हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर रेवाड़ी सीट पर प्रत्याशियों के बीच मुकाबले की स्थिति लगभग क्लियर हो चुकी हैं। शुक्रवार की देर रात कांग्रेस की तरफ से रेवाड़ी सीट पर विधायक चिरंजीव राव को दोबारा से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा गया है। चिरंजीव राव का सीधा मुकाबला लक्ष्मण सिंह यादव से होगा, जिन्हें बीजेपी ने कोसली से रेवाड़ी में शिफ्ट किया हैं। चिरंजीव राव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद हैं। इतना ही नहीं उनके पिता इस सीट से लगातार 6 बार 1989 से 2014 तक विधायक चुने गए। 2019 में पहली बार टिकट मिलने पर पिता की पैतृक सीट पर चुनाव जीता। पार्टी ने एक बार फिर से चिरंजीव राव पर ही दांव खेला है। टिकट की दावेदारी में कई अन्य नेता भी शामिल थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने चिरंजीव राव पर भी भरोसा जताया है। कांग्रेस-बीजेपी दोनों में बगावत के चांस टिकट वितरण के बाद बीजेपी में खूब घमासान मचा हुआ हैं। हालांकि शुक्रवार को कुछ हद तक रेवाड़ी से बीजेपी के कैंडिडेट लक्ष्मण सिंह यादव ने डेमेज कंट्रोल करने की भी कोशिश की हैं। लक्ष्मण सिंह के मनाने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले हरियाणा परिवार पहचान पत्र के स्टेट कोआर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला अपने फैसले को वापस ले चुके हैं। इसके अलावा लक्ष्मण सिंह यादव ने पर्यटन निगम के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव और 2019 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुनील मुसेपुर से भी मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश की हैं। लक्ष्मण सिंह यादव की पहल पर सुनील मुसेपुर भी लगभग मान गए हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव के सामने भी कई चुनौतियां हैं। टिकट के दावेदार महाबीर मसानी, नगर परिषद के पूर्व कार्यकारी अधिकारी मनोज यादव, मंजीत जैलदार, दिनेश राजेंद्र ठेकेदार जैसे नेताओं को मनाना उनके लिए काफी मुश्किल हैं। अगर इन नेताओं ने बगावत की तो फिर चिरंजीव की राह भी मुश्किल हो सकती हैं। कैप्टन परिवार का शुरू से रहा दबदबा रेवाड़ी सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव के परिवार का शुरू से ही दबदबा रहा हैं। कैप्टन अजय यादव के पिता अभय सिंह इस सीट से विधायक रह चुके हैं। उनके बाद 1989 में हुए उप चुनाव में कैप्टन ने पहली बार जीत दर्ज की थी। जीत का ये सिलसिला 2009 तक जारी रहा लेकिन 2014 में बीजेपी लहर के चलते कैप्टन अजय यादव की इस सीट पर पहली बार हार हुई थी। हालांकि 5 साल बाद ही पिता की हार का बदला लेते हुए चिरंजीव राव ने 2019 में बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को हरा दिया था। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर रेवाड़ी सीट पर प्रत्याशियों के बीच मुकाबले की स्थिति लगभग क्लियर हो चुकी हैं। शुक्रवार की देर रात कांग्रेस की तरफ से रेवाड़ी सीट पर विधायक चिरंजीव राव को दोबारा से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा गया है। चिरंजीव राव का सीधा मुकाबला लक्ष्मण सिंह यादव से होगा, जिन्हें बीजेपी ने कोसली से रेवाड़ी में शिफ्ट किया हैं। चिरंजीव राव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद हैं। इतना ही नहीं उनके पिता इस सीट से लगातार 6 बार 1989 से 2014 तक विधायक चुने गए। 2019 में पहली बार टिकट मिलने पर पिता की पैतृक सीट पर चुनाव जीता। पार्टी ने एक बार फिर से चिरंजीव राव पर ही दांव खेला है। टिकट की दावेदारी में कई अन्य नेता भी शामिल थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने चिरंजीव राव पर भी भरोसा जताया है। कांग्रेस-बीजेपी दोनों में बगावत के चांस टिकट वितरण के बाद बीजेपी में खूब घमासान मचा हुआ हैं। हालांकि शुक्रवार को कुछ हद तक रेवाड़ी से बीजेपी के कैंडिडेट लक्ष्मण सिंह यादव ने डेमेज कंट्रोल करने की भी कोशिश की हैं। लक्ष्मण सिंह के मनाने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले हरियाणा परिवार पहचान पत्र के स्टेट कोआर्डिनेटर डॉ. सतीश खोला अपने फैसले को वापस ले चुके हैं। इसके अलावा लक्ष्मण सिंह यादव ने पर्यटन निगम के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव और 2019 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुनील मुसेपुर से भी मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश की हैं। लक्ष्मण सिंह यादव की पहल पर सुनील मुसेपुर भी लगभग मान गए हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी चिरंजीव राव के सामने भी कई चुनौतियां हैं। टिकट के दावेदार महाबीर मसानी, नगर परिषद के पूर्व कार्यकारी अधिकारी मनोज यादव, मंजीत जैलदार, दिनेश राजेंद्र ठेकेदार जैसे नेताओं को मनाना उनके लिए काफी मुश्किल हैं। अगर इन नेताओं ने बगावत की तो फिर चिरंजीव की राह भी मुश्किल हो सकती हैं। कैप्टन परिवार का शुरू से रहा दबदबा रेवाड़ी सीट पर कैप्टन अजय सिंह यादव के परिवार का शुरू से ही दबदबा रहा हैं। कैप्टन अजय यादव के पिता अभय सिंह इस सीट से विधायक रह चुके हैं। उनके बाद 1989 में हुए उप चुनाव में कैप्टन ने पहली बार जीत दर्ज की थी। जीत का ये सिलसिला 2009 तक जारी रहा लेकिन 2014 में बीजेपी लहर के चलते कैप्टन अजय यादव की इस सीट पर पहली बार हार हुई थी। हालांकि 5 साल बाद ही पिता की हार का बदला लेते हुए चिरंजीव राव ने 2019 में बीजेपी प्रत्याशी सुनील मुसेपुर को हरा दिया था। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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