25 गैंगस्टर को ढेर करने वाले IPS अभिषेक सिंह:84 बदमाशों को दौड़ाकर गोली मारी; कांवड़ रूट पर नेम प्लेट का आदेश देकर चौंकाया IPS अभिषेक सिंह, जिन्होंने 12 साल की पुलिस सर्विस में 25 गैंगस्टर को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। 84 बदमाशों को दौड़ाकर पैर में गोली मारी। जहां तैनात रहे, वहां कभी कानून व्यवस्था से समझौता नहीं किया। 2 बार ऐसे भी मौके आए, जब उन्हें कानून व्यवस्था संभालने के लिए जिलों में कप्तान बनाकर भेजा गया। 2011 बैच के IPS अभिषेक सिंह इस समय वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में SSP हैं। हाल में उस समय चर्चा में आए, जब मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा से पहले प्रतिष्ठानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश जारी कर दिया। बाद में यूपी सरकार ने भी इस आदेश को पूरे प्रदेश में लागू किया। अभिषेक सिंह लखनऊ में स्पेशल टास्क फोर्स और ATS के भी SSP रहे हैं। जहां उन्होंने नकल माफिया और सॉल्वर गैंग की रीढ़ तोड़ी। मेरठ में दुल्हन महविश की हत्या करने वाले दोनों बदमाशों को एक साथ ढेर किया। PFI और ISI के यूपी में नेटवर्क को खंगाल कर तोड़ने पर लंबे समय तक काम किया। उनका बचपन कैसा बीता? ऑस्ट्रेलिया से जॉब छोड़कर कैसे वतन लौटे और आईपीएस बने? दैनिक भास्कर की खास सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS अभिषेक सिंह की कहानी 7 चैप्टर में पढ़ेंगे… लखनऊ के इंदिरानगर में हाईकोर्ट के सीनियर वकील आरबी गौतम का घर है। 19 अक्टूबर, 1986 को उनके घर बेटे ने जन्म लिया। मां केबी गौतम ने उनका नाम अभिषेक रखा। मां मेडिकल सर्विस में थीं। अभिषेक बताते हैं- मेरी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) से हुई। जब मैं छोटा था तो मम्मी-पापा मुझे स्कूल बस से भेजते थे। घर से स्कूल की दूरी साढ़े तीन किमी थी। जब थोड़ा बड़ा हुआ, तो मैंने एक दिन मम्मी से कहा कि मैं अब साइकिल से स्कूल जाऊंगा। दूसरे बच्चे भी साइकिल से आते-जाते हैं। इस पर पिता ने कहा, कक्षा- 6 में एडमिशन होते ही नई साइकिल दिला देंगे। यह सुनकर मेरा खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरी बड़ी बहन बैंक ऑफिसर हैं, वह भी हमेशा मुझे पढ़ने के लिए कहती थीं। साल 2002 में ICSE बोर्ड से 90.4% के साथ हाईस्कूल पास किया। 2004 में 92.5% अंकों के साथ इंटर किया। 10वीं में पढ़ाई के दौरान ही मैं इंजीनियर बनना चाहता था। इंटर पास करने के बाद IIT से पढ़ाई के लिए मेहनत की। साल 2008 में IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। अभिषेक बताते हैं- IIT कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते समय ही कैंपस प्लेसमेंट हुआ। मुझे 2008 में आस्ट्रेलिया की नामचीन कंपनी ने 22 लाख रुपए के पैकेज की नौकरी दी। परिवार वालों ने भी विदेश में नौकरी करने के लिए कहा। आस्ट्रेलिया में रियाविल्टी मैनेजर के पद पर नौकरी जॉइन की। उस समय 22 लाख का पैकेज बड़ा माना जाता था। फिर मुझे लगने लगा कि नौकरी में वह आनंद नहीं, जितना अफसर बनने में है। फिर UPSC की तैयारी करने का विचार आया। यह बात जब मम्मी और पिता को बताई तो वह भी कहने लगे कि अभी पढ़ाई की उम्र नहीं निकली है। इसके बाद मैं आस्ट्रेलिया से जॉब छोड़कर लखनऊ अपने घर आ गया। UPSC की तैयारी शुरू कर दी। एक साल तक तैयारी करने के बाद 2010 की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में UPSC में चयन हो गया। रैंक अच्छी मिलने पर IPS में 2011 बैच मिला। IPS बनने के बाद जिन दोस्तों ने जॉब छोड़ने के लिए मना किया था, वे भी बधाई देने लगे। अभिषेक सिंह बताते हैं- 2012 में ट्रेनिंग के बाद मुझे पहली पोस्टिंग झांसी मिली। उस समय मैं क्राइम की घटनाओं पर जाता और हर पहलू को बारीकी से समझता था। फोरेंसिक एक्सपर्ट और सर्विलांस के काम को नजदीक से देखा। 2013 में मेरी पोस्टिंग बाराबंकी में हुई। ASP रहते हुए यहां CO सदर का चार्ज था, साथ ही CO क्राइम और SOG को भी मैं ही लीड करता था। दरियाबाद थाना क्षेत्र के मथुरा नगर में किसान शिवबरन शर्मा (62), पत्नी रानी और उनके बेटी-बेटे की हत्या कर दी गई। एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या की यह बड़ी घटना थी। वरिष्ठ अधिकारियों ने हत्याकांड का केस सॉल्व करने की जिम्मेदारी मुझे दी। मैंने मौके पर जाकर क्राइम सीन देखा। पड़ोस की एक महिला ने बताया, जब मकान से दुर्गंध आने लगी तब पुलिस को सूचना दी। बैग में प्लास्टिग की जो डोर होती है, उससे चारों को गला घोंटकर मारा गया। कातिलों ने धारदार हथियार का इस्तेमाल भी किया। पुलिस ने माना कि पूरी प्लानिंग से हत्याकांड को अंजाम दिया गया। अभिषेक सिंह बताते हैं- इस हत्याकांड के कुछ घंटे बाद मैं दोबारा जांच करने घटनास्थल पर पहुंचा। यहां महिलाओं ने बताया, जो मकान मालिक हैं, उनकी यह दूसरी पत्नी और बेटा-बेटी थे, जिनकी हत्या हुई। लेकिन, पहली पत्नी का बेटा चंद्रशेखर गायब है। ऐसे में पुलिस की जांच इसी पर जाकर टिक गई। इसके बाद चंद्रशेखर तो पुलिस को मिल गया, लेकिन वह कहानी गढ़ने लगा। जांच में पता चला कि शिवबरन ने जमीन बेची थी। इसी जमीन को लेकर चंद्रशेखर विरोध करता था। बाद में चंद्रशेखर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। वह चारों हत्याओं को अंजाम देने के लिए भाड़े पर तीन शूटर लाया था। 18 घंटे में ही चार लोगों के हत्याकांड के केस को सॉल्व कर लिया गया। बाराबंकी के बाद मुझे मेरठ में पोस्टिंग मिली, जहां CO कैंट था। उस समय सोतीगंज में वाहन कमेला खूब चलता था। सोतीगंज क्षेत्र CO कैंट के सर्किल में ही आता था। यहां अवैध तरह से चोरी और लूट के वाहन काटने वाले कबाड़ियों पर कार्रवाई कर उनकी गिरफ्तारी की। उसी समय मेरा प्रमोशन हुआ। शासन ने मुझे SP सिटी मेरठ बना दिया। लेकिन, तुरंत ही SP सिटी मुरादाबाद बनाकर भेज दिया गया। बाद में आगरा में SP ट्रैफिक की जिम्मेदारी मिली। अभिषेक सिंह बताते हैं- साल 2017 में SP बलरामपुर की जिम्मेदारी मिली। यहां अपने ही ट्रैक्टर से एक किसान की मौत हो गई। बेटे ने अन्य लोगों के साथ मिलकर पिता के शव को जमीन में दबा दिया। उसके बाद अपहरण की सूचना दी कि मेरे पिता को बदमाश भारत-नेपाल बॉर्डर की तरफ ले गए। मौके पर जब क्राइम सीन देखा और जांच की, तो पता चला कि किसान के ट्रैक्टर से हादसा हुआ है। बाद में पुलिस ने किसान के शव को जमीन से निकालकर पोस्टमॉर्टम कराया। इस घटना में बेटा अरेस्ट हुआ। बड़ी घटना थी, जिसमें गांव के दूसरे परिवार को रंजिश में फंसाकर जेल भेजने की साजिश रची गई थी। SP बलरामपुर के बाद 2018 में लखनऊ में STF में SSP की जिम्मेदारी मिली। दिसंबर, 2018 में बुलंदशहर के चिंगरावठी में गोकशी के बाद हुए बवाल के बाद हिंसा हो गई। भीड़ ने इंस्पेक्टर स्याना सुबोध सिंह की हत्या कर दी। हत्यारों को पकड़ने के लिए STF मेरठ और नोएडा को लगाया गया। यह प्रदेश की उस समय सबसे बड़ी घटना थी, जिसमें इंस्पेक्टर शहीद हुए। पूछताछ में पता चला कि एक फौजी, जो चिंगरावठी के बराबर के गांव का रहने वाला था, उसकी गोली से इंस्पेक्टर की जान गई है। फौजी को STF जम्मू से लेकर आई। पूछताछ, वीडियो-फुटेज और अन्य साक्ष्य देखे गए। इस केस में सामने आया कि इंस्पेक्टर की हत्या फौजी ने नहीं, दूसरे युवकों ने की थी। इसमें बाद में असली कातिल अरेस्ट किए गए। जिसमें STF ने पूरे साक्ष्य पर काम किया। किसी निर्दोष को जेल नहीं भेजा गया। STF में ही SSP रहते हुए नकल माफिया और सॉल्वर गैंग की रीढ़ तोड़ी। यह रिकार्ड है, एक साल में प्रदेश की 395 घटनाओं का खुलासा किया। इसमें 42 बड़े गैंग अरेस्ट किए। अभिषेक सिंह बताते हैं- 27 अप्रैल, 2018 को दुल्हन महविश शादी के बाद अपने पति के साथ ससुराल जा रही थी। वह गाजियाबाद में मसूरी के नहाल गांव की रहने वाली थी। उसकी शादी सरकार की सामूहिक विवाह योजना के तहत हुई थी। आधी रात का समय था। मेरठ की सीमा में दिल्ली-हरिद्वार हाईवे पर बदमाशों ने हथियारों के बल पर दुल्हन से लूटपाट की। विरोध करने पर गोली मारकर हत्या कर दी। यह प्रदेश की चर्चित घटनाओं में से एक थी। हत्यारों को पकड़ने के लिए मैंने मेरठ में STF टीम को लगाया। 28 मई को STF को सूचना मिली कि कुछ बदमाश मेरठ के शताब्दीनगर में कोल्ड स्टोरेज के पास छिपे हैं। इस घटना में सीओ STF और ASP आलोक प्रियदर्शी को भी लगाया। बदमाशों ने STF पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में इनामी हिमांशु उर्फ नरसी और धीरज को ढेर कर दिया। इस घटना में आधे घंटे तक बदमाशों ने फायरिंग की। पुलिस ने कार्बाइन और पिस्टल बरामद की। दोनों ही कुख्यात थे। अभिषेक सिंह बताते हैं- एसएसपी STF रहते हुए मुकीम काला के भाई वसीम काला को एनकाउंटर में मार गिराया। वसीम पर उस समय 50 हजार रुपए का इनाम घोषित था। अप्रैल, 2018 में यूपी STF और हरियाणा STF ने ढाई लाख के कुख्यात इनामी गैंगस्टर बलराज भाटी को मार गिराया। इस घटना में बलराज को जैसे ही पता चला कि STF ने उसे घेर लिया है, तो उसने कार्बाइन से गोलियां बरसा दीं। बलराज भाटी, सुंदर भाटी गैंग का खास था। बलराज उस समय सुपारी लेकर हत्या करता था। उसके गैंग ने अलग-अलग स्थानों पर प्रॉपर्टी कब्जाने के लिए हत्याएं भी की हैं। इसी गैंग के कई बदमाशों को नोएडा में तिहरे हत्याकांड में भी अरेस्ट किया। अभिषेक सिंह बताते हैं- तौकीर लूट और रंगदारी के लिए प्रतापगढ़ में कुख्यात था। तौकीर ने अपने साथ शूटर भी शामिल कर लिए थे। ये लोग रंगदारी नहीं मिलने पर सीधे हत्या कर देते थे। 7 जून, 2019 को यूपी STF को मुखबिर से सूचना मिली कि एक लाख का इनामी तौकीर अपने गिरोह के साथ फिर किसी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। तुरंत लखनऊ STF को लेकर उसकी घेराबंदी कर दी। तौकीर 6 महीने में 9 हत्या कर चुका था। इसके बाद STF ने तौकीर को ढेर कर दिया। इसके बाद शासन ने 16 जुलाई, 2019 को मुझे एसएसपी STF से प्रतापगढ़ का कप्तान बना दिया। प्रतापगढ़ में क्राइम कंट्रोल करने की जिम्मेदारी मिली। उसके बाद बागपत में SP बनाया गया। यहां जातीय हिंसा में हत्याओं को कंट्रोल करके आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजा। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष की बागपत में हत्या हुई। इस केस को भी वर्कआउट कर आरोपियों को जेल भेजा। बागपत के ही बड़ौत में दिल्ली पुलिस के सिपाही की हत्या करने वाले कुख्यात राशिद पर एक लाख का इनाम था। उसे भी एनकाउंटर में ढेर किया। अभिषेक सिंह यूपी STF और यूपी ATS में लंबे समय तक SSP रहे हैं। जहां यूपी में धर्मांतरण के कई केस वर्कआउट किए। मुजफ्फरनगर के मौलाना कलीम समेत पूरे यूपी से 9 लोगों को अरेस्ट किया। जिसमें खाड़ी देशों के अलावा दूसरे देशों से भी बड़े पैमाने पर फंडिंग की गई। ISI यूपी समेत दूसरे स्थानों पर अपना मॉड्यूल तैयार करने की फिराक में थी। जिसमें प्रयागराज से तीन लोगों को अरेस्ट कर हथियार भी बरामद किए गए। इसमें बड़ा खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान ने जासूसी करते हुए हथियार और पैसा मुहैया कराया था। इसका पूरा मॉड्यूल तोड़ते हुए यूपी के सहारनपुर, देवबंद के अलावा वेस्ट बंगाल, उत्तराखंड और भोपाल से 12 लोगों को अरेस्ट किया गया। ये सभी आतंकी गतिविधियों से जुड़े थे, जो जिहाद के नाम पर पूरा नेटवर्क खड़ा करना चाहते थे। इनके नेटवर्क को खंगालने के लिए बड़े स्तर पर काम किया गया। जिस PFI को हमारे यहां बैन किया गया, इसकी कार्रवाई यूपी STF ने ही की थी। यूपी से 6 लोगों की अरेस्टिंग एक साथ हुई। जिस रिजवान को पिछले दिनों AMU से पकड़ा गया, उस पर बहुत लंबे समय तक काम किया। मुजफ्फरनगर में कांवड़ के दौरान चर्चा में आए IPS अभिषेक
अभिषेक सिंह जनवरी, 2023 से SSP मुजफ्फरनगर हैं। वह बताते हैं- मुजफ्फरनगर में 4 करोड़ कांवड़ियों को सकुशल पूरे जिले से पास कराया। हरिद्वार से निकलकर कांवड़िए यूपी के मुजफ्फरनगर जिले से ही अपने गंतव्य को जाते हैं। देर रात तक मैं खुद हाईवे पर कांवड़ियों के बीच पूरी तरह से अलर्ट रहता था। DIG सहारनपुर अजय साहनी और मेरठ जोन के ADG ध्रुवकांत ठाकुर भी कई बार कांवड़ में व्यवस्था देखने पहुंचे। कांवड़ यात्रा से पहले अभिषेक सिंह ने यह आदेश जारी कर दिया कि कांवड़ मार्ग पर सभी दुकानों, प्रतिष्ठानों पर दुकानदारों को अपना नाम लिखना होगा। खाद्य सामग्री और फलों की दुकानों नाम लिखना जरूरी होगा। इस आदेश को सराहनीय मानते हुए यूपी सरकार ने पूरे प्रदेश में लागू कराया। उत्तराखंड में भी पहल की गई। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया। अचीवमेंट्स खाकी वर्दी सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें 10 महीने तैयारी कर IPS बने आकाश तोमर: जुनून में छोड़ी 15 लाख के पैकेज वाली जॉब, बरेली का पहला केस आज भी याद 15 लाख रुपए के पैकेज की नौकरी छोड़ने वाले आकाश ने 24 साल की उम्र में सिविल सर्विस जॉइन की। अब तक के करियर में वह 6 जिलों के SP और SSP रहे। उन्होंने सबसे बड़ा एक्शन सहारनपुर में लिया। यहां बतौर SSP आकाश तोमर ने नामी खनन माफिया की 105 करोड़ की संपत्ति कुर्क कराई। इस समय वह PAC बटालियन बरेली में कमांडेंट हैं। पढ़ें पूरी खबर…