रोहतक डीसी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों एवं चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनावी रैलियों के लिए स्कूल एवं कॉलेज के खेल के मैदानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। जिला निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर मतदाताओं की भावनाओं को आहत नहीं किया जाएगा तथा चुनाव प्रचार के दौरान उच्च मानदंडों को बनाए रखना होगा। संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य इसके विभिन्न प्रावधानों में निहित है तथा इसका पालन किया जाना चाहिए। धार्मिक स्थल का चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते प्रयोग डीसी अजय कुमार ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य धार्मिक स्थल का चुनाव प्रचार के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। ना ही इनमें भाषण, पोस्टर, संगीत, चुनाव से संबंधित सामग्री का उपयोग किया जा सकेगा। चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा कर्मियों के फोटो या विज्ञापनों में रक्षा कर्मियों के कार्यक्रमों के फोटो का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। स्टार प्रचारकों द्वारा भी चुनाव आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। जिला स्तर पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की निगरानी की जा रही है, जिसका पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है। रोहतक डीसी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों एवं चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चुनावी रैलियों के लिए स्कूल एवं कॉलेज के खेल के मैदानों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है। जिला निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जाति, धर्म, समुदाय के आधार पर मतदाताओं की भावनाओं को आहत नहीं किया जाएगा तथा चुनाव प्रचार के दौरान उच्च मानदंडों को बनाए रखना होगा। संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य इसके विभिन्न प्रावधानों में निहित है तथा इसका पालन किया जाना चाहिए। धार्मिक स्थल का चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते प्रयोग डीसी अजय कुमार ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य धार्मिक स्थल का चुनाव प्रचार के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। ना ही इनमें भाषण, पोस्टर, संगीत, चुनाव से संबंधित सामग्री का उपयोग किया जा सकेगा। चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा कर्मियों के फोटो या विज्ञापनों में रक्षा कर्मियों के कार्यक्रमों के फोटो का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। स्टार प्रचारकों द्वारा भी चुनाव आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। जिला स्तर पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की निगरानी की जा रही है, जिसका पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल के बागी उम्मीदवार की संपत्ति में बड़ा इजाफा:कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी भी करोड़ो के मालिक, सुमिता सिंह की घटी आय
करनाल के बागी उम्मीदवार की संपत्ति में बड़ा इजाफा:कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशी भी करोड़ो के मालिक, सुमिता सिंह की घटी आय हरियाणा के करनाल में असंध विधानसभा से बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे जिले राम शर्मा की संपति में पिछले 5 सालों में भारी इजाफा हुआ है। पत्नियों की संपत्ति ने भी ध्यान खींचा है। कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेंद्र राठौर और योगेंद्र राणा जैसे उम्मीदवार भी करोड़ो की संपति के मालिक है। वहीं अगर हम करनाल विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक सुमिता सिंह की बात करें तो उनकी आय में गिरावट आई है, लेकिन वे अब भी करोड़पति हैं। जिले राम शर्मा की संपत्ति में बड़ा उछाल, पत्नी की आय में मामूली गिरावट बीजेपी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले जिले राम शर्मा की संपति पिछले 5 सालों में 6.92 लाख से बढ़कर 9.31 लाख हो गई है। जबकि उनकी पत्नी माया देवी की आय 4.99 लाख से घटकर 4.79 लाख हो गई है। शर्मा के पास 90 हजार रुपए नकद हैं और उनकी पत्नी माया देवी के पास 45 हजार रुपए नकद हैं। तीन बचत खातों में शर्मा के पास 70 हजार रुपए और माया देवी के बैंक खाते में 40 हजार रुपए जमा हैं। शर्मा के पास 13.60 लाख का सोना और माया देवी के पास 20.40 लाख का सोना है। चल संपत्ति में शर्मा के पास 40.20 लाख और माया देवी के पास 21.25 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति के मामले में शर्मा के पास 57 लाख रुपए की संपति है, और उन पर 11 लाख रुपए का कर्ज है। वीरेंद्र राठौर की पत्नी की संपत्ति दोगुनी से अधिक हुई वीरेंद्र राठौर की संपत्ति 2020-21 में 14.72 लाख थी, जो 2024-25 में मामूली बढ़कर 17 लाख हो गई। उनकी पत्नी नीतू की संपत्ति 5.85 लाख से बढ़कर 9.69 लाख हो गई है। वीरेंद्र राठौर पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। वीरेंद्र के पास 17.5 लाख का सोना और नीतू के पास 36.57 लाख का सोना है। चल संपत्ति के रूप में वीरेंद्र के पास 25.31 लाख और नीतू के पास 51 लाख रुपए हैं। अचल संपत्ति में वीरेंद्र के पास 55.86 लाख और नीतू के पास 2.50 करोड़ की संपत्ति है। दोनों पर कोई देनदारी नहीं है। योगेंद्र राणा और उनका परिवार करोड़ों की संपत्ति का मालिक योगेंद्र राणा की सालाना आय पिछले 5 सालों में 2.97 लाख से बढ़कर 5.88 लाख हो गई है, जबकि उनकी पत्नी अंजू की सालाना आय 2.43 लाख से बढ़कर 4.76 लाख हो गई है। उनके बेटे दक्षेंद्र की आय 2.90 लाख से 4.74 लाख और दूसरे बेटे युवराज की आय 12,560 से बढ़कर 2.90 लाख हो गई है। योगेंद्र जेपीएस राइस मिल के मालिक हैं और उनके बेटे युवराज के भी मिल में शेयर है। योगेंद्र के पास 100 ग्राम सोना और अंजू के पास 500 ग्राम सोने के गहने हैं। चल संपत्ति के रूप में योगेंद्र के पास 1.76 करोड़, अंजू के पास 45.66 लाख, दक्षेंद्र के पास 21.95 लाख और युवराज के पास 48.53 लाख की संपत्ति है। अचल संपत्ति में योगेंद्र के पास 11.04 करोड़, अंजू के पास 16.04 करोड़, दक्षेंद्र और युवराज के पास 4.04 करोड़ की संपत्ति है। सुमिता सिंह की आय घटी, फिर भी करोड़पति बनीं पूर्व विधायक सुमिता सिंह की आय 4 साल पहले 2.48 लाख थी, जो 2022-23 में घटकर 1.95 लाख हो गई है। जबकि उनके पति जगदीप की आय 30.76 लाख से बढ़कर 78.23 लाख हो गई है। चल संपत्ति के रूप में सुमिता सिंह के पास 5.47 करोड़ और 19.38 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। अचल संपत्ति में सुमिता के पास 5.68 करोड़ और 61.46 करोड़ रुपये की एचयूएफ संपत्ति है। उनके ऊपर किसी प्रकार का कर्ज नहीं है।
हरियाणा में INDIA गठबंधन पर कांग्रेस में घमासान:बीरेंद्र बोले- लोकसभा में देख चुके असर; हुड्डा बोले- हमारे पक्ष में है माहौल
हरियाणा में INDIA गठबंधन पर कांग्रेस में घमासान:बीरेंद्र बोले- लोकसभा में देख चुके असर; हुड्डा बोले- हमारे पक्ष में है माहौल हरियाणा में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस महागठबंधन की तैयारी कर रही है। इसलिए कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह I.N.D.I.A गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन करने जा रही है। हालांकि इसको लेकर पार्टी के दो नेता आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह AAP के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं, लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गठबंधन को लेकर अपना विरोध प्रकट किया है। हालांकि राहुल गांधी चाहते हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह गठबंधन का धर्म निभाया जाए। हालांकि हरियाणा में कांग्रेस विधानसभा की 90 सीटों में से सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही देने को राजी है। इसको लेकर कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और AAP नेताओं के बीच 2 दौर की मीटिंग भी हो चुकी है। ये कांग्रेस का गठबंधन प्लान पार्टी सूत्रों के मुताबिक इसमें कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह सहयोगी दलों को सिंगल डिजिट सीट ही दे सकते हैं। गठबंधन फॉर्मूले के तहत कांग्रेस AAP को 5 और सीपीआई, सीपीएम, सपा और NCP को एक-एक सीट देने को राजी है। हालांकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है। AAP से गठबंधन को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं- “हम उनसे बात कर रहे हैं। कोई भी समझौता तभी संभव है जब दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति हो। हम ऐसे समाधान पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों पक्षों को फायदा हो। एक दो दिन में इस पर स्थिति साफ होगी। यदि बात नहीं बनती है तो छोड़ देंगे। 3 मेंबरी कमेटी बना चुकी कांग्रेस इस गठबंधन की पहल लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने की है। एक दिन पहले यानी मंगलवार को राहुल गांधी ने AAP से बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई। जिसमें पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी रखा गया है। वहीं गठबंधन की पहल से हरियाणा में कांग्रेस के लिहाज से राहुल गांधी ने 3 बड़े मैसेज दिए हैं। पहला मैसेज पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा के लिए है कि अपने स्तर पर अकेले चुनाव लड़ने की बात कहकर वह खुद को कांग्रेस से बड़ा नेता न समझें। विस्तार से पढ़ें, गठबंधन से राहुल गांधी के 3 निशाने 1. भूपेंद्र हुड्डा को भी इशारा किया हरियाणा में कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा-रणदीप सुरजेवाला के 2 गुट हैं। संगठन पर अभी हुड्डा की पकड़ है। प्रधान चौधरी उदयभान भी हुड्डा के करीबी हैं। हुड्डा लगातार कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने की पैरवी करते रहे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के वक्त भी कहा कि विधानसभा में AAP से गठबंधन नहीं होगा। हुड्डा के हाईकमान को इग्नोर कर सीधे दावे करने के बाद राहुल गांधी का गठबंधन की तरफ बढ़ना उनके लिए बड़ा झटका है। यह भी मैसेज दिया गया कि हुड्डा खुद को हरियाणा कांग्रेस न समझें, बल्कि पार्टी उनसे ऊपर है। यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों कुमारी सैलजा के CM पद पर दावा ठोकना भी हुड्डा को झटका देने की रणनीति का ही हिस्सा है। खास बात यह है कि सैलजा जहां उनके चुनाव लड़ने से लेकर सीएम चुनने तक का फैसला हाईकमान पर छोड़ती रही हैं, वहीं हुड्डा अपने स्तर पर किसी भी पार्टी से गठबंधन की बात को नकारते आ रहे हैं। 2. एंटी इनकंबेंसी वाले वोटों का बिखराव रोकेंगे भाजपा 10 साल से प्रदेश में सरकार चला रही है। ऐसे में सत्ता के प्रति एक स्वाभाविक एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) नजर आ रही है। अगर कांग्रेस और AAP अलग-अलग लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव होना तय है। खास तौर पर पंजाब में कांग्रेस के प्रति एंटी इनकंबेंसी का सीधा फायदा AAP को पहुंचा। आप ने वहां 117 में से 92 सीटें जीत ली। कांग्रेस 18 पर सिमट गई। सत्ता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के वोट का विकल्प आप बनी तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। ऐसे में राहुल गांधी गठबंधन से इसे भी रोकना चाहते हैं। 3. भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स का तोड़ हरियाणा में भाजपा गैर जाट पॉलिटिक्स करती है। 10 साल में पहले पंजाबी CM मनोहर लाल खट्टर और अब लोकसभा चुनाव से पहले OBC चेहरे नायब सैनी को सीएम बना दिया। भाजपा इस चुनाव में भी गैर जाट वोट बैंक के लिए ग्राउंड लेवल पर रणनीति बना रही है। इसके उलट कांग्रेस की पॉलिटिक्स जाट वोट बैंक पर निर्भर है। हुड्डा हरियाणा में सबसे बड़े जाट चेहरे हैं। हालांकि जाट वोट बैंक भी एकमुश्त कांग्रेस को मिले, यह भी संभव नहीं है। इसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) की सेंधमारी होगी। दूसरा कांग्रेस को SC वोट बैंक से उम्मीद है। लेकिन उसमें भी इनेलो के बसपा और JJP के चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी से गठबंधन के बाद सेंध लग सकती है। ऐसी सूरत में कांग्रेस आप को साथ लेकर उनके पक्ष के वोट बैंक को साधना चाहती है। जहां कांग्रेस मजबूत, वहां भी विपक्षी एकता का मैसेज हरियाणा में गठबंधन से राहुल गांधी की नजर फ्यूचर पॉलिटिक्स पर है। वह इसके जरिए I.N.D.I.A. ब्लॉक में शामिल उन छोटे-बड़े दलों को भरोसा देना चाहते हैं जिनमें कांग्रेस के प्रति भरोसे की कमी है। राहुल इससे सहयोगी दलों में कांग्रेस के साथ के प्रति भरोसा बढ़ाना चाहते हैं। इसके जरिए राहुल दूसरे राज्यों के दलों को भी मैसेज देना चाहते हैं। वहीं यह भी बताना चाहते हैं कि भले ही हरियाणा में 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इनकंबेंसी से कांग्रेस मजबूत होने का दावा कर रही है। लेकिन वह कमजोर दलों का साथ नहीं छोड़ रही। मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस पर इसको लेकर आरोप भी लगे थे कि सपा के साथ आखिरी वक्त तक बातचीत कर भी गठबंधन नहीं किया गया। दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव में गठबंधन हरियाणा के जरिए राहुल गांधी अगले साल 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को भी साधना चाहते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस ने शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहते 1998 से लेकर 2013 तक सरकार बनाई। इसके बाद 2013 और 2015 में हुए चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। इस बार कांग्रेस हरियाणा में AAP को साथ लेकर दिल्ली में उनके साथ गठबंधन को लेकर दबाव बना सकती है। पहले निगम में कांग्रेस की सपोर्ट से AAP का मेयर बना चंडीगढ़ नगर निगम के 35 वार्डों के लिए इसी साल मार्च महीने में चुनाव हुआ था। इसका चुनाव तो AAP और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा। जिसमें AAP के 13 पार्षद और कांग्रेस के 7 पार्षद जीत गए। भाजपा के 14 और एक पार्षद अकाली दल का बना। मेयर के लिए सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बनी। हालांकि I.N.D.I.A. ब्लॉक के तहत आप-कांग्रेस ने मेयर चुनाव में गठबंधन कर लिया। जिसके बाद यहां कुलदीप कुमार आम आदमी पार्टी (AAP) के मेयर चुने गए। देश भर में I.N.D.I.A. ब्लॉक के आपस में मिलकर लड़ने और भाजपा को हराने का यह पहला चुनाव था।
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मूलभूत सुविधाओं से वंचित है महेंद्रगढ़, जनता के सहयोग से बदलेंगे इलाके की सूरत : डॉ. मनीष महेंद्रगढ़| हरियाणा गठन के बाद से ही महेंद्रगढ़ जिले के साथ भेदभाव होता आया है। महेंद्रगढ़ क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस बार क्षेत्र की जनता बदलाव का मन बना चुकी है। इस चुनाव के बाद महेंद्रगढ़ के इतिहास में बदलाव होगा तथा क्षेत्र में केजरीवाल सरकार द्वारा विकास के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे। ये बातें आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ. मनीष यादव ने अपने पैतृक गांव बवानियां में जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं। डॉ. मनीष यादव ने कहा कि उनका अधिकांश समय बाहर बीता है। करीब दो वर्ष पहले उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए राजनीति में आने का निर्णय लिया था। डॉ. मनीष यादव ने कहा कि यह चुनाव एक बड़े बदलाव का चुनाव है। मेरा गांव एक ऐतिहासिक गांव है। हमारे गांव ने हमेशा सकारात्मक बदलाव में अपना बड़ा योगदान दिया है। इस बदलाव की लड़ाई में गांव के लोगों ने जो सहयोग करने का आश्वासन दिया है उससे लग रहा है कि महेंद्रगढ़ की सीट आप पार्टी के खाते में जाएंगी।