हरियाणा में रेवाड़ी जिले की 3 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग आज सुबह 8 बजे होगी। रेवाड़ी और बावल विधानसभा सीट के लिए सेक्टर-18 स्थित गर्ल्स कॉलेज और कोसली सीट के लिए जैन स्कूल को काउंटिंग सेंटर बनाया गया है। पहले पोस्टल बैलट गिने जाएंगे। सुबह 9 बजे तक पहला रुझान आ जाएगा। 5 अक्टूबर को जिले की तीनों विधानसभा सीट पर 67.99 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। विधानसभा सीटवाइज देखें तो सबसे ज्यादा वोटिंग कोसली सीट पर 70.19% हुई। वहीं सबसे कम वोटिंग रेवाड़ी सीट पर 65.86% हुई। बावल सीट पर 67.95% मतदान हुआ। काउंटिंग के लिए बनाए गए दोनों सेंटरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए 3 लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। काउंटिंग सेंटर में कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के मान्यता प्राप्त पोलिंग एजेंटों के अलावा किसी दूसरे को जाने की इजाजत नहीं है। अंदर मोबाइल ले जाने की भी मनाही है। हरियाणा में रेवाड़ी जिले की 3 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग आज सुबह 8 बजे होगी। रेवाड़ी और बावल विधानसभा सीट के लिए सेक्टर-18 स्थित गर्ल्स कॉलेज और कोसली सीट के लिए जैन स्कूल को काउंटिंग सेंटर बनाया गया है। पहले पोस्टल बैलट गिने जाएंगे। सुबह 9 बजे तक पहला रुझान आ जाएगा। 5 अक्टूबर को जिले की तीनों विधानसभा सीट पर 67.99 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। विधानसभा सीटवाइज देखें तो सबसे ज्यादा वोटिंग कोसली सीट पर 70.19% हुई। वहीं सबसे कम वोटिंग रेवाड़ी सीट पर 65.86% हुई। बावल सीट पर 67.95% मतदान हुआ। काउंटिंग के लिए बनाए गए दोनों सेंटरों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए 3 लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। काउंटिंग सेंटर में कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के मान्यता प्राप्त पोलिंग एजेंटों के अलावा किसी दूसरे को जाने की इजाजत नहीं है। अंदर मोबाइल ले जाने की भी मनाही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पलवल में भक्त ने लड्डू गोपाल का एडमिशन करवाया:हाथों में थामे स्कूल पहुंची, फीस देने और लाने-ले जाने की बात कही
पलवल में भक्त ने लड्डू गोपाल का एडमिशन करवाया:हाथों में थामे स्कूल पहुंची, फीस देने और लाने-ले जाने की बात कही आपने स्कूलों में बच्चों के दाखिला कराने के बारे में तो सुना होगा, लेकिन एक लड्डू गोपाल की ऐसी भी पलवल में भक्त है, जिसने स्कूल में अपने बच्चों के साथ-साथ लड्डू गोपाल का भी दाखिला कराया है। महिला भक्त ने स्कूल चेयरमैन को लड्डू गोपाल को उनके हाथों में थमाते वक्त दाखिला करवाया और फीस दी। साथ ही उसने हर महीने फीस देने की बात भी कही। रोजाना वह स्कूल शुरू होने के समय लड्डू गोपाल को घर से स्कूल छोड़ने आएगी और स्कूल की छुट्टी के दौरान लड्डू गोपाल को घर लेकर जाएगी। लड्डू गोपाल का स्कूल में दाखिला कराने की बात शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। अपने बच्चों के साथ लड्डू गोपाल की भी फीस देगी महिला
दीपावली के पर्व पर भुलवाना गांव निवासी रामरती अपने हाथों में अपने लड्डू गोपाल को लेकर गांव में स्थित बृजरज स्कूल में पहुंच गई। वहां पहुंचकर रामरती ने स्कूल के चेयरमैन मुकेश कुमार से कहा कि मुझे स्कूल में अपने लड्डू गोपाल का दाखिला करना है। रामरती ने चेयरमैन से दाखिला फीस और मंथली फीस के बारे में पूछा। ़ चेयरमैन ने जब फीस लेने से इनकार किया तो रामरती ने कहा कि क्या स्कूल में सभी बच्चों निशुल्क पढ़ रहे हैं। उसने कहा कि जब सब बच्चे पैसे देकर पढ़ रहे है तो मेरे लड्डू गोपाल भी फीस देकर ही पढ़ेंगे। महिला की बात सुनकर चेयरमैन ने महिला को दाखिला फीस व मंथली फीस की जानकारी दी। जानकारी लेने के बाद रामरती ने दाखिला फीस देकर लड्डू गोपाल का स्कूल में दाखिला कराया और चेयरमैन को कहा कि वह हर महीने अपने लड्डू गोपाल की फीस स्कूल में जमा करेगी। चेयरमैन मुकेश कुमार ने बताया कि महिला रामरती अपने लड्डू गोपाल से अपने बच्चों की तरह प्यार करती है और लड्डू गोपाल को बच्चे की तरह लाड लड़ती है। उन्होंने बताया कि महिला रामरती सुबह स्कूल शुरू होने पर स्कूल लड्डू गोपाल को स्कूल में छोड़कर जाएगी और स्कूल छुट्टी के बाद लेकर जाएगी।
मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण डॉक्टर नहीं बन पाए
मोदी को बाइक पर घुमाने वाले खट्टर बने मंत्री:दिल्ली का दुकानदार पहले CM और अब केंद्रीय मंत्री बना, गरीबी के कारण डॉक्टर नहीं बन पाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में अपनी अगुवाई वाली तीसरी सरकार में अपने पुराने दोस्त, मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मिनिस्टर बनाया है। मोदी और खट्टर पुराने दोस्त हैं, ये बात जगजाहिर है। दोनों उस समय से साथ हैं जब नरेंद्र मोदी गुजरात का सीएम बनने से पहले, भाजपा में संगठन का काम देखा करते थे। खुद मोदी सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि वह मनोहर लाल के साथ उनकी बाइक पर घूमते रहे हैं। PM मोदी से दोस्ती का खट्टर को समय-समय पर फायदा भी मिला। हरियाणा की सियासत में कई उतार-चढ़ाव देखने वाली भाजपा ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने बूते पूर्ण बहुमत मिलने के बाद, अपने पहले ही फैसले से सबको चौंका दिया था। चुनाव रिजल्ट आने के बाद लाइमलाइट से दूर चल रहे मनोहर लाल खट्टर को अचानक CM बनाने का ऐलान कर दिया गया। उस समय BJP के कई बड़े नेता सीएम पद की दौड़ में शामिल थे लेकिन खट्टर अचानक सबको पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गए। BJP ने 2014 में जिस तरह मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा का CM बनाकर सबको चौंकाया था, ठीक उसी तरह 12 मार्च 2024 को अचानक उनका इस्तीफा दिलाकर भी सबको चौंका दिया। इसके बाद पार्टी ने उन्हें करनाल लोकसभा सीट से टिकट दिया और जीतने के बाद अब वह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। मनोहर लाल को पहले ही दे दिया था संकेत
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही मनोहर लाल को दिल्ली में बड़ा पद देने के संकेत दे दिए थे। दरअसल मनोहर लाल के पास संगठन में काम करने का लंबा अनुभव हैं। RSS में संघ प्रचारक के तौर पर लंबे समय तक काम कर चुके मनोहर लाल 1994 में BJP में शिफ्ट हुए। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी थे। दोनों ने उस समय संगठन में साथ मिलकर काम किया। प्रधानमंत्री मोदी खुद खट्टर से अपनी दोस्ती का जिक्र कई बार कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा से 5 दिन पहले, 11 मार्च 2024 को PM मोदी गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने पहुंचे थे। यहां मोदी ने मंच से कहा- मैं और मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में बाइक पर एक साथ घूमते थे। हमें हरियाणा का लंबा अनुभव है। इसके अगले ही दिन, 12 मार्च को मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। तभी चर्चा शुरू हो गई थी कि खट्टर को जल्दी ही दिल्ली में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही है। 5 भाइयों में सबसे बड़े, डॉक्टर बनना चाहते थे
70 साल के मनोहर लाल खट्टर मूलरूप से रोहतक जिले में निंदाना गांव के रहने वाले हैं। मनोहर लाल अपने 5 भाइयों में सबसे बड़े थे इसलिए परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ उन्हीं के ऊपर था।मनोहर लाल डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन घर की खराब माली हालत के चलते उनके पिता हरवंश लाल खट्टर चाहते थे कि वह पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ गुजर-बसर चलाने के लिए परिवार के बाकी सदस्यों की तरह खेती में उनका हाथ बटाएं। इसी वजह से स्कूलिंग के दौरान मनोहर लाल अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे। हालांकि बाद में रोहतक में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आगे की स्टडी के लिए दिल्ली चले गए। दिल्ली में पढ़ाई के दौरान ही खट्टर ने ठान लिया था कि वह ताउम्र शादी नहीं करेंगे। दिल्ली का दुकानदार, पहले CM बना और अब केंद्रीय मंत्री
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद, खट्टर ने दिल्ली में ही सदर बाजार के पास एक दुकान खोल ली। उसी दौरान 1977 में वह RSS से जुड़ गए। लगभग 17-18 साल आरएसएस में प्रचारक के तौर पर काम करने के बाद वर्ष 1994 में खट्टर बीजेपी में शामिल हो गए। भाजपा संगठन में 20 साल काम करने के बाद, वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहली बार करनाल सीट से लड़ा और MLA बन गए। पहली बार का विधायक होने के बावजूद वह सीधे हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। तब प्रदेश में 18 साल बाद, किसी गैरजाट नेता को CM की कुर्सी मिली थी। पांच साल सरकार चलाने के बाद, 2019 का विधानसभा चुनाव BJP ने मनोहर लाल की अगुवाई में ही लड़ा। पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और उसने दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) से गठबंधन कर लगातार दूसरी बार राज्य में सरकार बनाई। भाजपा नेतृत्व ने 2024 में लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक 4 दिन पहले, उन्हें हटाकर नायब सैनी को राज्य का नया सीएम बना दिया। परिवार से ज्यादा संपर्क में, पैतृक प्रॉपर्टी दान कर दी
मनोहर लाल अपने घर-परिवार से ज्यादा संपर्क नहीं रखते। हालांकि उनके सीएम, सांसद और अब कैबिनेट मंत्री बनने पर उनके पैतृक गांव, निंदाना में जश्न मनाया गया।तकरीबन साढ़े 9 साल तक हरियाणा में CM की कुर्सी संभालने वाले मनोहर लाल खट्टर उस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा में आए जब उन्होंने सीएम रहते हुए, रोहतक में अपनी पैतृक प्रॉपर्टी सरकार को दान कर दी।साढ़े 9 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद खट्टर का नाम किसी बड़े विवाद या करप्शन केस में नहीं आया। 3 चुनाव लड़े, तीनों जीते
मनोहर लाल खट्टर ने अपने राजनीतिक जीवन में तीन चुनाव लड़े हैं और तीनों में वह विजयी रहे। उन्होंने अपना पहला चुनाव वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में करनाल सीट से लड़ा और विजयी रहे। उसके बाद वह सीएम बन गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में वह फिर करनाल सीट से मैदान में उतरे और जीते। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें करनाल सीट से मैदान में उतारा। खट्टर अपने सामने उतरे कांग्रेस के दिव्यांशु बुद्धिराजा को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराकर सांसद बने। अब वह कैबिनेट मंत्री बन गए हैं। ये खबरें भी पढ़ें… हरियाणा से 3 मंत्री बनाने के पीछे विधानसभा चुनाव:जीटी रोड बेल्ट समेत 2 इलाके साधे, 50 विस सीटों पर नजर; नॉन जाट पॉलिटिक्स पर अडिग शूटर रहे राव तीसरी बार मोदी कैबिनेट में:मोदी के PM फेस बनने के 10 दिन बाद छोड़ी कांग्रेस, पिता से मिलने चप्पल में पहुंची थीं इंदिरा हरियाणा के कृष्णपाल लगातार तीसरी बार मंत्री बने:सियासत की शुरुआत कॉलेज से, मोदी का करीबी होने पर मिला 2014 में टिकट; बेटा भी पॉलिटिक्स में हिमाचल के नड्डा दूसरी बार बने केंद्रीय मंत्री:अनुराग के पिता से मतभेद के बाद छोड़ा हिमाचल, मोदी घर आते-जाते रहे, शाह के करीबी
हरियाणा में पुत्रवधू को सास की देखरेख के आदेश:हर महीने 10 हजार देने को कहा; पति की मौत के बाद नौकरी मिली थी
हरियाणा में पुत्रवधू को सास की देखरेख के आदेश:हर महीने 10 हजार देने को कहा; पति की मौत के बाद नौकरी मिली थी हरियाणा के पानीपत में शहीद मेजर आशीष धौंचक की पत्नी सरकार से मिलने वाली राशि, घर और अन्य लाभ अपने नाम कराकर मायके चली गई थी। अब ऐसा ही मामला सोनीपत से सामने आया है, जहां पुत्रवधू ने पति की मौत के बाद नौकरी मिलने के बाद सास की देखभाल करने से इनकार कर दिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद पत्नी यदि अनुकंपा आधार पर उसकी नौकरी संभालती है तो सास (पति की मां) की देखरेख भी उसे करनी होगी। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने फैसले में कहा कि CrPC की धारा 125 के तहत सास-ससुर के देखरेख की जिम्मेदारी पुत्रवधू पर नहीं डाली जा सकती, लेकिन न्याय के लिए अपवाद संभव है। कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए सास को हर महीने 10 हजार रुपए देने के आदेश दिए। पति की जगह रेल कोच फैक्ट्री में नौकरी मिली पति की मौत के बाद पत्नी को रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क की नौकरी दी गई थी। इसके बाद महिला ने बेटे के साथ पति का घर छोड़ दिया। महिला की सास की तरफ से सोनीपत की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर पुत्रवधू से भरण पोषण के लिए खर्च दिलाए जाने की मांग की गई। कहा कि एक बेटी की शादी हो चुकी है। एक बेटा रिक्शा चलाता है, जिसकी जमापूंजी बीमार बेटे पर खर्च हो रही है। ऐसे में बेटे की मौत पर उसकी जगह नौकरी कर रही पुत्रवधू से खर्च दिलाया जाए। महिला का 80 हजार रु. वेतन, 10 हजार रु. खर्च देने में सक्षम कोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 125 जो अब BNS की धारा 144 है, के तहत खर्च का प्रावधान निराश्रय या आर्थिक रूप से कमजोर को मदद के लिए किया गया है। मौजूदा मामले में देखना होगा कि महिला को अपने पति की मौत के बाद उसकी जगह पर नौकरी दी गई है। ऐसे में पति की मां की देखरेख की जिम्मेदारी से भी वह पीछे नहीं हट सकती। महिला का वेतन 80 हजार रुपए प्रतिमाह है। ऐसे में वह सास को मेनटेनेंस के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह का भुगतान करने संबंधी फैमिली कोर्ट का फैसला सही है। पानीपत के शहीद के परिवार ने भी बहू पर आरोप लगाए हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक के परिवार ने आरोप लगाया था कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने मंत्री महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया। शहीद की पत्नी ज्योति ने कहा कि पति की शहादत के बाद सास ने कहा था कि वह मुझे साथ नहीं रख सकती है। मुझे सास ने टॉर्चर किया। ननद और उसके पति ने धमकियां दी। ज्योति ने कहा कि ये सब ननद को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए किया गया। मैं सरकार के सामने अपना पक्ष रखूंगी। ************* हाईकोर्ट के फैसले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा में 43 साल बाद टूटी शादी:69 साल के पति ने 73 साल की पत्नी से तलाक लिया; जमीन-फसल बेचकर 3 करोड़ दिए हरियाणा के करनाल में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपती ने शादी के 43 साल बाद तलाक ले लिया। व्यक्ति की उम्र 69 साल व महिला की उम्र 73 साल है। दोनों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के मध्यस्थता और सुलह केंद्र की मदद ली। पति ने पत्नी को 3.07 करोड़ का स्थायी गुजारा भत्ता देने का समझौता किया। इसके लिए व्यक्ति ने अपनी जमीन और फसल तक बेच दी। पढ़ें पूरी खबर