपी में स्लाटर हाउस चलाने के लिए मालिक अफसरों पर रुपए लुटाता रहा। हर दिन 600 मवेशी कटते रहे। बदले में सब इंस्पेक्टर से लेकर बड़े अफसर मौज करते रहे। दो जिलों की पुलिस रिश्वत लेती रही। डीएम को 26 हजार की टेबल भेंट की गई तो एसएसपी पर 1 लाख रुपए खर्च किए गए। इसका खुलासा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) को दिए लिखित स्टेटमेंट से हुआ है। स्टेटमेंट बरेली के स्लाटर हाउस मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शकील कुरैशी ने दिया। सर्चिंग के दौरान फाइल, कंप्यूटर में मौजूद डाटा के आधार पर कुरैशी से पूछताछ में जो सामने आया, वो काफी चौंकाने वाला है। मामला अब सुर्खियों में इसलिए आया, क्योंकि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (PCB) ने 4 जुलाई को मैसर्स मारिया फ्रोजन एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को 12 लाख जुर्माने का नोटिस भेजा। नोटिस के बाद दैनिक भास्कर ने पड़ताल की। इसमें आईटी डिपार्टमेंट की पूछताछ की फाइल मिली। कंपनी के मालिक शकील कुरैशी से सवाल-जवाब की पूरी लिस्ट थी। इसी फाइल में पता चला कि स्लाटर हाउस चलाने के लिए किस तरह कंपनी, अधिकारियों को रिश्वत देकर मैनेज करती थी। शकील कुरैशी के स्टेटमेंट की कॉपी हमारे पास है, सबसे पहले जानिए स्लाटर हाउस के बारे में… स्लाटर हाउस बरेली के शाहजहांपुर रोड यानी NH-24 पर मोहनपुर ठिरिया गांव में है। इसे मारिया फ्रोजन एग्रो फूड प्रोडक्टस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाती है। इसी के मालिक हैं शकील कुरैशी। 21 दिसंबर, 2022 को कुरैशी के स्लाटर हाउस पर इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा। इसमें टैक्स चोरी पकड़ी गई। आयकर टीम ने 8 और 9 फरवरी, 2023 को कुरैशी को पूछताछ के लिए बुलाया। वहीं, मामले की जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण विभाग की कमेटी ने 4 अप्रैल, 2024 को बूचड़खाने का निरीक्षण किया। जांच में सामने आया कि स्लाटर हाउस के बाहर बहने वाले नाले में बिना ट्रीटमेंट किए गंदा पानी छोड़ा जा रहा था, जो नरकटिया नाले से होते हुए 3 किमी बाद रामगंगा नदी को प्रदूषित कर रहा है। नतीजा- स्लाटर हाउस को सीज कर दिया गया। अब चलते हैं अफसरों की भ्रष्टाचार की कहानी पर… बहराइच से लेकर लखीमपुर पुलिस को बांटते रहे रुपए: आईटी टीम ने कंपनी का डिजिटल डाटा सीज किया था। इसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंस यानी एक जगह से दूसरे जगह आने-जाने के खर्चे और ऑफिस एक्सपेंस यानी ऑफिस में होने वाले खर्चे की फाइल मिली। उसमें दर्ज जो ब्यौरे सामने आए, उसमें कई जिलों के बड़े-बड़े अफसरों के नाम निकले। इसमें लखीमपुर जिले के डीओ ऑफिस, एडीएम ऑफिस के अलावा बहराइच के डीओ ऑफिस, चीफ एफएसओ, एसएचओ जरवल, फखरपुर, कैसरगंज, चांदपुरा और आरटीओ ऑफिस के नाम हैं। इन्हें अलग-अलग 10 हजार से लेकर 50,000 रुपए दिए गए हैं। ये पैसे दिसंबर 2020 में दिए गए थे। कुल मिलाकर सभी को 2 लाख 68 हजार 694 रुपए रिश्वत में दिए गए। बात यहीं खत्म नहीं होती…। दूसरी डाटा शीट में मार्च, 2021 में दी गई रिश्वत की डिटेल है। इसमें बताया गया है कि कब-कब किसको कितने रुपए दिए गए हैं। एसआई ननपारा को दो बार में नसीब नाम के व्यक्ति के हाथों 15-15 हजार रुपए दिए गए हैं। वहीं, चांदपुरा एसआई को वकील के माध्यम से 10 हजार रुपए दिए गए हैं। डीओ बहराइच विनोद शर्मा को डायरेक्ट 50 हजार रुपए दिए गए हैं। न्यू ईयर के मौके पर विनोद शर्मा ने 15 हजार रुपए की रिश्वत ली। शराब पार्टी पर 30 हजार से ज्यादा रुपए खर्च किए गए हैं। इस बारे में आयकर विभाग ने पूछा तो शकील कुरैशी ने लिखित जवाब में बताया कि इस फाइल में दर्ज सारे खर्चे एक अन्य कंपनी मेसर्स सारा से संबंधित हैं। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी करती थी। डीएम के नाम 26 हजार की टेबल
‘Expense’ नाम की फाइल के अंदर बरेली शीट मिली है। इसमें डीएम सुरेंद्र के नाम पर हयात होटल में रुकने का 13 हजार 781 रुपए खर्च दर्ज है। डीएम विक्रम सिंह के नाम पर टेबल का 26 हजार 700 खर्च दिखाया गया है। एसएसपी के इंटीरियर के नाम पर एक लाख रुपए खर्च दिखाया गया है। हालांकि एसएसपी का नाम नहीं दिया गया है। डीएम के ड्राइवर का भी जिक्र है। ड्राइवर के नाम पर 47 हजार होटल का खर्च बताया गया है। किसी अफसर को एसआई के माध्यम से तो किसी SHO को ड्राइवर के माध्यम से पैसों की बांट
शकील कुरैशी की कंपनी से बरामद ‘ऑफिस एक्सपेंस’ नाम की शीट में एक नहीं, कई चौंकाने वाले नाम और किरदार दिखते हैं। किसी अफसर को पैसा कभी सीधे उनके खाते में दिया गया तो कभी ड्राइवर के माध्यम से। तो कभी एसआई के माध्यम से उन तक पहुंचाया गया। उदाहरण के लिए RTO ऑफिस बहराइच में दो बार पैसे दिए गए। एक बार 12 नवंबर, 2020 को तो दूसरी बार 19 दिसंबर, 2020 को। एक बार 18 हजार रुपए तो दूसरी बार 15 हजार रुपए। दोनों ही बार ये पैसे RTO ड्राइवर के माध्यम से अफसर तक पहुंचाए गए। इसी तरह SHO जरवाल को एसआई अफजल खान के माध्यम से 22 हजार रुपए दिए गए। SHO फखरपुर को एसआई अतीउल्लाह खान के माध्यम से 15 हजार रुपए दिए गए। कुछ अफसरों को डायरेक्ट पैसे देने की बात भी लिखी मिली। जैसे- DO ऑफिस बहराइच विनोद को सीधे उनके हाथ में 50 हजार रुपए दिए गए। अब इनकम टैक्स विभाग के सवाल और शकील कुरैशी के जवाब- आईटी अफसर: आपकी कमाई का जरिया क्या है?
शकील कुरैशी: मेरी आय का स्रोत कंपनी से मिलने वाली सैलरी और अचल संपत्तियों से मिलने वाला है। इसके अलावा मैं बकरी और भेड़ें पालकर बेचता हूं। आईटी अफसर: आप किन-किन फर्म में पार्टनर हैं। इन फर्म के व्यवसाय के तरीके भी बताएं?
शकील कुरैशी: मैं एक फर्म जिसका नाम मराठवाडा एग्रो फूड्स है, उसमें सरफराज अहमद अंसारी के साथ पार्टनर हूं। इस फर्म को खरीदने के लिए निवेश मराठावाडा एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से किया गया है। इस कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में जमीन खरीदी है। इसमें लगभग 50 से 60 लाख निवेश किए गए हैं। आईटी अफसर: 21 दिसंबर 2022 को हुई सर्चिंग के दौरान आपके प्रतिष्ठान से डिजिटल डाटा सीज किया गया था, जिसमें मोबिलाइजेशन एक्सपेंसेस नाम की फाइल मिली है। इन खर्चों का स्रोत और प्रवृत्ति बताएं। जिसका डाटा ये है- शकील कुरैशी: फाइल में दिया गया खर्च मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। इस प्रकार की लाइजनिंग का काम मेसर्स सारा कंपनी द्वारा किया जाता है। आईटी अफसर: ऑफिस एक्सपेंस की फाइल क्या है? शकील कुरैशी: ऊपर दिया गया खर्चा मेसर्स सारा कंपनी से संबंधित है। ये खर्चे विभिन्न मौकों जैसे कि नए साल या किसी त्योहार पर दिए जाने वाले खर्चे से संबंधित हैं। आईटी अफसर: Expense नाम की फाइल के अंदर ‘बरेली शीट’ मिली है। इसके बारे में क्या कहना है? शकील कुरैशी: इस संबंध में मुझे कुछ याद नहीं है। इस विषय में मैं अपने रिकार्ड में देखकर सारी जानकारी आपको दे दूंगा। प्रथम दृष्टया यह सभी खर्चे लाइजनिंग से संबंधित हैं। भ्रष्टाचार के तीन बड़े किरदार, सूत्रधार बीमार
मामले में हमारे सामने तीन मुख्य सूत्रधार सामने आए। शकील कुरैशी, दो डीएम- सुरेंद्र और राघवेंद्र विक्रम सिंह। हमने तीनों से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की। बरेली से हमें शकील कुरैशी के तीन मोबाइल नंबर मिले, लेकिन तीनों ही काम नहीं कर रहे हैं। शकील कुरैशी की कंपनी के एक कर्मचारी इशान अहमद से जब बात हुई। उन्होंने बताया, 4 जुलाई को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नोटिस के खिलाफ हम हाईकोर्ट गए थे। जहां से उस ऑर्डर पर रोक लगा दी गई है। वर्तमान में फैक्ट्री बंद है। जहां तक शकील कुरैशी की बात है तो उनकी तबीयत खराब है, इस वजह से किसी से बात नहीं कर रहे हैं। वहीं, बरेली शीट में डीएम सुरेंद्र का नाम सामने आया। इसके बाद जब हमने बरेली के डीएम की लिस्ट देखी तो उसमें 21 जनवरी, 2017 से 27 अप्रैल, 2017 तक आईएएस सुरेंद्र सिंह की तैनाती दिखी। वहीं, राघवेंद्र विक्रम सिंह भी जुलाई, 2017 से मार्च 2018 तक डीएम रहे। फिलहाल, इन्होंने वीआरएस ले लिया है। इस समय यह आउल वाइज रियल स्टेट कंपनी चला रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के शकील कुरैशी से पूछताछ में इनके नाम का भी जिक्र है। हालांकि, दोनों अफसरों से इस संबंध में बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर