रेत पर बसा दुनिया का सबसे बड़ा हाईटेक मेला:AI, चैटबॉट से श्रद्धालुओं की होगी हेल्प; फेस रिकग्निशन कैमरे से पकड़े जाएंगे आतंकी

रेत पर बसा दुनिया का सबसे बड़ा हाईटेक मेला:AI, चैटबॉट से श्रद्धालुओं की होगी हेल्प; फेस रिकग्निशन कैमरे से पकड़े जाएंगे आतंकी

तारीख: 13 दिसंबर, जगह: कुंभ नगर का संगम क्षेत्र ‘इस बार हम डेटा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को कुंभ में आने के लिए आमंत्रित करेंगे। हम पहली बार AI और चैटबॉट तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। यह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है।’ यह बात पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में कही थी। 2019 का अर्द्ध कुंभ केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार के लिए पहला था। तब सरकार ने दिव्य और भव्य कुंभ का स्लोगन दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक स्टेप और आगे ले जाते हुए डिजिटल कुंभ करार दिया। यानी संगम की रेती पर पहली बार बसने जा रहा है ‘डिजिटल कुंभ मेला।’ प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में कई बार इशारा भी किया कि इस बार कुंभ में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर श्रद्धालुओं की लाइफ को आसान किया जाएगा। 40 वर्ग किलोमीटर में कैसा होगा यह डिजिटल कुंभ और इसमें क्या होगा खास? इसकी पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो यानी संगम क्षेत्र पहुंचा। मेला क्षेत्र में जगह-जगह बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं। इन पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की फोटो के साथ ही दिव्य, भव्य और डिजिटल कुंभ का स्लोगन लिखा है। हर होर्डिंग के नीचे QR कोड भी लगे हैं। जिन्हें स्कैन करते ही श्रद्धालु कुंभ के वर्चुअल संसार में पहुंच जाएंगे। उन्हें कुंभ से जुड़ी छोटी-बड़ी सभी जानकारी मिल जाएगी। कुंभ मेले में लगे होर्डिंग पर 4 अलग-अलग तरह के QR कोड लगे हैं। इन्हें स्कैन कर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अपने स्मार्टफोन पर कुंभ का वर्चुअल टूर कर सकते हैं। आखिर क्या है यह डिजिटल कुंभ और कैसे होगा इसका पूरा सेटअप? यह समझने के लिए हम सबसे पहले कुंभ मेला क्षेत्र में बने कंट्रोल रूम पहुंचे। यहां लगे 100 से ज्यादा कंप्यूटर और स्क्रीन पर मेला क्षेत्र की चप्पे-चप्पे की तस्वीर और लाइव वीडियो की 24 घंटे मॉनिटरिंग हो रही है। कंट्रोल रूम में हमें मेला क्षेत्र के एसएसपी राजेश द्विवेदी मिले। उन्होंने बताया, ‘कोई हार्डकोर क्रिमिनल, आतंकी या अपराधी अगर मेला क्षेत्र में आता है, तो पकड़ा जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग फेस रिकग्निशन (FR) कैमरे से की जा रही है। कुछ ही सेकेंड में उससे जुड़ा डेटा AI से पुलिस कंट्रोल रूम में मौजूद डेटा बेस से मैच हो जाएगा और उसके फेस पर रेड-फ्लैग लग जाएगा। इसके बाद वह जहां-जहां जाएगा, सभी कैमरे उसे लगातार मॉनिटर करेंगे। यह अलर्ट कंट्रोल रूम के साथ मेले में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों के फोन पर भी जाएगा और संदिग्ध गिरफ्त में होगा। 4 पॉइंट में समझिए यह हाईटेक महाकुंभ क्यों है 1- AI कैमरे के जरिए होगा क्राउड मैनेजमेंट
क्राउड मैनेजमेंट के लिए भी 328 AI कैमरे लगाए गए हैं। इनके जरिए मेला क्षेत्र में आने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा। महाकुंभ- 2025 में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। ये AI कैमरे लगातार हेड काउंट कर कंट्रोल रूम को अलर्ट करते रहेंगे। एसएसपी राजेश बताते हैं कि इस तरह के कैमरों में प्रति मीटर हेड काउंट करने की कैपेसिटी है। जैसे ही किसी एरिया में कैपेसिटी से ज्यादा भीड़ बढ़ेगी, कैमरे के अलर्ट के बाद उस एरिया में जाने वाला मूवमेंट रोक कर भीड़ को डायवर्ट कर दिया जाएगा। इस तरह के कैमरे पार्किंग स्पेस, नहान घाट, मेला प्रशासन और संगम तक पहुंचने वाले रास्तों पर लगाए गए हैं। 2- AI कैमरे के जरिए होगा पार्किंग मैनेजमेंट
पहली बार है, जब ट्रैफिक मैनेजमेंट करने के लिए मेला क्षेत्र में बने सभी पार्किंग स्थल पर AI कैमरे लगाए गए हैं। राजेश द्विवेदी बताते हैं, ‘पहली बार AI कैमरे के माध्यम से हम पार्किंग मैनेजमेंट करने जा रहे हैं। इससे जब एक पार्किंग में गाड़ियों की संख्या पूरी हो जाएगी तो अपने आप ही उसका इंडिकेशन हमारे कंट्रोल रूम में पहुंचेगा। उसके बाद अन्य गाड़ियों को दूसरे पार्किंग में भेज दिया जाएगा। 3- एंटी ड्रोन के कवरेज में रहेगा मेला
महाकुंभ में एंटी ड्रोन तैनात किया गया है। बिना इजाजत मेले में कोई ड्रोन नहीं उड़ सकेगा। एसएसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र में एंटी ड्रोन सिस्टम एक्टिव कर दिया गया है। पहले दिन ही काम करते हुए बेहद हाईटेक एंटी ड्रोन ने बिना अनुमति हवा में फर्राटा भर रहे दो ड्रोन को डिएक्टिव कर दिया। 4- FR कैमरों की सहायता से रेलवे करेगा भीड़ को मैनेज
महाकुंभ में करीब 10 करोड़ लोगों के ट्रेन से आने का अनुमान है। ऐसे में पहली बार स्टेशनों पर सीसीटीवी और FR (फेस रिकग्निशन) कैमरे लगाए जा रहे हैं। महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए करीब 650 सीसीटीवी के साथ पहली बार 100 एफआर कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। प्रयागराज शहर में आने वाले सभी 9 रेलवे स्टेशनों के आने-जाने के मार्गों, आश्रय स्थल, प्लेटफार्म को भी कैमरों की नजर में रखा जाएगा। एसपी रेलवे अभिषेक यादव बताते हैं कि ये कैमरे आसानी से संदिग्धों को हजारों की भीड़ में पहचान लेते हैं। जिससे भीड़ में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों या भगदड़ जैसी स्थिति बनने से पहले काबू किया जा सकता है। 2013 के कुंभ में स्टेशन पर अचानक बढ़ी भीड़ की वजह से इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद 42 लोगों की मौत हो गई थी। 45 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यही वजह है, रेलवे पूरी तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर क्राउड मैनेजमेंट करेगा। ये हाईटेक व्यवस्थाएं भी हैं… रोबोट से आग बुझाएगा फायर ब्रिगेड
फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट भी इस बार मेले को सुरक्षित बनाने के लिए हाईटेक उपायों पर काम कर रहा है। डिपार्टमेंट ने महाकुंभ को जीरो फायर इंसिडेंट बनाने के लिए 4 एटीवी और फायर रोबोट का इस्तेमाल शुरू किया है। 4 ATV रेतीले या कीचड़ वाले क्षेत्रों में जाकर आसानी से आग बुझा सकते हैं। इसके अलावा 80 फायर क्विक रिस्पॉन्स व्हीकल लगाए जाएंगे। ऊंचाई पर आग को बुझाने के लिए आर्टिकुलेटेड वाटर टावर भी मंगाए गए हैं। इनका इस्तेमाल उन स्थानों पर किया जाएगा, जहां फायर कर्मी नहीं पहुंच सकते। टीथर्ड ड्रोन से होगी मेले की निगरानी
महाकुंभ में पहली बार चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। इससे निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी गई है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बैलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुंभ में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा। डूबने वालों को बचाएगा रोबोट
अगर कोई श्रद्धालु गहरे पानी में डूबेगा तो उसे बचाने के लिए रोबोट आगे आएंगे। इन्हें रोबोटिक्स लाइफबॉय का नाम दिया गया है। इस वाटर रोबोट को मुंबई की कंपनी पोटेंशियल रोबोटिक सॉल्यूशन ने तैयार किया है। एक रोबोटिक्स लाइफबॉय की कीमत करीब 8 लाख रुपए है। यह वाटर रोबोट रिमोट सिस्टम पर काम करता है। एक बार में 140 किलो से ज्यादा का वजन अपने साथ खींच सकता है। पानी में यह 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है। इस चार्जेबल रोबोट को सिर्फ 45 मिनट में पूरी तरह चार्ज किया जा सकता है। फुल चार्ज होने पर यह कम से कम एक घंटे पानी में काम कर सकता है। मेले में बना डिजिटल खोया-पाया केंद्र
मेला क्षेत्र में इस बार डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाया गया है। मेले में खोने या बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पूरी जानकारी वहां लगी सभी एलसीडी पर तस्वीर के साथ दिखाई जाएगी। यह तस्वीर और जानकारी मेले के अलावा शहरों में लगे एलसीडी पर भी दिखेगी। इसके अलावा सभी सोशल मीडिया पेज पर तस्वीरों के साथ वीडियो संदेश भी डिस्प्ले किए जाएंगे। घर बैठे महाकुंभ के दर्शन हो जाएंगे, होगी लाइव स्ट्रीमिंग
महाकुंभ में इस बार जो लोग मेला स्थल तक नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए घर बैठे कुंभ क्षेत्र के दर्शन मिलेंगे। लाइव स्ट्रीमिंग का पूरा जिम्मा दूरदर्शन को दिया गया है। दूरदर्शन के 100 से ज्यादा कैमरे 24 घंटे मेले की गतिविधियों की लाइव स्ट्रीमिंग करेंगे। इनमें हर शाम होने वाली गंगा आरती भी शामिल है। बंगाल से कुंभ मेला क्षेत्र पहुंचे अंजन सेन गुप्ता बताते हैं कि सरकार जिस तरह से तकनीक का इस्तेमाल कर रही है, इससे हमें घर बैठे ही कुंभ दर्शन हो सकेंगे। यहां जो भीड़ आएगी, उसको मैनिपुलेट करने के लिए यह किया गया है। हर आदमी के लिए संगम पहुंचना पॉसिबल नहीं है। ऐसे में नेचुरल है कि सभी की आस्था पर भी चोट ना पहुंचे, इसलिए डिजिटल कुंभ को प्रमोट किया जा रहा है। गूगल देगा घाटों, अखाड़ों और धार्मिक स्थलों की जानकारी
कुंभ मेले में नेविगेशन को और भी ज्यादा सटीक बनाने के लिए गूगल मैप में बड़ा अपडेट किया जा रहा है। इसकी सहायता से मेले में मौजूद किसी भी अखाड़े, संस्थान, टेंट और मंदिर की लोकेशन को फाइंड किया जा सकेगा। सभी शिविरों की 3D इमेज भी ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। मेले के दौरान होने वाली गतिविधियों और सेवाओं की भी जानकारी इस ऐप के माध्यम से मिलेगी। महाकुंभ ऐप और सहायक चैटबॉट
महाकुंभ 2025 ऐप और वेबसाइट में चैटबॉट SahaAlyak को जोड़ा गया है। इस AI जेनरेटिव चैटबॉट की सहायता से यूजर मेले से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब तुरंत पा सकेंगे। ये चैटबॉट 11 भाषाओं में जवाब देने में सक्षम है। यह हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगाली, उर्दू में पूछे गए सवाल के जवाब तुरंत देगा। इसमें बोलकर या लिखकर सवाल पूछे जा सकते हैं। स्लीपिंग पॉड्स में आराम कर सकेंगे श्रद्धालु
श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर स्लीपिंग पॉड बनाए गए हैं। इसमें एसी के अलावा रिसेप्शन बूथ, वाशरूम या टॉयलेट और हाउस पेंट्री, चार्जिंग पॉइंट, पेयजल, लॉकर और वॉशरूम जैसी सुविधाएं मिलेंगी। असेट्स मैनेजमेंट के लिए भी लगाए गए QR कोड
महाकुंभ 2025 में पांटून पुल बनाने से लेकर टेंट लगाने और अलग-अलग निर्माण कार्यों के डेटा को कलेक्ट करने और उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट को जानने के लिए QR कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है। पांटून पुल के निर्माण में लगे हर एक स्लैब पर QR कोड लगाया गया है। इसके अलावा ब्रिज के साइड में लगे पिलर्स को भी काउंट और ट्रैक करने के लिए QR कोड लगाए गए हैं। इन कोड्स की सहायता से विभाग को यह पता चलेगा कि कौन-सा काम कितना कम्प्लीट हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस बार 1 लाख 50 हजार अस्थाई शौचालय बनाए गए हैं। हर शौचालय पर QR कोड लगाया गया है। इन शौचालयों की सफाई के लिए 10 हजार से ज्यादा सफाई कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। ये 24 घंटे इसकी साफ-सफाई का ध्यान रखेंगे। उनकी ट्रैकिंग भी GPS से की जाएगी। मेला एडीएम विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार महाकुंभ के प्रोजेक्ट की शुरुआत के साथ ही हम लोगों ने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग इन्फॉर्मेशन सिस्टम (PMIS) सॉफ्टवेयर बनाया है। यह सॉफ्टवेयर सभी कामों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के साथ ही उसकी फिजिकल और फाइनेंशियल प्रोग्रेस को भी देखेगा। इसमें हम लोगों ने मैन्युअल इंटरवेंशन को कम किया है। ————————- महाकुंभ की हर अपडेट जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें महाकुंभ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… 12 साल में 3 गुना बड़ा हुआ महाकुंभ:28 करोड़ ज्यादा श्रद्धालु आएंगे; 200 चार्टर्ड प्लेन उतरेंगे, पहली बार AI से नजर ‘मैं 2013 के महाकुंभ में भी आया था। उस व्यवस्था और आज की व्यवस्था में बहुत अंतर है। सुविधाएं बढ़ गई हैं। पहले हमारे कैंप में 3 शौचालय थे, अबकी बार 11 मिले हैं। पहले हमें 2 नल मिलते थे, अब 6 नल मिले हैं।’ ऐसा मध्य प्रदेश के विदिशा में रहने वाले नवल रघुवंशी का कहना है। नवल हर साल परिवार के साथ मेला क्षेत्र में कल्पवास करने आते हैं। कैंप में 20 परिवार कल्पवास करते हैं। नवल की बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महाकुंभ 2025 ‘दिव्य’ के साथ बेहद ‘भव्य’ होने जा रहा है…(पढ़ें पूरी खबर) महाकुंभ में अघोरी बनकर घुस सकते हैं आतंकी:IB की रिपोर्ट- स्लीपर सेल एक्टिव; साधुओं के वेश में पुलिसकर्मी तैनात होंगे कुछ आतंकी संगठनों ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 को टारगेट करने की साजिश बनाई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) ने UP के होम डिपार्टमेंट को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है। पिछले हफ्ते भेजी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खालिस्तानी और पाकिस्तानी आतंकी, प्रॉक्सी नाम से महाकुंभ को टारगेट कर सकते हैं। उन्होंने अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करने का काम भी शुरू कर दिया है…(पढ़ें पूरी खबर) तारीख: 13 दिसंबर, जगह: कुंभ नगर का संगम क्षेत्र ‘इस बार हम डेटा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को कुंभ में आने के लिए आमंत्रित करेंगे। हम पहली बार AI और चैटबॉट तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। यह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है।’ यह बात पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में कही थी। 2019 का अर्द्ध कुंभ केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार के लिए पहला था। तब सरकार ने दिव्य और भव्य कुंभ का स्लोगन दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक स्टेप और आगे ले जाते हुए डिजिटल कुंभ करार दिया। यानी संगम की रेती पर पहली बार बसने जा रहा है ‘डिजिटल कुंभ मेला।’ प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में कई बार इशारा भी किया कि इस बार कुंभ में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर श्रद्धालुओं की लाइफ को आसान किया जाएगा। 40 वर्ग किलोमीटर में कैसा होगा यह डिजिटल कुंभ और इसमें क्या होगा खास? इसकी पड़ताल के लिए दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो यानी संगम क्षेत्र पहुंचा। मेला क्षेत्र में जगह-जगह बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हैं। इन पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की फोटो के साथ ही दिव्य, भव्य और डिजिटल कुंभ का स्लोगन लिखा है। हर होर्डिंग के नीचे QR कोड भी लगे हैं। जिन्हें स्कैन करते ही श्रद्धालु कुंभ के वर्चुअल संसार में पहुंच जाएंगे। उन्हें कुंभ से जुड़ी छोटी-बड़ी सभी जानकारी मिल जाएगी। कुंभ मेले में लगे होर्डिंग पर 4 अलग-अलग तरह के QR कोड लगे हैं। इन्हें स्कैन कर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु अपने स्मार्टफोन पर कुंभ का वर्चुअल टूर कर सकते हैं। आखिर क्या है यह डिजिटल कुंभ और कैसे होगा इसका पूरा सेटअप? यह समझने के लिए हम सबसे पहले कुंभ मेला क्षेत्र में बने कंट्रोल रूम पहुंचे। यहां लगे 100 से ज्यादा कंप्यूटर और स्क्रीन पर मेला क्षेत्र की चप्पे-चप्पे की तस्वीर और लाइव वीडियो की 24 घंटे मॉनिटरिंग हो रही है। कंट्रोल रूम में हमें मेला क्षेत्र के एसएसपी राजेश द्विवेदी मिले। उन्होंने बताया, ‘कोई हार्डकोर क्रिमिनल, आतंकी या अपराधी अगर मेला क्षेत्र में आता है, तो पकड़ा जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग फेस रिकग्निशन (FR) कैमरे से की जा रही है। कुछ ही सेकेंड में उससे जुड़ा डेटा AI से पुलिस कंट्रोल रूम में मौजूद डेटा बेस से मैच हो जाएगा और उसके फेस पर रेड-फ्लैग लग जाएगा। इसके बाद वह जहां-जहां जाएगा, सभी कैमरे उसे लगातार मॉनिटर करेंगे। यह अलर्ट कंट्रोल रूम के साथ मेले में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों के फोन पर भी जाएगा और संदिग्ध गिरफ्त में होगा। 4 पॉइंट में समझिए यह हाईटेक महाकुंभ क्यों है 1- AI कैमरे के जरिए होगा क्राउड मैनेजमेंट
क्राउड मैनेजमेंट के लिए भी 328 AI कैमरे लगाए गए हैं। इनके जरिए मेला क्षेत्र में आने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा। महाकुंभ- 2025 में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। ये AI कैमरे लगातार हेड काउंट कर कंट्रोल रूम को अलर्ट करते रहेंगे। एसएसपी राजेश बताते हैं कि इस तरह के कैमरों में प्रति मीटर हेड काउंट करने की कैपेसिटी है। जैसे ही किसी एरिया में कैपेसिटी से ज्यादा भीड़ बढ़ेगी, कैमरे के अलर्ट के बाद उस एरिया में जाने वाला मूवमेंट रोक कर भीड़ को डायवर्ट कर दिया जाएगा। इस तरह के कैमरे पार्किंग स्पेस, नहान घाट, मेला प्रशासन और संगम तक पहुंचने वाले रास्तों पर लगाए गए हैं। 2- AI कैमरे के जरिए होगा पार्किंग मैनेजमेंट
पहली बार है, जब ट्रैफिक मैनेजमेंट करने के लिए मेला क्षेत्र में बने सभी पार्किंग स्थल पर AI कैमरे लगाए गए हैं। राजेश द्विवेदी बताते हैं, ‘पहली बार AI कैमरे के माध्यम से हम पार्किंग मैनेजमेंट करने जा रहे हैं। इससे जब एक पार्किंग में गाड़ियों की संख्या पूरी हो जाएगी तो अपने आप ही उसका इंडिकेशन हमारे कंट्रोल रूम में पहुंचेगा। उसके बाद अन्य गाड़ियों को दूसरे पार्किंग में भेज दिया जाएगा। 3- एंटी ड्रोन के कवरेज में रहेगा मेला
महाकुंभ में एंटी ड्रोन तैनात किया गया है। बिना इजाजत मेले में कोई ड्रोन नहीं उड़ सकेगा। एसएसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र में एंटी ड्रोन सिस्टम एक्टिव कर दिया गया है। पहले दिन ही काम करते हुए बेहद हाईटेक एंटी ड्रोन ने बिना अनुमति हवा में फर्राटा भर रहे दो ड्रोन को डिएक्टिव कर दिया। 4- FR कैमरों की सहायता से रेलवे करेगा भीड़ को मैनेज
महाकुंभ में करीब 10 करोड़ लोगों के ट्रेन से आने का अनुमान है। ऐसे में पहली बार स्टेशनों पर सीसीटीवी और FR (फेस रिकग्निशन) कैमरे लगाए जा रहे हैं। महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा के लिए करीब 650 सीसीटीवी के साथ पहली बार 100 एफआर कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। प्रयागराज शहर में आने वाले सभी 9 रेलवे स्टेशनों के आने-जाने के मार्गों, आश्रय स्थल, प्लेटफार्म को भी कैमरों की नजर में रखा जाएगा। एसपी रेलवे अभिषेक यादव बताते हैं कि ये कैमरे आसानी से संदिग्धों को हजारों की भीड़ में पहचान लेते हैं। जिससे भीड़ में होने वाली संदिग्ध गतिविधियों या भगदड़ जैसी स्थिति बनने से पहले काबू किया जा सकता है। 2013 के कुंभ में स्टेशन पर अचानक बढ़ी भीड़ की वजह से इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद 42 लोगों की मौत हो गई थी। 45 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यही वजह है, रेलवे पूरी तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर क्राउड मैनेजमेंट करेगा। ये हाईटेक व्यवस्थाएं भी हैं… रोबोट से आग बुझाएगा फायर ब्रिगेड
फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट भी इस बार मेले को सुरक्षित बनाने के लिए हाईटेक उपायों पर काम कर रहा है। डिपार्टमेंट ने महाकुंभ को जीरो फायर इंसिडेंट बनाने के लिए 4 एटीवी और फायर रोबोट का इस्तेमाल शुरू किया है। 4 ATV रेतीले या कीचड़ वाले क्षेत्रों में जाकर आसानी से आग बुझा सकते हैं। इसके अलावा 80 फायर क्विक रिस्पॉन्स व्हीकल लगाए जाएंगे। ऊंचाई पर आग को बुझाने के लिए आर्टिकुलेटेड वाटर टावर भी मंगाए गए हैं। इनका इस्तेमाल उन स्थानों पर किया जाएगा, जहां फायर कर्मी नहीं पहुंच सकते। टीथर्ड ड्रोन से होगी मेले की निगरानी
महाकुंभ में पहली बार चप्पे-चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। इससे निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी गई है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बैलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुंभ में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा। डूबने वालों को बचाएगा रोबोट
अगर कोई श्रद्धालु गहरे पानी में डूबेगा तो उसे बचाने के लिए रोबोट आगे आएंगे। इन्हें रोबोटिक्स लाइफबॉय का नाम दिया गया है। इस वाटर रोबोट को मुंबई की कंपनी पोटेंशियल रोबोटिक सॉल्यूशन ने तैयार किया है। एक रोबोटिक्स लाइफबॉय की कीमत करीब 8 लाख रुपए है। यह वाटर रोबोट रिमोट सिस्टम पर काम करता है। एक बार में 140 किलो से ज्यादा का वजन अपने साथ खींच सकता है। पानी में यह 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ता है। इस चार्जेबल रोबोट को सिर्फ 45 मिनट में पूरी तरह चार्ज किया जा सकता है। फुल चार्ज होने पर यह कम से कम एक घंटे पानी में काम कर सकता है। मेले में बना डिजिटल खोया-पाया केंद्र
मेला क्षेत्र में इस बार डिजिटल खोया-पाया केंद्र बनाया गया है। मेले में खोने या बिछड़ने वाले व्यक्तियों की पूरी जानकारी वहां लगी सभी एलसीडी पर तस्वीर के साथ दिखाई जाएगी। यह तस्वीर और जानकारी मेले के अलावा शहरों में लगे एलसीडी पर भी दिखेगी। इसके अलावा सभी सोशल मीडिया पेज पर तस्वीरों के साथ वीडियो संदेश भी डिस्प्ले किए जाएंगे। घर बैठे महाकुंभ के दर्शन हो जाएंगे, होगी लाइव स्ट्रीमिंग
महाकुंभ में इस बार जो लोग मेला स्थल तक नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए घर बैठे कुंभ क्षेत्र के दर्शन मिलेंगे। लाइव स्ट्रीमिंग का पूरा जिम्मा दूरदर्शन को दिया गया है। दूरदर्शन के 100 से ज्यादा कैमरे 24 घंटे मेले की गतिविधियों की लाइव स्ट्रीमिंग करेंगे। इनमें हर शाम होने वाली गंगा आरती भी शामिल है। बंगाल से कुंभ मेला क्षेत्र पहुंचे अंजन सेन गुप्ता बताते हैं कि सरकार जिस तरह से तकनीक का इस्तेमाल कर रही है, इससे हमें घर बैठे ही कुंभ दर्शन हो सकेंगे। यहां जो भीड़ आएगी, उसको मैनिपुलेट करने के लिए यह किया गया है। हर आदमी के लिए संगम पहुंचना पॉसिबल नहीं है। ऐसे में नेचुरल है कि सभी की आस्था पर भी चोट ना पहुंचे, इसलिए डिजिटल कुंभ को प्रमोट किया जा रहा है। गूगल देगा घाटों, अखाड़ों और धार्मिक स्थलों की जानकारी
कुंभ मेले में नेविगेशन को और भी ज्यादा सटीक बनाने के लिए गूगल मैप में बड़ा अपडेट किया जा रहा है। इसकी सहायता से मेले में मौजूद किसी भी अखाड़े, संस्थान, टेंट और मंदिर की लोकेशन को फाइंड किया जा सकेगा। सभी शिविरों की 3D इमेज भी ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। मेले के दौरान होने वाली गतिविधियों और सेवाओं की भी जानकारी इस ऐप के माध्यम से मिलेगी। महाकुंभ ऐप और सहायक चैटबॉट
महाकुंभ 2025 ऐप और वेबसाइट में चैटबॉट SahaAlyak को जोड़ा गया है। इस AI जेनरेटिव चैटबॉट की सहायता से यूजर मेले से जुड़े किसी भी सवाल का जवाब तुरंत पा सकेंगे। ये चैटबॉट 11 भाषाओं में जवाब देने में सक्षम है। यह हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगाली, उर्दू में पूछे गए सवाल के जवाब तुरंत देगा। इसमें बोलकर या लिखकर सवाल पूछे जा सकते हैं। स्लीपिंग पॉड्स में आराम कर सकेंगे श्रद्धालु
श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर स्लीपिंग पॉड बनाए गए हैं। इसमें एसी के अलावा रिसेप्शन बूथ, वाशरूम या टॉयलेट और हाउस पेंट्री, चार्जिंग पॉइंट, पेयजल, लॉकर और वॉशरूम जैसी सुविधाएं मिलेंगी। असेट्स मैनेजमेंट के लिए भी लगाए गए QR कोड
महाकुंभ 2025 में पांटून पुल बनाने से लेकर टेंट लगाने और अलग-अलग निर्माण कार्यों के डेटा को कलेक्ट करने और उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट को जानने के लिए QR कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है। पांटून पुल के निर्माण में लगे हर एक स्लैब पर QR कोड लगाया गया है। इसके अलावा ब्रिज के साइड में लगे पिलर्स को भी काउंट और ट्रैक करने के लिए QR कोड लगाए गए हैं। इन कोड्स की सहायता से विभाग को यह पता चलेगा कि कौन-सा काम कितना कम्प्लीट हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस बार 1 लाख 50 हजार अस्थाई शौचालय बनाए गए हैं। हर शौचालय पर QR कोड लगाया गया है। इन शौचालयों की सफाई के लिए 10 हजार से ज्यादा सफाई कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। ये 24 घंटे इसकी साफ-सफाई का ध्यान रखेंगे। उनकी ट्रैकिंग भी GPS से की जाएगी। मेला एडीएम विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार महाकुंभ के प्रोजेक्ट की शुरुआत के साथ ही हम लोगों ने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग इन्फॉर्मेशन सिस्टम (PMIS) सॉफ्टवेयर बनाया है। यह सॉफ्टवेयर सभी कामों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के साथ ही उसकी फिजिकल और फाइनेंशियल प्रोग्रेस को भी देखेगा। इसमें हम लोगों ने मैन्युअल इंटरवेंशन को कम किया है। ————————- महाकुंभ की हर अपडेट जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें महाकुंभ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… 12 साल में 3 गुना बड़ा हुआ महाकुंभ:28 करोड़ ज्यादा श्रद्धालु आएंगे; 200 चार्टर्ड प्लेन उतरेंगे, पहली बार AI से नजर ‘मैं 2013 के महाकुंभ में भी आया था। उस व्यवस्था और आज की व्यवस्था में बहुत अंतर है। सुविधाएं बढ़ गई हैं। पहले हमारे कैंप में 3 शौचालय थे, अबकी बार 11 मिले हैं। पहले हमें 2 नल मिलते थे, अब 6 नल मिले हैं।’ ऐसा मध्य प्रदेश के विदिशा में रहने वाले नवल रघुवंशी का कहना है। नवल हर साल परिवार के साथ मेला क्षेत्र में कल्पवास करने आते हैं। कैंप में 20 परिवार कल्पवास करते हैं। नवल की बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महाकुंभ 2025 ‘दिव्य’ के साथ बेहद ‘भव्य’ होने जा रहा है…(पढ़ें पूरी खबर) महाकुंभ में अघोरी बनकर घुस सकते हैं आतंकी:IB की रिपोर्ट- स्लीपर सेल एक्टिव; साधुओं के वेश में पुलिसकर्मी तैनात होंगे कुछ आतंकी संगठनों ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 को टारगेट करने की साजिश बनाई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) ने UP के होम डिपार्टमेंट को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है। पिछले हफ्ते भेजी इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खालिस्तानी और पाकिस्तानी आतंकी, प्रॉक्सी नाम से महाकुंभ को टारगेट कर सकते हैं। उन्होंने अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करने का काम भी शुरू कर दिया है…(पढ़ें पूरी खबर)   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर