आज विधानसभा सत्र में कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर केस में गठित आयोग की रिपोर्ट पेश की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई आदि के बारे में भी रिपोर्ट टेबल पर प्रस्तुत की जाएगी। वर्ष-2020 में विकास दुबे एनकाउंटर हुआ। इसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया था। पुलिस की भूमिका की भी रिपोर्ट
रिपोर्ट में एनकाउंटर के समय पुलिस की भूमिका और अन्य तथ्यों को भी रखा जाएगा। इसके अलावा सदन की कार्यवाही के दौरान कई विधेयक भी पेश किए जाएंगे। उन पर चर्चा के बाद पारित करने या विधेयकों को पास करने के लिए प्रवर समिति के पास भेजने जैसे विषयों पर चर्चा होगी। बता दें कि आयोग पहले ही पुलिस को क्लीन चिट दे चुका है। जानिए कानपुर का बिकरू कांड, जिसकी रिपोर्ट होगी पेश….
कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिकरू गांव में 2-3 जुलाई 2024 की रात पुलिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने पहुंची थी। टीम की कमान बिठूर के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा संभाल रहे थे। उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी। इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने घात लगाकर पुलिस पर धावा बोल दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। विकास दुबे अपने हाथों से सीओ का पैर काटा था। वारदात के बाद विकास समेत उसके गैंग के सभी बदमाश मौके से भाग निकले। जुलाई-2020 को मारा गया था विकास दुबे
देश का यह पहला ऐसा कांड था जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में सबसे पहले विकास दुबे के कई साथियों का एनकाउंटर किया। उसके बाद 10 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश से वापस कानपुर आते समय कानपुर देहात के समीप अपराधी व माफिया विकास दुबे को पुलिस ने अपनी रक्षा के लिए गोलियों से भून दिया था। कुल 80 एफआईआर हुई थी दर्ज
पुलिस ने एनकाउंटर में विकास और उसके 5 गुर्गों को मार गिराया था। इस जघन्य हत्याकांड के 4 साल पूरे होने के बाद अब तक 4 मुकदमों में फैसला आ चुका है। बिकरू कांड में कुल 80 एफआईआर दर्ज की गई थीं। 36 पर गैंगस्टर और 5 पर NSA
विकास दुबे के परिवार और करीबियों की लखनऊ, कानपुर नगर और देहात में की अचल संपत्तियां सीज कर दी गई थीं। लापरवाही बरतने के दोषी 37 पुलिस वालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ। 36 आरोपियों पर गैंगस्टर और 5 आरोपियों पर एनएसए लगाया गया था। ये भी पढ़ें:- पुलिसवालों को जलाने वाला था विकास दुबे: कानपुर के बिकरू कांड के 4 साल बाद भी दहशत गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को 4 साल पूरे हो गए। भले ही वो मर चुका है, मगर बिकरू के लोगों के लिए आज भी जिंदा है। उसका खौफ कायम है। हालात ये हैं कि लोग उसकी खंडहर में तब्दील हो चुकी आलीशान कोठी के पास तक नहीं जाते। कोठी का सामान जैसे का तैसे पड़ा है। किसी में हिम्मत नहीं कि वहां की सुई तक इधर से उधर कर दे। डर का आलम ऐसा है कि गांव में शादी, जन्मदिन जैसे खुशियों के बड़े आयोजन भी नहीं होते हैं। हालात को और नजदीक से समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम चौबेपुर के बिकरू गांव पहुंची। हम समझना चाहते थे कि एनकाउंटर के 4 साल बाद भी लोग विकास दुबे के नाम से डरते क्यों हैं? पढ़िए खास रिपोर्ट… आज विधानसभा सत्र में कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर केस में गठित आयोग की रिपोर्ट पेश की जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई आदि के बारे में भी रिपोर्ट टेबल पर प्रस्तुत की जाएगी। वर्ष-2020 में विकास दुबे एनकाउंटर हुआ। इसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शशिकांत की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी का गठन किया था। पुलिस की भूमिका की भी रिपोर्ट
रिपोर्ट में एनकाउंटर के समय पुलिस की भूमिका और अन्य तथ्यों को भी रखा जाएगा। इसके अलावा सदन की कार्यवाही के दौरान कई विधेयक भी पेश किए जाएंगे। उन पर चर्चा के बाद पारित करने या विधेयकों को पास करने के लिए प्रवर समिति के पास भेजने जैसे विषयों पर चर्चा होगी। बता दें कि आयोग पहले ही पुलिस को क्लीन चिट दे चुका है। जानिए कानपुर का बिकरू कांड, जिसकी रिपोर्ट होगी पेश….
कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिकरू गांव में 2-3 जुलाई 2024 की रात पुलिस हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने पहुंची थी। टीम की कमान बिठूर के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा संभाल रहे थे। उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी। इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने घात लगाकर पुलिस पर धावा बोल दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। विकास दुबे अपने हाथों से सीओ का पैर काटा था। वारदात के बाद विकास समेत उसके गैंग के सभी बदमाश मौके से भाग निकले। जुलाई-2020 को मारा गया था विकास दुबे
देश का यह पहला ऐसा कांड था जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में सबसे पहले विकास दुबे के कई साथियों का एनकाउंटर किया। उसके बाद 10 जुलाई 2020 को मध्य प्रदेश से वापस कानपुर आते समय कानपुर देहात के समीप अपराधी व माफिया विकास दुबे को पुलिस ने अपनी रक्षा के लिए गोलियों से भून दिया था। कुल 80 एफआईआर हुई थी दर्ज
पुलिस ने एनकाउंटर में विकास और उसके 5 गुर्गों को मार गिराया था। इस जघन्य हत्याकांड के 4 साल पूरे होने के बाद अब तक 4 मुकदमों में फैसला आ चुका है। बिकरू कांड में कुल 80 एफआईआर दर्ज की गई थीं। 36 पर गैंगस्टर और 5 पर NSA
विकास दुबे के परिवार और करीबियों की लखनऊ, कानपुर नगर और देहात में की अचल संपत्तियां सीज कर दी गई थीं। लापरवाही बरतने के दोषी 37 पुलिस वालों पर भी विभागीय एक्शन हुआ। 36 आरोपियों पर गैंगस्टर और 5 आरोपियों पर एनएसए लगाया गया था। ये भी पढ़ें:- पुलिसवालों को जलाने वाला था विकास दुबे: कानपुर के बिकरू कांड के 4 साल बाद भी दहशत गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को 4 साल पूरे हो गए। भले ही वो मर चुका है, मगर बिकरू के लोगों के लिए आज भी जिंदा है। उसका खौफ कायम है। हालात ये हैं कि लोग उसकी खंडहर में तब्दील हो चुकी आलीशान कोठी के पास तक नहीं जाते। कोठी का सामान जैसे का तैसे पड़ा है। किसी में हिम्मत नहीं कि वहां की सुई तक इधर से उधर कर दे। डर का आलम ऐसा है कि गांव में शादी, जन्मदिन जैसे खुशियों के बड़े आयोजन भी नहीं होते हैं। हालात को और नजदीक से समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम चौबेपुर के बिकरू गांव पहुंची। हम समझना चाहते थे कि एनकाउंटर के 4 साल बाद भी लोग विकास दुबे के नाम से डरते क्यों हैं? पढ़िए खास रिपोर्ट… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर