रंगमहल सहित चार मंदिरों में 1 माह का झूलनोत्सव आरंभ:महल में श्रीराम चारो भैया,सीता सहित चारो महारानी संग पालने में झूल रहे

रंगमहल सहित चार मंदिरों में 1 माह का झूलनोत्सव आरंभ:महल में श्रीराम चारो भैया,सीता सहित चारो महारानी संग पालने में झूल रहे

भव्य राम मंदिर से सटे ऐतिहासिक रंग महल सहित चार मंदिरों में एक माह का सावन झूला उत्सव आरंभ हो गया है। 300 साल पुराने एतिहासिक-धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस मंदिर में श्रीराम चारो भैया,सीता सहित चारो महारानी संग पालने में झूल रहे हैं। भगवान की इस अनुपम छवि का दर्शन करने के लिए सतों-महंतों सहित हजारों की संख्या में भक्तों का समूह पहुंचा। देर रात तक चले उत्सव में महंतों के साथ सुरक्षा अधिकारी भी आंनदित रहे रंगमहल सरकार की आरती के बाद भगवान के विग्रहों को चांदी के झूलन पर विराजमान कराया गया। झूलन पर विराजे श्रीराम सरकार की फिर से आरती हुई।इससे पहले उन्हें सुगंधित फूलों के हार और बेला और गुलाब के इत्र की सेवा की गई।शाम आठ बजे से लेकर रात 11 बजे तक गायन-वादन और नृत्य की त्रिवेणी से समूचा रामकोट आनंदित रहा।महोत्सव का यह आकर्षण केवल भक्तों तक ही सामित नहीं रहा बल्कि राम मंदिर की सुरक्षा में लगे अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी इसका खूब आनंद लिया। इस भवन को माता कौशल्या ने सीता सहित अपनी चारो बहुओं को मुंह दिखाई के नेग के रूप में दिया मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि त्रेता युग में इस भवन को माता कौशल्या ने सीता सहित अपनी चारो बहुओं को मुंह दिखाई के नेग के रूप में दिया था।मंदिर का वर्तमान भवन 300 साल पुराना है जो राम मंदिर से ठीक सटा हुआ है।भगवान श्रीराम और सीता के युगल रूप की उपासना करने वाले भक्तों के लिए यह मंदिर बेहद कल्याणकारी है।इसकी स्थापना स्वामी सरयू शरण उर्फ सरयू सखी ने किया था। भगवान श्रीराम और सीता एक दूसरे के गले में बांह डाले हुए दर्शन देते हैं उन्होंने बताया कि यहां भगवान की आराधना रसिक भाव से की जाती है।इसलिए सावन झूला के आकर्षक परम आनंद की अनुभूति कराने वाला होता है।यहां सावन के दौरान कृष्ण पक्ष की एकादशी का झूलन सरकार की फूल बंगले की झांकी होती है।सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीराम और सीता एक दूसरे के गले में बांह डाले हुए दर्शन देते हैं।ऐसा दर्शन कहीं अन्य और अन्य किसी दिन नहीं मिलता।भगवान के इस अदभुद रूप का दर्शन करने के लिए अयोध्या के सभी प्रमुख धर्माचार्यों सहित हजारों संत शामिल होते हैं। कनक भवन सहित एक हजार मंदिरों में मणिपर्वत मेले के साथ आरंभ होता है झूलनोत्सव इसी तरह गोलाघाट स्थित सदगुरू सदन और गमला बाबा के मंदिर में भी माह भर का सावन झूला महोत्सव मनाया जाता है।अयोध्या के अन्य एक हजार से ज्यादा मंदिर मे यह उत्सव सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया को आरंभ होकर सावन पूर्णिमा तक चलेगा।तृतीया को कनक भवन सहित सैकड़ों मंदिरों से भगवान के विग्रह को रथ पर विराजमान कर मणिपर्वत ले जाया जाता है।वहां झूलन के बाद भगवान मंदिर में लौटते हैं फिर सावन पूर्णिमा तक 12 दिन का झूलनोत्सव होता है। भव्य राम मंदिर से सटे ऐतिहासिक रंग महल सहित चार मंदिरों में एक माह का सावन झूला उत्सव आरंभ हो गया है। 300 साल पुराने एतिहासिक-धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण इस मंदिर में श्रीराम चारो भैया,सीता सहित चारो महारानी संग पालने में झूल रहे हैं। भगवान की इस अनुपम छवि का दर्शन करने के लिए सतों-महंतों सहित हजारों की संख्या में भक्तों का समूह पहुंचा। देर रात तक चले उत्सव में महंतों के साथ सुरक्षा अधिकारी भी आंनदित रहे रंगमहल सरकार की आरती के बाद भगवान के विग्रहों को चांदी के झूलन पर विराजमान कराया गया। झूलन पर विराजे श्रीराम सरकार की फिर से आरती हुई।इससे पहले उन्हें सुगंधित फूलों के हार और बेला और गुलाब के इत्र की सेवा की गई।शाम आठ बजे से लेकर रात 11 बजे तक गायन-वादन और नृत्य की त्रिवेणी से समूचा रामकोट आनंदित रहा।महोत्सव का यह आकर्षण केवल भक्तों तक ही सामित नहीं रहा बल्कि राम मंदिर की सुरक्षा में लगे अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी इसका खूब आनंद लिया। इस भवन को माता कौशल्या ने सीता सहित अपनी चारो बहुओं को मुंह दिखाई के नेग के रूप में दिया मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि त्रेता युग में इस भवन को माता कौशल्या ने सीता सहित अपनी चारो बहुओं को मुंह दिखाई के नेग के रूप में दिया था।मंदिर का वर्तमान भवन 300 साल पुराना है जो राम मंदिर से ठीक सटा हुआ है।भगवान श्रीराम और सीता के युगल रूप की उपासना करने वाले भक्तों के लिए यह मंदिर बेहद कल्याणकारी है।इसकी स्थापना स्वामी सरयू शरण उर्फ सरयू सखी ने किया था। भगवान श्रीराम और सीता एक दूसरे के गले में बांह डाले हुए दर्शन देते हैं उन्होंने बताया कि यहां भगवान की आराधना रसिक भाव से की जाती है।इसलिए सावन झूला के आकर्षक परम आनंद की अनुभूति कराने वाला होता है।यहां सावन के दौरान कृष्ण पक्ष की एकादशी का झूलन सरकार की फूल बंगले की झांकी होती है।सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीराम और सीता एक दूसरे के गले में बांह डाले हुए दर्शन देते हैं।ऐसा दर्शन कहीं अन्य और अन्य किसी दिन नहीं मिलता।भगवान के इस अदभुद रूप का दर्शन करने के लिए अयोध्या के सभी प्रमुख धर्माचार्यों सहित हजारों संत शामिल होते हैं। कनक भवन सहित एक हजार मंदिरों में मणिपर्वत मेले के साथ आरंभ होता है झूलनोत्सव इसी तरह गोलाघाट स्थित सदगुरू सदन और गमला बाबा के मंदिर में भी माह भर का सावन झूला महोत्सव मनाया जाता है।अयोध्या के अन्य एक हजार से ज्यादा मंदिर मे यह उत्सव सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया को आरंभ होकर सावन पूर्णिमा तक चलेगा।तृतीया को कनक भवन सहित सैकड़ों मंदिरों से भगवान के विग्रह को रथ पर विराजमान कर मणिपर्वत ले जाया जाता है।वहां झूलन के बाद भगवान मंदिर में लौटते हैं फिर सावन पूर्णिमा तक 12 दिन का झूलनोत्सव होता है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर