योगी के लिए चुनौती बनेगा विधानसभा उपचुनाव:सरकार और संगठन ने उतारी नेताओं-मंत्रियों की फौज; सपा से होना है कड़ा मुकाबला

योगी के लिए चुनौती बनेगा विधानसभा उपचुनाव:सरकार और संगठन ने उतारी नेताओं-मंत्रियों की फौज; सपा से होना है कड़ा मुकाबला

यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद होने वाले उपचुनाव में भाजपा और योगी सरकार साख बचाने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। लोकसभा चुनाव में यूपी में कम सीटें मिलने के बाद भाजपा ने उपचुनाव में डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाई है। सरकार की ओर से 18 मंत्रियों को 10 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रभारी बनाया गया है। इंडी गठबंधन भी यूपी में लोकसभा चुनाव परिणाम के प्रदर्शन को दोहराना चाहेगा। ऐसे में भाजपा ने एक-एक पार्टी पदाधिकारी को प्रभारी नियुक्त किया है। भाजपा के लिए यह उपचुनाव कितना अहम है, किन-किन की साख दांव पर है, जातिगत समीकरण क्या है? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट… सीएम योगी और भूपेंद्र चौधरी के लिए बड़ी परीक्षा
उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की बड़ी परीक्षा होगी। देशभर के नेताओं के साथ राजनीतिक विश्लेषकों की नजर भी भाजपा के प्रदर्शन पर रहेगी। केंद्रीय नेतृत्व 10 सीटों की कमान पूरी तरह से योगी और चौधरी के हाथ सौंपने जा रहा है। यूपी में उपचुनाव के परिणाम तय करेंगे कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद रणनीति में कितना सुधार किया? भाजपा सहयोगी दल निषाद पार्टी को दे सकती है 2 सीटें
कटेहरी और मझवां सीट गठबंधन में निषाद पार्टी को मिल सकती है। मीरापुर सीट से रालोद ने चुनाव लड़ा था। रालोद अब एनडीए में है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोकचंद त्यागी का कहना है- मीरापुर उपचुनाव रालोद ही लड़ेगी। 5 सीटें सपा और 5 एनडीए के पास होने से मुकाबला कड़ा
विधानसभा चुनाव 2022 में कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ, करहल और कुंदरकी में सपा जीती थी। वहीं गाजियाबाद, मझवां और फूलपुर भाजपा जीती थी। मीरापुर रालोद के खाते में गई थी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में 10 में से 7 विधानसभा क्षेत्रों में सपा यानी इंडी गठबंधन का पलड़ा भारी है। लोकसभा चुनाव में कटेहरी, मिल्कीपुर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, खैर और कुंदरकी में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी चुनाव जीते थे। मझवां में अपना दल (एस), मीरापुर में रालोद और गाजियाबाद में भाजपा बढ़त में रही। ऐसे में सपा जहां अपना दबदबा कायम रखने के लिए संघर्ष करेगी। वहीं, भाजपा लोकसभा चुनाव परिणाम का दोहराव रोकने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। अब 10 सीटों पर भाजपा की रणनीति से लेकर प्रभारी और संभावित उम्मीदवारों की स्थिति समझिए- 1. करहल : यादव परिवार के ही दामाद को उतार सकती है भाजपा
मैनपुरी जिले की करहल सीट सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने से खाली हुई। यादव, शाक्य और मुस्लिम बहुल सीट पर सरकार ने भारी-भरकम टीम तैनात की है। सरकार की ओर से पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के साथ उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री अजीत पाल को तैनात किया है। भाजपा संगठन ने प्रदेश उपाध्यक्ष बृज बहादुर उपाध्याय को जिम्मेदारी सौंपी है। सपा से जहां तेज प्रताप यादव के चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं, भाजपा यादव परिवार के दामाद अनुज यादव को चुनाव लड़ाकर मुकाबला रोचक करने की तैयारी में है। 2. मिल्कीपुर : 9 बार विधायक रहे अवधेश पासी के बेटे का नाम सबसे आगे
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की जिम्मेदारी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह को सौंपी गई है। मिल्कीपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भाजपा में यहां से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी और राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में है। सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। यहां से 9 बार विधायक रह चुके अवधेश पासी के बेटे अजीत प्रसाद के सपा से चुनाव मैदान में उतरने की भी अटकलें हैं। 3. कटेहरी : भाजपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर प्रभार दिया
अंबेडकर नगर जिले के कुर्मी बहुल कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में सरकार ने जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल को प्रभारी नियुक्त किया है। स्वतंत्र देव और आशीष पटेल कुर्मी समाज के बड़े चेहरे हैं। भाजपा संगठन की ओर से यहां प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी धर्मेंद्र सिंह सेंधवार को तैनात किया गया है। भाजपा यहां से किसी ब्राह्मण या निषाद जाति के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ा सकती है। सपा कुर्मी समाज से ही प्रत्याशी बनाएगी। 4. सीसामऊ : मंत्री सुरेश खन्ना और प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह को कमान
कानपुर की सीसामऊ सीट पर सरकार की ओर से वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और संगठन ने प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह को प्रभारी नियुक्त किया है। मुस्लिम बहुल सीट पर सपा पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी या मां को चुनाव लड़ा सकती है। भाजपा वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति के तहत किसी ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतार सकती है। 5. फूलपुर : राकेश सचान और दयाशंकर सिंह को कमल खिलाने की जिम्मेदारी प्रयागराज की फूलपुर सीट पर सरकार ने एमएसएमई मंत्री राकेश सचान और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को कमान सौंपी है। भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष त्रयंबक त्रिपाठी को जिम्मेदारी दी है। कुर्मी बहुल सीट पर भाजपा किसी कुर्मी चेहरे को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। 6. कुंदरकी : क्षत्रिय या जाट उम्मीदवार की तलाश
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट मुस्लिम बहुल है। सरकार ने पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी को प्रभारी बनाया है। पार्टी ने क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हरीश ठाकुर को कमान सौंपी है। पार्टी यहां किसी क्षत्रिय या जाट को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। 7. मीरापुर : जाट उम्मीदवार के हवाले करने की तैयारी मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री रालोद के अनिल कुमार और राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को कमान सौंपी है। भाजपा प्रदेश संगठन ने बिजनौर के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव सिसोदिया को तैनात किया है। इस सीट पर एनडीए के सहयोगी रालोद की ओर से किसी जाट को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। 8. मझवां : अपना दल एस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
मिर्जापुर जिले की मझवां सीट पर भाजपा के साथ अपना दल (एस) की भी प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। सरकार ने श्रम मंत्री अनिल राजभर को जिम्मेदारी दी है। भाजपा ने विधायक भूपेश चौबे को कमान दी है। इस सीट पर भाजपा किसी बिंद, कुर्मी, राजभर या निषाद समाज के मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही है। 9. खैर : वाल्मीकि या जाटव को टिकट देने की तैयारी
अलीगढ़ की खैर सीट पर सरकार ने गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी को प्रभारी नियुक्त किया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा फिर किसी वाल्मीकि या जाटव को मौका देने की तैयारी में है। 10. गाजियाबाद : परंपरागत सीट से वैश्य या ब्राह्मण को टिकट देने की चर्चा
गाजियाबाद भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा को यहां कमान सौंपी है। गाजियाबाद से किसी वैश्य या ब्राह्मण को मौका मिल सकता है। इस सीट से विधायक अतुल गर्ग को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया था। वह चुनाव जीत गए। इस वजह से भाजपा की सेफ सीट माने वाली यह सीट खाली हो गई। 8 सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुईं
सपा और भाजपा के 4-4 और रालोद के 1 विधायक के सांसद बनने से विधानसभा की 9 सीटें खाली हुई हैं। सपा के एक विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल सजा होने से कानपुर की सीसामऊ सीट खाली हुई। अगस्त-सितंबर तक इन दस सीटों पर उपचुनाव होना है। 4 विधायकों के सांसद बनने और सीसामऊ सीट से इरफान सोलंकी को सजा होने से सपा की कुल 5 सीटें खाली हुई हैं। इसमें करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी और सीतामऊ शामिल हैं। वहीं भाजपा की 3 सीटें खाली हुई हैं। ये विधायक सांसद बन गए हैं। इनमें गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटें शामिल हैं। राजनीतिक भविष्य की दशा और दिशा तय करेंगे उपचुनाव
यूपी में ये महज 10 विधानसभा सीटों का उपचुनाव नहीं होगा, यह चुनाव यूपी की राजनीति की दशा-दिशा भी तय करेगा। चुनाव परिणाम का भाजपा और सपा के साथ सरकार के कामकाज पर भी असर पड़ेगा। चुनाव परिणाम के बाद राजनीति के मौसम वैज्ञानिक यानी दलबदलू अपने नए ठिकाने की तलाश करेंगे। यही वजह है कि तारीखों की घोषणा से पहले ही सरकार और भाजपा पूरी तरह उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है। यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होना है। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद होने वाले उपचुनाव में भाजपा और योगी सरकार साख बचाने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। लोकसभा चुनाव में यूपी में कम सीटें मिलने के बाद भाजपा ने उपचुनाव में डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनाई है। सरकार की ओर से 18 मंत्रियों को 10 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रभारी बनाया गया है। इंडी गठबंधन भी यूपी में लोकसभा चुनाव परिणाम के प्रदर्शन को दोहराना चाहेगा। ऐसे में भाजपा ने एक-एक पार्टी पदाधिकारी को प्रभारी नियुक्त किया है। भाजपा के लिए यह उपचुनाव कितना अहम है, किन-किन की साख दांव पर है, जातिगत समीकरण क्या है? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट… सीएम योगी और भूपेंद्र चौधरी के लिए बड़ी परीक्षा
उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की बड़ी परीक्षा होगी। देशभर के नेताओं के साथ राजनीतिक विश्लेषकों की नजर भी भाजपा के प्रदर्शन पर रहेगी। केंद्रीय नेतृत्व 10 सीटों की कमान पूरी तरह से योगी और चौधरी के हाथ सौंपने जा रहा है। यूपी में उपचुनाव के परिणाम तय करेंगे कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद रणनीति में कितना सुधार किया? भाजपा सहयोगी दल निषाद पार्टी को दे सकती है 2 सीटें
कटेहरी और मझवां सीट गठबंधन में निषाद पार्टी को मिल सकती है। मीरापुर सीट से रालोद ने चुनाव लड़ा था। रालोद अब एनडीए में है। रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोकचंद त्यागी का कहना है- मीरापुर उपचुनाव रालोद ही लड़ेगी। 5 सीटें सपा और 5 एनडीए के पास होने से मुकाबला कड़ा
विधानसभा चुनाव 2022 में कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ, करहल और कुंदरकी में सपा जीती थी। वहीं गाजियाबाद, मझवां और फूलपुर भाजपा जीती थी। मीरापुर रालोद के खाते में गई थी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में 10 में से 7 विधानसभा क्षेत्रों में सपा यानी इंडी गठबंधन का पलड़ा भारी है। लोकसभा चुनाव में कटेहरी, मिल्कीपुर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, खैर और कुंदरकी में इंडी गठबंधन के प्रत्याशी चुनाव जीते थे। मझवां में अपना दल (एस), मीरापुर में रालोद और गाजियाबाद में भाजपा बढ़त में रही। ऐसे में सपा जहां अपना दबदबा कायम रखने के लिए संघर्ष करेगी। वहीं, भाजपा लोकसभा चुनाव परिणाम का दोहराव रोकने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। अब 10 सीटों पर भाजपा की रणनीति से लेकर प्रभारी और संभावित उम्मीदवारों की स्थिति समझिए- 1. करहल : यादव परिवार के ही दामाद को उतार सकती है भाजपा
मैनपुरी जिले की करहल सीट सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने से खाली हुई। यादव, शाक्य और मुस्लिम बहुल सीट पर सरकार ने भारी-भरकम टीम तैनात की है। सरकार की ओर से पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के साथ उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री अजीत पाल को तैनात किया है। भाजपा संगठन ने प्रदेश उपाध्यक्ष बृज बहादुर उपाध्याय को जिम्मेदारी सौंपी है। सपा से जहां तेज प्रताप यादव के चुनाव लड़ने की संभावना है। वहीं, भाजपा यादव परिवार के दामाद अनुज यादव को चुनाव लड़ाकर मुकाबला रोचक करने की तैयारी में है। 2. मिल्कीपुर : 9 बार विधायक रहे अवधेश पासी के बेटे का नाम सबसे आगे
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की जिम्मेदारी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह को सौंपी गई है। मिल्कीपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। भाजपा में यहां से पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ, चंद्रकेश रावत, बबलू पासी और राधेश्याम त्यागी का नाम चर्चा में है। सभी मिल्कीपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। यहां से 9 बार विधायक रह चुके अवधेश पासी के बेटे अजीत प्रसाद के सपा से चुनाव मैदान में उतरने की भी अटकलें हैं। 3. कटेहरी : भाजपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर प्रभार दिया
अंबेडकर नगर जिले के कुर्मी बहुल कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में सरकार ने जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल को प्रभारी नियुक्त किया है। स्वतंत्र देव और आशीष पटेल कुर्मी समाज के बड़े चेहरे हैं। भाजपा संगठन की ओर से यहां प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी धर्मेंद्र सिंह सेंधवार को तैनात किया गया है। भाजपा यहां से किसी ब्राह्मण या निषाद जाति के कार्यकर्ता को चुनाव लड़ा सकती है। सपा कुर्मी समाज से ही प्रत्याशी बनाएगी। 4. सीसामऊ : मंत्री सुरेश खन्ना और प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह को कमान
कानपुर की सीसामऊ सीट पर सरकार की ओर से वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और संगठन ने प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह को प्रभारी नियुक्त किया है। मुस्लिम बहुल सीट पर सपा पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी या मां को चुनाव लड़ा सकती है। भाजपा वोटों के ध्रुवीकरण की रणनीति के तहत किसी ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतार सकती है। 5. फूलपुर : राकेश सचान और दयाशंकर सिंह को कमल खिलाने की जिम्मेदारी प्रयागराज की फूलपुर सीट पर सरकार ने एमएसएमई मंत्री राकेश सचान और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को कमान सौंपी है। भाजपा ने प्रदेश उपाध्यक्ष त्रयंबक त्रिपाठी को जिम्मेदारी दी है। कुर्मी बहुल सीट पर भाजपा किसी कुर्मी चेहरे को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। 6. कुंदरकी : क्षत्रिय या जाट उम्मीदवार की तलाश
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट मुस्लिम बहुल है। सरकार ने पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी को प्रभारी बनाया है। पार्टी ने क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हरीश ठाकुर को कमान सौंपी है। पार्टी यहां किसी क्षत्रिय या जाट को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रही है। 7. मीरापुर : जाट उम्मीदवार के हवाले करने की तैयारी मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री रालोद के अनिल कुमार और राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को कमान सौंपी है। भाजपा प्रदेश संगठन ने बिजनौर के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव सिसोदिया को तैनात किया है। इस सीट पर एनडीए के सहयोगी रालोद की ओर से किसी जाट को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। 8. मझवां : अपना दल एस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
मिर्जापुर जिले की मझवां सीट पर भाजपा के साथ अपना दल (एस) की भी प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। सरकार ने श्रम मंत्री अनिल राजभर को जिम्मेदारी दी है। भाजपा ने विधायक भूपेश चौबे को कमान दी है। इस सीट पर भाजपा किसी बिंद, कुर्मी, राजभर या निषाद समाज के मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही है। 9. खैर : वाल्मीकि या जाटव को टिकट देने की तैयारी
अलीगढ़ की खैर सीट पर सरकार ने गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी को प्रभारी नियुक्त किया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा फिर किसी वाल्मीकि या जाटव को मौका देने की तैयारी में है। 10. गाजियाबाद : परंपरागत सीट से वैश्य या ब्राह्मण को टिकट देने की चर्चा
गाजियाबाद भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। सरकार ने कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा को यहां कमान सौंपी है। गाजियाबाद से किसी वैश्य या ब्राह्मण को मौका मिल सकता है। इस सीट से विधायक अतुल गर्ग को पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया था। वह चुनाव जीत गए। इस वजह से भाजपा की सेफ सीट माने वाली यह सीट खाली हो गई। 8 सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुईं
सपा और भाजपा के 4-4 और रालोद के 1 विधायक के सांसद बनने से विधानसभा की 9 सीटें खाली हुई हैं। सपा के एक विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल सजा होने से कानपुर की सीसामऊ सीट खाली हुई। अगस्त-सितंबर तक इन दस सीटों पर उपचुनाव होना है। 4 विधायकों के सांसद बनने और सीसामऊ सीट से इरफान सोलंकी को सजा होने से सपा की कुल 5 सीटें खाली हुई हैं। इसमें करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी और सीतामऊ शामिल हैं। वहीं भाजपा की 3 सीटें खाली हुई हैं। ये विधायक सांसद बन गए हैं। इनमें गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटें शामिल हैं। राजनीतिक भविष्य की दशा और दिशा तय करेंगे उपचुनाव
यूपी में ये महज 10 विधानसभा सीटों का उपचुनाव नहीं होगा, यह चुनाव यूपी की राजनीति की दशा-दिशा भी तय करेगा। चुनाव परिणाम का भाजपा और सपा के साथ सरकार के कामकाज पर भी असर पड़ेगा। चुनाव परिणाम के बाद राजनीति के मौसम वैज्ञानिक यानी दलबदलू अपने नए ठिकाने की तलाश करेंगे। यही वजह है कि तारीखों की घोषणा से पहले ही सरकार और भाजपा पूरी तरह उपचुनाव की तैयारी में जुट गई है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर