लखनऊ में वक्फ संशोधन विधेयक के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की बड़ी बैठक हो रही है। यूपी सरकार की तरफ से कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका गर्ग ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया- यूपी में वक्फ की 14 हजार हेक्टेयर जमीन है। इसमें से 11 हजार (करीब 78 प्रतिशत) सरकारी जमीन है। लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में स्थित बहू-बेगम का मकबरा सरकार का है। हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड ने इसका विरोध किया। गोमती नगर के होटल मेरिएट में सुबह साढ़े 10 बजे से बैठक चल रही है। इसमें JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, यूपी सरकार में मंत्री दानिश आजाद समेत कई नेता शामिल हैं। मीटिंग में JPC के सदस्य शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों और शिया और सुन्नी वक्फ के मुतवल्लियों से मिलेंगे। होटल से बाहर निकले अल्पसंख्यक मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा- जिन्होंने वक्फ संपत्ति पर कब्जा किया है, वही बिल का विरोध कर रहे हैं। जेपीसी का गठन संसद में वक्फ संशोधन विधेयक-2024 के पास न हो पाने के कारण किया गया था। इसकी अलग-अलग राज्यों में बैठक हुई। बिहार और कोलकाता में बैठक के बाद लखनऊ में जेपीसी की यह आखिरी बैठक है। जेपीसी को 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र में पेश करनी है। अब पढ़िए किसने क्या कहा…. जगदंबिका पाल बोले- 24 और 25 जनवरी को फाइनल करेंगे रिपोर्ट जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, आज जेपीसी की सभी स्टेक होल्डर्स, इस्लामिक स्कॉलर्स, वकीलों और दोनों वक्फ बोर्ड के साथ बैठक चली। पहले हमने सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और सरकार के लोगों के साथ बैठक की। हमने सभी इस्लामिक स्कॉलर को सुना और बार काउंसिल के लोगों को सुना। अब ये जेपीसी की लास्ट विजिट है, हमने तमाम राज्यों में ये बैठक की। आज ये अंतिम बैठक है। हम 31 जनवरी से शुरू होने वाले सत्र में इस रिपोर्ट को रखेंगे और अपने JPC के सभी सदस्यों की राय भी मांगे हैं। फिर इस पर चर्चा करेंगे और 24 से 25 जनवरी को इसे फाइनल करेंगे। नफरत की बुनियाद पर जायदादों को खत्म करना चाहते हैं- औवैसी AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दैनिक भास्कर से कहा- पहले पटना, कलकत्ता, झारखंड के स्टेट के लोगों से मुलाकात की। सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत चल रही है। हम यूपी सरकार को चैलेंज कर रहे हैं कि जितनी भी वक्फ की जमीन है, सुन्नी की हो या शिया की हो। यह गजट पर है। यह गजट कौन इश्यू करता है? स्टेट गवर्नमेंट इश्यू करती है। ऑफिशियल डॉक्यूमेंट है। एडिशनल कलेक्टर सर्वे करते हैं, फिर सरकार उसका गजट नोटिफिकेशन जारी करती है। गजट नोटिफिकेशन जारी करने के बाद आज योगी सरकार कह रही है कि वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं है, तो यकीनन यह नफरत है। यह इंसाफ की बात नहीं कर रहे हैं। नफरत की बुनियाद पर जायदादों को खत्म करना चाहते हैं। माफिया बोर्ड के सवाल पर कहा- इतनी नफरत क्यों
वक्फ बोर्ड को माफिया बोर्ड कहने पर ओवैसी ने कहा- कैसे है माफिया बोर्ड, क्यों इतनी नफरत दिखा रहे हैं वह? सरकार तो चलती रही है। आज वह सीएम हैं, कल नहीं रहेंगे। इंशाअल्लाह। जब सरकार खुद सर्वे करके गजट जारी करती है तो फिर कहां से माफिया आ रहा है? किधर से आ रहा है? यह गलत है, देश में एक माहौल पैदा किया जा रहा है। यह जो बिल लाया गया है, वह सरासर वक्फ की जायदाद बचाने के लिए नहीं, बल्कि बर्बाद करने के लिए है। 2027 में होने वाले चुनाव पर औवैसी ने कहा-हम कमजोरियों को दूर कर रहे हैं। मेहनत कर रहे हैं। पल्लवी पटेल के साथ काम कर रहे हैं। मिलकर चुनाव लड़ेंगे। अबकी बार कामयाबी मिलेगी। किसी और पार्टी के साथ समझौता करने पर कहा-अभी ऐसा नहीं है। वक्फ को माफिया बोर्ड कहने के सवाल पर मसूद बोले- इसका जवाब तो योगी दें कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- जेपीसी की मीटिंग की चर्चा में क्या हो रही है। इसकी जानकारी बाहर नहीं दी जा सकती है। जो उत्तर प्रदेश की सरकार है, वह काफी जल्दी में है। वक्फ को माफिया बोर्ड के सवाल पर मसूद ने कहा कि इसका जवाब तो खुद सीएम योगी जी दें कि उनकी सरकार में कैसे, आखिरकार, माफिया बोर्ड चल रहा है। 14 हजार में से 11 हजार हेक्टेयर जमीन सरकारी है? इसके सवाल पर मसूद ने कहा- जो गांव के अंदर मस्जिद और कब्रिस्तान हैं, ये आबादी के बीच हैं, बाई यूजर हैं। तो यह कई जगहों पर दर्ज नहीं हैं। इसे पंचायत की भूमि मान लिया गया है। इसे अब सरकारी संपत्ति घोषित करने की बात कही जा रही है। यह तो पूरी तरह से ज्यादती है। देश में अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल
मसूद ने कहा- 1906 से पहले तो सारी प्रॉपर्टी बाई यूजर ही थी। सारी 100-150 साल पुरानी प्रॉपर्टी बाई यूजर के रूप में ही चली आ रही है, उससे पहले डीड कहां होती थी। आज मुसलमान को वक्फ से हटा रहे हो, कल दूसरी जगह से हटा दोगे तो क्या होगा? इसका असर जो प्राचीन मंदिर और मठ हैं, उस पर भी पड़ेगा। देश में अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल बनाया जा रहा। इसमें एक भी पॉइंट मुसलमान के विकास के लिए नहीं है। हमारे बुजुर्ग जिस कब्रिस्तान में दफन हैं, उसे वक्फ की संपत्ति नहीं मान रहे हैं। सदियों से जहां नमाज पढ़ रहे, उसे मस्जिद मानने को तैयार नहीं है। हमने दूसरे की जमीन पर कब्जा नहीं किया- खालिद रशीद खालिद रशीद ने कहा- जो बार-बार कहा जा रहा है कि वक्फ ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, ऐसा नहीं है कि हमने दूसरे की जमीन पर कब्जा कर उसे वक्फ कर दिया हो। हमने अपनी मिल्कियत की जमीन को अल्लाह की मिल्कियत में किया है, ताकि इसका फायदा आम आदमी को मिले। यही वक्फ का उद्देश्य है। वक्फ की जो भी जमीनें हैं, वे हमारी अपनी जमीनें हैं। हमारे बुजुर्गों ने अल्लाह की राह में वक्फ किया है। जो यह प्रोपेगेंडा हो रहा है कि मुसलमानों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, यह पूरी तरह से गलत है। बिल पास होने पर काफी दिक्कत हो जाएगी- फजले मन्नान
सरकार के डेटा कलेक्शन के जवाब पर मौलाना फजले मन्नान ने कहा- मस्जिद-मदरसे, कब्रिस्तान सभी वक्फ की जमीन पर हैं। ऐसे में यह बिल के पास हो जाता है तो काफी दिक्कत हो जाएगी। मस्जिद-मदरसे अगर मान लीजिए कि सरकारी जमीन पर पाए जाते हैं तो इस पर क्या मांग करेंगे। इसका जवाब देते हुए मन्नान ने कहा- यह तो बाद की बात है। पहले तो दोनों पक्षों से रिपोर्ट पेश हो। उसके बाद देखिए क्या सामने आता है। अभी तो दोनों पक्षों को बात रखने का मौका दिया गया है। बिल पर किसे एतराज? उसी को लेकर चर्चा हो रही- राजभर ओम प्रकाश राजभर ने कहा- बिल पर किसे एतराज है। उसी को लेकर चर्चा हो रही है। बैठक में शामिल लोग अपना प्रस्ताव रख रहे हैं। प्रस्ताव पर कमेटी विचार कर रही है। कुछ ही लोग हैं जो विरोध कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जो वक्फ संपत्ति पर कब्जा किए हैं। सरकार की मंशा है कि महिलाएं और गरीब-कमजोरों को इसमें शामिल किया जाए। इसका पूरा लाभ मिले। पूरे देश के लोगों के साथ यह सर्वे किया गया है। इसकी जानकारी की जा रही है। ‘कमेटी ने अधिकारियों और धर्मगुरुओं से क्रॉस क्वेश्चन किए’
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा- जो संशोधन बिल पेश हुआ है, उस पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ने अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों और धर्मगुरुओं से क्रॉस क्वेश्चन किए। अल्पसंख्यक अधिकारियों की ओर से जो डेटा पेश किया गया, उस पर कमेटी ने सवाल खड़े किए कि इन संपत्तियों का डेटा कहां से आया। बाकी वक्फ का जो डेटा पेंडिंग है, उसमें कितना समय लगेगा। यह प्रस्तावित संशोधन बिल है, इस संबंध में जिन्हें एतराज है, उन्हें जानकारी दी जा रही है कि जो संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है, अगर उसे हटाया जाएगा, तो उसके लिए क्या कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। इसका जवाब कमेटी देगी। बैठक के बाद पार्लियामेंट में पेश होगा बिल- बृजलाल
ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सदस्य बृजलाल ने कहा- बिल को लेकर देश के कई राज्यों में बैठक हुई है। आज उत्तर प्रदेश की यह आखिरी बैठक है। इसके बाद ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बिल को पार्लियामेंट में पेश करेगी। बिल को लेकर देश भर के शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी, अल्पसंख्यक कार्य विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार से चर्चा हुई। मेहमान नवाजी से नाराज हुए JPC के सदस्य
जेपीसी की टीम देर रात कोलकाता से लखनऊ पहुंची। सूत्रों का कहना है कि टीम को रिसीव करने के लिए नायब तहसीलदार स्तर के अफसर को भेजा गया। इससे टीम के सदस्य नाराज हो गए। फिर विशेष सचिव स्तर के अधिकारी भेजे गए। इसके बाद जेपीसी के सदस्य लखनऊ एयरपोर्ट से बाहर आए। जेपीसी के सदस्यों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी अगुवानी के लिए मौजूद थे। होटल को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। एक सदस्य ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि जेपीसी के लिए दूसरे राज्यों में बेहतर इंतजाम किए गए थे। लखनऊ में वक्फ संशोधन विधेयक के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की बड़ी बैठक हो रही है। यूपी सरकार की तरफ से कृषि उत्पादन आयुक्त मोनिका गर्ग ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया- यूपी में वक्फ की 14 हजार हेक्टेयर जमीन है। इसमें से 11 हजार (करीब 78 प्रतिशत) सरकारी जमीन है। लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में स्थित बहू-बेगम का मकबरा सरकार का है। हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड ने इसका विरोध किया। गोमती नगर के होटल मेरिएट में सुबह साढ़े 10 बजे से बैठक चल रही है। इसमें JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, यूपी सरकार में मंत्री दानिश आजाद समेत कई नेता शामिल हैं। मीटिंग में JPC के सदस्य शिया वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों और शिया और सुन्नी वक्फ के मुतवल्लियों से मिलेंगे। होटल से बाहर निकले अल्पसंख्यक मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा- जिन्होंने वक्फ संपत्ति पर कब्जा किया है, वही बिल का विरोध कर रहे हैं। जेपीसी का गठन संसद में वक्फ संशोधन विधेयक-2024 के पास न हो पाने के कारण किया गया था। इसकी अलग-अलग राज्यों में बैठक हुई। बिहार और कोलकाता में बैठक के बाद लखनऊ में जेपीसी की यह आखिरी बैठक है। जेपीसी को 31 जनवरी को अपनी रिपोर्ट संसद के बजट सत्र में पेश करनी है। अब पढ़िए किसने क्या कहा…. जगदंबिका पाल बोले- 24 और 25 जनवरी को फाइनल करेंगे रिपोर्ट जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा, आज जेपीसी की सभी स्टेक होल्डर्स, इस्लामिक स्कॉलर्स, वकीलों और दोनों वक्फ बोर्ड के साथ बैठक चली। पहले हमने सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और सरकार के लोगों के साथ बैठक की। हमने सभी इस्लामिक स्कॉलर को सुना और बार काउंसिल के लोगों को सुना। अब ये जेपीसी की लास्ट विजिट है, हमने तमाम राज्यों में ये बैठक की। आज ये अंतिम बैठक है। हम 31 जनवरी से शुरू होने वाले सत्र में इस रिपोर्ट को रखेंगे और अपने JPC के सभी सदस्यों की राय भी मांगे हैं। फिर इस पर चर्चा करेंगे और 24 से 25 जनवरी को इसे फाइनल करेंगे। नफरत की बुनियाद पर जायदादों को खत्म करना चाहते हैं- औवैसी AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दैनिक भास्कर से कहा- पहले पटना, कलकत्ता, झारखंड के स्टेट के लोगों से मुलाकात की। सभी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत चल रही है। हम यूपी सरकार को चैलेंज कर रहे हैं कि जितनी भी वक्फ की जमीन है, सुन्नी की हो या शिया की हो। यह गजट पर है। यह गजट कौन इश्यू करता है? स्टेट गवर्नमेंट इश्यू करती है। ऑफिशियल डॉक्यूमेंट है। एडिशनल कलेक्टर सर्वे करते हैं, फिर सरकार उसका गजट नोटिफिकेशन जारी करती है। गजट नोटिफिकेशन जारी करने के बाद आज योगी सरकार कह रही है कि वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं है, तो यकीनन यह नफरत है। यह इंसाफ की बात नहीं कर रहे हैं। नफरत की बुनियाद पर जायदादों को खत्म करना चाहते हैं। माफिया बोर्ड के सवाल पर कहा- इतनी नफरत क्यों
वक्फ बोर्ड को माफिया बोर्ड कहने पर ओवैसी ने कहा- कैसे है माफिया बोर्ड, क्यों इतनी नफरत दिखा रहे हैं वह? सरकार तो चलती रही है। आज वह सीएम हैं, कल नहीं रहेंगे। इंशाअल्लाह। जब सरकार खुद सर्वे करके गजट जारी करती है तो फिर कहां से माफिया आ रहा है? किधर से आ रहा है? यह गलत है, देश में एक माहौल पैदा किया जा रहा है। यह जो बिल लाया गया है, वह सरासर वक्फ की जायदाद बचाने के लिए नहीं, बल्कि बर्बाद करने के लिए है। 2027 में होने वाले चुनाव पर औवैसी ने कहा-हम कमजोरियों को दूर कर रहे हैं। मेहनत कर रहे हैं। पल्लवी पटेल के साथ काम कर रहे हैं। मिलकर चुनाव लड़ेंगे। अबकी बार कामयाबी मिलेगी। किसी और पार्टी के साथ समझौता करने पर कहा-अभी ऐसा नहीं है। वक्फ को माफिया बोर्ड कहने के सवाल पर मसूद बोले- इसका जवाब तो योगी दें कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा- जेपीसी की मीटिंग की चर्चा में क्या हो रही है। इसकी जानकारी बाहर नहीं दी जा सकती है। जो उत्तर प्रदेश की सरकार है, वह काफी जल्दी में है। वक्फ को माफिया बोर्ड के सवाल पर मसूद ने कहा कि इसका जवाब तो खुद सीएम योगी जी दें कि उनकी सरकार में कैसे, आखिरकार, माफिया बोर्ड चल रहा है। 14 हजार में से 11 हजार हेक्टेयर जमीन सरकारी है? इसके सवाल पर मसूद ने कहा- जो गांव के अंदर मस्जिद और कब्रिस्तान हैं, ये आबादी के बीच हैं, बाई यूजर हैं। तो यह कई जगहों पर दर्ज नहीं हैं। इसे पंचायत की भूमि मान लिया गया है। इसे अब सरकारी संपत्ति घोषित करने की बात कही जा रही है। यह तो पूरी तरह से ज्यादती है। देश में अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल
मसूद ने कहा- 1906 से पहले तो सारी प्रॉपर्टी बाई यूजर ही थी। सारी 100-150 साल पुरानी प्रॉपर्टी बाई यूजर के रूप में ही चली आ रही है, उससे पहले डीड कहां होती थी। आज मुसलमान को वक्फ से हटा रहे हो, कल दूसरी जगह से हटा दोगे तो क्या होगा? इसका असर जो प्राचीन मंदिर और मठ हैं, उस पर भी पड़ेगा। देश में अराजकता और अफरा-तफरी का माहौल बनाया जा रहा। इसमें एक भी पॉइंट मुसलमान के विकास के लिए नहीं है। हमारे बुजुर्ग जिस कब्रिस्तान में दफन हैं, उसे वक्फ की संपत्ति नहीं मान रहे हैं। सदियों से जहां नमाज पढ़ रहे, उसे मस्जिद मानने को तैयार नहीं है। हमने दूसरे की जमीन पर कब्जा नहीं किया- खालिद रशीद खालिद रशीद ने कहा- जो बार-बार कहा जा रहा है कि वक्फ ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, ऐसा नहीं है कि हमने दूसरे की जमीन पर कब्जा कर उसे वक्फ कर दिया हो। हमने अपनी मिल्कियत की जमीन को अल्लाह की मिल्कियत में किया है, ताकि इसका फायदा आम आदमी को मिले। यही वक्फ का उद्देश्य है। वक्फ की जो भी जमीनें हैं, वे हमारी अपनी जमीनें हैं। हमारे बुजुर्गों ने अल्लाह की राह में वक्फ किया है। जो यह प्रोपेगेंडा हो रहा है कि मुसलमानों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है, यह पूरी तरह से गलत है। बिल पास होने पर काफी दिक्कत हो जाएगी- फजले मन्नान
सरकार के डेटा कलेक्शन के जवाब पर मौलाना फजले मन्नान ने कहा- मस्जिद-मदरसे, कब्रिस्तान सभी वक्फ की जमीन पर हैं। ऐसे में यह बिल के पास हो जाता है तो काफी दिक्कत हो जाएगी। मस्जिद-मदरसे अगर मान लीजिए कि सरकारी जमीन पर पाए जाते हैं तो इस पर क्या मांग करेंगे। इसका जवाब देते हुए मन्नान ने कहा- यह तो बाद की बात है। पहले तो दोनों पक्षों से रिपोर्ट पेश हो। उसके बाद देखिए क्या सामने आता है। अभी तो दोनों पक्षों को बात रखने का मौका दिया गया है। बिल पर किसे एतराज? उसी को लेकर चर्चा हो रही- राजभर ओम प्रकाश राजभर ने कहा- बिल पर किसे एतराज है। उसी को लेकर चर्चा हो रही है। बैठक में शामिल लोग अपना प्रस्ताव रख रहे हैं। प्रस्ताव पर कमेटी विचार कर रही है। कुछ ही लोग हैं जो विरोध कर रहे हैं। ये वही लोग हैं जो वक्फ संपत्ति पर कब्जा किए हैं। सरकार की मंशा है कि महिलाएं और गरीब-कमजोरों को इसमें शामिल किया जाए। इसका पूरा लाभ मिले। पूरे देश के लोगों के साथ यह सर्वे किया गया है। इसकी जानकारी की जा रही है। ‘कमेटी ने अधिकारियों और धर्मगुरुओं से क्रॉस क्वेश्चन किए’
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा- जो संशोधन बिल पेश हुआ है, उस पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ने अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों और धर्मगुरुओं से क्रॉस क्वेश्चन किए। अल्पसंख्यक अधिकारियों की ओर से जो डेटा पेश किया गया, उस पर कमेटी ने सवाल खड़े किए कि इन संपत्तियों का डेटा कहां से आया। बाकी वक्फ का जो डेटा पेंडिंग है, उसमें कितना समय लगेगा। यह प्रस्तावित संशोधन बिल है, इस संबंध में जिन्हें एतराज है, उन्हें जानकारी दी जा रही है कि जो संपत्ति वक्फ बोर्ड में दर्ज नहीं है, अगर उसे हटाया जाएगा, तो उसके लिए क्या कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। इसका जवाब कमेटी देगी। बैठक के बाद पार्लियामेंट में पेश होगा बिल- बृजलाल
ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सदस्य बृजलाल ने कहा- बिल को लेकर देश के कई राज्यों में बैठक हुई है। आज उत्तर प्रदेश की यह आखिरी बैठक है। इसके बाद ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बिल को पार्लियामेंट में पेश करेगी। बिल को लेकर देश भर के शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी, अल्पसंख्यक कार्य विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार से चर्चा हुई। मेहमान नवाजी से नाराज हुए JPC के सदस्य
जेपीसी की टीम देर रात कोलकाता से लखनऊ पहुंची। सूत्रों का कहना है कि टीम को रिसीव करने के लिए नायब तहसीलदार स्तर के अफसर को भेजा गया। इससे टीम के सदस्य नाराज हो गए। फिर विशेष सचिव स्तर के अधिकारी भेजे गए। इसके बाद जेपीसी के सदस्य लखनऊ एयरपोर्ट से बाहर आए। जेपीसी के सदस्यों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी अगुवानी के लिए मौजूद थे। होटल को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। एक सदस्य ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि जेपीसी के लिए दूसरे राज्यों में बेहतर इंतजाम किए गए थे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर