<div dir=”auto”>
<p style=”text-align: justify;”><strong>UCC in Uttarakhand:</strong> लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया, लेकिन जब भरण-पोषण मुश्किल हुआ तो प्रेमी ने उसे अकेला छोड़ दिया. अब महिला राज्य महिला आयोग की शरण में पहुंची है, जहां उसके लिए कानूनी सहायता तलाशी जा रही है. मामला न केवल बदलते समाज की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता पर भी जोर देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला ने अपने प्रेमी के साथ कई साल लिव-इन रिलेशनशिप में बिताए. इस दौरान उन्होंने तीन बच्चों को जन्म दिया और यह सोचकर कि उनका रिश्ता किसी शादीशुदा जीवन से कम नहीं, अपनी पूरी जिंदगी उसी परिवार के रूप में बसा ली. लेकिन जब परिवार बढ़ा और आर्थिक जिम्मेदारियां बढ़ीं, तो प्रेमी ने धीरे-धीरे दूरी बना ली और आखिरकार महिला को अकेला छोड़ दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला ने राज्य महिला आयोग से गुहार लगाई<br /></strong>अब तीन बच्चों की मां के लिए जीवनयापन मुश्किल हो गया है. परेशान होकर उसने राज्य महिला आयोग से मदद की गुहार लगाई. आयोग के पास शिकायत दर्ज कराते समय महिला ने अपने प्रेमी को पति बताया, लेकिन जांच में सामने आया कि दोनों ने विवाह नहीं किया था और वे लिव-इन रिलेशनशिप में थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले को समाज के बदलते स्वरूप का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि, यह उन लोगों की आंखें खोलने वाला मामला है, जो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता का विरोध कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला आयोग अध्यक्ष ने क्या बोला? <br /></strong>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, अगर यह महिला यूसीसी के दायरे में पंजीकृत होता, तो उसके प्रेमी से उसके और बच्चों के भरण-पोषण का अधिकार दिलाया जा सकता था. साथ ही, बच्चों को संपत्ति में अधिकार भी मिल सकता था. लेकिन अभी कानूनी रूप से उसे कोई स्पष्ट अधिकार नहीं मिल रहा है. ऐसे मामलों से बचने के लिए लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन बेहद जरूरी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग के अनुसार, हर महीने दो से तीन मामले लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े विवादों के सामने आ रहे हैं. इनमें अधिकतर मामलों में महिलाओं को धोखा मिलता है और वे कानूनी रूप से किसी भी अधिकार से वंचित रह जाती हैं. आयोग ने अपनी सिफारिश में यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की थी, जिसे सरकार ने स्वीकार किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रेमी ने बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाई<br /></strong>शिकायत मिलने के बाद महिला आयोग ने आरोपी प्रेमी को तलब किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे समझाने का प्रयास किया. आयोग के कानूनी परामर्शदाताओं ने उसे बताया कि तीन बच्चों की जिम्मेदारी से वह यूं नहीं बच सकता. फिलहाल प्रेमी ने बच्चों की देखभाल का खर्च उठाने पर सहमति जताई है, लेकिन महिला की स्थिति अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि कई बार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं यह मानकर चलती हैं कि वे शादीशुदा जीवन जी रही हैं. लेकिन कानूनी रूप से उनकी स्थिति बहुत कमजोर होती है. लिव-इन पार्टनर द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद उनके पास कोई ठोस अधिकार नहीं बचता, जिससे वे कानूनी रूप से अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा नहीं कर पातीं.</p>
<iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/VsWOoUTWkB8?si=jMMELq1LuL8h9Tsl” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों में बढ़ोतरी<br /></strong>लिव-इन रिलेशनशिप में कुछ सालों बाद महिलाओं को बेसहारा छोड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है, ताकि ब्रेकअप की स्थिति में महिला और उसकी संतान के अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन इनके लिए कोई स्पष्ट कानूनी ढांचा नहीं था. इस कारण महिलाओं को कई बार गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यूसीसी के तहत पंजीकरण से ऐसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में फिलहाल महिला आयोग की पहल पर प्रेमी ने बच्चों के खर्च की जिम्मेदारी ली है, लेकिन महिला के भविष्य को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. आयोग ने अन्य महिलाओं से भी अपील की है कि वे बिना किसी कानूनी सुरक्षा के लिव-इन रिलेशनशिप में जाने से पहले उसके संभावित परिणामों पर विचार करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-due-to-weekend-traffic-jam-religious-and-tourist-places-local-citizens-are-upset-ann-2905043″>वीकेंड पर उत्तराखंड की सड़कों पर लगा भीषण जाम, पर्यटक समेत स्थानीय नागरिक भी हुए परेशान</a></strong></p>
</div> <div dir=”auto”>
<p style=”text-align: justify;”><strong>UCC in Uttarakhand:</strong> लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही एक महिला ने तीन बच्चों को जन्म दिया, लेकिन जब भरण-पोषण मुश्किल हुआ तो प्रेमी ने उसे अकेला छोड़ दिया. अब महिला राज्य महिला आयोग की शरण में पहुंची है, जहां उसके लिए कानूनी सहायता तलाशी जा रही है. मामला न केवल बदलते समाज की सच्चाई को उजागर करता है, बल्कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता पर भी जोर देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला ने अपने प्रेमी के साथ कई साल लिव-इन रिलेशनशिप में बिताए. इस दौरान उन्होंने तीन बच्चों को जन्म दिया और यह सोचकर कि उनका रिश्ता किसी शादीशुदा जीवन से कम नहीं, अपनी पूरी जिंदगी उसी परिवार के रूप में बसा ली. लेकिन जब परिवार बढ़ा और आर्थिक जिम्मेदारियां बढ़ीं, तो प्रेमी ने धीरे-धीरे दूरी बना ली और आखिरकार महिला को अकेला छोड़ दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला ने राज्य महिला आयोग से गुहार लगाई<br /></strong>अब तीन बच्चों की मां के लिए जीवनयापन मुश्किल हो गया है. परेशान होकर उसने राज्य महिला आयोग से मदद की गुहार लगाई. आयोग के पास शिकायत दर्ज कराते समय महिला ने अपने प्रेमी को पति बताया, लेकिन जांच में सामने आया कि दोनों ने विवाह नहीं किया था और वे लिव-इन रिलेशनशिप में थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने इस मामले को समाज के बदलते स्वरूप का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि, यह उन लोगों की आंखें खोलने वाला मामला है, जो समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की अनिवार्यता का विरोध कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महिला आयोग अध्यक्ष ने क्या बोला? <br /></strong>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, अगर यह महिला यूसीसी के दायरे में पंजीकृत होता, तो उसके प्रेमी से उसके और बच्चों के भरण-पोषण का अधिकार दिलाया जा सकता था. साथ ही, बच्चों को संपत्ति में अधिकार भी मिल सकता था. लेकिन अभी कानूनी रूप से उसे कोई स्पष्ट अधिकार नहीं मिल रहा है. ऐसे मामलों से बचने के लिए लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन बेहद जरूरी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग के अनुसार, हर महीने दो से तीन मामले लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े विवादों के सामने आ रहे हैं. इनमें अधिकतर मामलों में महिलाओं को धोखा मिलता है और वे कानूनी रूप से किसी भी अधिकार से वंचित रह जाती हैं. आयोग ने अपनी सिफारिश में यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की थी, जिसे सरकार ने स्वीकार किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>प्रेमी ने बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाई<br /></strong>शिकायत मिलने के बाद महिला आयोग ने आरोपी प्रेमी को तलब किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए उसे समझाने का प्रयास किया. आयोग के कानूनी परामर्शदाताओं ने उसे बताया कि तीन बच्चों की जिम्मेदारी से वह यूं नहीं बच सकता. फिलहाल प्रेमी ने बच्चों की देखभाल का खर्च उठाने पर सहमति जताई है, लेकिन महिला की स्थिति अभी भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि कई बार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं यह मानकर चलती हैं कि वे शादीशुदा जीवन जी रही हैं. लेकिन कानूनी रूप से उनकी स्थिति बहुत कमजोर होती है. लिव-इन पार्टनर द्वारा छोड़ दिए जाने के बाद उनके पास कोई ठोस अधिकार नहीं बचता, जिससे वे कानूनी रूप से अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा नहीं कर पातीं.</p>
<iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/VsWOoUTWkB8?si=jMMELq1LuL8h9Tsl” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe>
<p style=”text-align: justify;”><strong>लिव-इन रिलेशनशिप के मामलों में बढ़ोतरी<br /></strong>लिव-इन रिलेशनशिप में कुछ सालों बाद महिलाओं को बेसहारा छोड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है, ताकि ब्रेकअप की स्थिति में महिला और उसकी संतान के अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन इनके लिए कोई स्पष्ट कानूनी ढांचा नहीं था. इस कारण महिलाओं को कई बार गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यूसीसी के तहत पंजीकरण से ऐसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलेगी और महिलाओं को कानूनी सुरक्षा मिलेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मामले में फिलहाल महिला आयोग की पहल पर प्रेमी ने बच्चों के खर्च की जिम्मेदारी ली है, लेकिन महिला के भविष्य को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. आयोग ने अन्य महिलाओं से भी अपील की है कि वे बिना किसी कानूनी सुरक्षा के लिव-इन रिलेशनशिप में जाने से पहले उसके संभावित परिणामों पर विचार करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/uttarakhand-due-to-weekend-traffic-jam-religious-and-tourist-places-local-citizens-are-upset-ann-2905043″>वीकेंड पर उत्तराखंड की सड़कों पर लगा भीषण जाम, पर्यटक समेत स्थानीय नागरिक भी हुए परेशान</a></strong></p>
</div> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राजस्थान के इस गांव में खेली जाती है ‘बारूद’ की होली, तोप और राइफल से मनता है जश्न
लिव-इन रिलेशनशिप में हुए तीन बच्चे, भरण-पोषण में हुई दिक्कत तो प्रेमी ने प्रेमिका को छोड़ा
