रणजी में यूपी टीम का अगला मुकाबला हरियाणा से खेला जाएगा। 18 से 21 अक्टूबर तक मैच डॉ. अखिलेश दास स्टेडियम में खेला जाना था, लेकिन मानकों पर मैदान खरा नहीं उतरने पर इसे अब दूसरे मैदान में शिफ्ट कर दिया है। BCCI ने मानको पर स्टेडियम के खरे नहीं उतरने पर मैच को दूसरे मैदान पर कराने का फैसला लिया है। एआर जयपुरिया ग्राउंड पर खेला जाएगा मैच BCCI ने लखनऊ में खेले जाने वाले अगले मैच को एआर जयपुरिया ग्राउंड में खेला जाएगा। शहर में रणजी मैच की मेजबानी करने वाला एआर जयपुरिया ग्राउंड चौथा होगा। इससे पहले केडी सिंह बाबू स्टेडियम, इकाना और डॉ. अखिलेश दास स्टेडियम पर रणजी मैच खेले गये थे। जयपुरिया ग्राउंड पर आईपीएल के दौरान लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाड़ियों ने अभ्यास किया था। वीमेन प्रीमियर लीग में भाग लेने वाली यूपी वॉरियर्स की टीम का प्रैक्टिस सेशन इसी मैदान पर आयोजित किया गया। मैदान पर प्लेयर्स के लिए ड्रेसिंग रूम मैदान पर सात टर्फ विकेट के साथ प्लेयर्स के लिये ड्रेसिंग रूम है। जयपुरिया ग्राउंड अभी तक बीसीसीआई के आठ मुकाबलों की मेजबानी कर चुका है। इसमें एक मुकाबला कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी, सात मुकाबले वीमेन वनडे सीरीज के शामिल रहे। क्रिकेट एसोसिएशन लखनऊ के सचिव केएम खान ने बताया कि अखिलेश दास स्टेडियम की आउट फील्ड मानक के अनुरूप नहीं मिला। बीसीसीआई की टीम ने बीते 30 सितंबर और छह अक्टूबर को यहां का निरीक्षण किया था। इसके बाद यूपी और हरियाणा मैच के लिए यह मैदान सही नहीं पाया गया। इसके बाद जयपुरिया ग्राउंड का निरीक्षण किया गया, जो मैच के लिए सही है। रणजी में यूपी टीम का अगला मुकाबला हरियाणा से खेला जाएगा। 18 से 21 अक्टूबर तक मैच डॉ. अखिलेश दास स्टेडियम में खेला जाना था, लेकिन मानकों पर मैदान खरा नहीं उतरने पर इसे अब दूसरे मैदान में शिफ्ट कर दिया है। BCCI ने मानको पर स्टेडियम के खरे नहीं उतरने पर मैच को दूसरे मैदान पर कराने का फैसला लिया है। एआर जयपुरिया ग्राउंड पर खेला जाएगा मैच BCCI ने लखनऊ में खेले जाने वाले अगले मैच को एआर जयपुरिया ग्राउंड में खेला जाएगा। शहर में रणजी मैच की मेजबानी करने वाला एआर जयपुरिया ग्राउंड चौथा होगा। इससे पहले केडी सिंह बाबू स्टेडियम, इकाना और डॉ. अखिलेश दास स्टेडियम पर रणजी मैच खेले गये थे। जयपुरिया ग्राउंड पर आईपीएल के दौरान लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाड़ियों ने अभ्यास किया था। वीमेन प्रीमियर लीग में भाग लेने वाली यूपी वॉरियर्स की टीम का प्रैक्टिस सेशन इसी मैदान पर आयोजित किया गया। मैदान पर प्लेयर्स के लिए ड्रेसिंग रूम मैदान पर सात टर्फ विकेट के साथ प्लेयर्स के लिये ड्रेसिंग रूम है। जयपुरिया ग्राउंड अभी तक बीसीसीआई के आठ मुकाबलों की मेजबानी कर चुका है। इसमें एक मुकाबला कर्नल सीके नायडू ट्रॉफी, सात मुकाबले वीमेन वनडे सीरीज के शामिल रहे। क्रिकेट एसोसिएशन लखनऊ के सचिव केएम खान ने बताया कि अखिलेश दास स्टेडियम की आउट फील्ड मानक के अनुरूप नहीं मिला। बीसीसीआई की टीम ने बीते 30 सितंबर और छह अक्टूबर को यहां का निरीक्षण किया था। इसके बाद यूपी और हरियाणा मैच के लिए यह मैदान सही नहीं पाया गया। इसके बाद जयपुरिया ग्राउंड का निरीक्षण किया गया, जो मैच के लिए सही है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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HCS मीनाक्षी दहिया को रिश्वत मामले में हाईकोर्ट से झटका:जमानत याचिका खारिज; 5 महीने से फरार, HC ने कहा, कॉल-ट्रांसक्रिप्ट से संलिप्तता के संकेत पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट न्यायालय ने रिश्वत के केस में HCS ऑफिसर मीनाक्षी दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप चितकारा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि, प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता मीनाक्षी दहिया के साथ उनके रसोइए से 1 लाख रुपए की रिश्वत की वसूली के संबंध में साक्ष्य मौजूद हैं, जिसे 29 मई को रंगे हाथों पकड़ा गया था। न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा, “पुलिस ने उससे रिश्वत की रकम बरामद की है। कॉल और ट्रांसक्रिप्ट से याचिकाकर्ता की संलिप्तता का संकेत मिलता है, जिसकी पुष्टि शिकायतकर्ता के आरोप से होती है।” पंचकूला के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज होने के बाद दहिया ने अग्रिम जमानत के लिए अदालत का रुख किया था। इस मामले में शिकायत रिटायर जिला मत्स्य अधिकारी ने दर्ज कराई थी, जिसमें सरकारी काम के बदले कथित तौर पर रिश्वत मांगने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी जस्टिटस चितकारा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील “कोई भी सख्त शर्त” लगाकर जमानत की मांग कर रहे थे। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि आगे की सुनवाई से पहले की कैद याचिकाकर्ता और उनके परिवार के साथ अपरिवर्तनीय अन्याय का कारण बनेगी।हालांकि, न्यायमूर्ति चितकारा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत खारिज करते हुए मामले के सभी पहलुओं पर विचार किया था और तर्क दिया था कि अपराध में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को बरामद करने के लिए याचिकाकर्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है। दहिया पर क्या हैं आरोप रिटायर जिला मत्स्य अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है, कि एक जांच अधिकारी ने उनके खिलाफ आरोपपत्र वापस लेने के लिए फाइल मत्स्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजने से पहले उन्हें मामले में निर्दोष घोषित कर दिया था। उन्होंने संबंधित मंत्री को फाइल भेजने से पहले जांच रिपोर्ट स्वीकार कर ली, जिन्होंने अपनी मंजूरी दे दी और इस संबंध में आदेश जारी करने के लिए फाइल अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेज दी गई। उन्होंने कहा, “सीनियर एचसीएस अधिकारी और संयुक्त सचिव दहिया ने मुझे 17 अप्रैल को अपने स्टेनोग्राफर जोगिंदर सिंह के माध्यम से पंचकूला स्थित अपने कार्यालय में आदेश जारी करने के लिए बुलाया था और मुझसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। मैं अपने सरकारी काम के बदले मैडम को रिश्वत नहीं देना चाहता था और भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था।” मीनाक्षी 5 महीने से चल रही फरार रिश्वत के इस खेल में आरोपी एचसीएस ऑफिसर मीनाक्षी दहिया 5 महीने से फरार चल रही हैं। ACB की टीम लगातार दहिया की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही हैं। हालांकि अभी तक एसीबी को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। इस मामले में, वॉट्सऐप कॉल पर बातचीत के दौरान शिकायतकर्ता के मोबाइल में खास डिवाइस भी लगाई गई थी, जिससे पूरी कॉल रिकॉर्ड हो गई। फिलहाल मीनाक्षी दहिया फरार है और ACB की टीम उनकी गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी है।
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फर्जी एनकाउंटर मामले में आज सुनाई जाएगी सजा:सीबीआई अदालत ने तीन पुलिस कर्मियों को ठहरा चुकी है दोषी, एक की हो चुकी है मौत 1992 में तरनतारन से जुड़े दो युवकों के अपहरण, फर्जी मुठभेड़ व हत्या के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा आज (24 दिंसबर) फैसला सुनाया जाएगा। अदालत इस मामले में तत्कालीन थाना सिटी तरनतारन के प्रभारी गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह व पुलिस मुलाजिम हंस राज सिंह को धारा 302 और 120 बी के तहत दोषी ठहरा चुकी है। तीनों दोषियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। हालांकि इस मामले की सुनवाई के दौरान दिसंबर 2021 में एक आरोपी पुलिसकर्मी अर्जुन सिंह की मृत्यु हो गई थी। घर से किया था अगवा, सास की थी हत्या सीबीआई की ओर से दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक जगदीप सिंह उर्फ मक्खन एचएचओ गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने उन्हें अगवा कर लिया था। अपहरण से पहले पुलिस ने घर पर फायरिंग की और गोली लगने से मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई, यह घटना 18 नवंबर 1992 की है। इसी तरह गुरनाम सिंह उर्फ पाली को गुरबचन सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उनके घर से उनका अपहरण कर लिया। फिर 30 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने फर्जी पुलिस मुठभेड़ में हत्या कर दी थी। इस संबंध में पंजाब पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने यह रची थी फर्जी कहानी एफआईआर में बताया गया है कि गुरबचन सिंह अन्य आरोपी व्यक्तियों और पुलिस अधिकारियों के साथ 30 नवंबर 1992 की सुबह गश्त के दौरान एक युवक को एक वाहन में यात्रा करते हुए देखा और तरनतारन के नूर दी अड्डा के पास संदिग्ध रूप से उक्त व्यक्ति को पकड़ लिया, जिसने अपनी पहचान गुरनाम सिंह के रूप में बताई पाली के रूप में और पूछताछ के दौरान, उसने रेलवे रोड, टीटी और गुरनाम में दर्शन सिंह के प्रोविजन स्टोर पर हथगोले फेंकने में अपनी संलिप्तता कबूल की। जब गुरनाम सिंह पाली को पुलिस बेहला बाग में कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने के लिए ले गई, तो बाग के अंदर से आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर गोलियां चला दीं और पुलिस बल ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की। गुरनाम सिंह उर्फ पाली बचने के इरादे से गोलियों की दिशा में भागा लेकिन क्रॉस फायरिंग में मारा गया। जिसकी पहचान जगदीप सिंह उर्फ माखन के रूप में हुई है। दोनों शवों का श्मशान घाट में ‘लावारिस’ मानकर अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके बा जगदीप सिंह के पिता ने सीबीआई को शिकायत की थी। लंबे समय तक केस में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट और सुप्रीम में स्टे लगी रही। 2016 में स्टे हटी और ट्रायल चला। सीबीआई ने ऐसे दर्ज किया केस सीबीआई की जांच में यह चीज आई थी सामने मृतक जगदीप सिंह मक्खन पंजाब पुलिस में सिपाही था और मृतक गुरनाम सिंह पाली पंजाब पुलिस में एसपीओ था। अदालत में शपथ पत्र में कहा गया है कि वर्ष 1992 के दौरान, पुलिस स्टेशन तरनतारन के एरिया में, SHO गुरबचन सिंह, ASI रेशम सिंह, हंस राज सिंह और अर्जुन सिंह सहित अन्य पुलिस अधिकारियों 2 हत्या कर साजिश की गई थी। शुरुआत में सीबीआई ने मामला दर्ज कर प्रीतम सिंह निवासी मसीत वाली गली नूर का बाजार ने अपना बयान दर्ज कराया था। इसके बाद, सीबीआई ने 27 फरवरी 1997 को गुरबचन सिंह और अन्य के खिलाफ धारा 364/302/34 के तहत मामला दर्ज किया और जांच पूरी होने के बाद गुरबचन सिंह और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने के मामले की जांच के आदेश दिए थे।
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