यूपी में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के तहत काम कर रहे कर्मी बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। 28 अगस्त को राजधानी में NHM मुख्यालय के घेराव के साथ जोरदार प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश भर के करीब 12 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (CHO) में डिजिटल अटेंडेंस के आदेश को लेकर भारी नाराजगी है। 21 अगस्त से लेकर 27 अगस्त तक ऑनलाइन कार्य को बंद करने के बाद अब 28 अगस्त कोको अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। इससे पहले 23 अगस्त को बड़ी संख्या में इन कर्मियों ने NHM मुख्यालय पहुंच कर घेराव किया था। पर इस बार प्रदेश भर से और ज्यादा संख्या में लखनऊ में NHM कर्मी जुटेंगे। 28 अगस्त को जोरदार प्रदर्शन करेंगे 12 हजार CHO योगेश उपाध्याय ने बताया कि गांव के वीरान पड़े उपकेंद्रों पर बिजली, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं न होने के बावजूद हर प्रकार की स्थितियों से जूझते हुए सभी को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराते हैं। कई जगह टाट-पट्टी और पत्थरों पर बैठकर स्वास्थ्य सेवा देते हैं। साल 2018 से काम कर रहे CHO अपने अथक प्रयासों और निष्ठा पूर्वक काम के चलते आज स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुके हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसी चुनौती भरे हालात में काम करके कुछ CHO अपना सर्वश्रेष्ठ देकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने काम का डंका बजा रहे हैं। डिजिटल स्ट्राइक से नही मिला समाधान, अब करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रदेश अध्यक्ष हिमालय कुमार ने बताया कि आज प्रदेश का प्रत्येक CHO साथी अपने शोषण के खिलाफ न्याय पाने को आतुर हैं। इस अनदेखी और भेदभाव के खिलाफ एक साथ होकर अपना आधिकार प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन उपस्थिति केवल CHO पर लागू करने के तानाशाही आदेश के खिलाफ और केंद्र सरकार द्वारा कई बार निर्देशित करने के बावजूद धूल फांक रही। 21 जुलाई से 27 जुलाई तक डिजिटल स्ट्राइक के बाद भी समाधान न मिलने के कारण, अपनी निम्नलिखित मांगों के पूर्ण होने तक प्रदेश के सभी CHO साथी 28 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे – इन मांगों को लेकर करेंगे प्रदर्शन – अपनी मांगों को लेकर पहले भी कर चुके हैं घेराव दरअसल, संविदा पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (CHO) ऑनलाइन लगने वाली हाजिरी से नाराज हैं। वह अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम को विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते CHO ने 21 अगस्त से ऑनलाइन काम बंद कर दिया था, लेकिन अभी तक उनकी मांगों को लेकर कोई सुनवाई अधिकारियों ने नहीं की है। जिसके बाद वह अब NHM कार्यालय का घेराव कर अपनी मांग रखेंगे। विभागीय अफसरों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि सभी CHO को तैनाती स्थल यानी की हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर रोजाना सुबह और शाम यानी की दो बार अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (AMS) पर हाजिरी लगानी होगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश एसोसिएशन आफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तरफ से चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर एएमएस पर उपस्थिति में सुधार की मांग की गई थी, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचता है। ऐसे में CHO ने कार्य का बहिष्कार शुरू कर दिया है। कल निर्णय होगा कि आगे क्या करना हैं। यूपी में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के तहत काम कर रहे कर्मी बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं। 28 अगस्त को राजधानी में NHM मुख्यालय के घेराव के साथ जोरदार प्रदर्शन करेंगे। प्रदेश भर के करीब 12 हजार कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (CHO) में डिजिटल अटेंडेंस के आदेश को लेकर भारी नाराजगी है। 21 अगस्त से लेकर 27 अगस्त तक ऑनलाइन कार्य को बंद करने के बाद अब 28 अगस्त कोको अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। इससे पहले 23 अगस्त को बड़ी संख्या में इन कर्मियों ने NHM मुख्यालय पहुंच कर घेराव किया था। पर इस बार प्रदेश भर से और ज्यादा संख्या में लखनऊ में NHM कर्मी जुटेंगे। 28 अगस्त को जोरदार प्रदर्शन करेंगे 12 हजार CHO योगेश उपाध्याय ने बताया कि गांव के वीरान पड़े उपकेंद्रों पर बिजली, पानी, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं न होने के बावजूद हर प्रकार की स्थितियों से जूझते हुए सभी को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराते हैं। कई जगह टाट-पट्टी और पत्थरों पर बैठकर स्वास्थ्य सेवा देते हैं। साल 2018 से काम कर रहे CHO अपने अथक प्रयासों और निष्ठा पूर्वक काम के चलते आज स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुके हैं। उन्होंने दावा किया कि ऐसी चुनौती भरे हालात में काम करके कुछ CHO अपना सर्वश्रेष्ठ देकर राष्ट्रीय स्तर पर अपने काम का डंका बजा रहे हैं। डिजिटल स्ट्राइक से नही मिला समाधान, अब करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल प्रदेश अध्यक्ष हिमालय कुमार ने बताया कि आज प्रदेश का प्रत्येक CHO साथी अपने शोषण के खिलाफ न्याय पाने को आतुर हैं। इस अनदेखी और भेदभाव के खिलाफ एक साथ होकर अपना आधिकार प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन उपस्थिति केवल CHO पर लागू करने के तानाशाही आदेश के खिलाफ और केंद्र सरकार द्वारा कई बार निर्देशित करने के बावजूद धूल फांक रही। 21 जुलाई से 27 जुलाई तक डिजिटल स्ट्राइक के बाद भी समाधान न मिलने के कारण, अपनी निम्नलिखित मांगों के पूर्ण होने तक प्रदेश के सभी CHO साथी 28 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे – इन मांगों को लेकर करेंगे प्रदर्शन – अपनी मांगों को लेकर पहले भी कर चुके हैं घेराव दरअसल, संविदा पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स (CHO) ऑनलाइन लगने वाली हाजिरी से नाराज हैं। वह अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम को विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए लागू करने की मांग कर रहे हैं। इसी के चलते CHO ने 21 अगस्त से ऑनलाइन काम बंद कर दिया था, लेकिन अभी तक उनकी मांगों को लेकर कोई सुनवाई अधिकारियों ने नहीं की है। जिसके बाद वह अब NHM कार्यालय का घेराव कर अपनी मांग रखेंगे। विभागीय अफसरों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक लगा चुके हैं गुहार संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री योगेश उपाध्याय ने बताया कि सभी CHO को तैनाती स्थल यानी की हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर रोजाना सुबह और शाम यानी की दो बार अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (AMS) पर हाजिरी लगानी होगी। ऐसे में उत्तर प्रदेश एसोसिएशन आफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तरफ से चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर एएमएस पर उपस्थिति में सुधार की मांग की गई थी, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचता है। ऐसे में CHO ने कार्य का बहिष्कार शुरू कर दिया है। कल निर्णय होगा कि आगे क्या करना हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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Bihar News: आरा में डूबकर दो चचेरे भाईयों की मौत, गांव में पसरा सन्नाटा
Bihar News: आरा में डूबकर दो चचेरे भाईयों की मौत, गांव में पसरा सन्नाटा <p style=”text-align: justify;”><strong>Two Cousins Died Due To Drowning:</strong> बिहार के आरा में गंगा नदी के भागर में नहाने गए दो चचेरे भाइयों की डूबने से मौत हो गई. घटना जिले के खवासपुर थाना के रामफल के टोला गांव की है. वहीं दोनों भाइयों के डूबने की सूचना मिलने के बाद परिजन और गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंचकर दोनों के शवों को पानी से बाहर निकाल कर इलाज के लिए उत्तर प्रदेश के सोनबरसा ले गए, जहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>घटना के बाद आस-पास के इलाके में सनसनी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>शव को लेकर सभी लोग वापस गांव लौट कर आए और स्थानीय थाना को सूचना दी, जिसके बाद खवासपुर थाना इंचार्ज दल बल के साथ घटनास्थल पहुंचे और दोनों शवों को अपने कब्जे में लेकर उसका पोस्टमार्टम आरा सदर अस्पताल में करवाया. इस घटना को लेकर गांव एवं आस-पास के इलाके में सनसनी मच गई है. मिली जानकारी के अनुसार मृतकों में संजय यादव के 15 वर्षीय पुत्र आशीष कुमार यादव, चंदेश्वर यादव के 14 वर्षीय पुत्र विजेंद्र कुमार यादव है, दोनों खवासपुर थाना रामफल के टोला गांव के निवासी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नहाने के दौरान दोनों गड्ढे में चले गए दोनों भाई</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं मृतक के परिजन विशम्बभर कुमार यादव ने बताया कि गांव के कुछ लड़के नहाने के लिए गए हुए थे, नहाने के दौरान दोनों गड्ढे में चले गए और डूब गए. इसके बाद जो लोग इनके साथ गए थे, वो सब घर पर गए और बताया कि विजेंद्र और बिट्टू दोनों डूब गए हैं. उसके बाद हम लोग गए और काफी खोजबीन की. इस दौरान दोनों का शव बरामद किया गया. उसके बाद हम लोग दोनों को इलाज के लिए उत्तर प्रदेश के सोनबरसा लेकर गए, वहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-mother-and-son-died-by-drowning-in-pond-in-nalanda-ann-2773980″>Bihar News: नालंदा में मां को तालाब में डूबता देख बेटे ने भी लगाई छलांग, दोनों की डूबकर मौत</a></strong></p>
प्रयागराज: वक्फ संपत्तियों की जबरदस्त लूट, माफिया अतीक का इमामबाड़े पर था कब्जा, बनवाया था शापिंग कांप्लेक्स
प्रयागराज: वक्फ संपत्तियों की जबरदस्त लूट, माफिया अतीक का इमामबाड़े पर था कब्जा, बनवाया था शापिंग कांप्लेक्स <p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Act:</strong> केंद्र की मोदी सरकार को लोकसभा में वक्फ एक्ट संशोधन बिल पेश करने की जरूरत क्यों पड़ी? अगर यह जानना है तो इसके लिए संगम नगरी प्रयागराज के हालात को ठीक से समझना होगा. वह प्रयागराज, जिसकी पहचान कभी माफिया अतीक अहमद के नाम से होती थी. वह प्रयागराज, जहां वक्फ की दो चार नहीं, बल्कि सैकड़ों संपत्तियों पर अतीक अहमद जैसे माफियाओं का कब्जा रहा है. संगम नगरी की बात की जाए तो यहां सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ की ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रयागराज में कुल 3438 वक्फ संपत्तियां हैं. इनमें 3180 यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधीन है, जबकि 258 प्रॉपर्टीज का मैनेजमेंट शिया वक्फ बोर्ड देखता है. अनुमान के मुताबिक प्रयागराज में मौजूद वक्फ प्रॉपर्टीज की बाजारू कीमत पांच हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है. हालांकि ज्यादातर प्रॉपर्टीज बदहाली में है. कुछ प्रॉपर्टीज माफियाओं के शिकंजे में है तो कुछ पर दूसरे रसूखदार लोगों का कब्जा है. कहीं अतिक्रमण कर लिया गया है तो कहीं नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाई गई हैं. अकेले शहरी इलाके में पचास से ज्यादा वक्फ संपत्तियों पर माफिया अतीक अहमद और उसके गिरोह का कब्जा रहा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संगम नगरी में वक्फ संपत्तियों के साथ किस तरह से खिलवाड़ और मनमानी की गई है, इसका जीता जागता उदाहरण शहर के बहादुरगंज इलाके की बताशा मंडी में स्थित इमामबाड़ा गुलाम हैदर है. तकरीबन आठ सौ वर्ग गज में स्थित यह इमामबाड़ा दो सौ साल पुराना है. यह इमामबाड़ा यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधीन है. शहर के चौक इलाके से सटे इस इमामबाड़े की जमीन पर माफिया अतीक अहमद की नजर साल 2015 में उस वक्त पड़ी, जब वह समाजवादी पार्टी का नेता हुआ करता था और सूबे में अखिलेश यादव की सरकार थी. अतीक अहमद ने उस वक्त अपने रसूख का इस्तेमाल कर वक्फ विभाग के कैबिनेट मंत्री आजम खान और चेयरमैन वसीम रिजवी पर दबाव बनाकर इमामबाड़ा गुलाम हैदर का मुतवल्ली अपने बेहद करीबी वकार रिजवी को बनवा दिया था. इसके पीछे माफिया की सोच कुछ और ही थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुतवल्ली वकार रिजवी ने कुर्सी संभालते ही इमामबाड़े की पुरानी बिल्डिंग को जर्जर बताकर उसे गिरवा दिया. जीर्णोद्धार के नाम पर कुछ ही दिनों में वहां नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए चार मंजिला शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खड़ा कर दिया गया. वहां इमामबाड़ा सिर्फ नाम का बचा. शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण का जिम्मा अतीक अहमद के बेहद करीबी राजीव जैन की कंपनी वर्धमान बिल्डर्स को दिया गया था. यहां इमामबाड़े को एक छोटे से हिस्से में सीमित कर चौंसठ दुकाने बनवाई गई. जानकारी के मुताबिक इस कामर्शियल इलाके में एक-एक दुकान पैंसठ से सत्तर लाख रुपए में बेची गई. इस तरह अतीक और उसके करीबियों ने यहां से तकरीबन चालीस करोड़ रुपए की कमाई की. इस दौरान जिसने भी आवाज उठाने या सवाल पूछने की कोशिश की, उसे माफिया के लोगों ने डरा धमका कर चुप करा दिया. प्रशासन और सरकार भी सिर्फ तमाशबीन बना रहा. सोशल एक्टिविस्ट शौकत भारती ने आवाज उठाई तो उन्हें धमकियां मिली और फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बहरहाल यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ तो सोशल एक्टिविस्ट और इस्लामिक स्कॉलर शौकत भारती ने हिम्मत जुटाकर आवाज उठानी शुरू की. इस मामले में सीबीआई जांच के भी आदेश हुए. माफिया की मर्जी पर इमामबाड़े को शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए जाने के मामले में तूल पकड़ा तो साल 2020 में योगी सरकार ने यहां बुलडोजर चलवाकर अवैध रूप से बनवाए गए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को जमीदोज कर दिया. इसके बाद भी वहां कुछ कामर्शियल एक्टिविटी जारी रही तो करीब साल भर बाद दोबारा कार्रवाई की गई. यह इमामबाड़ा अब भी वीरान पड़ा है. यहां तीन परिवार पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं. वह चाहते हैं कि किसी भी तरह का कानून बने लेकिन उन्हें बेदखल ना किया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>माफिया अतीक अहमद ने सिर्फ इसी वक्फ संपत्ति पर नज़रें नहीं गड़ाई थी, बल्कि तमाम दूसरी वक्फ संपत्तियों पर भी उसने अपने करीबियों से कब्जा करा रखा था. चकिया इलाके में अपने दफ्तर के बगल स्थित छोटी कर्बला में उसने तालिब नाम के अपने करीबी रिश्तेदार को कब्जा करा दिया था. यहां तमाम दुकानें लगती हैं. इसके अलावा पूरामुफ्ती इलाके में कई वक्फ संपत्तियों पर उसके छोटे भाई अशरफ के ससुराल वालों ने कब्जा कर रखा है. ऐसी ही एक संपत्ति पर प्रशासन ने जून महीने में बुलडोजर चलवाया है. अशरफ के ससुराल वालों ने पुरामुफ्ती इलाके में ही एक वक्फ प्रॉपर्टी पर गलत तरीके से काबिज होकर जो आलीशान मकान और मार्केट बनवाई है, इसकी अनुमानित कीमत तकरीबन पचास करोड़ रुपए है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रयागराज में ज्यादातर वक्फ संपत्तियों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है. जरूरतमंदों को वहां घुसने तक की इजाजत नहीं है, जबकि माफिया – अपराधी – बिल्डर और रसूखदार लोग वक्फ की जमीनों से मालामाल हो रहे हैं. प्रयागराज में ज्यादातर वक्फ संपत्तियों की सही देखभाल नहीं होती. तमाम मुतवल्ली लोगों के हाथ की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं. यही वजह है कि प्रयागराज में इमामबाड़ा गुलाम हैदर के साथ ही तमाम वक्फ संपत्तियों के लिए पिछले लंबे अरसे से लड़ाई लड़ रहे सोशल एक्टिविस्ट शौकत भारती का कहना है कि बिल पेश करने या फिर कानून बनाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि वक्फ के नाम पर मची लूट खसोट को रोकने के लिए नियम कानून पर सख्ती से अमल कराना होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उनके मुताबिक वक्फ प्रापर्टीज के मामले में नेताओं-अफसरों-अपराधियों, पूंजीपतियों और वक्फ बोर्ड का संगठित गिरोह काम करता है. इसी वजह से आवाज उठाने वालों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती और उसका उत्पीड़न किया जाता है. उनके मुताबिक पहले इस नेक्सस को तोड़ना होगा और फिर मजबूत इच्छा शक्ति के साथ सख्ती दिखाते हुए ग्राउंड पर काम करना होगा, तभी कुछ बदलाव हो सकता है और वक्फ संपत्तियां लुटने से बच सकती हैं व जरूरतमंदो के काम आ सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/pm-narendra-modi-fulfilled-demand-of-mayawati-and-chandrashekhar-azad-on-sc-st-reservation-2757734″><strong>UP Politics: PM मोदी ने पूरी कर दी मायावती और चंद्रशेखर आजाद की मांग!</strong></a></p>
यूपी में सड़क हादसों में हर दिन 65 की मौत:देशभर में सबसे ज्यादा ये आंकड़ा; ओवरस्पीड-रॉन्ग साइड ड्राइविंग से बढ़े हादसे
यूपी में सड़क हादसों में हर दिन 65 की मौत:देशभर में सबसे ज्यादा ये आंकड़ा; ओवरस्पीड-रॉन्ग साइड ड्राइविंग से बढ़े हादसे यूपी में रोज 65 मौतें सड़क हादसों में हो रही है। यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है। 2023 में यूपी में सड़क हादसों में 23,652 लोगों की जान गई थी। ये चौंकाने वाला आंकड़ा आने के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश ने ‘X’ पर लिखा- सड़क के खतरों से रहें ‘सावधान’ और खुद ही बचाएं खुद की जान। पढ़िए देश में हादसों की क्या स्थिति है? यूपी में बढ़ते हादसों का कारण क्या है? पहले जानिए देश में हादसों की क्या स्थिति
2023 में सड़क दुर्घटनाओं में देशभर में लगभग 1.73 लाख लोग मारे गए। केंद्र सरकार ने दुर्घटनाओं के कारणों का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सड़क दुर्घटना डेटा जुटाना शुरू किया है। जब से आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं, तब से एक साल में मारे गए लोगों की यह अधिकतम संख्या है। केंद्र सरकार के साथ राज्यों ने जो आंकड़े साझा किए, उनके मुताबिक देश में हर दिन औसतन 474 लोगों की जान गई। ज्यादा डिटेल में जाएं तो लगभग हर तीन मिनट में एक मौत हुई। यही नहीं, पिछले साल लगभग 4.63 लाख लोग सड़क दुर्घटना में घायल हुए। ये आंकड़ा 2022 की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक है। सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सड़क हादसों में 1.68 लाख लोगों की मौत हुई। जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या 1.71 लाख बताई गई है। हालांकि दोनों एजेंसियों ने अभी तक 2023 के लिए सड़क दुर्घटना डेटा प्रकाशित नहीं किया है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम और तेलंगाना सहित 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 2022 की तुलना में सड़क पर होने वाली मौतों में वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, केरल और चंडीगढ़ में मृत्यु दर में मामूली गिरावट आई। यूपी में 10 साल में बढ़ता गया हादसों में मौत का आंकड़ा
यूपी में हादसों की बात की जाए तो पिछले 10 साल में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। 2014 में 31,034 सड़क हादसे हुए, जिनमें 16,287 लोगों की मौत हुई। 2015 में 32,385 सड़क हादसे हुए, जिनमें 17,666 लोगों की मौत हुई। 2016 में 35,612 सड़क हादसों में 19,320 लोगों की मौत हुई। 2017 में 38,811 हादसों में 20142, इसी तरह 2018 में 42,563 सड़क हादसों में 22,256 लोगों की मौत हुई। साल 2019 में 42,572 हादसों में 22,655 की मौत, 2020 में 34,243 हादसों में 19149, 2021 में 37,729 सड़क हादसों में 21,227 की मौत, 2022 में 41,746 सड़क हादसों में 22,595 की मौत, 2023 में 44,534 सड़क हादसों में 23,652 लोगों की मौत हुई है। 43 जिलों में सबसे ज्यादा हादसे
अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) की ओर से शासन को 43 जिलों की रिपोर्ट भेजी गई है। ये वह जिले हैं, जहां पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के 43 जिलों में पिछले तीन साल में करीब सवा लाख सड़क हादसे हुए हैं। यानी एक साल का औसत लगाया जाए तो करीब 41 हजार हादसे। तीन साल में इन जिलों में करीब 67,474 लोगों ने जान गंवाई है। इस रिपोर्ट में लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर, आगरा, हरदोई, बरेली, मेरठ, सीतापुर समेत 43 जिलों का जिक्र है। इसी रिपोर्ट में सड़क हादसे रोकने के लिए प्रशासन स्तर पर उपाय का भी जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक यूपी के सभी 75 जिलों में ARTO रोड सेफ्टी तैनात किए जा रहे हैं। पहले चरण में ज्यादा हादसे वाले 43 जिलों में इनकी तैनाती की जाएगी। ओवरस्पीड है यूपी में हादसों की बड़ी वजह
वहीं, परिवहन विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हादसे का शिकार सबसे ज्यादा युवा हो रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में पिछले साल सड़क हादसे का शिकार हुए लोगों में 72 प्रतिशत युवा थे। वहीं, हादसों में बड़ी वजह ओवर स्पीड निकलकर आई है। 18 से 45 साल तक के लोगों के साथ ये 40 फीसदी हादसे ओवर स्पीड की वजह से हुए थे। 13 फीसदी हादसे रॉन्ग साइड ड्राइविंग की वजह से हुए। 10 फीसदी हादसे मोबाइल पर बात करने के दौरान हुए। 37 फीसदी हादसे अन्य कारणों से हुए। रिपोर्ट में ये भी जिक्र किया गया है कि हादसे कैसे रोके जा सकते हैं। हादसे रोकने के लिए एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर स्पीड कंट्रोल, सेफ्टी साइन लगवाने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही ओवर स्पीड पर ऑटोमैटिक चालान जैसी तकनीक इस्तेमाल करने को कहा गया है। वाहनों की बढ़ती जा रही है संख्या
यूपी में वाहनों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। मई, 2024 तक प्रदेश में करीब पौने पांच करोड़ वाहनों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। प्रदेश में बढ़ती वाहनों की संख्या भी हादसे में मौत का कारण बन रही है। एनएच पर हादसे में सबसे ज्यादा मौतें
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) पर हादसों में मौत के मामले में यूपी पहले नंबर पर है। सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 2018 से 2022 तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुए हादसों में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। इसी तरह NH पर ज्यादा हादसों के मामले में यूपी तीसरे नंबर पर है। सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 2018 से 2022 तक यानी पांच साल में करीब 75,604 सड़क हादसे हुए हैं। इन साल में यूपी से ज्यादा हादसे सिर्फ तमिलनाडु और केरल में हुए। अखिलेश ने साधा सरकार पर निशाना
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यूपी में सड़क हादसों में मौत वाली रिपोर्ट को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा- ये चिंताजनक है कि ‘सड़क हादसों में सबसे ज़्यादा मौतें यूपी में’ हो रही हैं। यूपी की जनता से आग्रह है कि ‘भाजपाई भ्रष्टाचार की मारी सड़कों और ट्रैफिक व्यवस्था’ पर अपने भरोसे ही घर से निकलें और खुद को व अपने बच्चों को सड़क के खतरों से आगाह करें। अखिलेश ने सड़क दुर्घटनाओं के कारण भी गिनाए हैं। अखिलेश ने लिखा कि सड़कें टूटी हैं, वाहन डग्गामार हैं, ओवर स्पीडिंग पर कोई रोक नहीं है, हेलमेट का नियम मुट्ठी गरम करने का साधन मात्र है, बिना लाइसेंस धारक वाहन चालक धड़ल्ले से गाड़ियां दौड़ा रहे हैं, ओवर लोडिंग पर आंख बंद है, पुराने जर्जर वाहन सबके लिए खतरा बने हैं। ————————————————————– ये भी पढ़ें… कानपुर हादसा; इतनी हड्डियां टूटीं..डॉक्टर भी नहीं गिन सके:दो ट्रकों के बीच फंसी कार, इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 स्टूडेंट समेत 5 की मौत कानपुर में भीषण सड़क हादसे में इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 छात्रों समेत 5 लोगों की मौत हो गई। हादसा दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे हुआ। कॉलेज जा रहे छात्रों की कार को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। मृतकों में दो छात्राएं, दो छात्र और कार का ड्राइवर शामिल है। हादसे में कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। सभी शव कार में फंस गए, जिन्हें कार की छत और दरवाजे काटकर निकाला गया। पढ़ें पूरी खबर…