शिवसेना पंजाब के वरिष्ठ नेता संदीप गोरा थापर को आज पंजाब के लुधियाना के डीएमसी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। 5 जुलाई को सिविल अस्पताल के बाहर कुछ निहंगों ने थापर पर हमला किया था। 65 वर्षीय गोरा थापर के शरीर पर तलवार के कई घाव थे, कई जगह हड्डियां टूटी हुई थीं और मांसपेशियों की नसें कटी हुई थीं। उनके दाहिने कान का लोब कटा हुआ था। उनके सिर और हाथ पर कई गहरे घाव थे। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 8 दिन में की रिकवरी जानकारी देते हुए DMC के डॉ अनुभव शर्मा ने कहा कि वह आर्थोपेडिक सर्जन हैं। वह कोच्चि (केरल) और नई दिल्ली के प्रमुख संस्थानों में काम कर चुके हैं। मेजर सर्जरी करने का उन्हें काफी अनुभव है। डॉ अनुभव मुताबिक 8 दिनों में संदीप थापर ने काफी हद तक रिकवरी कर ली है। आज थापर का जन्म दिवस भी है। ये एक चमत्कार से कम नहीं है। उनका दो चरणों में ऑपरेशन किया गया है। डॉ अनुभव शर्मा ने कहा कि DMC के डॉक्टरों के एकजुट प्रयासों से, जीवन और अंगों को खतरे में डालने वाली चोटों से पीड़ित होने के 8 दिनों के भीतर उन्हें स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी जा रही है और उनके दोनों ऊपरी अंग बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं। निश्चित रूप से, बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए सर्वोत्तम पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी आबजरवेशन में रखा जाएगा। शिवसेना पंजाब के वरिष्ठ नेता संदीप गोरा थापर को आज पंजाब के लुधियाना के डीएमसी अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। 5 जुलाई को सिविल अस्पताल के बाहर कुछ निहंगों ने थापर पर हमला किया था। 65 वर्षीय गोरा थापर के शरीर पर तलवार के कई घाव थे, कई जगह हड्डियां टूटी हुई थीं और मांसपेशियों की नसें कटी हुई थीं। उनके दाहिने कान का लोब कटा हुआ था। उनके सिर और हाथ पर कई गहरे घाव थे। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 8 दिन में की रिकवरी जानकारी देते हुए DMC के डॉ अनुभव शर्मा ने कहा कि वह आर्थोपेडिक सर्जन हैं। वह कोच्चि (केरल) और नई दिल्ली के प्रमुख संस्थानों में काम कर चुके हैं। मेजर सर्जरी करने का उन्हें काफी अनुभव है। डॉ अनुभव मुताबिक 8 दिनों में संदीप थापर ने काफी हद तक रिकवरी कर ली है। आज थापर का जन्म दिवस भी है। ये एक चमत्कार से कम नहीं है। उनका दो चरणों में ऑपरेशन किया गया है। डॉ अनुभव शर्मा ने कहा कि DMC के डॉक्टरों के एकजुट प्रयासों से, जीवन और अंगों को खतरे में डालने वाली चोटों से पीड़ित होने के 8 दिनों के भीतर उन्हें स्थिर स्थिति में छुट्टी दे दी जा रही है और उनके दोनों ऊपरी अंग बेहतर ढंग से काम कर रहे हैं। निश्चित रूप से, बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए सर्वोत्तम पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए उन्हें उनकी आबजरवेशन में रखा जाएगा। पंजाब | दैनिक भास्कर
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SAD कोर कमेटी की मीटिंग आज:चार विधानसभा उपचुनावों और SGPC इलेक्शन के लिए बनेगी स्ट्रेटजी, भूंदड़ करेंगे अगुवाई शिरोमणि अकाली दल (SAD) की आज कोर कमेटी की मीटिंग होने जा रही है। बैठक पंजाब में 4 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उप चुनाव और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रधान पद चुनाव को लेकर स्ट्रैटजी बनेगी। बैठक चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय में होगी। जबकि बैठक का नेतृत्व कार्यवाहक अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ करेंगे। बैठक में राजनीतिक मुद्दों के अलावा मंडियों में धान की खरीद को लेकर किसानों को आ रही समस्याओं पर भी चर्चा होगी। अकाली दल के लिए भी यह चुनाव काफी अहम चार विधानसभा सीटों होने वाले उप चुनाव SAD के लिए भी अहम हैं। क्योंकि इन चार सीटों में ही गिद्दड़बाहा सीट शामिल है, जो कि पार्टी का गढ़ रहा है। इस सीट के बनने के बाद से अधिकतर समय पर यहां पार्टी ने चुनाव जीता है। प्रकाश सिंह बादल इस सीट सीट से कई बार जीते हैं। वहीं, डिंपी ढिल्लों के आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद से सुखबीर सिंह बादल भी लगातार इस सीट पर एक्टिव है। हरसिमरत कौर बादल खुद हलका संभाल रही है। वहीं, हीरा सिंह गाबड़िया को बरनाला शहरी और इकबाल सिंह झूंदा बरनाला ग्रामीण के प्रचार प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। SAD के संसदीय बोर्ड ने लिया है फीडबैक गिदड़बाहा सीट बादलों की पुरानी सीट है। इसमें केवल कांग्रेस 5 बार जीती है। इसके अलावा यहां से अकाली दल जीता है। वहीं, इस हलके की कमान अब खुद बादल परिवार संभाल रहा है। इससे पहले SAD के संसदीय बोर्ड ने गिद्दड़बाहा सीट को छोड़कर सभी सीटों का दौरा किया है। साथ ही सारे हलकों की स्थिति को लेकर फीडबैक लिया है। वहीं, जहां तक अकाली दल के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो डेरा बाबा नानक से सुच्चा सिंह लंगाह पर दांव खेल सकती है। क्योंकि उनकी अकाली दल में वापसी हो गई है। गिद्दड़बाहा को लेकर सुखबीर बादल का नाम भी चल रहा है। बरनाला में कुलवंत सिंह कांता उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं। वह गत 2022 में 25 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे थे। हालांकि होशियारपुर में भी कई लोग दौड़ में है। इन चारों विधानसभा हलकों में चुनाव इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि यहां के विधायक सांसद बन गए हैं। साथ ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद से ये सीटें खाली हैं।