रेवाड़ी में पिता की हत्या, फिर अर्थी उठाकर अंतिम विदाई:ढाबा खोलने पर विवाद, पिता ने कहा था- जमीन चाहिए तो किराया देना होगा

रेवाड़ी में पिता की हत्या, फिर अर्थी उठाकर अंतिम विदाई:ढाबा खोलने पर विवाद, पिता ने कहा था- जमीन चाहिए तो किराया देना होगा

रेवाड़ी में पिता की हत्या करने वाले बेटों ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और अर्थी को भी कंधा दिया था। लेकिन दोनों बेटे अस्थि विर्सजन के लिए नहीं गए। अंतिम संस्कार के बाद से ही दोनों घर से निकल गए थे। रेवाड़ी के संगवाड़ी गांव निवासी लालसिंह की उसके ही बेटों ने 30 मई की रात को लोहे का मूसल मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद बाइक पर शव डालकर आरोपी कालका की नहर के पास फैंक आए थे। 2 जून को पुलिस ने बड़े बेटे रोहित को पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। उसके बाद दूसरे बेटे मोहित व उसके साथ यूपी निवासी पवन की गिरफ्तारी हुई। दोनों को पूछताछ के लिए 1 दिन के रिमांड पर लिया गया। मामा के घर रहता हूं, पता नहीं किसने मार दिया हत्या के बाद पुलिस ने जब शव बरामद किया तो पोस्टमॉर्टम के दौरान छोटा बेटा मोहित अस्पताल में पहुंचा था। जहां पर मोहित ने कहा था कि मैं तो मामा के घर रहता हूं, मुझे नहीं पता किसने मारा है। पापा को मारकर फैंका गया है। मोहित को देखकर नहीं लग रहा था कि उसने इतना बड़ा कांड कर दिया है। उसके बावजूद वह मासूम बनकर सभी रस्मों में शामिल रहा। पिता भी रहा है हिस्ट्रीशीटर संगवाड़ी के जिस लालसिंह की उसके ही बेटों ने दोस्त के साथ मिलकर हत्या की है, वो भी कसौला थाने का हिस्ट्रीशीटर रहा है। लालसिंह के खिलाफ 5 से अधिक मामले दर्ज थे, जो कि अधिकांश चोरी से संबंधित थे। लालसिंह कबाड़ी का काम भी करता था। उसी तरह की चोरियों के आरोप भी उस पर लगे थे। 10वीं भी नहीं कर पाए दोनों भाई पिता की हत्या में शामिल दोनों भाईयों की पढ़ाई-लिखाई में कम ही रुचि थी। पुलिस के अनुसार दोनों ही कक्षा 6 के बाद स्कूल में नहीं गए। दोनों ही नशे के आदी हो चुके हैं। शराब के नशे में अक्सर दोस्तों के साथ रहते थे। घर से निकालने के बाद भी दोनों दोस्तों के संपर्क में ही थे। मामा के घर भी वे कभी-कभार ही गए थे।
ढाबा खोलना चाहा तो जमीन का किराया मांगने लगा
दोनों बेटों ने बताया कि घर से बाहर निकाले जाने के बाद वह दोस्त पवन के साथ ही रह रहे थे। उन्होंने रोजगार के लिए ढाबा खोलने की योजना बनाई। उनकी गांव के ही रोड पर जमीन है। दोनों पिता के पास गए और कहा कि हम दोनों भाई ढाबा खोलना चाहते हैं, लेकिन पिता ने कहा कि मैं अपनी जमीन में ढाबा नहीं खोलने दूंगा और अगर खोलना भी है तो किराया देना होगा। इस बात पर भी पिता से खूब बहस हुई थी जिसके बाद वे घर से चले गए। रेवाड़ी में पिता की हत्या करने वाले बेटों ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और अर्थी को भी कंधा दिया था। लेकिन दोनों बेटे अस्थि विर्सजन के लिए नहीं गए। अंतिम संस्कार के बाद से ही दोनों घर से निकल गए थे। रेवाड़ी के संगवाड़ी गांव निवासी लालसिंह की उसके ही बेटों ने 30 मई की रात को लोहे का मूसल मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद बाइक पर शव डालकर आरोपी कालका की नहर के पास फैंक आए थे। 2 जून को पुलिस ने बड़े बेटे रोहित को पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। उसके बाद दूसरे बेटे मोहित व उसके साथ यूपी निवासी पवन की गिरफ्तारी हुई। दोनों को पूछताछ के लिए 1 दिन के रिमांड पर लिया गया। मामा के घर रहता हूं, पता नहीं किसने मार दिया हत्या के बाद पुलिस ने जब शव बरामद किया तो पोस्टमॉर्टम के दौरान छोटा बेटा मोहित अस्पताल में पहुंचा था। जहां पर मोहित ने कहा था कि मैं तो मामा के घर रहता हूं, मुझे नहीं पता किसने मारा है। पापा को मारकर फैंका गया है। मोहित को देखकर नहीं लग रहा था कि उसने इतना बड़ा कांड कर दिया है। उसके बावजूद वह मासूम बनकर सभी रस्मों में शामिल रहा। पिता भी रहा है हिस्ट्रीशीटर संगवाड़ी के जिस लालसिंह की उसके ही बेटों ने दोस्त के साथ मिलकर हत्या की है, वो भी कसौला थाने का हिस्ट्रीशीटर रहा है। लालसिंह के खिलाफ 5 से अधिक मामले दर्ज थे, जो कि अधिकांश चोरी से संबंधित थे। लालसिंह कबाड़ी का काम भी करता था। उसी तरह की चोरियों के आरोप भी उस पर लगे थे। 10वीं भी नहीं कर पाए दोनों भाई पिता की हत्या में शामिल दोनों भाईयों की पढ़ाई-लिखाई में कम ही रुचि थी। पुलिस के अनुसार दोनों ही कक्षा 6 के बाद स्कूल में नहीं गए। दोनों ही नशे के आदी हो चुके हैं। शराब के नशे में अक्सर दोस्तों के साथ रहते थे। घर से निकालने के बाद भी दोनों दोस्तों के संपर्क में ही थे। मामा के घर भी वे कभी-कभार ही गए थे।
ढाबा खोलना चाहा तो जमीन का किराया मांगने लगा
दोनों बेटों ने बताया कि घर से बाहर निकाले जाने के बाद वह दोस्त पवन के साथ ही रह रहे थे। उन्होंने रोजगार के लिए ढाबा खोलने की योजना बनाई। उनकी गांव के ही रोड पर जमीन है। दोनों पिता के पास गए और कहा कि हम दोनों भाई ढाबा खोलना चाहते हैं, लेकिन पिता ने कहा कि मैं अपनी जमीन में ढाबा नहीं खोलने दूंगा और अगर खोलना भी है तो किराया देना होगा। इस बात पर भी पिता से खूब बहस हुई थी जिसके बाद वे घर से चले गए।   हरियाणा | दैनिक भास्कर