राम राज बैठे त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका॥ रामचरित मानस की यह चौपाई प्रभु के वनवास से वापस लौटकर अयोध्या के राजा बनने की है। इसका अर्थ है- श्रीराम के सिंहासन पर बैठने के बाद तीनों लोक हर्षित हो गए। अयोध्या समेत सभी के शोक हर गए…। त्रेतायुग में जब प्रभु राम वनवास से लौटे, यह चौपाई उस संदर्भ की है। अब रामलला टेंट से निकलकर अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। इस 1 साल में प्रभु राम की प्रजा का हाल कितना बदला है। उनकी कमाई में क्या परिवर्तन आया? छोटे-बड़े लोग किस तरह के कारोबार में जुड़ गए। पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट… दरअसल, रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या को देखने के लिए 1 साल में पूरी दुनिया से 13 करोड़ लोग पहुंचे। टूरिज्म डिपार्टमेंट और जिला प्रशासन के अनुसार, इन लोगों ने यहां 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए। ये पैसा रहने, खाने और घूमने पर खर्च हुए। इससे अयोध्या के लोगों की आमदनी बढ़ी। 1200 नए छोटे-बड़े होटल बन गए। राम मंदिर के आसपास 3000 से ज्यादा छोटे रेस्टोरेंट, ढाबे और खाने-पीने की दुकानें तैयार हो गईं। करीब 5 हजार लोगों ने अपने घरों को होम स्टे में बदला दिया। पिछले एक साल में ही यहां 70 हजार नए रोजगार पैदा हुए। छोटा-बड़ा काम करने वाले अयोध्या वासियों की कमाई 2 गुने से ज्यादा बढ़ गई है। अयोध्या की 100 रुपए वाली थाली 250 की हुई
हनुमान गढ़ी से 900 मीटर पहले 12 होटल और रेस्टोरेंट हैं। 76 साल पुराने चंद्रा मारवाड़ी भोजनालय के मालिक चंचल बताते हैं- हमारे बाबा ने 1948 में इस होटल को शुरू किया था। एक साल पहले सादी थाली 100 रुपए में देते थे। अब वहीं थाली 250 रुपए में खिला रहे हैं। ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर एक साथ 50 लोग बैठ सकते हैं। टूरिस्ट इंडियन और साउथ इंडियन के साथ फास्ट फूड भी मांगते हैं। अब वैराइटी मेंटेन कर रहे हैं। इसके लिए 14 लोगों का स्टाफ काम कर रहा है। भीड़ बढ़ी तो कचौड़ी-समोसा छोड़, रेस्टोरेंट खोल दिया
हनुमानगढ़ी के पीछे की ओर राम मंदिर गेट के पास का दृश्य पिछले एक वर्षों में काफी बदल गया है। यहां कई नए होटल और रेस्टोरेंट खुल गए हैं। तो कुछ ने अपने पुराने कारोबार को बदलकर रेस्टोरेंट शुरू कर दिया है। इसमें से एक मधुर कुंज भी है। यह पहले कचौड़ी और समोसा की प्रसिद्ध दुकान हुआ करती थी, लेकिन अब यहां रेस्टोरेंट चल रहा है। यहां लोगों को 200 रुपए में भोजन की थाली खिला रहे हैं। रेस्टोरेंट के मालिक अभिषेक गुप्ता बताते हैं- टूरिस्ट बढ़ने के बाद कचौड़ी और समोसा बेचना मुश्किल हो रहा था, लोगों की डिमांड भोजन की होती थी। इसलिए रेस्टोरेंट खोल लिया। अब कारोबार बढ़िया चल रहा है। लता मंगेशकर चौक पर 100 मीटर के दायरे में 30 से 40 होटल हैं। चौराहा के सामने ब्राह्मण भोजनालय के मालिक पंकज सिंह ने कहा- हमारा होटल 15 साल पुराना है। हम 1 साल पहले तक सादी थाली 80 रुपए में बेचते थे। तब यूपी के ही लोग अयोध्या आते थे। अब अमेरिका, लंदन, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड से लेकर पूरे देश के लोग अयोध्या आ रहे हैं। बहुत से लोग अपनी पसंद का ही फूड मांगते हैं। यही वजह है कि हमनें थालियों की वैराइटी बढ़ा दी है। अब लोग पैसा देना चाहते हैं, मगर उन्हें उनकी पसंद का अच्छा खाना चाहिए। पहले 50 थाली मुश्किल से बिकती थीं, अब 150 थाली बेच रहे
नया घाट में 55 साल पुराने बोल बम भोजनालय के मैनेजर आनंद तिवारी कहते हैं- 1 साल पहले एक दिन में 50 थाली मुश्किल से बिकती थीं। तब 60 रुपए में बेचते थे। अब यही थाली 100 से डेढ़ सौ रुपए में बिकती है। एक दिन में 150 थाली बेच ले रहे हैं। रामजी की कृपा से आमदनी बढ़ गई है। अब बात अयोध्या के प्रसाद की… प्रसाद का कारोबार 500 गुना बढ़ा, 800 दुकानों पर खुरचन पेड़ा
रामलला और उनके भोग की चाहत पूरी दुनिया तक फैली। नतीजा ये हुआ कि अयोध्या के प्रसाद का कारोबार भी 500 गुना बढ़ गया। रामलला को लगने वाले भोग खुरचन पेड़ा और हनुमानगढ़ी के देसी घी के लड्डू की डिमांड आसमान छूने लगी। मगर उसको खरीदने के लिए अब ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। 76 साल पुराने चंद्रा स्वीट्स शॉप पर बैठे सुमित कहते हैं- प्राण प्रतिष्ठा के बाद खुरचन पेड़ा की डिमांड बहुत बढ़ गई है। अब ज्यादातर श्रद्धालुओं को खुरचन पेड़ा चाहिए। पेड़ा 400 रुपए किलो बेच रहे हैं, इसके रेट 60 रुपए बढ़े हैं। डिमांड बढ़ी है, तो सप्लाई के लिए लेबर भी बढ़ाए हैं। रामलला की कृपा से खुरचन पेड़ा को जीआई टैग मिला है। खिलौने-कपड़े को छोड़ प्रसाद की दुकानें खोलीं
भक्त पथ पर मिठाई के दुकानदार अमित कुमार गुप्ता ने कहा- हम पहले कॉस्मेटिक बेचते थे। साल भर पहले धंधा बदल दिया, लोग यहां सिर्फ प्रसाद पूछते हुए आते थे। अब हम देसी घी के लड्डू बेचते हैं। लड्डू कारोबार से जुड़े श्याम गुप्ता बताते हैं- डेढ़ साल पहले सिर्फ 50-55 दुकानों पर प्रसाद मिलता था। लोग भी कम ही आते थे। अब खिलौने और कपड़े का व्यापार छोड़कर लोग प्रसाद बेचने लगे हैं। मौजूदा वक्त में करीब 250 दुकानों पर सिर्फ देसी घी का बेसन लड्डू बिकता है। जिसका भोग हनुमानगढ़ी में लगता है। 200 गुना तक लड्डू कारोबार बढ़ चुका है। यहां लड्डू सभी दुकानों पर 400 रुपए किलो के भाव से मिल रहा है। ये दाम 1 साल में करीब 50 रुपए तक बढ़ा है। प्रसाद कारोबार करने वाले संजीव कहते हैं- हर दिन 8000 से 10000 रुपए की बिक्री हो रही है। 1 साल पहले कम लोग आते थे, इसलिए दिन में 2500 से 3000 रुपए की बिक्री हो पाती थी। अब हालात बदल गए हैं। अब लोग घर लौटते वक्त प्रसाद जरूर खरीदते हैं। घर होम स्टे में बदल गए…
सरकारी आंकड़ा कहता है 1056 लोगों ने अपने घर होम स्टे में बदल दिए। करीब 1000 नए लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लीकेशन दे रखी है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या करीब 5 हजार बताई जा रही है, जिन्होंने अपने घरों को होम स्टे में बदल दिया है। राम मंदिर, हनुमानगढ़ी, सरयू घाट के आस-पास के ज्यादातर घरों में लोग अपने कमरे किराये पर दे रहे हैं। यह लोगों की आमदनी का अच्छा जरिया बनता जा रहा है। दीनानाथ बोले- 5 कमरे बनवाए, 1 दिन का किराया 1 हजार
सप्त सागर कॉलोनी में 10 लोगों ने अपने घरों को होम स्टे में बदल लिया है। यहां दीनानाथ ने कहा- मैंने अयोध्या में रहने के लिए घर खरीदा। पहले फैजाबाद में रहता था। 1 साल में बड़ा बदलाव दिखा कि लोग किराये पर कमरे देकर पैसे कमाने लगे थे। इसलिए मैंने ऊपर के हिस्से में 5 कमरे बनवाए। हर दिन 2-3 कमरे किराये पर लेने वाले लोग आ जाते हैं। 1 दिन का एक कमरे का किराया 1 हजार रखा है। सभी कॉलोनियों में 10 से 20 लोग ऐसे मिलेंगे, जिन्होंने होम स्टे को आमदनी का मुख्य जरिया बनाया हुआ है। सर्वाधिक संख्या राम पथ, हनुमानगढ़ी और सरयू के आसपास की है। फूलों की 200 दुकानें, टायर-ट्यूब वाले फूल बेच रहे
राम अपने मंदिर में विराजे तो फूलों का कारोबार भी मजबूत हुआ। इस वक्त 200 छोटी-बड़ी दुकानों पर फूल बिक रहे हैं। हनुमानगढ़ी पर 15 साल से फूल बेच रहे हनुमान सैनी कहते हैं- दुकान भले ही छोटी हों, मगर बिक्री अच्छी होती है। पहले यहां 20-25 लोग ही फूल माला बेचते थे। अब 250 से ज्यादा लोग बेच रहे हैं। यही पास में खड़े शिव सागर मौर्य कहते हैं- पहले मैं टायर-ट्यूब बेचता था। अब फूल बेचने लगा हूं। लोग बाहर से आते हैं, उन्हें पूजा के लिए फूल चाहिए होते हैं। हर दिन 500 से 800 रुपए कमा लेता हूं। 1200 नए होटल खुले, 15 हजार नई नौकरियां
टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक, 22 जनवरी, 2024 के बाद से अब तक 13 करोड़ लोग अयोध्या पहुंचे। इनमें से 4 करोड़ लोगों ने रामलला के दर्शन किए। टूरिस्ट को स्टे सुविधा देने के लिए होटल-रेस्टोरेंट 3 गुना तक बढ़ गए। 2024 से पहले 378 होटल और रेस्टोरेंट थे। इनमें करीब 3590 लोग रसोई से लेकर रिसेप्शन तक की जिम्मेदारियां निभा रहे थे। अब 1200 नए होटल-रेस्टोरेंट खुल चुके हैं। इस वक्त अयोध्या में 1578 से ज्यादा होटल हैं। इसमें 15000 से ज्यादा लोग नौकरी कर रहे हैं। टाटा ग्रुप और ईज माय ट्रिप होटल खोलेंगे
अयोध्या में रेडिसन, विवांता, जिंजर, लीला ग्रुप और भारत होटल्स है। टाटा ग्रुप ताज होटल बना रहा है। ईज माय ट्रिप 100 करोड़ से अयोध्या में होटल खोलने की तैयारी कर रहा है। उडुपी ने 4 स्टोर खोले, 400 लोगों को जॉब
अयोध्या में सबसे बड़ी फूड चेन उडुपी ने खोली है। 4 साउथ इंडियन फूड स्टोर हैं। अयोध्या, गोंडा, बस्ती के 400 लोगों को जॉब मिली है। मैनेजर शैलेंद्र अवस्थी कहते हैं- हर दिन 3 से 4 हजार लोग लंच और डिनर के लिए आ रहे हैं। यहां भोजन थाली 340 रुपए की है। हनुमान गुफा के पास उडुपी स्टोर के संचालक शशिकांत शर्मा ने कहा- अयोध्या में टूरिज्म बढ़ने के बाद स्टोर खोले गए हैं। बीकानेर से लेकर बजाज वेजिटेबल की फूडचेन
फूड चेन की बात की जाए तो अयोध्या में बीकानेर वाला, राम सर रेस्टोरेंट, बजाज वेजिटेबल लुधियाना समेत कई स्टोर खुले हैं। व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा- प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम नगरी में हर दिन एक से डेढ़ लाख लोग आ रहे हैं। होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री में एक साल में 4 गुना का इजाफा हुआ है। 10 से 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। अब अयोध्या में 1000% तक बढ़ीं जमीन की कीमतें
जमीनों की कीमत समझने के लिए भास्कर टीम वरिष्ठ पत्रकार आनंद मोहन से मिली। उन्होंने कहा- राम मंदिर बनने के बाद जमीनों की खरीद-बिक्री बढ़ गई है। सिर्फ अयोध्या ही नहीं, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर की जमीनों में भी प्रति बीघा 5 लाख के रेट बढ़े हैं। आप समझिए कि अयोध्या सदर और सोहावल तहसील में सबसे ज्यादा जमीनें बिकी हैं। सेल और री-सेल का बड़ा व्यापार खड़ा हो गया है। प्राधिकरण भी नए आवास देने के लिए कुंज योजना को डेवलप कर रहा है। राम मंदिर क्षेत्र के आसपास और राजमार्ग के किनारे में 1,235 फीसदी तक जमीन की कीमतें बढ़ी हैं। मंदिर के 20 किमी. रेडियस में दो से तीन लाख रुपए बिस्वा बिकने वाली जमीन, 10 से 12 लाख रुपए में बिक रही है। बड़ी टाउनशिप लेकर अभिनंदन लोधा, ओराम डवलपमेंट, लोढ़ा ग्रुप समेत कई बड़ी कंपनियां आ चुकी हैं। व्यवस्थित डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी रेट 20% और बढ़ेंगे
ओराम डेवलपमेंट के CMD प्रदीप मिश्रा कहते हैं- प्राण प्रतिष्ठा से पहले भी डेवलपमेंट हो रहे थे। मगर अनप्लांड थे, अब बहुत प्लानिंग से हो रहा है। अयोध्या का नया मास्टर प्लान देखकर समझ आता है कि आने वाले वक्त में अयोध्या में और डेवलपमेंट होने वाले हैं। इसलिए जो प्राइज बढ़े हैं, उन्हें सामान्य ही माना जा सकता है। यहां इंडस्ट्री और होटल्स भी आ गए हैं। यहां नए सिरे से जॉब क्रिएशन भी रहा है। जब-जब जॉब क्रिएशन होते हैं, तब-तब प्रॉपर्टी के रेट बढ़ते हैं। इसलिए आने वाले वक्त में हर साल प्रॉपर्टी रेट में 20 से 22% बढ़ोतरी दिखने वाली है। अब अगर राम मंदिर के आसपास की प्रॉपर्टी के रेट की बात करें तो 1 साल पहले जिस जमीन के रेट 5 हजार स्क्वायर फीट चल रहे थे। अब वही 12 हजार रुपए स्क्वायर फीट मिल रही है। मंदिर से 5 से 7 किमी. दूर की बात करें। तो वहां 3.5 हजार स्क्वायर फीट वाली प्रॉपर्टी अब 5.5 हजार रुपए स्क्वायर फीट के रेट पर मिल रही है। मगर डेवलपमेंट को देखते हुए यह सामान्य ही है। अब पढ़िए अर्थशास्त्री क्या मानते हैं… प्रोफेसर ने कहा- लोगों की इनकम में असमानता बढ़ी
फैजाबाद साकेत महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के HOD प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा – प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में टूरिज्म के साथ होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट, प्रसाद, मूर्ति-दीया से लेकर हर सेक्टर को फायदा हुआ है। यहां तक कि GST कलेक्शन में भी इजाफा हुआ है। आप समझिए कि मंदिर की अर्थव्यवस्था से पूरी अयोध्या की अर्थव्यवस्था बढ़ गई है। पूंजीवादियों की वजह से प्रॉपर्टी की कीमतें अंधाधुंध बढ़ रही हैं। डिमांड और सप्लाई में बहुत अंतर नहीं था, फिर भी जमीनों की कीमतें बढ़ी। आम आदमी जीवन जीने की लागत को भी बढ़ाता है। अयोध्या में लोगों की आय में असमानता भी बढ़ गई है। अब अयोध्या के लोगों को मिली नौकरियों को जानिए… ————————— ये भी पढ़ें: 5 टन लोहे से बना पांटून डूबता नहीं:2500 साल पहले फारसी इंजीनियरों ने बनाया; महाकुंभ में तैरने वाले पुल की कहानी ‘अगस्त 2023 में हमें पांटून पुल (पीपा पुल) बनाने की जिम्मेदारी मिली। सवा साल में 2 हजार 213 पांटून (पीपे) बनाने थे। इतनी बड़ी संख्या में कभी भी पांटून नहीं बनाए गए थे। करीब 1 हजार कर्मचारी, इंजीनियर और अधिकारी जुटे। 14-14 घंटे काम चला। हम अक्टूबर 2024 में सारे पांटून पुल बनाकर मेला प्रशासन को सौंप चुके हैं।’ लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर आलोक कुमार ने हमें यह बताया…(पढ़िए पूरी रिपोर्ट) राम राज बैठे त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका॥ रामचरित मानस की यह चौपाई प्रभु के वनवास से वापस लौटकर अयोध्या के राजा बनने की है। इसका अर्थ है- श्रीराम के सिंहासन पर बैठने के बाद तीनों लोक हर्षित हो गए। अयोध्या समेत सभी के शोक हर गए…। त्रेतायुग में जब प्रभु राम वनवास से लौटे, यह चौपाई उस संदर्भ की है। अब रामलला टेंट से निकलकर अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। इस 1 साल में प्रभु राम की प्रजा का हाल कितना बदला है। उनकी कमाई में क्या परिवर्तन आया? छोटे-बड़े लोग किस तरह के कारोबार में जुड़ गए। पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट… दरअसल, रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या को देखने के लिए 1 साल में पूरी दुनिया से 13 करोड़ लोग पहुंचे। टूरिज्म डिपार्टमेंट और जिला प्रशासन के अनुसार, इन लोगों ने यहां 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए। ये पैसा रहने, खाने और घूमने पर खर्च हुए। इससे अयोध्या के लोगों की आमदनी बढ़ी। 1200 नए छोटे-बड़े होटल बन गए। राम मंदिर के आसपास 3000 से ज्यादा छोटे रेस्टोरेंट, ढाबे और खाने-पीने की दुकानें तैयार हो गईं। करीब 5 हजार लोगों ने अपने घरों को होम स्टे में बदला दिया। पिछले एक साल में ही यहां 70 हजार नए रोजगार पैदा हुए। छोटा-बड़ा काम करने वाले अयोध्या वासियों की कमाई 2 गुने से ज्यादा बढ़ गई है। अयोध्या की 100 रुपए वाली थाली 250 की हुई
हनुमान गढ़ी से 900 मीटर पहले 12 होटल और रेस्टोरेंट हैं। 76 साल पुराने चंद्रा मारवाड़ी भोजनालय के मालिक चंचल बताते हैं- हमारे बाबा ने 1948 में इस होटल को शुरू किया था। एक साल पहले सादी थाली 100 रुपए में देते थे। अब वहीं थाली 250 रुपए में खिला रहे हैं। ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर एक साथ 50 लोग बैठ सकते हैं। टूरिस्ट इंडियन और साउथ इंडियन के साथ फास्ट फूड भी मांगते हैं। अब वैराइटी मेंटेन कर रहे हैं। इसके लिए 14 लोगों का स्टाफ काम कर रहा है। भीड़ बढ़ी तो कचौड़ी-समोसा छोड़, रेस्टोरेंट खोल दिया
हनुमानगढ़ी के पीछे की ओर राम मंदिर गेट के पास का दृश्य पिछले एक वर्षों में काफी बदल गया है। यहां कई नए होटल और रेस्टोरेंट खुल गए हैं। तो कुछ ने अपने पुराने कारोबार को बदलकर रेस्टोरेंट शुरू कर दिया है। इसमें से एक मधुर कुंज भी है। यह पहले कचौड़ी और समोसा की प्रसिद्ध दुकान हुआ करती थी, लेकिन अब यहां रेस्टोरेंट चल रहा है। यहां लोगों को 200 रुपए में भोजन की थाली खिला रहे हैं। रेस्टोरेंट के मालिक अभिषेक गुप्ता बताते हैं- टूरिस्ट बढ़ने के बाद कचौड़ी और समोसा बेचना मुश्किल हो रहा था, लोगों की डिमांड भोजन की होती थी। इसलिए रेस्टोरेंट खोल लिया। अब कारोबार बढ़िया चल रहा है। लता मंगेशकर चौक पर 100 मीटर के दायरे में 30 से 40 होटल हैं। चौराहा के सामने ब्राह्मण भोजनालय के मालिक पंकज सिंह ने कहा- हमारा होटल 15 साल पुराना है। हम 1 साल पहले तक सादी थाली 80 रुपए में बेचते थे। तब यूपी के ही लोग अयोध्या आते थे। अब अमेरिका, लंदन, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड से लेकर पूरे देश के लोग अयोध्या आ रहे हैं। बहुत से लोग अपनी पसंद का ही फूड मांगते हैं। यही वजह है कि हमनें थालियों की वैराइटी बढ़ा दी है। अब लोग पैसा देना चाहते हैं, मगर उन्हें उनकी पसंद का अच्छा खाना चाहिए। पहले 50 थाली मुश्किल से बिकती थीं, अब 150 थाली बेच रहे
नया घाट में 55 साल पुराने बोल बम भोजनालय के मैनेजर आनंद तिवारी कहते हैं- 1 साल पहले एक दिन में 50 थाली मुश्किल से बिकती थीं। तब 60 रुपए में बेचते थे। अब यही थाली 100 से डेढ़ सौ रुपए में बिकती है। एक दिन में 150 थाली बेच ले रहे हैं। रामजी की कृपा से आमदनी बढ़ गई है। अब बात अयोध्या के प्रसाद की… प्रसाद का कारोबार 500 गुना बढ़ा, 800 दुकानों पर खुरचन पेड़ा
रामलला और उनके भोग की चाहत पूरी दुनिया तक फैली। नतीजा ये हुआ कि अयोध्या के प्रसाद का कारोबार भी 500 गुना बढ़ गया। रामलला को लगने वाले भोग खुरचन पेड़ा और हनुमानगढ़ी के देसी घी के लड्डू की डिमांड आसमान छूने लगी। मगर उसको खरीदने के लिए अब ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। 76 साल पुराने चंद्रा स्वीट्स शॉप पर बैठे सुमित कहते हैं- प्राण प्रतिष्ठा के बाद खुरचन पेड़ा की डिमांड बहुत बढ़ गई है। अब ज्यादातर श्रद्धालुओं को खुरचन पेड़ा चाहिए। पेड़ा 400 रुपए किलो बेच रहे हैं, इसके रेट 60 रुपए बढ़े हैं। डिमांड बढ़ी है, तो सप्लाई के लिए लेबर भी बढ़ाए हैं। रामलला की कृपा से खुरचन पेड़ा को जीआई टैग मिला है। खिलौने-कपड़े को छोड़ प्रसाद की दुकानें खोलीं
भक्त पथ पर मिठाई के दुकानदार अमित कुमार गुप्ता ने कहा- हम पहले कॉस्मेटिक बेचते थे। साल भर पहले धंधा बदल दिया, लोग यहां सिर्फ प्रसाद पूछते हुए आते थे। अब हम देसी घी के लड्डू बेचते हैं। लड्डू कारोबार से जुड़े श्याम गुप्ता बताते हैं- डेढ़ साल पहले सिर्फ 50-55 दुकानों पर प्रसाद मिलता था। लोग भी कम ही आते थे। अब खिलौने और कपड़े का व्यापार छोड़कर लोग प्रसाद बेचने लगे हैं। मौजूदा वक्त में करीब 250 दुकानों पर सिर्फ देसी घी का बेसन लड्डू बिकता है। जिसका भोग हनुमानगढ़ी में लगता है। 200 गुना तक लड्डू कारोबार बढ़ चुका है। यहां लड्डू सभी दुकानों पर 400 रुपए किलो के भाव से मिल रहा है। ये दाम 1 साल में करीब 50 रुपए तक बढ़ा है। प्रसाद कारोबार करने वाले संजीव कहते हैं- हर दिन 8000 से 10000 रुपए की बिक्री हो रही है। 1 साल पहले कम लोग आते थे, इसलिए दिन में 2500 से 3000 रुपए की बिक्री हो पाती थी। अब हालात बदल गए हैं। अब लोग घर लौटते वक्त प्रसाद जरूर खरीदते हैं। घर होम स्टे में बदल गए…
सरकारी आंकड़ा कहता है 1056 लोगों ने अपने घर होम स्टे में बदल दिए। करीब 1000 नए लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लीकेशन दे रखी है। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या करीब 5 हजार बताई जा रही है, जिन्होंने अपने घरों को होम स्टे में बदल दिया है। राम मंदिर, हनुमानगढ़ी, सरयू घाट के आस-पास के ज्यादातर घरों में लोग अपने कमरे किराये पर दे रहे हैं। यह लोगों की आमदनी का अच्छा जरिया बनता जा रहा है। दीनानाथ बोले- 5 कमरे बनवाए, 1 दिन का किराया 1 हजार
सप्त सागर कॉलोनी में 10 लोगों ने अपने घरों को होम स्टे में बदल लिया है। यहां दीनानाथ ने कहा- मैंने अयोध्या में रहने के लिए घर खरीदा। पहले फैजाबाद में रहता था। 1 साल में बड़ा बदलाव दिखा कि लोग किराये पर कमरे देकर पैसे कमाने लगे थे। इसलिए मैंने ऊपर के हिस्से में 5 कमरे बनवाए। हर दिन 2-3 कमरे किराये पर लेने वाले लोग आ जाते हैं। 1 दिन का एक कमरे का किराया 1 हजार रखा है। सभी कॉलोनियों में 10 से 20 लोग ऐसे मिलेंगे, जिन्होंने होम स्टे को आमदनी का मुख्य जरिया बनाया हुआ है। सर्वाधिक संख्या राम पथ, हनुमानगढ़ी और सरयू के आसपास की है। फूलों की 200 दुकानें, टायर-ट्यूब वाले फूल बेच रहे
राम अपने मंदिर में विराजे तो फूलों का कारोबार भी मजबूत हुआ। इस वक्त 200 छोटी-बड़ी दुकानों पर फूल बिक रहे हैं। हनुमानगढ़ी पर 15 साल से फूल बेच रहे हनुमान सैनी कहते हैं- दुकान भले ही छोटी हों, मगर बिक्री अच्छी होती है। पहले यहां 20-25 लोग ही फूल माला बेचते थे। अब 250 से ज्यादा लोग बेच रहे हैं। यही पास में खड़े शिव सागर मौर्य कहते हैं- पहले मैं टायर-ट्यूब बेचता था। अब फूल बेचने लगा हूं। लोग बाहर से आते हैं, उन्हें पूजा के लिए फूल चाहिए होते हैं। हर दिन 500 से 800 रुपए कमा लेता हूं। 1200 नए होटल खुले, 15 हजार नई नौकरियां
टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक, 22 जनवरी, 2024 के बाद से अब तक 13 करोड़ लोग अयोध्या पहुंचे। इनमें से 4 करोड़ लोगों ने रामलला के दर्शन किए। टूरिस्ट को स्टे सुविधा देने के लिए होटल-रेस्टोरेंट 3 गुना तक बढ़ गए। 2024 से पहले 378 होटल और रेस्टोरेंट थे। इनमें करीब 3590 लोग रसोई से लेकर रिसेप्शन तक की जिम्मेदारियां निभा रहे थे। अब 1200 नए होटल-रेस्टोरेंट खुल चुके हैं। इस वक्त अयोध्या में 1578 से ज्यादा होटल हैं। इसमें 15000 से ज्यादा लोग नौकरी कर रहे हैं। टाटा ग्रुप और ईज माय ट्रिप होटल खोलेंगे
अयोध्या में रेडिसन, विवांता, जिंजर, लीला ग्रुप और भारत होटल्स है। टाटा ग्रुप ताज होटल बना रहा है। ईज माय ट्रिप 100 करोड़ से अयोध्या में होटल खोलने की तैयारी कर रहा है। उडुपी ने 4 स्टोर खोले, 400 लोगों को जॉब
अयोध्या में सबसे बड़ी फूड चेन उडुपी ने खोली है। 4 साउथ इंडियन फूड स्टोर हैं। अयोध्या, गोंडा, बस्ती के 400 लोगों को जॉब मिली है। मैनेजर शैलेंद्र अवस्थी कहते हैं- हर दिन 3 से 4 हजार लोग लंच और डिनर के लिए आ रहे हैं। यहां भोजन थाली 340 रुपए की है। हनुमान गुफा के पास उडुपी स्टोर के संचालक शशिकांत शर्मा ने कहा- अयोध्या में टूरिज्म बढ़ने के बाद स्टोर खोले गए हैं। बीकानेर से लेकर बजाज वेजिटेबल की फूडचेन
फूड चेन की बात की जाए तो अयोध्या में बीकानेर वाला, राम सर रेस्टोरेंट, बजाज वेजिटेबल लुधियाना समेत कई स्टोर खुले हैं। व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा- प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम नगरी में हर दिन एक से डेढ़ लाख लोग आ रहे हैं। होटल और रेस्टोरेंट इंडस्ट्री में एक साल में 4 गुना का इजाफा हुआ है। 10 से 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। अब अयोध्या में 1000% तक बढ़ीं जमीन की कीमतें
जमीनों की कीमत समझने के लिए भास्कर टीम वरिष्ठ पत्रकार आनंद मोहन से मिली। उन्होंने कहा- राम मंदिर बनने के बाद जमीनों की खरीद-बिक्री बढ़ गई है। सिर्फ अयोध्या ही नहीं, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर की जमीनों में भी प्रति बीघा 5 लाख के रेट बढ़े हैं। आप समझिए कि अयोध्या सदर और सोहावल तहसील में सबसे ज्यादा जमीनें बिकी हैं। सेल और री-सेल का बड़ा व्यापार खड़ा हो गया है। प्राधिकरण भी नए आवास देने के लिए कुंज योजना को डेवलप कर रहा है। राम मंदिर क्षेत्र के आसपास और राजमार्ग के किनारे में 1,235 फीसदी तक जमीन की कीमतें बढ़ी हैं। मंदिर के 20 किमी. रेडियस में दो से तीन लाख रुपए बिस्वा बिकने वाली जमीन, 10 से 12 लाख रुपए में बिक रही है। बड़ी टाउनशिप लेकर अभिनंदन लोधा, ओराम डवलपमेंट, लोढ़ा ग्रुप समेत कई बड़ी कंपनियां आ चुकी हैं। व्यवस्थित डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी रेट 20% और बढ़ेंगे
ओराम डेवलपमेंट के CMD प्रदीप मिश्रा कहते हैं- प्राण प्रतिष्ठा से पहले भी डेवलपमेंट हो रहे थे। मगर अनप्लांड थे, अब बहुत प्लानिंग से हो रहा है। अयोध्या का नया मास्टर प्लान देखकर समझ आता है कि आने वाले वक्त में अयोध्या में और डेवलपमेंट होने वाले हैं। इसलिए जो प्राइज बढ़े हैं, उन्हें सामान्य ही माना जा सकता है। यहां इंडस्ट्री और होटल्स भी आ गए हैं। यहां नए सिरे से जॉब क्रिएशन भी रहा है। जब-जब जॉब क्रिएशन होते हैं, तब-तब प्रॉपर्टी के रेट बढ़ते हैं। इसलिए आने वाले वक्त में हर साल प्रॉपर्टी रेट में 20 से 22% बढ़ोतरी दिखने वाली है। अब अगर राम मंदिर के आसपास की प्रॉपर्टी के रेट की बात करें तो 1 साल पहले जिस जमीन के रेट 5 हजार स्क्वायर फीट चल रहे थे। अब वही 12 हजार रुपए स्क्वायर फीट मिल रही है। मंदिर से 5 से 7 किमी. दूर की बात करें। तो वहां 3.5 हजार स्क्वायर फीट वाली प्रॉपर्टी अब 5.5 हजार रुपए स्क्वायर फीट के रेट पर मिल रही है। मगर डेवलपमेंट को देखते हुए यह सामान्य ही है। अब पढ़िए अर्थशास्त्री क्या मानते हैं… प्रोफेसर ने कहा- लोगों की इनकम में असमानता बढ़ी
फैजाबाद साकेत महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के HOD प्रोफेसर मुकेश पांडे ने कहा – प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में टूरिज्म के साथ होटल, रेस्टोरेंट, ट्रांसपोर्ट, प्रसाद, मूर्ति-दीया से लेकर हर सेक्टर को फायदा हुआ है। यहां तक कि GST कलेक्शन में भी इजाफा हुआ है। आप समझिए कि मंदिर की अर्थव्यवस्था से पूरी अयोध्या की अर्थव्यवस्था बढ़ गई है। पूंजीवादियों की वजह से प्रॉपर्टी की कीमतें अंधाधुंध बढ़ रही हैं। डिमांड और सप्लाई में बहुत अंतर नहीं था, फिर भी जमीनों की कीमतें बढ़ी। आम आदमी जीवन जीने की लागत को भी बढ़ाता है। अयोध्या में लोगों की आय में असमानता भी बढ़ गई है। अब अयोध्या के लोगों को मिली नौकरियों को जानिए… ————————— ये भी पढ़ें: 5 टन लोहे से बना पांटून डूबता नहीं:2500 साल पहले फारसी इंजीनियरों ने बनाया; महाकुंभ में तैरने वाले पुल की कहानी ‘अगस्त 2023 में हमें पांटून पुल (पीपा पुल) बनाने की जिम्मेदारी मिली। सवा साल में 2 हजार 213 पांटून (पीपे) बनाने थे। इतनी बड़ी संख्या में कभी भी पांटून नहीं बनाए गए थे। करीब 1 हजार कर्मचारी, इंजीनियर और अधिकारी जुटे। 14-14 घंटे काम चला। हम अक्टूबर 2024 में सारे पांटून पुल बनाकर मेला प्रशासन को सौंप चुके हैं।’ लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर आलोक कुमार ने हमें यह बताया…(पढ़िए पूरी रिपोर्ट) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर