कोलकाता की घटना के बाद से लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टर 13 अगस्त से हड़ताल पर हैं। प्रदर्शन का दौर भी लगातार जारी हैं। इस बीच मेडिकल कॉलेजों में मरीजों के इलाज पर गंभीर संकट हैं। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज बिना इलाज लौट रहे हैं। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर SGPGI और लोहिया संस्थान के मरीजों पर पड़ा हैं। यहां OPD में नए मरीजों का इलाज पूरी तरह से ठप हैं। यहां ऐसे मरीजों की बड़ी संख्या हैं, जो दूर दराज से इलाज के लिए यहां आए पर उन्हें इलाज नही मिल रहा। लोहिया संस्थान में सबसे ज्यादा मरीज प्रभावित हड़ताल से सबसे ज्यादा लोहिया संस्थान के मरीज सर्वाधिक प्रभावित हैं। यहां 300 के करीब रेजिडेंट डॉक्टर हैं। OPD समेत नॉन एसेंशियल सर्विसेज पूरी तरह से प्रभावित हैं। MBBS इंटर्न समेत अन्य मेडिकल स्टूडेंट्स भी रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रदर्शन में शामिल हैं। यहां बुधवार OPD परिसर में रेजिडेंट डॉक्टरों ने ताला डाल दिया था। जिसके चलते मरीजों को इलाज पूरी तरह ठप हो गया। बाद में मरीजों ने मेन रोड पर प्रदर्शन किया। इस बीच उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या को लोहिया संस्थान में भर्ती किसी मरीज को देखने आना था पर उन्हें ही जाम का सामना करना पड़ा। आम दिनों में यहां रोजाना 4 हजार से ज्यादा मरीजों की OPD रहती हैं। SGPGI में नए मरीजों को नही मिल रहा इलाज वहीं, प्रदेश के टॉप प्रीमियर चिकित्सा संस्थान, SGPGI में 13 अगस्त से हजारों की संख्या में मरीज OPD से बिना इलाज वपास लौट चुके हैं। यहां 200 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर 12 अगस्त से लगातार प्रदर्शन कर रहे। यहां के फैकल्टी फोरम ने स्ट्राइक का समर्थन किया हैं। प्रोटेस्ट के चलते में OPD में नए पर्चे नही बन रहे। KGMU में टाली जा रही इलेक्टिव सर्जरी यूपी के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU में 1000 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर के हड़ताल से OPD और इलेक्टिव सर्जरी प्रभावित हैं। यहां सीनियर डॉक्टर OPD में कमान संभाल कर मरीज जरूर देख रहे हैं। पर जूनियर मरीजों के न होने से इलेक्टिव सर्जरी लगातार टाली जा रही हैं। कैंसर मरीजों पर भी आफत रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से कैंसर जैसे गंभीर मर्ज के रोगियों के इलाज पर भी असर पड़ा हैं। चक गंजरिया स्थिति कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान में भी OPD में मरीजों को इलाज का संकट हैं। यहां बड़ी संख्या में मरीज ठीक से इलाज न मिलने के कारण लौट रहे हैं। कोलकाता की घटना के बाद से लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टर 13 अगस्त से हड़ताल पर हैं। प्रदर्शन का दौर भी लगातार जारी हैं। इस बीच मेडिकल कॉलेजों में मरीजों के इलाज पर गंभीर संकट हैं। रोजाना बड़ी संख्या में मरीज बिना इलाज लौट रहे हैं। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर SGPGI और लोहिया संस्थान के मरीजों पर पड़ा हैं। यहां OPD में नए मरीजों का इलाज पूरी तरह से ठप हैं। यहां ऐसे मरीजों की बड़ी संख्या हैं, जो दूर दराज से इलाज के लिए यहां आए पर उन्हें इलाज नही मिल रहा। लोहिया संस्थान में सबसे ज्यादा मरीज प्रभावित हड़ताल से सबसे ज्यादा लोहिया संस्थान के मरीज सर्वाधिक प्रभावित हैं। यहां 300 के करीब रेजिडेंट डॉक्टर हैं। OPD समेत नॉन एसेंशियल सर्विसेज पूरी तरह से प्रभावित हैं। MBBS इंटर्न समेत अन्य मेडिकल स्टूडेंट्स भी रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रदर्शन में शामिल हैं। यहां बुधवार OPD परिसर में रेजिडेंट डॉक्टरों ने ताला डाल दिया था। जिसके चलते मरीजों को इलाज पूरी तरह ठप हो गया। बाद में मरीजों ने मेन रोड पर प्रदर्शन किया। इस बीच उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या को लोहिया संस्थान में भर्ती किसी मरीज को देखने आना था पर उन्हें ही जाम का सामना करना पड़ा। आम दिनों में यहां रोजाना 4 हजार से ज्यादा मरीजों की OPD रहती हैं। SGPGI में नए मरीजों को नही मिल रहा इलाज वहीं, प्रदेश के टॉप प्रीमियर चिकित्सा संस्थान, SGPGI में 13 अगस्त से हजारों की संख्या में मरीज OPD से बिना इलाज वपास लौट चुके हैं। यहां 200 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर 12 अगस्त से लगातार प्रदर्शन कर रहे। यहां के फैकल्टी फोरम ने स्ट्राइक का समर्थन किया हैं। प्रोटेस्ट के चलते में OPD में नए पर्चे नही बन रहे। KGMU में टाली जा रही इलेक्टिव सर्जरी यूपी के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय, KGMU में 1000 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर के हड़ताल से OPD और इलेक्टिव सर्जरी प्रभावित हैं। यहां सीनियर डॉक्टर OPD में कमान संभाल कर मरीज जरूर देख रहे हैं। पर जूनियर मरीजों के न होने से इलेक्टिव सर्जरी लगातार टाली जा रही हैं। कैंसर मरीजों पर भी आफत रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से कैंसर जैसे गंभीर मर्ज के रोगियों के इलाज पर भी असर पड़ा हैं। चक गंजरिया स्थिति कल्याण सिंह सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान में भी OPD में मरीजों को इलाज का संकट हैं। यहां बड़ी संख्या में मरीज ठीक से इलाज न मिलने के कारण लौट रहे हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में विवादित मस्जिद पर बवाल:शिमला में क्षत्रिय संगठन का प्रदर्शन; अवैध निर्माण को गिराने पर अड़े लोग, सदन में गूंज चुका मामला हिमाचल की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद निर्माण का मामला तूल पकड़ रहा है। शिमला में आज देवभूमि क्षेत्रीय संगठन के बैनर विशाल प्रदर्शन रखा गया है। तनाव की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने इन्हें संजौली में प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई। इसलिए चौड़ा मैदान में प्रदर्शन रखा गया है। देवभूमि क्षत्रीय संगठन ने दावा किया कि इस प्रदर्शन में उनके साथ प्रदेश सरकार में कुछ मंत्री भी शामिल होंगे। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुमित ठाकुर ने कहा, एक विशेष समुदाय ने शिमला में काफी जगह कब्जा कर रखा है। एक दिन हिमाचल बांग्लादेश बन जाएगा। इसलिए हिमाचल को बचाने के लिए हमे जागना होगा। उन्होंने बताया, संजौली में अवैध मस्जिद को गिराना होगा। देवभूमि का माहौल खराब करने की किसी को भी इजाजत नहीं दी जाएगी। इसलिए आज सड़कों पर उतर रहे हैं। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। इसी मामले में शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बीते कल सदन में कहा, नगर निगम आयुक्त कोर्ट में केस चल रहा है। अगर कोर्ट मस्जिद को अवैध बोलता है, तो नियमों के तहत सरकार कार्रवाई की जाएगी। पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह मस्जिद और विशेष समुदाय पर सख्त कार्रवाई की पैरवी करते नजर आएं। उन्होंने कहा, एक विशेष समुदाय के नए-नए लोग रोज यहां आ रहे हैं। क्या ये रोहिंग्या है? वह कुछ ऐसे लोगों को जानते हैं, जो बांग्लादेशी है। उन्होंने सदन में एमसी की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए। संजौली में 5 दिन से मस्जिद पर मचा बवाल शिमला के संजौली में पॉश इलाके में बिना अनुमति व नक्शा पास किए बगैर 5 मंजिला ऊंची मस्जिद बना दी गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां बड़ी संख्या में सैकड़ों लोग नमाज पढ़ने आते हैं। 4 दिन पूर्व प्रदर्शन कर रहे लोगों ने समुदाय विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्तियों के घरों में तांक-झांक करने के भी आरोप लगाए थे। हिंदू संगठन मस्जिद तोड़ने पर अड़े प्रदर्शन के दौरान लोगों ने मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। बीते शनिवार शाम को समुदाय विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय व्यक्ति के साथ मारपीट भी की गई। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मारपीट के बाद से यह मामले ने तूल पकड़ा है। हिंदू संगठनों और स्थानीय लोग मस्जिद को गिराने पर अड़ गए हैं। पहले 2 परिवार थे, अब सैकड़ों लोग पहुंच रहे: श्याम लाल संजौली निवासी 73 वर्षीय श्याम लाल ने बताया कि पहले यहां छोटी मस्जिद थी। एक समुदाय के 2 ही परिवार यहां रहते थे, लेकिन बीते कुछ सालों के दौरान यहां बड़ी संख्या में बाहर से आकर लोग बसने लगे। बाहरी लोगों ने ही यहां बहुमंजिला मस्जिद बनाई, जो मस्जिद पहले बनी थी, वो कच्ची और 2 मंजिल की थी। उन्होंने बताया कि नमाज के वक्त यहां लोगों की इतनी भीड़ होती है। इससे स्थानीय लोगों का चलना मुश्किल हो जाता है। इमाम बोले- 1947 में बनी पुरानी मस्जिद मस्जिद के इमाम शहजाद ने कहा, मस्जिद 1947 से पहले की है। पहले मस्जिद कच्ची थी और 2 मंजिल की थी। लोग मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ते थे, जिससे नमाज में दिक्कतें आती थी। इसे देखते हुए लोगों ने चंदा एकत्रित किया और मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्होंने बताया कि जमीन वक्फ बोर्ड की थी, जिस पर 2 मंजिल पहले से बनी थी। 2 मंजिल को लेकर बवाल कोर्ट में चल रहा है। वक्फ बोर्ड इसकी लड़ाई लड़ रहा है। कानून का जो निर्णय होगा वो सभी को मंजूर होगा। राज्य सरकार के अनुसार, मस्जिद पुरानी है। मगर अवैध निर्माण 2010 में शुरू हुआ। इसके बाद 30 से 35 बार अवैध निर्माण रोकने के लिए नोटिस दिए गए। मगर निर्माण नहीं रोका गया और कमिशनर कोर्ट में 44 पेशी लग चुकी है। इस मामले में अगली सुनवाई परसो यानी 7 सितंबर को है।
जानवर और इंसान का अनोखा प्रेम! यहां बाबा की एक आवाज पर खींचे चले आते हैं भालू, सुनते हैं कथा
जानवर और इंसान का अनोखा प्रेम! यहां बाबा की एक आवाज पर खींचे चले आते हैं भालू, सुनते हैं कथा <p style=”text-align: justify;”><strong>Chhattisgarh News:</strong> छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में इंसान और जानवर का अनूठा प्रेम देखने को मिला है. भरतपुर ब्लॉक के उचेहरा गांव में बाबा की कुटिया है. बाबा की कुटिया में रोजाना भालू का पूरा परिवार आता है. कभी दो भालू तो कभी तीन भालू पहुंच जाते हैं. बाबा भालुओं को बड़े प्रेम से भोजन और प्रसाद खिलाते हैं. भालुओं को देखने के लिए अब बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं. बाबा भालुओं को अपने हाथों से प्रसाद और भोजन खिलाते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा के साथ कुटिया में रहने वाली बुजुर्ग महिला की आवाज सुनकर भालू खींचे चले आते हैं. भालुओं का बाबा ने नाम दे रखा है. प्यार से सीताराम, चुन्नू मुन्नू बाबा भालुओं को पुकारते हैं. भालू बाबा की आवाज भी पहचानते हैं. बाबा की आवाज सुनकर जंगलों से भालू कुटिया के पास चले आते हैं. भालुओं का परिवार प्रसाद और भोजन खाने के बाद चला जाता है. बस बाबा का इशारा मिलने की देरी होती है. पिछले चार पांच सालों से बाबा की कुटिया में भालुओं का आना जाना लगा हुआ है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><br /><img src=”https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/11/07/a99dfafe59882399285411c9086885731730996083887211_original.jpg” /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इंसान और जानवर के बीच अनोखा प्रेम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>भालुओं की बाबा प्यास भी बुझाते हैं. हैरानी की बात है कि शाम में बाबा की पूजा के दौरान भालू कथा सुनते हैं. घने जंगलों के बीच बाबा की कुटिया में रोजाना शाम को भालुओं का पहुंचना लोगों की उत्सुकता का विषय बन गया है. भालुओं के प्रसाद खाकर वापस चले जाने का वीडियो वायरल हो रहा है. महासमुंद जिले के बागबाहरा में भालू प्रसाद खाने रोजाना पहुंचते हैं. चंडी माता के मंदिर में रखा प्रसाद खाकर भालू चले जाते हैं. एमसीबी जिला छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित है. पशु प्रेम की वजह से बाबा की चर्चा दोनों प्रदेश में होने लगी है. लोग कुटिया में बाबा का भालुओं के प्रति करुणा देखकर हैरान रह जाते हैं. </p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”जिस फोन से शाहरुख खान को मिली थी धमकी वो चोरी का मोबाइल, मुंबई पुलिस कर रही जांच” href=”https://www.abplive.com/states/chhattisgarh/shahrukh-khan-received-threatening-call-from-phone-mobile-stolen-mumbai-police-raipur-ann-2818443″ target=”_self”>जिस फोन से शाहरुख खान को मिली थी धमकी वो चोरी का मोबाइल, मुंबई पुलिस कर रही जांच</a></strong></p>
बिट्टू के बहाने पंजाब की 60% सिख आबादी पर नजर:बेअंत के पोते पगड़ीधारी सिख, 38% हिंदुओं की भी पसंद, बड़ा सवाल-राज्यसभा में कहां से जाएंगे
बिट्टू के बहाने पंजाब की 60% सिख आबादी पर नजर:बेअंत के पोते पगड़ीधारी सिख, 38% हिंदुओं की भी पसंद, बड़ा सवाल-राज्यसभा में कहां से जाएंगे पंजाब में BJP एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रवनीत सिंह बिट्टू को अपनी कैबिनेट में शामिल कर एक बार फिर सिखों को साधने की कोशिश की है। बिट्टू लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के सामने हार गए थे। पंजाब से आतंकवाद खत्म करने का श्रेय बिट्टू के दादा सरदार बेअंत सिंह को ही जाता है। बेअंत सिंह ने पंजाब का CM रहते हुए सुपर कॉप केपीएस गिल को आतंकियों के खात्मे के लिए फ्री हैंड दिया था। उनसे नाराज खालिस्तान समर्थकों ने 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सेक्रेटेरिएट के बाहर बम विस्फोट करके बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। उस धमाके में बेअंत सिंह के साथ 3 कमांडो समेत 17 लोगों की जान चली गई थी। राज्य में अमन-शांति स्थापित करने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देने वाले बेअंत संह और उनके परिवार को पंजाब के कुल 38.5% हिंदू पसंद करते रहे हैं। रवनीत बिट्टू को मंत्री बनाने का फायदा BJP को पंजाब में जल्दी होने वाले नगर निगम, पंचायत और पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव में मिल सकता है। रवनीत बिट्टू इस समय न तो लोकसभा सांसद हैं और न ही राज्यसभा के मेंबर। पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक होने के चलते BJP यहां से उन्हें राज्यसभा भेजने की पोजिशन में भी नहीं है। ऐसे में पार्टी उन्हें हरियाणा या किसी दूसरे स्टेट से राज्यसभा में भेज सकती है। हरियाणा में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में उन्हें 15 दिन के अंदर अपनी राज्यसभा सीट खाली करनी होगी। हरियाणा में भाजपा की सरकार भी है। रवनीत बिट्टू को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करके भाजपा की पंजाब में जिन 4 चीजों पर नजर है, आइए उन्हें वन-बाई-वन समझते समझते हैं। 1. पोते के बहाने दादा की लीगेसी को भुनाने की अप्रोच
रवनीत सिंह बिट्टू के परिवार का पंजाब में अलग सियासी रसूख है। उनके दादा स्व. बेअंत सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। पंजाब में आतंकवाद खत्म करने की कीमत अपनी जान देकर चुकाने वाले बेअंत सिंह को पंजाबी, खासकर हिंदू बिरादरी आज भी याद करती है।
भाजपा की कोशिश बिट्टू के बहाने उनके दादा की लीगेसी को भुनाने की है। इस बार भी लोकसभा चुनाव में रवनीत बिट्टू ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने दादा बेअंत सिंह के फोटो होर्डंग्स और बैनर में लगाए थे। 2. 60% सिख आबादी पर नजर
पंजाब में 60% आबादी सिखों की है। बिट्टू पगड़ीधारी सिख हैं। उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी इस आबादी के करीब जाने की कोशिश कर रही है। बिट्टू को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करके BJP ने उन लोगों को जवाब देने की कोशिश की है जो उसे पंजाब विरोधी बताते हैं।
पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि बिट्टू के मंत्री बनने से पंजाबियों में उसे लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा। पार्टी की रणनीति सिख चेहरों को आगे रखते हुए ग्रामीण एरिया में पैठ बनाने की है। 3. सिख चेहरे की कमी पूरी, अकाली दल से आगे निकली पार्टी
पंजाब के अंदर BJP का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसी लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए भाजपा वोट शेयर के मामले में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 9% के आसपास था जो 2014 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 18.56% पर पहुंच गया। दूसरी तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल का वोट शेयर 27.45% था, जो 2024 में गिरकर 13.42% रह गया। वोट शेयर के मामले में BJP से आगे सिर्फ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी रही। प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने के मामले में भी भाजपा का प्रदर्शन अकाली दल के मुकाबले बेहतर रहा। अकाली दल के 13 में से 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल, फिरोजपुर से नरदेव सिंह बॉबी मान और अमृतसर से अनिल जोशी ही अपनी जमानत बचा पाए। इसके मुकाबले भाजपा के 13 में से सिर्फ 4 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। इनमें खडूर साहिब के मंजीत सिंह मन्ना मियाविंड, बठिंडा से परमपाल कौर सिद्धू, संगरूर से अरविंद खन्ना और फतेहगढ़ साहिब से गेजाराम शामिल रहे। भाजपा पंजाब की 13 सीटों में से 3 सीटों पर तो दूसरे स्थान पर रही। इनमें लुधियाना, जालंधर और गुरदासपुर सीट शामिली है। पार्टी 6 सीटों-अमृतसर, आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, होशियारपुर व पटियाला में तीसरे स्थान पर रही। इसके अलावा, नवजोत सिद्धू के पार्टी छोड़ जाने के बाद भाजपा के पास पंजाब में कोई सिख चेहरा नहीं बचा। BJP ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को साथ जोड़कर इस कमी को पूरा करना चाहा लेकिन बढ़ती उम्र के कारण कैप्टन सक्रिय राजनीति से लगभग किनारा कर चुके हैं। ऐसे में रवनीत बिट्टू के आने से पार्टी की सिख चेहरे की तलाश खत्म होती नजर आ रही है। 4. 2027 पर नजर, बिट्टू में देख रही फ्यूचर लीडरशिप
भाजपा बेशक इस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई लेकिन उसका टारगेट 2027 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव है। इसकी शुरुआत पार्टी ने एक तरह से 2022 के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी थी। अपना जनाधार बढ़ाने और रूरल एरिया में पैठ बनाने के लिए सिलसिलेवार ढंग से कांग्रेस और अकाली दल के बड़े चेहरों को पार्टी जॉइन करवाई गई। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, परनीत कौर, रवनीत सिंह बिट्टू, केवल सिंह ढिल्लों, सुशील रिंकू, अरविंद खन्ना, पूर्व कांग्रेसी सांसद संतोख चौधरी की पत्नी कर्मजीत कौर चौधरी, अकाली दल के पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका की बहू परमपाल कौर शामिल हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव में तकरीबन ढाई साल पड़े हैं। रवनीत बिट्टू अभी जवान हैं। आनंदपुर साहिब और लुधियाना लोकसभा सीट से 3 बार कांग्रेस का सांसद रहने के अलावा वह पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान भी रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को लगता है कि यदि उन्हें पार्टी की रीति-नीति के हिसाब से ढाल लिया जाए तो वह आने वाले कई बरसों तक पंजाब में पार्टी के लिए काम कर सकते हैं। पार्टी के बड़े चेहरे चुनाव हारे
भाजपा ने पहली बार पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। इनमें कुछ बड़े चेहरे भी थे। पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई। होशियारपुर लोकसभा सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश की पत्नी अनीता सोमप्रकाश तीसरे स्थान पर खिसक गईं। अमृतसर सीट पर पार्टी उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू और पटियाला सीट पर पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर भी तीसरे स्थान पर रहीं।