लोक निर्माण विभाग में नई नीतियों के चलते ठेकेदार कल्याण समिति ने प्रदेश भर में टेंडर बहिष्कार का निर्णय लिया है। ठेकेदार संघ ने नई नीतियों को जनविरोधी और विभाग के लिए घातक बताया है। कोषागार प्रणाली पर असंतोष जताते हुए ठेकेदार कल्याण समिति के महामंत्री ने राजू वर्मा ने विभागाध्यक्ष व प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर टेंडर बहिष्कार की जानकारी दी है। प्रमुख अभियंता को लिखे पत्र में राजू वर्मा ने कोषागार प्रणाली, रॉयल्टी कटौती और पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति को लेकर गहरा असंतोष है। कोषागार प्रणाली से दिक्कत कोषागार प्रणाली के तहत लाखों – करोड़ों रुपए डिपॉजिट के रूप में ठेकेदारों के फंसे हुए हैं। इससे वे बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। इस प्रणाली के चलते ठेकेदारों को भुगतान में अत्यधिक देरी हो रही है। इससे उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ठेकेदारों का कहना है कि पहले की तुलना में अब यह प्रणाली उन्हें और अधिक संकट में डाल रही है। रॉयल्टी में कटौती से परेशानी नई व्यवस्था के तहत राॅयल्टी में कटौती भी ठेकेदारों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है। पहले लोक निर्माण विभाग खुद रॉयल्टी की कटौती करता था अब इसे एक जटिल प्रक्रिया बना दिया गया है। इसके कारण ठेकेदारों को रॉयल्टी के चक्कर में उलझा दिया गया है। अब उन्हें रॉयल्टी की छह गुना ज्यादा कटौती का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब ठेकेदारों को ही रॉयल्टी का निरीक्षक बना दिया गया है। इसके चलते ठेकेदार तनाव में रहता है। पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति खतरनाक लोक निर्माण विभाग द्वारा अब ग्रामीण सड़कों पर पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति लागू करने का प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि विभाग के ही अधिकारी इस नीति को लेकर असमंजस में हैं। शासनादेश तो जारी किया गया लेकिन संबंधित आदेश पत्र (बेसओपी) जारी नहीं हो पाया है। विभाग में यह स्पष्ट नहीं है कि यह नीति किस तरह से लागू की जाएगी। प्रमुख अभियंता द्वारा बनाये गए नियमों की स्वीकृति के इंतजार में निविदाएं जारी कर दी गईं हैं जो विभाग के लिए ही फांस बनी हुई हैं। ठेकेदार घेरेंगे मुख्यालय टेंडर प्रक्रिया में जटिलताओं और गलत नीतियों के चलते प्रदेश के ठेकेदारों ने टेंडर बहिष्कार का निर्णय लिया है। ठेकेदारों ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे शीघ्र प्रमुख अभियंता कार्यालय का घेराव करेंगे। ठेकेदारों ने अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर विभाग से तत्काल वार्ता की मांग की है। आइए जानते हैं ठेकेदारों की प्रमुख मांगें जानिए टेंडर बहिष्कार हुआ तो क्या होगा ठेकेदारों द्वारा टेंडर बहिष्कार करने के बाद उत्तर प्रदेश के निर्माण और विकास कार्यों पर गहरा असर पड़ेगा। निर्माण कार्यों में देरी यदि ठेकेदारों ने टेंडरों का बहिष्कार किया तो सरकारी परियोजनाओं की समय पर शुरुआत और संपन्नता में भारी देरी हो सकती है। इससे निर्माण कार्यों में रुकावट आ सकती है। महत्वपूर्ण परियोजनाएं जैसे सड़क निर्माण, पुल, स्कूल, अस्पताल आदि प्रभावित हो सकते हैं। इससे राज्य सरकार के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी दिक्कत होगी। राजस्व पर असर ठेकेदारों के टेंडर बहिष्कार करने से सार्वजनिक निर्माण कार्य रुक सकते हैं। इसका सीधा असर राज्य सरकार के राजस्व पर पड़ सकता है। विकास कार्यों की धीमी गति के कारण सरकार की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। विशेषकर उन परियोजनाओं पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा जो राजस्व बढ़ाने में मददगार होते हैं। प्रशासनिक संकट टेंडर बहिष्कार के कारण लोक निर्माण विभाग को भारी प्रशासनिक संकट का सामना करना पड़ेगा। नए टेंडर के बिना विभाग के पास अनुभव वाले ठेकेदार नहीं होंगे। इससे काम की गति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे विभाग को निर्माण कार्यों की योजना को फिर से समायोजित करने की जरूरत पड़ सकती है। इससे समय और संसाधन दोनों की बर्बादी होगी। गुणवत्ता में गिरावट यदि ठेकेदारों के विरोध के कारण मजबूरी में टेंडर दिए जाते हैं तो इसके चलते गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। ठेकेदारों का विश्वास कम होने के कारण जल्दबाजी में या बिना उचित योजना के कार्य करने से सड़कें, भवन और अन्य निर्माण कार्य कमजोर हो सकते हैं। इससे बाद में मरम्मत और रखरखाव की जरूरत भी बढ़ सकती है। निर्माण कार्य ठप हो जाएंगी सरकार की जो योजनाएं विकास कार्यों से जुड़ी हैं वे ठप हो जाएंगी। टेंडर बहिष्कार से नई सड़कें बनाना, बुनियादी ढांचे का निर्माण, ग्रामीण विकास आदि कार्य रुक सकते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में विकास की गति धीमी हो सकती है। सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो सकता है। यह समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए भी आर्थिक संकट का कारण बन सकता है। ठेकेदारों और सरकार के बीच तनाव ठेकेदारों का टेंडर बहिष्कार के निर्णय से सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है। जो आगमी चुनाव में सरकार के विरोध में माहौल खड़ा कर सकता है। इससे प्रशासन और ठेकेदारों के बीच विश्वास की कमी बढ़ सकती है। यदि सरकार इन समस्याओं का समाधान नहीं करती है तो इससे निर्माण क्षेत्रों में अनिश्चितता और अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। नौकरी और श्रमिकों पर प्रभाव जब ठेकेदार निर्माण कार्यों को रोकेंगे या बहिष्कार करेंगे तो इससे श्रमिकों और अन्य कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़े लोगों की रोज़ी – रोटी पर भी असर पड़ेगा। निर्माण परियोजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों के लिए यह संकट का कारण बन सकता है क्योंकि कई मजदूर और श्रमिक इन परियोजनाओं से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। लोक निर्माण विभाग में नई नीतियों के चलते ठेकेदार कल्याण समिति ने प्रदेश भर में टेंडर बहिष्कार का निर्णय लिया है। ठेकेदार संघ ने नई नीतियों को जनविरोधी और विभाग के लिए घातक बताया है। कोषागार प्रणाली पर असंतोष जताते हुए ठेकेदार कल्याण समिति के महामंत्री ने राजू वर्मा ने विभागाध्यक्ष व प्रमुख अभियंता को पत्र लिखकर टेंडर बहिष्कार की जानकारी दी है। प्रमुख अभियंता को लिखे पत्र में राजू वर्मा ने कोषागार प्रणाली, रॉयल्टी कटौती और पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति को लेकर गहरा असंतोष है। कोषागार प्रणाली से दिक्कत कोषागार प्रणाली के तहत लाखों – करोड़ों रुपए डिपॉजिट के रूप में ठेकेदारों के फंसे हुए हैं। इससे वे बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं। इस प्रणाली के चलते ठेकेदारों को भुगतान में अत्यधिक देरी हो रही है। इससे उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ठेकेदारों का कहना है कि पहले की तुलना में अब यह प्रणाली उन्हें और अधिक संकट में डाल रही है। रॉयल्टी में कटौती से परेशानी नई व्यवस्था के तहत राॅयल्टी में कटौती भी ठेकेदारों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है। पहले लोक निर्माण विभाग खुद रॉयल्टी की कटौती करता था अब इसे एक जटिल प्रक्रिया बना दिया गया है। इसके कारण ठेकेदारों को रॉयल्टी के चक्कर में उलझा दिया गया है। अब उन्हें रॉयल्टी की छह गुना ज्यादा कटौती का सामना करना पड़ रहा है। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब ठेकेदारों को ही रॉयल्टी का निरीक्षक बना दिया गया है। इसके चलते ठेकेदार तनाव में रहता है। पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति खतरनाक लोक निर्माण विभाग द्वारा अब ग्रामीण सड़कों पर पांच वर्षीय अनुरक्षण नीति लागू करने का प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि विभाग के ही अधिकारी इस नीति को लेकर असमंजस में हैं। शासनादेश तो जारी किया गया लेकिन संबंधित आदेश पत्र (बेसओपी) जारी नहीं हो पाया है। विभाग में यह स्पष्ट नहीं है कि यह नीति किस तरह से लागू की जाएगी। प्रमुख अभियंता द्वारा बनाये गए नियमों की स्वीकृति के इंतजार में निविदाएं जारी कर दी गईं हैं जो विभाग के लिए ही फांस बनी हुई हैं। ठेकेदार घेरेंगे मुख्यालय टेंडर प्रक्रिया में जटिलताओं और गलत नीतियों के चलते प्रदेश के ठेकेदारों ने टेंडर बहिष्कार का निर्णय लिया है। ठेकेदारों ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों पर कार्रवाई नहीं की गई तो वे शीघ्र प्रमुख अभियंता कार्यालय का घेराव करेंगे। ठेकेदारों ने अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर विभाग से तत्काल वार्ता की मांग की है। आइए जानते हैं ठेकेदारों की प्रमुख मांगें जानिए टेंडर बहिष्कार हुआ तो क्या होगा ठेकेदारों द्वारा टेंडर बहिष्कार करने के बाद उत्तर प्रदेश के निर्माण और विकास कार्यों पर गहरा असर पड़ेगा। निर्माण कार्यों में देरी यदि ठेकेदारों ने टेंडरों का बहिष्कार किया तो सरकारी परियोजनाओं की समय पर शुरुआत और संपन्नता में भारी देरी हो सकती है। इससे निर्माण कार्यों में रुकावट आ सकती है। महत्वपूर्ण परियोजनाएं जैसे सड़क निर्माण, पुल, स्कूल, अस्पताल आदि प्रभावित हो सकते हैं। इससे राज्य सरकार के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी दिक्कत होगी। राजस्व पर असर ठेकेदारों के टेंडर बहिष्कार करने से सार्वजनिक निर्माण कार्य रुक सकते हैं। इसका सीधा असर राज्य सरकार के राजस्व पर पड़ सकता है। विकास कार्यों की धीमी गति के कारण सरकार की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। विशेषकर उन परियोजनाओं पर सीधे तौर पर असर पड़ेगा जो राजस्व बढ़ाने में मददगार होते हैं। प्रशासनिक संकट टेंडर बहिष्कार के कारण लोक निर्माण विभाग को भारी प्रशासनिक संकट का सामना करना पड़ेगा। नए टेंडर के बिना विभाग के पास अनुभव वाले ठेकेदार नहीं होंगे। इससे काम की गति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे विभाग को निर्माण कार्यों की योजना को फिर से समायोजित करने की जरूरत पड़ सकती है। इससे समय और संसाधन दोनों की बर्बादी होगी। गुणवत्ता में गिरावट यदि ठेकेदारों के विरोध के कारण मजबूरी में टेंडर दिए जाते हैं तो इसके चलते गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है। ठेकेदारों का विश्वास कम होने के कारण जल्दबाजी में या बिना उचित योजना के कार्य करने से सड़कें, भवन और अन्य निर्माण कार्य कमजोर हो सकते हैं। इससे बाद में मरम्मत और रखरखाव की जरूरत भी बढ़ सकती है। निर्माण कार्य ठप हो जाएंगी सरकार की जो योजनाएं विकास कार्यों से जुड़ी हैं वे ठप हो जाएंगी। टेंडर बहिष्कार से नई सड़कें बनाना, बुनियादी ढांचे का निर्माण, ग्रामीण विकास आदि कार्य रुक सकते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में विकास की गति धीमी हो सकती है। सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो सकता है। यह समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए भी आर्थिक संकट का कारण बन सकता है। ठेकेदारों और सरकार के बीच तनाव ठेकेदारों का टेंडर बहिष्कार के निर्णय से सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है। जो आगमी चुनाव में सरकार के विरोध में माहौल खड़ा कर सकता है। इससे प्रशासन और ठेकेदारों के बीच विश्वास की कमी बढ़ सकती है। यदि सरकार इन समस्याओं का समाधान नहीं करती है तो इससे निर्माण क्षेत्रों में अनिश्चितता और अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। नौकरी और श्रमिकों पर प्रभाव जब ठेकेदार निर्माण कार्यों को रोकेंगे या बहिष्कार करेंगे तो इससे श्रमिकों और अन्य कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़े लोगों की रोज़ी – रोटी पर भी असर पड़ेगा। निर्माण परियोजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों के लिए यह संकट का कारण बन सकता है क्योंकि कई मजदूर और श्रमिक इन परियोजनाओं से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
Ujjain: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उमड़ी भीड़, CM मोहन यादव ने की पूजा अर्चना
Ujjain: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उमड़ी भीड़, CM मोहन यादव ने की पूजा अर्चना <p style=”text-align: justify;”><strong>Ujjain Bhagwan Jagannath Rath Yatra 2024:</strong> धार्मिक नगरी उज्जैन में भगवान जगन्नाथ की दो रथ यात्रा निकाली गई. एक रथ यात्रा इस्कॉन मंदिर के जरिये निकाली गई जबकि दूसरी रथ यात्रा प्राचीन जगदीश मंदिर से निकली. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दोनों ही रथ यात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने से पहले मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की. उज्जैन में कई वर्षों से लगातार जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जा रही है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रथ यात्रा उमड़ा जन सैलाब</strong><br />इस्कॉन मंदिर के पंडित राघव ने बताया कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि रथ यात्रा निकालने के पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस्कॉन मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की थी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दूसरी तरफ चंद्रवंशी खाती समाज ने भी उज्जैन के जगदीश मंदिर से विशाल यात्रा निकाली. इस रथ यात्रा से पहले सीएम मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जगदीश मंदिर पहुंचे. उन्होंने भगवान जगदीश की पूजा अर्चना की और पूरे देश की खुशहाली की प्रार्थना की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम</strong><br />भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर उज्जैन में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. उज्जैन पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि रथ यात्रा को लेकर पूरे मार्ग में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए. इसके अलावा वीडियोग्राफी भी कराई गई. </p>
<p style=”text-align: justify;”>पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि भीड़ प्रबंधन को लेकर हाईराइज बिल्डिंग से निगाह रखी गई. उन्होंने बताया कि यातायात व्यवस्था को लेकर अतिरिक्त बल लगाया गया था. दोनों रथ यात्रा में 500 से ज्यादा पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”‘यहां सनातन धर्म को…’, ऑस्ट्रेलिया पहुंचकर बोले बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/dhirendra-krishna-shastri-bageshwar-dham-sarkar-in-australia-sanatan-dharm-mp-news-2732171″ target=”_blank” rel=”noopener”>’यहां सनातन धर्म को…’, ऑस्ट्रेलिया पहुंचकर बोले बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री</a></strong></p>
Delhi Election 2025: संजय सिंह ने किया दिल्ली में जीत का दावा, ‘जनता अरविंद केजरीवाल को चौथी बार बनाएगी CM’
Delhi Election 2025: संजय सिंह ने किया दिल्ली में जीत का दावा, ‘जनता अरविंद केजरीवाल को चौथी बार बनाएगी CM’ <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Election 2025:</strong> आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने विकासपुरी, द्वारका और मटियाला विधानसभा में “आप” प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया. तीनों ही जनसभाओं में लोगों की जबरदस्त भीड़ रही. इस दौरान लोगों ने ‘फिर लाएंगे केजरीवाल’ के जमकर नारे लगाए. लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में इस बार फिर झाड़ू चलेगी. दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल को चौथी बार सीएम बनाने के लिए तैयार है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यसभा सांसद ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी तो महिलाओं के खाते में हर महीने 2100 रुपए दिया जाएगा और संजीवनी योजना लागू करके 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का सारा इलाज मुफ्त कराया जाएगा. उन्होंने दिल्ली के लोगों को आगाह करते हुए कहा कि बीजेपीश्मशान बनाने वाली पार्टी है, ये लोग आपके लिए स्कूल-अस्पताल नहीं बना सकते.</p>
<p style=”text-align: justify;”>आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जब अरविंद केजरीवाल सरकारी स्कूलों का दौरा करने जाते थे तो वह देखते थे कि बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ रहे थे. स्कूल में मकड़ी के जाले लगे हुए होते थे. बच्चियों के लिए शौचालय का इंतजाम नहीं था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>शिक्षा क्रांति की मदद से केजरीवाल को जीत की उम्मीद</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आप नेता बोले, “आज उन्हीं सरकारी स्कूलों में अरविंद केजरीवाल ने बच्चों की पढ़ाई के लिए एयर कंडीशन क्लासरूम बनाने का काम किया है. साथ ही, सरकारी स्कूलों में एथलीट और हॉकी ग्राउंड बनवाए. स्वीमिंग पूल का निर्माण करवाया. जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप हिंदुस्तान आईं तो प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> ने उनसे कहा कि गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के स्कूल देख लो. तो मेलानिया ट्रम्प ने कहा कि मुझे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के सरकारी स्कूल देखने हैं. पहले लोग कहते थे कि अमेरिका से सीखो लेकिन आज अमेरिका के लोग कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से सीखो”.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संजय सिंह ने बीजेपी को बताया झूठ बोलने वाली पार्टी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संजय सिंह ने कहा कि यह झूठ बोलने वाली पार्टी है और इनका दूसरा नाम भारतीय झगड़ा पार्टी है. इनका काम झगड़ा कराना है. ये हिंदू का मुसलमान से झगड़ा कराते हैं. हिंदू का सिख से झगड़ा कराते हैं. हिंदू का ईसाई से झगड़ा कराते हैं. फिर हिंदू का हिंदू से झगड़ा कराते हैं. जाट का गैर जाट से झगड़ा कराते हैं. मराठा का गैर मराठा से झगड़ा कराते हैं. पहलवान और किसान का पुलिस के जवान से झगड़ा कराते हैं. यह झगड़ा कराने वाले लोग हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”बीजेपी के संकल्प पत्र पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का निशाना, बोले- ‘ये सब यहां-वहां की नकल है'” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-assembly-election-2025-sandeep-dikshit-slams-on-bjp-manifesto-sankalp-patra-called-it-a-copy-2865292″ target=”_self”>बीजेपी के संकल्प पत्र पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का निशाना, बोले- ‘ये सब यहां-वहां की नकल है'</a></strong></p>
हिमाचल हाईकोर्ट का HPTDC को झटका:18 होटल बंद करने के आदेश; घाटे में चल रही यूनिट को सफेद हाथी बताया
हिमाचल हाईकोर्ट का HPTDC को झटका:18 होटल बंद करने के आदेश; घाटे में चल रही यूनिट को सफेद हाथी बताया हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने पेंशनर को वित्तीय लाभ नहीं मिलने की याचिका की सुनवाई करते हुए घाटे में चल रहे 18 होटलों को 25 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक MD को इन होटलों को बंद करने संबंधी आदेशों की अनुपालना को सुनिश्चित करने को कहा है और इसकी अनुपालना रिपोर्ट 3 दिसंबर को कोर्ट में पेश करने को बोला है। घाटे में चल रहे होटलों को सफेद हाथी बताया कोर्ट ने घाटे में चल रहे इन होटलों को सफेद हाथी बताते हुए कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन निगम इनके रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न करें। ये होटल राज्य पर बोझ हैं। कोर्ट ने कहा, निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है। इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है और न्यायालय इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आए वित्त से जुड़े मामलों में दिन प्रतिदिन वित्तीय संकट की बात कहती रहती है। दूसरे होटल में ट्रांसफर किए जा सकेंगे कर्मचारी इससे पहले HPTDC ने अपने सभी होटलों द्वारा किए व्यवसाय से जुड़ी जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी थी। इसके आधार पर अदालत ने यह फैसला सुनाया है। इन होटलों में तैनात कर्मचारियों को दूसरी यूनिट में ट्रांसफर करने के लिए निगम प्रबंधन स्वतंत्र रहेगा। कोर्ट ने MD को शपथ पत्र दाखिल करने को कहा कोर्ट ने पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक को उपरोक्त होटल बंद करने से जुड़े इन आदेशों के क्रियान्वयन के लिए अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने HPTDC से चतुर्थ श्रेणी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा अब इस दुनिया में नहीं रहे उन दुर्भाग्य कर्मचारियों की सूची भी प्रस्तुत करने को कहा है जिन्हें उनके वित्तीय लाभ नहीं मिले हैं। प्रदेश में HPTDC के 56 होटल प्रदेश में HPTDC के कुल 56 होटल चल रहे है। मगर ज्यादातर होटल कई सालों से घाटे में है। इससे निगम अपने कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर को पेंशन नहीं दे पा रहा। पेंशनर के सेवा लाभ का मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है। इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फैसला सुनाया है।