यूपी में हिंदू-मुस्लिम आबादी का गणित:भाजपा से ‘तुम्हारा राज खत्म हो जाएगा’ कहने वाले सपा विधायक का दावा सच के कितना करीब?

यूपी में हिंदू-मुस्लिम आबादी का गणित:भाजपा से ‘तुम्हारा राज खत्म हो जाएगा’ कहने वाले सपा विधायक का दावा सच के कितना करीब?

‘मुस्लिम आबादी बढ़ गई है। तुम्हारा (भाजपा का) राज खत्म हो जाएगा। मुगलों ने देश में 800 साल राज किया। जब वो नहीं रहे, तो तुम क्या रहोगे? 2027 में तुम जाओगे जरूर, हम आएंगे जरूर।’ ये बयान अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली ने 29 सितंबर को बिजनौर में दिया। महबूब अली के इस बयान ने ऐसा तूल पकड़ा कि अगले ही दिन बिजनौर पुलिस ने संज्ञान लिया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। सपा विधायक के बयान के बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या सचमुच मुस्लिम आबादी बढ़ गई? विधायक के दावे का सच क्या है? बीते कुछ साल में कितनी मुस्लिम आबादी बढ़ी? मुस्लिम और बाकी धर्मों की प्रजनन दर की स्थिति क्या है? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए इन सवालों के जवाब- सबसे पहले भारत की कुल आबादी की स्थिति जानिए
भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद से अब तक कुल आबादी तीन गुना बढ़ चुकी है। 1947 में आजादी और विभाजन के बाद 1951 में हुई जनगणना के मुताबिक यह 36.1 करोड़ थी। इसके बाद आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई। इसके मुताबिक देश की आबादी करीब 120 करोड़ थी। चूंकि 2011 के बाद 2021 की जनगणना अब तक नहीं हो पाई है तो यह आंकड़े 13 साल पुराने हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की भारत की जनसंख्या को लेकर रिपोर्ट की मानें तो हर महीने 10 लाख की आबादी बढ़ रही है। साल 2023 में यूनाइटेड नेशंस बाकायदा इस बात की तस्दीक कर चुका है कि भारत अब दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। देश ने यह ओहदा चीन की जनसंख्या को पछाड़कर हासिल किया है। जनसंख्या में मुस्लिमों की क्या स्थिति है?
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का 14.2% है। संख्या में 17.2 करोड़ मुस्लिम हैं। इसके बाद हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या देश में 79.8% है। संख्या के हिसाब से कुल 96.6 करोड़ हिंदू देश में रहते हैं। जनसंख्या में इतने बड़े अंतर के बावजूद हिंदुओं के बाद देश में दूसरे नंबर पर मुस्लिमों की आबादी है। इन दोनों धर्मों के अलावा भारत में बाकी जितने धर्म हैं, उनकी आबादी कुल जनसंख्या के 1 फीसदी से भी कम है। इसमें सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और दूसरे धर्म शामिल हैं। आजादी के बाद से मुस्लिमों की जनसंख्या की बात करें तो 1951 की जनगणना के मुताबिक 3.5 करोड़ थी। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब यह बढ़कर 17.2 करोड़ हो चुकी है। पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की अल्पसंख्यकों को लेकर एक रिपोर्ट के मुताबिक 1950 से 2015 के बीच देश में मुस्लिम आबादी 43.15% बढ़ चुकी है। यूपी में मुस्लिम आबादी को लेकर जनगणना के आंकड़े क्या कहते हैं?
2001 की जनगणना के मुताबिक यूपी में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। दस साल बाद 2011 की जनगणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में हिंदू आबादी 79.73% हो गई , जबकि मुस्लिम 19.26% हो गई। इस तरह 2001 से 2011 के 10 सालों में प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 1.4% घट गई। वहीं, इस बीच राज्य में मुस्लिमों की आबादी 4.1% बढ़ी। संख्या में बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इनमें करीब 15.9 करोड़ हिंदू हैं और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। जनगणना विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंदू आबादी 3.20% घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी 3.22 फीसदी बढ़ गई। बिजनौर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में यही ट्रेंड देखने को मिला। मुस्लिम आबादी को लेकर प्रजनन दर के आंकड़े क्या कहते हैं?
आबादी बढ़ी है या घटी, ये जानने के लिए प्रजनन दर यानी जन्म दर मापदंड है। जनसंख्या घट रही है या बढ़ रही है, ये जानने के लिए प्रजनन दर बढ़ रहा है या घट रहा है, ये देखा जाता है। सवाल उठता है कि प्रजनन दर है क्या? तो जवाब है 15 से 49 साल तक की प्रति एक हजार महिलाओं पर जीवित बच्चों की संख्या। साल 2019-21 की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे यानी NFHS रिपोर्ट से पता चलता है कि मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर 2.66 है। 2015-16 में यह 3.10 थी। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की प्रजनन दर 2019-20 में 2.29 है, जबकि 2015-16 में 2.67 थी। 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक सिखों की प्रजनन दर 1.45 और अन्य की 2.83 हो गई। यानी हिंदू और मुस्लिम दोनों की प्रजनन दर घट रही है। दरअसल NFSH के तहत सरकार जनसंख्या, परिवार नियोजन, बाल और मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, वयस्क स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा आदि के आंकड़े जुटाती है। इसी में जन्म दर की स्थिति का भी सर्वे किया जाता है। इससे पता चलता है कि किस दर से आबादी बढ़ या घट रही है? यूपी पुलिस का दावा- नेपाल से सटे जिलों में मुस्लिम आबादी बढ़ी
साल 2022 में गृह मंत्रालय को यूपी पुलिस ने एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें यूपी पुलिस ने नेपाल से सटे प्रदेश के जिलों में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल बॉर्डर से लगे 7 जिलों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। ये जिले पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती और बहराइच हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि यहां 10 साल में बॉर्डर से सटे 1047 गांव में मुस्लिम आबादी 50 से 32% तक बढ़ गई है। पिछले 4 साल में इन गांवों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या 25% तक बढ़ गई है। जहां पहले इनकी संख्या 1349 थी, वहीं अब ये बढ़कर 1688 हो चुके हैं। पुलिस ने रिपोर्ट में इस बढ़ते ग्राफ के पीछे घुसपैठ को वजह बताया। राजनीतिक लिहाज से राज्य में मुस्लिम आबादी की स्थिति
यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं। लोकसभा सीटें 80 हैं। सियासी नजरिए से मुस्लिमों की भागीदारी की बात की जाए तो जनप्रतिनिधि चुनने में इनका रोल अहम है। यानी किसी कैंडिडेट की जीत-हार में इनकी आबादी अहम भूमिका निभाती है। यूपी के करीब 15 जिलों में इनकी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। लेकिन प्रतिनिधित्व की जब बात आती है, तो इनकी संख्या कम है। 2007 की मायावती की सरकार से योगी 2.0 पर नजर डालें तो पता चलता है कि हर विधानसभा चुनाव में इनके विधायक घटते चले गए। योगी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2017 में सिर्फ 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे। यह यूपी के राजनीतिक इतिहास में मुस्लिमों का विधानसभा में सबसे कम संख्या है। इससे पहले 1993 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौर में सबसे कम मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे। तब भी उनकी संख्या 2017 से एक ज्यादा 25 थी। क्यों राज्य में राजनीति के केंद्र में रहती है मुस्लिम आबादी?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम आबादी की अहम भूमिका होती है। यही वजह है कि राज्य में इन्हें लेकर वोट बैंक की राजनीति होती है। वही राजनीति जिसमें मुस्लिम धर्म की आबादी, मतदाताओं में बदल जाती है। इन्हें रिझाना राजनीतिक पार्टियों का धर्म बन जाता है। इसे कुछ आंकड़ों में समझिए। राज्य की कुल 403 में से 143 सीटों पर 20% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 30 सीटों पर 40% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 43 सीटों पर 30 से 40% मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, 70 सीटों पर 20 से 30% मुस्लिम मतदाता हैं। राज्य में बसपा और सपा की राजनीति में मुस्लिमों का केंद्र में होना कोई नहीं बात नहीं है। सपा पर MY यानी मुस्लिम यादव के वोट के बल पर सत्ता में आने का गणित कोई छुपी बात नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा का PDA यानी पिछड़े, अल्पसंख्यक और दलित का फॉर्मूला कौन भूल सकता है। यहां सपा के अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम वोट है। बसपा भी अपने 2007 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए खुद को मुस्लिमों का हितैषी साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। देश में मुस्लिम आबादी की क्या स्थिति है?
भारत में मुस्लिम आबादी करीब 20 करोड़ है। यानी देश की आबादी का करीब 14.2 फीसदी। 2011 की जनगणना के मुताबिक 10 साल में मुस्लिम आबादी करीब 24.6 फीसदी बढ़ी है। जबकि हिंदू आबादी करीब 16.8 फीसदी ही बढ़ी है। जम्मू कश्मीर में 68 फीसदी आबादी मुस्लिम है। असम में 34.22 फीसदी मुस्लिम हैं। पश्चिम बंगाल में 27.01, केरल में 26.56, यूपी में 19.26 और बिहार में 16.9 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ये भी पढ़ें… उत्तर प्रदेश उपचुनाव के लिए सपा के 6 कैंडिडेट्स घोषित, इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी थी हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन I.N.D.I.A. ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए 6 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। इनमें वे दो सीटें भी शामिल हैं जिन पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी। उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से पांच पर कांग्रेस की दावेदारी थी। पढ़ें पूरी खबर… ‘मुस्लिम आबादी बढ़ गई है। तुम्हारा (भाजपा का) राज खत्म हो जाएगा। मुगलों ने देश में 800 साल राज किया। जब वो नहीं रहे, तो तुम क्या रहोगे? 2027 में तुम जाओगे जरूर, हम आएंगे जरूर।’ ये बयान अमरोहा से सपा विधायक महबूब अली ने 29 सितंबर को बिजनौर में दिया। महबूब अली के इस बयान ने ऐसा तूल पकड़ा कि अगले ही दिन बिजनौर पुलिस ने संज्ञान लिया। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। सपा विधायक के बयान के बाद ये बहस तेज हो गई है कि क्या सचमुच मुस्लिम आबादी बढ़ गई? विधायक के दावे का सच क्या है? बीते कुछ साल में कितनी मुस्लिम आबादी बढ़ी? मुस्लिम और बाकी धर्मों की प्रजनन दर की स्थिति क्या है? भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए इन सवालों के जवाब- सबसे पहले भारत की कुल आबादी की स्थिति जानिए
भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद से अब तक कुल आबादी तीन गुना बढ़ चुकी है। 1947 में आजादी और विभाजन के बाद 1951 में हुई जनगणना के मुताबिक यह 36.1 करोड़ थी। इसके बाद आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई। इसके मुताबिक देश की आबादी करीब 120 करोड़ थी। चूंकि 2011 के बाद 2021 की जनगणना अब तक नहीं हो पाई है तो यह आंकड़े 13 साल पुराने हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की भारत की जनसंख्या को लेकर रिपोर्ट की मानें तो हर महीने 10 लाख की आबादी बढ़ रही है। साल 2023 में यूनाइटेड नेशंस बाकायदा इस बात की तस्दीक कर चुका है कि भारत अब दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। देश ने यह ओहदा चीन की जनसंख्या को पछाड़कर हासिल किया है। जनसंख्या में मुस्लिमों की क्या स्थिति है?
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में मुस्लिमों की आबादी कुल जनसंख्या का 14.2% है। संख्या में 17.2 करोड़ मुस्लिम हैं। इसके बाद हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या देश में 79.8% है। संख्या के हिसाब से कुल 96.6 करोड़ हिंदू देश में रहते हैं। जनसंख्या में इतने बड़े अंतर के बावजूद हिंदुओं के बाद देश में दूसरे नंबर पर मुस्लिमों की आबादी है। इन दोनों धर्मों के अलावा भारत में बाकी जितने धर्म हैं, उनकी आबादी कुल जनसंख्या के 1 फीसदी से भी कम है। इसमें सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और दूसरे धर्म शामिल हैं। आजादी के बाद से मुस्लिमों की जनसंख्या की बात करें तो 1951 की जनगणना के मुताबिक 3.5 करोड़ थी। 2011 की जनगणना के मुताबिक अब यह बढ़कर 17.2 करोड़ हो चुकी है। पीएम की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की अल्पसंख्यकों को लेकर एक रिपोर्ट के मुताबिक 1950 से 2015 के बीच देश में मुस्लिम आबादी 43.15% बढ़ चुकी है। यूपी में मुस्लिम आबादी को लेकर जनगणना के आंकड़े क्या कहते हैं?
2001 की जनगणना के मुताबिक यूपी में 80.61% हिंदू आबादी और 18.50% मुस्लिम आबादी थी। दस साल बाद 2011 की जनगणना हुई। इसके मुताबिक प्रदेश में हिंदू आबादी 79.73% हो गई , जबकि मुस्लिम 19.26% हो गई। इस तरह 2001 से 2011 के 10 सालों में प्रदेश में हिंदुओं की आबादी 1.4% घट गई। वहीं, इस बीच राज्य में मुस्लिमों की आबादी 4.1% बढ़ी। संख्या में बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इनमें करीब 15.9 करोड़ हिंदू हैं और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। जनगणना विभाग की मानें तो उत्तर प्रदेश के 57 जिलों में हिंदुओं की आबादी मुस्लिमों के मुकाबले धीमी गति से बढ़ रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर में हिंदू आबादी 3.20% घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी 3.22 फीसदी बढ़ गई। बिजनौर, कैराना, रामपुर और मुरादाबाद जैसे जिलों में यही ट्रेंड देखने को मिला। मुस्लिम आबादी को लेकर प्रजनन दर के आंकड़े क्या कहते हैं?
आबादी बढ़ी है या घटी, ये जानने के लिए प्रजनन दर यानी जन्म दर मापदंड है। जनसंख्या घट रही है या बढ़ रही है, ये जानने के लिए प्रजनन दर बढ़ रहा है या घट रहा है, ये देखा जाता है। सवाल उठता है कि प्रजनन दर है क्या? तो जवाब है 15 से 49 साल तक की प्रति एक हजार महिलाओं पर जीवित बच्चों की संख्या। साल 2019-21 की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे यानी NFHS रिपोर्ट से पता चलता है कि मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर 2.66 है। 2015-16 में यह 3.10 थी। रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की प्रजनन दर 2019-20 में 2.29 है, जबकि 2015-16 में 2.67 थी। 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक सिखों की प्रजनन दर 1.45 और अन्य की 2.83 हो गई। यानी हिंदू और मुस्लिम दोनों की प्रजनन दर घट रही है। दरअसल NFSH के तहत सरकार जनसंख्या, परिवार नियोजन, बाल और मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, वयस्क स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा आदि के आंकड़े जुटाती है। इसी में जन्म दर की स्थिति का भी सर्वे किया जाता है। इससे पता चलता है कि किस दर से आबादी बढ़ या घट रही है? यूपी पुलिस का दावा- नेपाल से सटे जिलों में मुस्लिम आबादी बढ़ी
साल 2022 में गृह मंत्रालय को यूपी पुलिस ने एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें यूपी पुलिस ने नेपाल से सटे प्रदेश के जिलों में बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर चिंता जाहिर की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल बॉर्डर से लगे 7 जिलों में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। ये जिले पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती और बहराइच हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि यहां 10 साल में बॉर्डर से सटे 1047 गांव में मुस्लिम आबादी 50 से 32% तक बढ़ गई है। पिछले 4 साल में इन गांवों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या 25% तक बढ़ गई है। जहां पहले इनकी संख्या 1349 थी, वहीं अब ये बढ़कर 1688 हो चुके हैं। पुलिस ने रिपोर्ट में इस बढ़ते ग्राफ के पीछे घुसपैठ को वजह बताया। राजनीतिक लिहाज से राज्य में मुस्लिम आबादी की स्थिति
यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं। लोकसभा सीटें 80 हैं। सियासी नजरिए से मुस्लिमों की भागीदारी की बात की जाए तो जनप्रतिनिधि चुनने में इनका रोल अहम है। यानी किसी कैंडिडेट की जीत-हार में इनकी आबादी अहम भूमिका निभाती है। यूपी के करीब 15 जिलों में इनकी आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। लेकिन प्रतिनिधित्व की जब बात आती है, तो इनकी संख्या कम है। 2007 की मायावती की सरकार से योगी 2.0 पर नजर डालें तो पता चलता है कि हर विधानसभा चुनाव में इनके विधायक घटते चले गए। योगी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2017 में सिर्फ 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे। यह यूपी के राजनीतिक इतिहास में मुस्लिमों का विधानसभा में सबसे कम संख्या है। इससे पहले 1993 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौर में सबसे कम मुस्लिम विधानसभा पहुंचे थे। तब भी उनकी संख्या 2017 से एक ज्यादा 25 थी। क्यों राज्य में राजनीति के केंद्र में रहती है मुस्लिम आबादी?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम आबादी की अहम भूमिका होती है। यही वजह है कि राज्य में इन्हें लेकर वोट बैंक की राजनीति होती है। वही राजनीति जिसमें मुस्लिम धर्म की आबादी, मतदाताओं में बदल जाती है। इन्हें रिझाना राजनीतिक पार्टियों का धर्म बन जाता है। इसे कुछ आंकड़ों में समझिए। राज्य की कुल 403 में से 143 सीटों पर 20% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 30 सीटों पर 40% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। 43 सीटों पर 30 से 40% मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, 70 सीटों पर 20 से 30% मुस्लिम मतदाता हैं। राज्य में बसपा और सपा की राजनीति में मुस्लिमों का केंद्र में होना कोई नहीं बात नहीं है। सपा पर MY यानी मुस्लिम यादव के वोट के बल पर सत्ता में आने का गणित कोई छुपी बात नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा का PDA यानी पिछड़े, अल्पसंख्यक और दलित का फॉर्मूला कौन भूल सकता है। यहां सपा के अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम वोट है। बसपा भी अपने 2007 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए खुद को मुस्लिमों का हितैषी साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। देश में मुस्लिम आबादी की क्या स्थिति है?
भारत में मुस्लिम आबादी करीब 20 करोड़ है। यानी देश की आबादी का करीब 14.2 फीसदी। 2011 की जनगणना के मुताबिक 10 साल में मुस्लिम आबादी करीब 24.6 फीसदी बढ़ी है। जबकि हिंदू आबादी करीब 16.8 फीसदी ही बढ़ी है। जम्मू कश्मीर में 68 फीसदी आबादी मुस्लिम है। असम में 34.22 फीसदी मुस्लिम हैं। पश्चिम बंगाल में 27.01, केरल में 26.56, यूपी में 19.26 और बिहार में 16.9 फीसदी मुस्लिम आबादी है। ये भी पढ़ें… उत्तर प्रदेश उपचुनाव के लिए सपा के 6 कैंडिडेट्स घोषित, इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी थी हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले ही दिन I.N.D.I.A. ब्लॉक में कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के लिए 6 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। इनमें वे दो सीटें भी शामिल हैं जिन पर कांग्रेस दावेदारी कर रही थी। उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से पांच पर कांग्रेस की दावेदारी थी। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर