लुधियाना में बिट्टू के पावरफुल, कांग्रेसी डगमगाए:थाम सकते हैं भाजपा का दामन, वड़िंग की जीत से कई नेताओं का घटा कद

लुधियाना में बिट्टू के पावरफुल, कांग्रेसी डगमगाए:थाम सकते हैं भाजपा का दामन, वड़िंग की जीत से कई नेताओं का घटा कद

पंजाब के लुधियाना से पूर्व सांसद रह चुके भाजपा नेता रवनीत सिंह बिट्टू को हारने के बावजूद राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद अब शहर की कांग्रेस लड़खड़ाती नजर आ रही है। बिट्टू की बढ़ती पावर के बाद अब कई कांग्रेसी भी निगम चुनाव से पहले भाजपा में छलांग लगा सकते हैं। कई कांग्रेसियों के साथ है नजदीकियां बिट्टू कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं। इस कारण जिले के कई कांग्रेसी नेताओं के साथ उनकी नजदीकियां भी है। कई कांग्रेसी बिट्टू की तस्वीर फेसबुक पर शेयर कर उन्हें बधाई भी दे रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा बनी है कि आने वाले दिनों में लुधियाना से कई बड़े नेता भाजपा का दामन थामने वाले हैं। वड़िंग से अधिक पड़ी बिट्टू को शहरी वोट इसका कारण यह है कि कुछ सीनियर नेताओं की भाजपा प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्टू के साथ काफी नजदीकियां थी। इस कारण उन नेताओं ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का खुलकर साथ भी नहीं दिया। वड़िंग के लिए उन नेताओं ने खुलकर चुनाव प्रचार नहीं किया। बात करें शहरी वोट की तो 50 से अधिक ऐसे वार्ड हैं जहां बिट्टू को अधिक वोट मिले हैं। इससे साफ जाहिर होता है की शहर के कांग्रेसी सीनियर नेताओं ने वड़िंग के लिए कुछ खास जोर नहीं लगाया। साइड लाइन होने का सताने लगा डर कांग्रेस के अब उन्हीं नेताओं को इस बात का डर सताने लगा है कि वड़िंग की जीत के बाद अब उन्हें पार्टी हाईकमान साइड लाइन न कर दें। वहीं अब राजा वड़िंग के सांसद बन जाने के बाद जिन कांग्रेसी नेताओं की शहर में तुती बोलती थी अब उनका कद भी लोगों के बीच कम हो गया है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जिन नेताओं ने वड़िंग का लोकसभा चुनाव में साथ नहीं दिया, उन नेताओं के नाम कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गए हैं। वड़िंग की जीत के बावजूद अभी कांग्रेस में गुटबाजी बरकरार है। 6 दिन पहले छलका था आशु का दर्द
पूर्व कैबिनट मंत्री भारत भूषण आशु ने वड़िंग की लोकसभा जीत के बाद करीब 6 दिन पहले फेसबुक पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा-रास्ते भी ज़िंदी हैं, मंजिलें भी ज़िंदी हैं,देखते है कल क्या होता है, हौंसले भी ज़िंदी है। आशु की इस पोस्ट की राजनीतिक गलियारों में कई मतलब निकाले जा रहे हैं। कुछ राजनीतिक माहिर कह रहे हैं कि आशु लोकसभा लुधियाना के प्रबल दावेदार थे। लेकिन मौके पर उनकी टिकट पार्टी हाईकमान ने पूर्व विधायकों की विरोधता के कारण काट दी। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में बिट्टू के पावरफुल होने पर कितने कांग्रेसी भाजपा का दामन थामते हैं। पंजाब के लुधियाना से पूर्व सांसद रह चुके भाजपा नेता रवनीत सिंह बिट्टू को हारने के बावजूद राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद अब शहर की कांग्रेस लड़खड़ाती नजर आ रही है। बिट्टू की बढ़ती पावर के बाद अब कई कांग्रेसी भी निगम चुनाव से पहले भाजपा में छलांग लगा सकते हैं। कई कांग्रेसियों के साथ है नजदीकियां बिट्टू कांग्रेस से सांसद रह चुके हैं। इस कारण जिले के कई कांग्रेसी नेताओं के साथ उनकी नजदीकियां भी है। कई कांग्रेसी बिट्टू की तस्वीर फेसबुक पर शेयर कर उन्हें बधाई भी दे रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा बनी है कि आने वाले दिनों में लुधियाना से कई बड़े नेता भाजपा का दामन थामने वाले हैं। वड़िंग से अधिक पड़ी बिट्टू को शहरी वोट इसका कारण यह है कि कुछ सीनियर नेताओं की भाजपा प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्टू के साथ काफी नजदीकियां थी। इस कारण उन नेताओं ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का खुलकर साथ भी नहीं दिया। वड़िंग के लिए उन नेताओं ने खुलकर चुनाव प्रचार नहीं किया। बात करें शहरी वोट की तो 50 से अधिक ऐसे वार्ड हैं जहां बिट्टू को अधिक वोट मिले हैं। इससे साफ जाहिर होता है की शहर के कांग्रेसी सीनियर नेताओं ने वड़िंग के लिए कुछ खास जोर नहीं लगाया। साइड लाइन होने का सताने लगा डर कांग्रेस के अब उन्हीं नेताओं को इस बात का डर सताने लगा है कि वड़िंग की जीत के बाद अब उन्हें पार्टी हाईकमान साइड लाइन न कर दें। वहीं अब राजा वड़िंग के सांसद बन जाने के बाद जिन कांग्रेसी नेताओं की शहर में तुती बोलती थी अब उनका कद भी लोगों के बीच कम हो गया है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जिन नेताओं ने वड़िंग का लोकसभा चुनाव में साथ नहीं दिया, उन नेताओं के नाम कांग्रेस हाईकमान तक पहुंच गए हैं। वड़िंग की जीत के बावजूद अभी कांग्रेस में गुटबाजी बरकरार है। 6 दिन पहले छलका था आशु का दर्द
पूर्व कैबिनट मंत्री भारत भूषण आशु ने वड़िंग की लोकसभा जीत के बाद करीब 6 दिन पहले फेसबुक पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा-रास्ते भी ज़िंदी हैं, मंजिलें भी ज़िंदी हैं,देखते है कल क्या होता है, हौंसले भी ज़िंदी है। आशु की इस पोस्ट की राजनीतिक गलियारों में कई मतलब निकाले जा रहे हैं। कुछ राजनीतिक माहिर कह रहे हैं कि आशु लोकसभा लुधियाना के प्रबल दावेदार थे। लेकिन मौके पर उनकी टिकट पार्टी हाईकमान ने पूर्व विधायकों की विरोधता के कारण काट दी। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में बिट्टू के पावरफुल होने पर कितने कांग्रेसी भाजपा का दामन थामते हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर