लुधियाना में निकाय चुनाव हुए 12 दिन हो चुके हैं। लेकिन अब तक शहर को मेयर नहीं मिल पाया है। भाजपा के जिला पदाधिकारियों ने भी किसी भी पार्टी को समर्थन देने के मामले में चुप्पी साध रखी है। केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने साफ कर दिया था कि भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चला रही है। इसके चलते किसी भी हालत में भाजपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सकता। लेकिन अब कांग्रेस शहर को मेयर देने के लिए तीसरे विकल्प का फार्मूला जरूर आजमाने की कोशिश कर रही है। वे किसी आजाद उम्मीदवार या किसी और को समर्थन देकर शहर को मेयर देने की कोशिश करेंगे। बता दें कि लुधियाना में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। मेयर बनाने में डगमगाती दिखी AAP दूसरी ओर, मेयर चुनने के सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े दावे डगमगाते नजर आ रहे हैं। तीनों ही पार्टियां फिलहाल मेयर चुनाव के मुद्दे को लटकाए रखना चाहती हैं, क्योंकि बिना दो पार्टियों के साथ आए किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक दिल्ली चुनाव में तीनों ही पार्टियां भाजपा, आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। इसके चलते अगर लुधियाना में कोई भी दो पार्टियां हाथ मिलाती हैं तो इसका दिल्ली चुनाव पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक अगर सत्ताधारी पार्टी निगम चुनाव को दो साल के लिए टाल सकती है तो वह 6 महीने तक बिना मेयर के निगम चला सकती है। कांग्रेस प्रधान बोले- तीसरे विकल्प पर भी काम कर रहे हैं इधर, कांग्रेस के जिला प्रधान संजय तलवाड़ ने मीडिया से कहा कि उनका प्रयास जारी है, और वह तीसरे विकल्प पर भी काम कर रहे हैं। जिसमें कांग्रेस किसी आजाद या अन्य को समर्थन देगी और भाजपा से भी उन्हें समर्थन दिलवाने की कोशिश करेंगे। ताकि आप को रोका जा सके। तलवाड़ का कहना है कि भाजपा भी चाहती है कि शहर के विकास के लिए आप को रोकना जरुरी है। लुधियाना में निकाय चुनाव हुए 12 दिन हो चुके हैं। लेकिन अब तक शहर को मेयर नहीं मिल पाया है। भाजपा के जिला पदाधिकारियों ने भी किसी भी पार्टी को समर्थन देने के मामले में चुप्पी साध रखी है। केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने साफ कर दिया था कि भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चला रही है। इसके चलते किसी भी हालत में भाजपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सकता। लेकिन अब कांग्रेस शहर को मेयर देने के लिए तीसरे विकल्प का फार्मूला जरूर आजमाने की कोशिश कर रही है। वे किसी आजाद उम्मीदवार या किसी और को समर्थन देकर शहर को मेयर देने की कोशिश करेंगे। बता दें कि लुधियाना में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। मेयर बनाने में डगमगाती दिखी AAP दूसरी ओर, मेयर चुनने के सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े दावे डगमगाते नजर आ रहे हैं। तीनों ही पार्टियां फिलहाल मेयर चुनाव के मुद्दे को लटकाए रखना चाहती हैं, क्योंकि बिना दो पार्टियों के साथ आए किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक दिल्ली चुनाव में तीनों ही पार्टियां भाजपा, आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। इसके चलते अगर लुधियाना में कोई भी दो पार्टियां हाथ मिलाती हैं तो इसका दिल्ली चुनाव पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक अगर सत्ताधारी पार्टी निगम चुनाव को दो साल के लिए टाल सकती है तो वह 6 महीने तक बिना मेयर के निगम चला सकती है। कांग्रेस प्रधान बोले- तीसरे विकल्प पर भी काम कर रहे हैं इधर, कांग्रेस के जिला प्रधान संजय तलवाड़ ने मीडिया से कहा कि उनका प्रयास जारी है, और वह तीसरे विकल्प पर भी काम कर रहे हैं। जिसमें कांग्रेस किसी आजाद या अन्य को समर्थन देगी और भाजपा से भी उन्हें समर्थन दिलवाने की कोशिश करेंगे। ताकि आप को रोका जा सके। तलवाड़ का कहना है कि भाजपा भी चाहती है कि शहर के विकास के लिए आप को रोकना जरुरी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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