योगी 2.0 में उपचुनाव में 74% सीटें NDA ने जीती:8 सालों में 42 सीटों में से 31 पर कब्जा; जानिए उपचुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड

योगी 2.0 में उपचुनाव में 74% सीटें NDA ने जीती:8 सालों में 42 सीटों में से 31 पर कब्जा; जानिए उपचुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड

यूपी में मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे आज आएंगे। दोपहर 12 बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बसपा मैदान में नहीं थी, ऐसे में मुकाबला भाजपा-सपा के बीच ही था। जीत सत्ता पक्ष के हाथ आएगी या फिर सपा मुकाबले में बाजी मारेगी, ये तो चुनाव नतीजे आने पर ही पता चलेगा। हाल में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी, दो सीट सपा के खाते में गई थीं। जानिए यूपी में चुनाव का अभी तक का ट्रैक रिकॉर्ड जानिए कैसा रहा?…. राज्य में शासन की बात की जाए तो 2007 से 2012 तक मायावती काबिज रहीं, 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की सरकार रही। 2017 से योगी आदित्यनाथ की सरकार है। 2007 से अब तक लोकसभा और विधानसभा की 91 सीटों पर उपचुनाव हुए। मिल्कीपुर का नतीजा आना बाकी है। उसके नतीजे से पहले की बात की जाए तो सत्ताधारी दल को 90 में से 65 सीटों पर जीत मिली है। सत्ता पर काबिज रहते हुए मुकाबले में बसपा भारी पड़ी है। हालांकि 2024 में 9 सीट पर हुए उपचुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी, जिसके बाद 5 फरवरी 2025 को मिल्कीपुर में हुए चुनाव में बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। सबसे पहले बात मायावती के शासनकाल की 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को रिकॉर्ड 206 सीट हासिल हुई थीं। मायावती सरकार में प्रदेश में विधानसभा की 22 सीटों पर उप चुनाव हुए। वजह- कुछ सदस्यों का निधन हो गया, जबकि कुछ ने इस्तीफा दे दिया। इन चुनावों में बसपा का दबदबा रहा। बसपा को 22 में से 17 सीट मिलीं। समाजवादी पार्टी को सिर्फ 2 और एक-एक सीट रालोद, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार को मिली। भाजपा एक भी उप चुनाव नहीं जीत सकी। जिन 22 सीटों पर उपचुनाव हुए वहां विधानसभा चुनाव का नतीजा कुछ और ही था। 2007 के चुनाव में इन 22 सीटों में से 8 सीट सपा को, तीन सीट कांग्रेस और तीन सीट बसपा को मिली थीं। बीजेपी के हिस्से में चार सीट आई थीं। बसपा की सीटें बढ़ीं, सपा-भाजपा को नुकसान मायावती के शासन में हुए उपचुनाव में आंकड़े पूरी तरह से बसपा के पक्ष में रहे। सत्ताधारी दल बसपा 3 से बढ़कर 17 तक पहुंच गई। सपा 8 से दो पर आ गई। भाजपा ने चारों सीट गंवा दीं। लखनऊ पश्चिमी सीट जो भाजपा के लालजी टंडन के इस्तीफे से खाली हुई थी, उस पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। जेडीयू, पीपीडी को भी एक-एक सीट का नुकसान हुआ। आरएलडी सिर्फ मोरना की सीट बचा पाने में कामयाब हुई थी। यानी उप चुनाव में बसपा की जीत का प्रतिशत 75 प्रतिशत से अधिक रहा था। हालांकि 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बसपा 79 सीटों पर सिमट गई और समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली। अब बात सपा शासनकाल की : सपा ने जीती थीं 26 में 16 सीट 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस दौरान प्रदेश में विधानसभा की 26 सीटों पर उपचुनाव हुए। इन उपचुनावों में सपा ने 16 सीटें जीतीं। सपा की जीत का प्रतिशत लगभग 60 रहा। 6 सीटें भाजपा के खाते में गईं और दो कांग्रेस के खाते में। जबकि एक-एक सीट पर तृणमूल कांग्रेस और अपना दल ने कब्जा किया था। बहुजन समाज पार्टी ने 2012 में हुई करारी हार के बाद उपचुनाव से किनारा कर लिया था। 2012 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ था, उस समय उपचुनाव वाली सीटों में से भाजपा के पास 12 और सपा के पास 11 सीटें थीं। एक-एक सीट अपना दल, कांग्रेस और आरएलडी के पास थी। चरखारी में 5 साल में 4 बार हुए चुनाव बुंंदेलखंड की चरखारी सीट पर 2012 से लेकर 2017 के बीच कुल चार चुनाव हुए। इसमें दो चुनाव और दो उप चुनाव। यहां से 2012 में उमा भारती भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती थीं। 2014 में वह लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो गईं। सीट खाली हुई, उपचुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी के कप्तान सिंह ने जीत हासिल की। लेकिन अपराध के एक मामले में उन्हें सजा हो गई, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई। 11 अप्रैल 2015 को यहां दोबारा उपचुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी की उर्मिला देवी राजपूत ने जीत हासिल की। 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो यहां से भाजपा को जीत मिली। योगी के पहले कार्यकाल में भाजपा ने जीतीं 23 में 17 सीटें, लेकिन 2 सीटों का नुकसान योगी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2017 से 2022 तक कुल 37 सीटें खाली हुईं। लेकिन चुनाव 23 पर ही हुए। वजह, बाकी सीटें उस वक्त खाली हुईं जब सदन का कार्यकाल 6 महीने से कम बचा था। जिन 23 सीटों पर उपचुनाव हुए उसमें भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल ने 18 सीटों पर जीत हासिल की। 17 सीट भाजपा और एक सीट अपना दल ने जीती। सपा के हिस्से 5 सीट आईं। जबकि विधानसभा चुनाव में इन 23 में से भाजपा के पास 19 सीटें थीं। भाजपा की सहयोगी अपना दल के पास एक सीट थी। इसके अलावा दो सीट सपा के पास और एक सीट बसपा के पास थी। सपा ने इस दौरान न सिर्फ अपनी दोनों रामपुर और मल्हानी को बचाया बल्कि भाजपा से दो और बसपा से एक सीट छीन ली थी। योगी 2.0 में अब तक 19 सीटों के नतीजों पर नजर योगी सरकार के पार्ट 2 कार्यकाल में अब तक 19 सीटों पर उपचुनाव हुआ है। 10 सीट पर भाजपा और दो सीट पर अपना दल ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा 5 सीट सपा ने और 2 सीट आरएलडी ने जीती है। एक सीट सपा की सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ी आरएलडी के हाथ आई थी। आरएलडी अब भाजपा के साथ है। देखना है मिल्कीपुर चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहते हैं या फिर सपा बाजी मारती है। प्रतिष्ठित सीटें जिन पर सत्तापक्ष को मिली हार कई ऐसी सीटें भी रहीं जिन्हें सत्ताधारियों ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया, उसके बाद भी हार का सामना करना पड़ा। भदोही सीट : बसपा के शासन काल में फरवरी 2009 में भदोही सीट पर ऐसा ही हुआ। यहां बसपा की अर्चना सरोज के निधन से खाली हुई सीट पर बसपा ने अपना पूरा जोर लगा दिया। इसके बाद भी उसे हार मिली। सपा ने ये सीट जीत ली। मांट सीट : 2012 में सपा की सरकार बनी, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। मांट से जयंत चौधरी के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में अखिलेश यादव ने पूरी ताकत लगाई लेकिन वह संजय लाठर को जीत तक नहीं पहुंचा सके। इस चुनाव में सपा तीसरे नंबर पर रही। गोरखपुर और फूलपुर सीट: 2017 में भाजपा की सरकार बनी। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद उप मुख्यमंत्री बने। यह दोनों सांसद थे, इसलिए लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। यह उपचुनाव भाजपा बुरी तरह से हार गई। घोसी सीट : योगी आदित्यनाथ 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री बने तो मऊ की घोसी सीट से विधायक चुने गए दारा सिंह चौहान सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने विधानसभा की सीट से इस्तीफा दे दिया। लेकिन जब उपचुनाव हुआ तो दारा सिंह चुनाव हार गए। राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि उपचुनाव में कई ऐसे मुद्दे होते हैं जो उस समय के हिसाब से काम करते हैं। जरूरी नहीं कि चुनाव में सत्ताधारी दल जीते। हर सीट के समीकरण होते हैं और अलग-अलग मुद्दे होते हैं। मायावती के शासनकाल में उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी अजय राय ने वाराणसी के कोलासला सीट से जीत दर्ज की थी। ————- ये खबर भी पढ़ें… मिल्कीपुर उपचुनाव के रुझानों में BJP को बढ़त:योगी रूठों को मनाने में कामयाब दिख रहे अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 65.25% वोटिंग हुई। 2022 के विधानसभा चुनाव से यह 5% ज्यादा है। तब 60.2% वोटिंग हुई थी। वोटिंग के रुझान संकेत दे रहे हैं कि मिल्कीपुर के वोटर्स ने 2022 और 2024 में लिए गए निर्णय को बदलने के लिए वोटिंग की है। सीट पर भाजपा के चंद्रभानु पासवान और सपा के अजीत प्रसाद के बीच तगड़ी फाइट थी। भाजपा के बूथ लेवल कार्यकर्ता BJP के कोर वोटर को मतदान केंद्र तक लाने के लिए ताकत झोंकते हुए दिखे। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे आज आएंगे। दोपहर 12 बजे तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बसपा मैदान में नहीं थी, ऐसे में मुकाबला भाजपा-सपा के बीच ही था। जीत सत्ता पक्ष के हाथ आएगी या फिर सपा मुकाबले में बाजी मारेगी, ये तो चुनाव नतीजे आने पर ही पता चलेगा। हाल में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी, दो सीट सपा के खाते में गई थीं। जानिए यूपी में चुनाव का अभी तक का ट्रैक रिकॉर्ड जानिए कैसा रहा?…. राज्य में शासन की बात की जाए तो 2007 से 2012 तक मायावती काबिज रहीं, 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव की सरकार रही। 2017 से योगी आदित्यनाथ की सरकार है। 2007 से अब तक लोकसभा और विधानसभा की 91 सीटों पर उपचुनाव हुए। मिल्कीपुर का नतीजा आना बाकी है। उसके नतीजे से पहले की बात की जाए तो सत्ताधारी दल को 90 में से 65 सीटों पर जीत मिली है। सत्ता पर काबिज रहते हुए मुकाबले में बसपा भारी पड़ी है। हालांकि 2024 में 9 सीट पर हुए उपचुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी, जिसके बाद 5 फरवरी 2025 को मिल्कीपुर में हुए चुनाव में बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। सबसे पहले बात मायावती के शासनकाल की 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा को रिकॉर्ड 206 सीट हासिल हुई थीं। मायावती सरकार में प्रदेश में विधानसभा की 22 सीटों पर उप चुनाव हुए। वजह- कुछ सदस्यों का निधन हो गया, जबकि कुछ ने इस्तीफा दे दिया। इन चुनावों में बसपा का दबदबा रहा। बसपा को 22 में से 17 सीट मिलीं। समाजवादी पार्टी को सिर्फ 2 और एक-एक सीट रालोद, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार को मिली। भाजपा एक भी उप चुनाव नहीं जीत सकी। जिन 22 सीटों पर उपचुनाव हुए वहां विधानसभा चुनाव का नतीजा कुछ और ही था। 2007 के चुनाव में इन 22 सीटों में से 8 सीट सपा को, तीन सीट कांग्रेस और तीन सीट बसपा को मिली थीं। बीजेपी के हिस्से में चार सीट आई थीं। बसपा की सीटें बढ़ीं, सपा-भाजपा को नुकसान मायावती के शासन में हुए उपचुनाव में आंकड़े पूरी तरह से बसपा के पक्ष में रहे। सत्ताधारी दल बसपा 3 से बढ़कर 17 तक पहुंच गई। सपा 8 से दो पर आ गई। भाजपा ने चारों सीट गंवा दीं। लखनऊ पश्चिमी सीट जो भाजपा के लालजी टंडन के इस्तीफे से खाली हुई थी, उस पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। जेडीयू, पीपीडी को भी एक-एक सीट का नुकसान हुआ। आरएलडी सिर्फ मोरना की सीट बचा पाने में कामयाब हुई थी। यानी उप चुनाव में बसपा की जीत का प्रतिशत 75 प्रतिशत से अधिक रहा था। हालांकि 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बसपा 79 सीटों पर सिमट गई और समाजवादी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली। अब बात सपा शासनकाल की : सपा ने जीती थीं 26 में 16 सीट 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। इस दौरान प्रदेश में विधानसभा की 26 सीटों पर उपचुनाव हुए। इन उपचुनावों में सपा ने 16 सीटें जीतीं। सपा की जीत का प्रतिशत लगभग 60 रहा। 6 सीटें भाजपा के खाते में गईं और दो कांग्रेस के खाते में। जबकि एक-एक सीट पर तृणमूल कांग्रेस और अपना दल ने कब्जा किया था। बहुजन समाज पार्टी ने 2012 में हुई करारी हार के बाद उपचुनाव से किनारा कर लिया था। 2012 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ था, उस समय उपचुनाव वाली सीटों में से भाजपा के पास 12 और सपा के पास 11 सीटें थीं। एक-एक सीट अपना दल, कांग्रेस और आरएलडी के पास थी। चरखारी में 5 साल में 4 बार हुए चुनाव बुंंदेलखंड की चरखारी सीट पर 2012 से लेकर 2017 के बीच कुल चार चुनाव हुए। इसमें दो चुनाव और दो उप चुनाव। यहां से 2012 में उमा भारती भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती थीं। 2014 में वह लोकसभा सदस्य निर्वाचित हो गईं। सीट खाली हुई, उपचुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी के कप्तान सिंह ने जीत हासिल की। लेकिन अपराध के एक मामले में उन्हें सजा हो गई, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई। 11 अप्रैल 2015 को यहां दोबारा उपचुनाव हुआ तो समाजवादी पार्टी की उर्मिला देवी राजपूत ने जीत हासिल की। 2017 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो यहां से भाजपा को जीत मिली। योगी के पहले कार्यकाल में भाजपा ने जीतीं 23 में 17 सीटें, लेकिन 2 सीटों का नुकसान योगी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2017 से 2022 तक कुल 37 सीटें खाली हुईं। लेकिन चुनाव 23 पर ही हुए। वजह, बाकी सीटें उस वक्त खाली हुईं जब सदन का कार्यकाल 6 महीने से कम बचा था। जिन 23 सीटों पर उपचुनाव हुए उसमें भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल ने 18 सीटों पर जीत हासिल की। 17 सीट भाजपा और एक सीट अपना दल ने जीती। सपा के हिस्से 5 सीट आईं। जबकि विधानसभा चुनाव में इन 23 में से भाजपा के पास 19 सीटें थीं। भाजपा की सहयोगी अपना दल के पास एक सीट थी। इसके अलावा दो सीट सपा के पास और एक सीट बसपा के पास थी। सपा ने इस दौरान न सिर्फ अपनी दोनों रामपुर और मल्हानी को बचाया बल्कि भाजपा से दो और बसपा से एक सीट छीन ली थी। योगी 2.0 में अब तक 19 सीटों के नतीजों पर नजर योगी सरकार के पार्ट 2 कार्यकाल में अब तक 19 सीटों पर उपचुनाव हुआ है। 10 सीट पर भाजपा और दो सीट पर अपना दल ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा 5 सीट सपा ने और 2 सीट आरएलडी ने जीती है। एक सीट सपा की सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ी आरएलडी के हाथ आई थी। आरएलडी अब भाजपा के साथ है। देखना है मिल्कीपुर चुनाव के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहते हैं या फिर सपा बाजी मारती है। प्रतिष्ठित सीटें जिन पर सत्तापक्ष को मिली हार कई ऐसी सीटें भी रहीं जिन्हें सत्ताधारियों ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया, उसके बाद भी हार का सामना करना पड़ा। भदोही सीट : बसपा के शासन काल में फरवरी 2009 में भदोही सीट पर ऐसा ही हुआ। यहां बसपा की अर्चना सरोज के निधन से खाली हुई सीट पर बसपा ने अपना पूरा जोर लगा दिया। इसके बाद भी उसे हार मिली। सपा ने ये सीट जीत ली। मांट सीट : 2012 में सपा की सरकार बनी, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। मांट से जयंत चौधरी के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में अखिलेश यादव ने पूरी ताकत लगाई लेकिन वह संजय लाठर को जीत तक नहीं पहुंचा सके। इस चुनाव में सपा तीसरे नंबर पर रही। गोरखपुर और फूलपुर सीट: 2017 में भाजपा की सरकार बनी। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद उप मुख्यमंत्री बने। यह दोनों सांसद थे, इसलिए लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ। यह उपचुनाव भाजपा बुरी तरह से हार गई। घोसी सीट : योगी आदित्यनाथ 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री बने तो मऊ की घोसी सीट से विधायक चुने गए दारा सिंह चौहान सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने विधानसभा की सीट से इस्तीफा दे दिया। लेकिन जब उपचुनाव हुआ तो दारा सिंह चुनाव हार गए। राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि उपचुनाव में कई ऐसे मुद्दे होते हैं जो उस समय के हिसाब से काम करते हैं। जरूरी नहीं कि चुनाव में सत्ताधारी दल जीते। हर सीट के समीकरण होते हैं और अलग-अलग मुद्दे होते हैं। मायावती के शासनकाल में उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी अजय राय ने वाराणसी के कोलासला सीट से जीत दर्ज की थी। ————- ये खबर भी पढ़ें… मिल्कीपुर उपचुनाव के रुझानों में BJP को बढ़त:योगी रूठों को मनाने में कामयाब दिख रहे अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में 65.25% वोटिंग हुई। 2022 के विधानसभा चुनाव से यह 5% ज्यादा है। तब 60.2% वोटिंग हुई थी। वोटिंग के रुझान संकेत दे रहे हैं कि मिल्कीपुर के वोटर्स ने 2022 और 2024 में लिए गए निर्णय को बदलने के लिए वोटिंग की है। सीट पर भाजपा के चंद्रभानु पासवान और सपा के अजीत प्रसाद के बीच तगड़ी फाइट थी। भाजपा के बूथ लेवल कार्यकर्ता BJP के कोर वोटर को मतदान केंद्र तक लाने के लिए ताकत झोंकते हुए दिखे। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर