बस्ती जिले के कुदरहा प्राथमिक विद्यालय है टेंगरिहा राजा। यहां अवधेश प्रसाद पुत्र लालचंद पढ़ाते थे। पिछले साल दस्तावेजों के मिलान और आधार कार्ड को पैन से लिंक कराने का सिलसिला शुरू हुआ। पता चला उन्हीं के नाम का व्यक्ति आजमगढ़ के अतरौलिया में भी सहायक शिक्षक है। मामला STF तक पहुंचा। दोनों के कागज जांचे गए। संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी से वेरीफाई कराया गया। पता चला बस्ती में कार्यरत अवधेश प्रसाद ने आजमगढ़ के अवधेश प्रसाद के दस्तावेज पर नौकरी हासिल की थी। मास्टरजी करीब 16 साल से सरकारी वेतन ले रहे थे। लखनऊ के सरोजनी नगर स्थित बंधरा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक ज्योतिमा सिंह के नाम पर भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा हुआ। किसी अन्य महिला ने उनके नाम पर महराजगंज के प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर भलूही में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली। STF की जांच में यूपी के 75 में से 53 जिलों में दूसरे की डिग्री पर नौकरी करने वाले 420 मामले सामने आए। कागजों में हेर-फेर कर नौकरी हासिल की और कई साल तक वेतन लेते रहे। सिर्फ तस्वीर और पता खुद का, बाकी सब हेराफेरी की। 2002 से 2014 तक इस तरह चयनित हुए 1142 मामलों की जांच STF कर रही है। 420 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। 722 मामलों की अभी जांच चल रही है। शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए ऐसे लोग क्या हथकंडा अपना रहे थे? सिस्टम में किस खामी का कैसे फायदा उठाया? अब कैसे पकड़ में आ रहे? कार्रवाई क्या हो रही? सिलसिलेवार पढ़िए… पहले ऐसे ही एक और फर्जीवाड़े के बारे में जानते हैं… सिद्धार्थनगर में पकड़ा गया फर्जी टीचर
सिद्धार्थनगर जिले के मिठवन विकासखंड स्थित कंपोजिट विद्यालय पतेड़वा में मुन्ना प्रसाद चौरसिया सहायक अध्यापक है। मुन्ना प्रसाद के खिलाफ STF को दूसरे शिक्षक के दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने की शिकायत मिली। STF ने जांच की, तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। मुन्ना प्रसाद ने आजगमढ़ जिले के जहानागंज क्षेत्र में स्थित कंपोजिट विद्यालय अमदहीं में कार्यरत सहायक अध्यापक मुन्ना प्रसाद की हाईस्कूल, इंटर, बीए और बीएड की डुप्लीकेट मार्कशीट का जुगाड़ किया। उनकी मार्कशीट और दस्तावेज के आधार पर 2012 में सहायक अध्यापक पद पर नौकरी हासिल की। डीएवी इंटर कॉलेज आजमगढ़ के प्रधानाचार्य ने पुष्टि की कि आजमगढ़ के मुन्ना चौरसिया ही असली शिक्षक हैं। 1986 में उत्तीर्ण मुन्ना चौरसिया समेंदा आजमगढ़ के रहने वाले हैं। देवरिया में सबसे ज्यादा फर्जी शिक्षक मिले
प्रदेश में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के कई केस सामने आने के बाद सरकार ने 2020 में जांच STF को सौंपी। STF ने करीब 1142 शिकायतों की जांच शुरू की। संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारियों से आरोपी शिक्षक की मार्कशीट और अन्य दस्तावेज मंगाकर जांच की। यूपी के 75 जिलों में से 53 (70 फीसदी) में 420 फर्जी शिक्षक मिले। देवरिया में सबसे ज्यादा 54, मथुरा में 43, सिद्धार्थनगर में 33, बस्ती में 30, गोरखपुर में 23, श्रावस्ती में 21, सीतापुर में 21, महराजगंज में 20, बलिया में 17, आजमगढ़ में 15, प्रतापगढ़ में 15, बलरामपुर में 12, संतकबीर नगर में 9 और हरदोई में 6 फर्जी शिक्षक मिले। STF सूत्रों के अनुसार, बाकी 722 मामलों में अभी जांच चल रही है। एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने केवल आरोपी शिक्षक के शैक्षिक प्रमाण पत्र, शारीरिक प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर जांच कर रिपोर्ट बेसिक शिक्षा विभाग को दी है। किसी भी आरोपी शिक्षक से न तो पूछताछ की, न ही किसी को नोटिस देकर बुलाया। 2018 में हर जिले में जांच के लिए बनी थी कमेटी
बेसिक शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने जुलाई, 2018 में परिषदीय स्कूलों के सभी शिक्षकों की जांच के आदेश दिए थे। जांच के लिए जिला स्तर पर ADM की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। कमेटी को 2008 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों की जांच करनी थी। 2020-21 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फर्जी शिक्षक पकड़े गए। उसके बाद सीएम योगी ने भी बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी शिक्षकों की जांच के आदेश दिए। दिलचस्प बात है कि 2018 और 2020 में दिए गए आदेश के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हुई। इस तरह से होता था फर्जीवाड़ा
बेसिक शिक्षा विभाग में 2014 तक परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती मेरिट के आधार पर होती थी। हाईस्कूल, इंटर, स्नातक, बीटीसी और बीएड के अंक के आधार पर मेरिट बनती थी। उसी दौरान यूपी में गिरोह सक्रिय हुआ। गिरोह के सदस्य पहले हुई भर्ती में चयनित शिक्षकों की मार्कशीट, अन्य प्रमाण पत्रों और दस्तावेज की डुप्लीकेट कॉपी संबंधित बोर्ड, यूनिवर्सिटी और संस्थान से जुटाते थे। जिन शिक्षकों के अंक ज्यादा होते, उन्हीं के नाम और दस्तावेजों के आधार पर किसी व्यक्ति को सहायक अध्यापक पद पर नौकरी दिलाते थे। आवेदन पत्र में केवल फोटो और पता ही संबंधित व्यक्ति का होता था, बाकी सभी दस्तावेज पहले चयनित शिक्षक के नाम से होते थे। ऐसे में कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से नौकरियां हासिल कर लीं। अब जांच में ये लोग फंस रहे हैं। अब इसलिए पकड़े जा रहे फर्जी शिक्षक फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई क्या?
बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने बताया कि STF की जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित बीएसए की ओर से FIR दर्ज कराई जाती है। धारा-420 के तहत केस दर्ज होता है। करीब दो सौ से ज्यादा शिक्षक सस्पेंड हुए हैं। BSA की अनुशंसा पर फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा रहा है। अब तक करीब 50 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। ये भी पढ़ें… अपर्णा यादव बोलीं-मैं एकलव्य थी, अब अर्जुन हूं; भाजपा में PM मोदी परशुराम; हर मुस्लिम आतंकी नहीं अपर्णा यादव आखिरकार मान गईं। उन्होंने 8 दिन बाद महिला आयोग के उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर लिया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक के साथ वह बुधवार दोपहर 12 बजे महिला आयोग के कार्यालय पहुंचीं। कार्यभार संभालने के बाद अपर्णा ने मीडिया से बात की। कहा- मैं नाराज नहीं हूं। मैंने सिर्फ अपनी बात रखी। पीएम मोदी और सीएम योगी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। भाजपा संगठन एक परिवार है। प्रधानमंत्री परशुराम हैं। पहले मैं एकलव्य थी। अब अर्जुन हूं। यहां पढ़ें पूरी खबर बस्ती जिले के कुदरहा प्राथमिक विद्यालय है टेंगरिहा राजा। यहां अवधेश प्रसाद पुत्र लालचंद पढ़ाते थे। पिछले साल दस्तावेजों के मिलान और आधार कार्ड को पैन से लिंक कराने का सिलसिला शुरू हुआ। पता चला उन्हीं के नाम का व्यक्ति आजमगढ़ के अतरौलिया में भी सहायक शिक्षक है। मामला STF तक पहुंचा। दोनों के कागज जांचे गए। संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी से वेरीफाई कराया गया। पता चला बस्ती में कार्यरत अवधेश प्रसाद ने आजमगढ़ के अवधेश प्रसाद के दस्तावेज पर नौकरी हासिल की थी। मास्टरजी करीब 16 साल से सरकारी वेतन ले रहे थे। लखनऊ के सरोजनी नगर स्थित बंधरा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक ज्योतिमा सिंह के नाम पर भी ऐसा ही फर्जीवाड़ा हुआ। किसी अन्य महिला ने उनके नाम पर महराजगंज के प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर भलूही में सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल कर ली। STF की जांच में यूपी के 75 में से 53 जिलों में दूसरे की डिग्री पर नौकरी करने वाले 420 मामले सामने आए। कागजों में हेर-फेर कर नौकरी हासिल की और कई साल तक वेतन लेते रहे। सिर्फ तस्वीर और पता खुद का, बाकी सब हेराफेरी की। 2002 से 2014 तक इस तरह चयनित हुए 1142 मामलों की जांच STF कर रही है। 420 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। 722 मामलों की अभी जांच चल रही है। शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए ऐसे लोग क्या हथकंडा अपना रहे थे? सिस्टम में किस खामी का कैसे फायदा उठाया? अब कैसे पकड़ में आ रहे? कार्रवाई क्या हो रही? सिलसिलेवार पढ़िए… पहले ऐसे ही एक और फर्जीवाड़े के बारे में जानते हैं… सिद्धार्थनगर में पकड़ा गया फर्जी टीचर
सिद्धार्थनगर जिले के मिठवन विकासखंड स्थित कंपोजिट विद्यालय पतेड़वा में मुन्ना प्रसाद चौरसिया सहायक अध्यापक है। मुन्ना प्रसाद के खिलाफ STF को दूसरे शिक्षक के दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने की शिकायत मिली। STF ने जांच की, तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। मुन्ना प्रसाद ने आजगमढ़ जिले के जहानागंज क्षेत्र में स्थित कंपोजिट विद्यालय अमदहीं में कार्यरत सहायक अध्यापक मुन्ना प्रसाद की हाईस्कूल, इंटर, बीए और बीएड की डुप्लीकेट मार्कशीट का जुगाड़ किया। उनकी मार्कशीट और दस्तावेज के आधार पर 2012 में सहायक अध्यापक पद पर नौकरी हासिल की। डीएवी इंटर कॉलेज आजमगढ़ के प्रधानाचार्य ने पुष्टि की कि आजमगढ़ के मुन्ना चौरसिया ही असली शिक्षक हैं। 1986 में उत्तीर्ण मुन्ना चौरसिया समेंदा आजमगढ़ के रहने वाले हैं। देवरिया में सबसे ज्यादा फर्जी शिक्षक मिले
प्रदेश में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के कई केस सामने आने के बाद सरकार ने 2020 में जांच STF को सौंपी। STF ने करीब 1142 शिकायतों की जांच शुरू की। संबंधित बेसिक शिक्षा अधिकारियों से आरोपी शिक्षक की मार्कशीट और अन्य दस्तावेज मंगाकर जांच की। यूपी के 75 जिलों में से 53 (70 फीसदी) में 420 फर्जी शिक्षक मिले। देवरिया में सबसे ज्यादा 54, मथुरा में 43, सिद्धार्थनगर में 33, बस्ती में 30, गोरखपुर में 23, श्रावस्ती में 21, सीतापुर में 21, महराजगंज में 20, बलिया में 17, आजमगढ़ में 15, प्रतापगढ़ में 15, बलरामपुर में 12, संतकबीर नगर में 9 और हरदोई में 6 फर्जी शिक्षक मिले। STF सूत्रों के अनुसार, बाकी 722 मामलों में अभी जांच चल रही है। एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने केवल आरोपी शिक्षक के शैक्षिक प्रमाण पत्र, शारीरिक प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों के आधार पर जांच कर रिपोर्ट बेसिक शिक्षा विभाग को दी है। किसी भी आरोपी शिक्षक से न तो पूछताछ की, न ही किसी को नोटिस देकर बुलाया। 2018 में हर जिले में जांच के लिए बनी थी कमेटी
बेसिक शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने जुलाई, 2018 में परिषदीय स्कूलों के सभी शिक्षकों की जांच के आदेश दिए थे। जांच के लिए जिला स्तर पर ADM की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई। कमेटी को 2008 के बाद नियुक्त सभी शिक्षकों की जांच करनी थी। 2020-21 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फर्जी शिक्षक पकड़े गए। उसके बाद सीएम योगी ने भी बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी शिक्षकों की जांच के आदेश दिए। दिलचस्प बात है कि 2018 और 2020 में दिए गए आदेश के बाद भी अभी तक जांच पूरी नहीं हुई। इस तरह से होता था फर्जीवाड़ा
बेसिक शिक्षा विभाग में 2014 तक परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती मेरिट के आधार पर होती थी। हाईस्कूल, इंटर, स्नातक, बीटीसी और बीएड के अंक के आधार पर मेरिट बनती थी। उसी दौरान यूपी में गिरोह सक्रिय हुआ। गिरोह के सदस्य पहले हुई भर्ती में चयनित शिक्षकों की मार्कशीट, अन्य प्रमाण पत्रों और दस्तावेज की डुप्लीकेट कॉपी संबंधित बोर्ड, यूनिवर्सिटी और संस्थान से जुटाते थे। जिन शिक्षकों के अंक ज्यादा होते, उन्हीं के नाम और दस्तावेजों के आधार पर किसी व्यक्ति को सहायक अध्यापक पद पर नौकरी दिलाते थे। आवेदन पत्र में केवल फोटो और पता ही संबंधित व्यक्ति का होता था, बाकी सभी दस्तावेज पहले चयनित शिक्षक के नाम से होते थे। ऐसे में कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से नौकरियां हासिल कर लीं। अब जांच में ये लोग फंस रहे हैं। अब इसलिए पकड़े जा रहे फर्जी शिक्षक फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई क्या?
बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने बताया कि STF की जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित बीएसए की ओर से FIR दर्ज कराई जाती है। धारा-420 के तहत केस दर्ज होता है। करीब दो सौ से ज्यादा शिक्षक सस्पेंड हुए हैं। BSA की अनुशंसा पर फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा रहा है। अब तक करीब 50 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है। ये भी पढ़ें… अपर्णा यादव बोलीं-मैं एकलव्य थी, अब अर्जुन हूं; भाजपा में PM मोदी परशुराम; हर मुस्लिम आतंकी नहीं अपर्णा यादव आखिरकार मान गईं। उन्होंने 8 दिन बाद महिला आयोग के उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर लिया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक के साथ वह बुधवार दोपहर 12 बजे महिला आयोग के कार्यालय पहुंचीं। कार्यभार संभालने के बाद अपर्णा ने मीडिया से बात की। कहा- मैं नाराज नहीं हूं। मैंने सिर्फ अपनी बात रखी। पीएम मोदी और सीएम योगी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है। भाजपा संगठन एक परिवार है। प्रधानमंत्री परशुराम हैं। पहले मैं एकलव्य थी। अब अर्जुन हूं। यहां पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर