<p style=”text-align: justify;”>राजस्थान की देवली उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसीडीएम को थप्पड जड़ दिया. इसके बाद भारी बवाल हुआ. अब उन्होंने खुद ही एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि मैं ठीक हूं, न डरे थे और न डरेंगे, आगे की रणनीति बता दी जायेगी.</p> <p style=”text-align: justify;”>राजस्थान की देवली उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने एसीडीएम को थप्पड जड़ दिया. इसके बाद भारी बवाल हुआ. अब उन्होंने खुद ही एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि मैं ठीक हूं, न डरे थे और न डरेंगे, आगे की रणनीति बता दी जायेगी.</p> राजस्थान मुंबई में खौफनाक वारदात, समुद्र किनारे 7 टुकड़ों में कटी मिली लाश! हत्या का आरोपी दोस्त गिरफ्तार
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हरियाणा के फौजी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड:2 KM से ज्यादा हाथ छोड़कर एक टायर पर चलाई बाइक, 40 की स्पीड थी
हरियाणा के फौजी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड:2 KM से ज्यादा हाथ छोड़कर एक टायर पर चलाई बाइक, 40 की स्पीड थी हरियाणा के फौजी ने बेंगलुरु में 2349 मीटर तक बिना हाथ लगाए एक टायर पर बाइक चलाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। उन्होंने बीते मंगलवार (10 दिसंबर) को बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे पर 3 मिनट 54 सेकेंड तक करीब 40 की स्पीड से बाइक चलाई। उनका नाम वर्ल्ड गिनीज बुक रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है। फौजी मनीष रोहतक के गांव जींदराण के रहने वाले हैं। 13 साले पहले आर्मी में भर्ती हुए थे। वह आर्मी में हवलदार के पद पर तैनात हैं। उनकी ड्यूटी कर्नाटक के बेंगलुरु में ही है। मनीष के मुताबिक इससे पहले भी कई इवेंट में बाइक से स्टंट कर चुके हैं। आर्मी की टीम के साथ कई जगह 100-150 के करीब इवेंट किए हैं। इस सफलता के लिए उन्होंने 6 महीने लगातार प्रैक्टिस की। इस दौरान कई बार वह गिरे भी, लेकिन हार नहीं मानी। वह आखिरी बार जून महीने में रिश्तेदारी में शादी को लेकर छुट्टी पर घर आए थे। 2011 में की थी आर्मी जॉइन
मनीष राठी ने बताया कि उन्होंने 2011 में आर्मी जॉइन की थी। बचपन से ही उन्हें बाइक चलाने का शौक था। सेना में भर्ती होने के बाद आर्मी की बाइक स्टंट टीम को देखा और उसमें शामिल होने का मन बना। आवेदन करके वे 2014 में आर्मी की बाइक स्टंट टीम में शामिल हो गए। इसके बाद निरंतर अभ्यास करने लगे। शुरू में डर लगता था। पहले हाथ भी नहीं छूटते थे, लेकिन लगातार अभ्यास जारी रखा। इसके बाद थोड़ा-थोड़ा करके चलाना शुरू कर दिया। 6 माह से कर रहे थे लगातार अभ्यास
उन्होंने बताया कि हाथ छोड़कर एक टायर पर बाइक चलाने का रिकॉर्ड शुरू में 125 मीटर का एक भारतीय ने ही बनाया था। इसके बाद 567 मीटर और फिर 580 मीटर का रिकॉर्ड बना। अब रिकॉर्ड को तोड़कर 2349 मीटर तक बाइक चलाई है। इसके लिए वे पिछले करीब 6 माह से लगातार तैयारी कर रहे थे। हर रोज 2-3 घंटे तक प्रैक्टिस करते। राठी ने कहा कि वे हेलमेट समेत सभी सेफ्टी उपकरण पहनकर बाइक चलाते हैं। जिस रोड पर बाइक से स्टंट किया है, उसकी भी अनुमति ली थी। बचपन से था कुछ अलग करने का जुनून
मनीष ने बताया कि वह अपने परिवार में अकेले सेना में हैं। उनके 2 भाई और 2 बहनें हैं, जो शादीशुदा हैं। वह सबसे छोटे हैं। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद सैना में भर्ती हुए थे। आर्मी में जॉइन होने से पहले कुश्ती भी खेलते थे। 2-3 साल तक पहलवानी भी की है। बचपन से ही उनके मन में कुछ अलग करने का जुनून था। पहले उनका आर्मी में भर्ती होने का सपना था। इसके लिए भी उन्होंने कड़ी मेहनत की थी।
हिमाचल हाईकोर्ट का HPTDC को झटका:18 होटल बंद करने के आदेश; घाटे में चल रही यूनिट को सफेद हाथी बताया
हिमाचल हाईकोर्ट का HPTDC को झटका:18 होटल बंद करने के आदेश; घाटे में चल रही यूनिट को सफेद हाथी बताया हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पेंशनर को वित्तीय लाभ नहीं मिलने की याचिका की सुनवाई करते हुए घाटे में चल रहे 18 होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक MD को इन होटलों को बंद करने संबंधी आदेशों की अनुपालना को सुनिश्चित करने को कहा है और इसकी अनुपालना रिपोर्ट 3 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने को बोला है। घाटे में चल रहे होटलों को सफेद हाथी बताया कोर्ट ने घाटे में चल रहे इन होटलों को सफेद हाथी बताते हुए कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन निगम इनके रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न करें। ये होटल राज्य पर बोझ हैं। कोर्ट ने कहा, निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है। इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है और न्यायालय इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आए वित्त से जुड़े मामलों में दिन प्रतिदिन वित्तीय संकट की बात कहती रहती है। दूसरे होटल में ट्रांसफर किए जा सकेंगे कर्मचारी इससे पहले HPTDC ने अपने सभी होटलों द्वारा किए व्यवसाय से जुड़ी जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी थी। इसके आधार पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है। इन होटलों में तैनात कर्मचारियों को दूसरी यूनिट में ट्रांसफर करने के लिए निगम प्रबंधन स्वतंत्र रहेगा। कोर्ट ने MD को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा कोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को उपरोक्त होटल बंद करने से जुड़े इन आदेशों के क्रियान्वयन के लिए अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने HPTDC से चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा अब इस दुनिया में नहीं रहे उन दुर्भाग्य कर्मचारियों की सूची भी प्रस्तुत करने को कहा है जिन्हें उनके वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं। प्रदेश में HPTDC के 56 होटल प्रदेश में HPTDC के कुल 56 होटल चल रहे है। मगर ज्यादातर होटल कई सालों से घाटे में है। इससे निगम अपने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर को पेंशन नहीं दे पा रहा। पेंशनर के सेवा लाभ का मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है। इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
बिहार पंचायत के पुस्तकालयों में कई किताबें नौकरशाह के पिता की, अधिकारी ने कहा- कोई अनियमितता नहीं
बिहार पंचायत के पुस्तकालयों में कई किताबें नौकरशाह के पिता की, अधिकारी ने कहा- कोई अनियमितता नहीं <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Panchayat Libraries News:</strong> बिहार में यह बात सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया है कि राज्य भर में पंचायत पुस्तकालयों के लिए कथित तौर पर अनुशंसित 20 से अधिक किताबें उन नौकरशाह के पिता के जरिए लिखी गई थीं जो उस समय विभाग के प्रमुख थे. इस बीच पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और कार्रवाई तभी की जाएगी जब कोई अनियमितता पाई जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मिहिर सिंह ने विवाद उठने पर जताई नाराजगी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दरअसल जब 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत पंचायत पुस्तकालयों के लिए लगभग 1,600 पुस्तकों की सूची को मंजूरी दी गई थी तब आईएएस अधिकारी मिहिर कुमार सिंह पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे. उन्होंने रविवार को कहा, ‘‘पुस्तकों की पूरी सूची को इस उद्देश्य के लिए गठित समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन मेरे पिता जगदीश प्रसाद सिंह को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है, जिनके नाम 40 से अधिक उपाधियां हैं और उन्हें 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीडिया के एक तबके की खबरों के अनुसार, जब सिंह विभाग के प्रमुख थे तब उन्होंने कथित तौर पर राज्य भर के पंचायत पुस्तकालयों के लिए अपने पिता जरिए लिखी गई 20 से अधिक पुस्तकों की सिफारिश की थी. वह वर्तमान में सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में तैनात हैं. गया कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए जगदीश प्रसाद सिंह का इस साल की शुरुआत में निधन हो गया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>अधिकारियों के अनुसार, समिति ने उस सूची को मंजूरी दे दी थी जिसमें राज्य भर में 8,053 पंचायतों में पुस्तकालयों के लिए कुल 303 पुस्तकों की सिफारिश की गई थी और संबंधित विभाग किताबें खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा, ‘‘किताबों का चयन विभिन्न हितधारक विभागों के अधिकारियों और शिक्षाविदों की एक समिति द्वारा किया गया था. उनकी सिफारिशों को पंचायती राज विभाग ने स्वीकार कर लिया था. सूची में तीन श्रेणियां शामिल थीं- साहित्य, सामान्य ज्ञान, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की किताबें.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ‘‘बाकी सूची पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन डॉ. जेपी सिंह की किताबों को शामिल करने पर ही विवाद खड़ा किया जा रहा है.’’ घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मुझे विवाद के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं है. मैंने एक साल से भी कम समय पहले कार्यभार संभाला है. मुझे इसके बारे में पता चला है. मैं इस मामले को देखूंगा और यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो ही कार्रवाई की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मामले पर पंचायती राज मंत्री ने क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पंचायती राज मंत्री ने कहा कि अगर उनके पिता एक साहित्यकार थे, तो उनके जरिए लिखी गई पुस्तकों को निश्चित रूप से पंचायत पुस्तकालयों में अनुमति दी जाएगी. मैंने अब तक समिति के जरिए अनुशंसित पुस्तकों की खरीद बंद करने का कोई आदेश जारी नहीं दिया है.’’ इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए पंचायती राज विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है. जेपी सिंह एक प्रसिद्ध लेखक थे और उनके जरिए लिखी गई पुस्तकों को पंचायत पुस्तकालयों में अनुमति दी जानी चाहिए.’’</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/tejashwi-yadav-challenged-bjp-for-accusing-rjd-of-rigging-in-bpsc-exam-2847783″>’तो पकड़ो जेल में डालो, अगर पेपर लीक RJD करा रही है’, तेजस्वी यादव का बीजेपी को चैलेंज</a></strong></p>