लखनऊ के गोमतीनगर में कुछ लोगों ने कंपनी खोली। सोशल मीडिया पर ऐड करवाया। विदेश में नौकरी लगवाने का वादा किया। बड़ी संख्या में लोगों ने अप्लाई कर दिया। कंपनी ने सबको बुलाया। मेडिकल करवाया, टिकट दिया। वीजा दिया। इसके लिए हर एक स्टेप पर पैसा लिया। लोग टिकट और वीजा लेकर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां जब टिकट चेक हुआ तो पता चला कि टिकट ही कैंसिल है। यहां तक आवेदन करने वालों को लग गया था कि उनके साथ कुछ फर्जीवाड़ा हो रहा है। लेकिन, कंपनी के लोग कुछ ज्यादा ही शातिर निकले। उन्होंने सभी को दिल्ली बुलाया। एक-दो दिन तक टालमटोल करते रहे। जब लोगों को लग गया कि वे पूरी तरह से फंस गए हैं, तब लौटकर लखनऊ आए। हंगामा हुआ, FIR दर्ज हुई। लेकिन, कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं हुआ। क्योंकि जिन्होंने ठगी की उनका नाम और पता सब कुछ फर्जी था। अब 150 से ज्यादा लोग अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद लगाए इंतजार कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने ठगी के इस पूरे मामले को कवर किया। हमने उन लोगों से बात की, जो ठगे गए। कहां-क्या कुछ हुआ, कैसे संपर्क में आए, सब कुछ समझा। आइए पीड़ित के जरिए ही जानते हैं… फेसबुक-इंस्टाग्राम से नौकरी के बारे में पता चला
लखनऊ के गोमतीनगर में इसी साल फरवरी महीने में एक कंपनी आई। उसने विभूति खंड के बिलाल टॉवर में ऑफिस के लिए एक हॉल लिया। पंजाब के जालंधर के राहुल ठाकुर नाम के एक व्यक्ति के नाम से एग्रीमेंट हुआ। वीजा स्पॉट (Visa Spot) नाम से कंपनी की शुरुआत हुई। कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों को इनवाइट करने के लिए वीडियो फॉर्मेट में विज्ञापन बनवाए। इस विज्ञापन में एक लड़की बताती है कि हमें कुवैत के लिए कुछ लोगों की जरूरत है। वहां 220 कुवैती दिनार सैलरी के रूप में मिलेंगे। इसे भारतीय रुपए में कंवर्ट करेंगे तो 60 हजार रुपए महीना होगा। सैलरी सुनकर तमाम लोगों ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने सभी को अपने स्कूल-कॉलेज के सर्टिफिकेट के साथ विभूति खंड के दफ्तर में आने के लिए कहा। मार्च महीने से यहां भीड़ जुटने लगी। जीजा को विदेश भेजने के लिए दिए पैसे
कंपनी के जरिए जिन लोगों को विदेश जाना था, उनमें लखनऊ के पारा इलाके के भीम जायसवाल भी थे। हम भीम के घर पहुंचे। वहां हमें उनके साले संदीप जायसवाल मिले। वह बताते हैं- भीम दुकान पर मिठाई बनाने का काम करते हैं। साथ ही उन्हें प्लंबरिंग का भी काम आता है। उन्होंने वीजा स्पॉट कंपनी का वो वीडियो ऐड देखा और सैलरी सुनने के बाद मुझसे कहा कि इसमें कुछ देखा जाए। इसके बाद वीडियो में बताए गए पते पर हम और जीजा भीम पहुंचे। संदीप कहते हैं- वहां हम लोग गए, तो ऑफिस का सेटअप लगा था। इसलिए शक जैसा कुछ नहीं हुआ। रिसेप्शन पर बातचीत के बाद हमारी मुलाकात तान्वी पाठक नाम की महिला से हुई। उन्होंने हमें सब कुछ बताया। मेडिकल करवाने के नाम पर सबसे पहले 10 हजार रुपए जमा करने को कहा गया। हम लोगों ने 10 हजार रुपए जमा कर दिए। इसके बाद मेडिकल हो गया। वहां भीम के साथ करीब 20 और लोग थे, जिनका मेडिकल हुआ। संदीप बताते हैं- इसके बाद हम लोगों से कहा गया कि 10 हजार रुपए और दे दीजिए। हमने वो पैसा भी जमा कर दिया। ये सारे पैसे बलविंदर सिंह नाम के व्यक्ति के अकाउंट में जा रहे थे। कुछ दिन बाद जीजा का वीजा आ गया। इसके बाद कंपनी ने 40 हजार रुपए लिए और कहा कि अगले एक हफ्ते में आप सभी को कुवैत भेज दिया जाएगा। सभी से फ्लाइट टिकट का पैसा लिया
संदीप बताते हैं- कंपनी ने करीब 50 लोगों से टिकट के 20-20 हजार रुपए लिए। सबका एयर टिकट लखनऊ से दिल्ली का करवाया। कुछ लोगों ने ऑनलाइन चेक किया तो टिकट शो कर रहा था। कहा गया कि कुवैत वाला टिकट दिल्ली में ही मिलेगा। 17 सितंबर को सभी लोग सुबह-सुबह लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंच गए। वहां जाने पर पता चला कि सबका टिकट कैंसिल कर दिया गया है। लोगों ने कंपनी के लोगों को फोन मिलाया, तो शुरू में उठा नहीं। कुछ देर बाद फोन उठा और कहा गया कि आप लोग ट्रेन से दिल्ली पहुंचिए, वहां आगे का टिकट होगा। जिन लोगों ने पैसे दिए थे, उन्हें कंपनी पर शक हुआ। लेकिन पैसा दे चुके थे, इसलिए सभी ट्रेन के जरिए दिल्ली पहुंच गए। जो लोकेशन बताई गई थी, वहां पहुंचे। वहां भी जांच के नाम पर करीब दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा। इसके बाद लोगों ने हंगामा शुरू किया। वहां से कह दिया गया कि आप लोगों ने जहां पैसा दिए हैं, वहां जाइए। यहां हंगामा मत कीजिए। दिल्ली से वापस लखनऊ पहुंचे तो पता चला कंपनी फरार
लोग लौट कर लखनऊ आ गए। ऑफिस पहुंचे, तो पता चला कि कंपनी फरार हो चुकी है। यहां 20 से ज्यादा लोग और थे, जो मेडिकल और वीजा का पैसा दे चुके थे। सभी ने हंगामा शुरू कर दिया। लोगों ने मकान मालिक और ऑफिस ब्वॉय को पकड़ा। ऑफिस ब्वॉय ने कहा, मैं तो यहां चाय बनाने का काम करता था। हमें कंपनी के काम और फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। दिल्ली में भी मेडिकल के नाम पर साढ़े 7 हजार रुपए मांगे
कंपनी की ठगी का शिकार गोंडा के विनोद कुमार भी हुए हैं। हमने इनसे फोन से संपर्क किया। विनोद कहते हैं- हम लोग 16 सितंबर को ही लखनऊ पहुंच गए, क्योंकि अगले दिन सुबह की फ्लाइट थी। कंपनी ने हम लोगों की तनेजा होटल में रहने की व्यवस्था की। हमारा 8 लोगों का ग्रुप था। सभी अगली सुबह लखनऊ एयरपोर्ट के अंदर पहुंच गए। वहां पता चला कि सबका टिकट ही कैंसिल कर दिया गया है। कहा गया कि ट्रेन से दिल्ली जाइए। फिर वहां से आगे का बताया जाएगा। विनोद बताते हैं- दिल्ली में हम लोगों से कहा गया कि आप वीजा की ओरिजिनल कॉपी दीजिए। साथ ही साढ़े सात हजार रुपए जमा करिए। इस पैसे से आपका मेडिकल होगा। हम लोगों को शक हो गया, इसलिए पैसा नहीं दिया और वापस लखनऊ आए। यहां पता चला कि कंपनी फ्रॉड थी, फरार हो गई। सभी ने वहां हंगामा किया और फिर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। विनोद कुमार ने कहा… हमने बड़ी मेहनत से पैसा जुटाकर रखा था। कंपनी ने हमारे साथ धोखा किया है। बिलाल टावर के मकान मालिक फहाद सिद्दीकी और जोहरान सिद्दीकी ने रेंट एग्रीमेंट दिखाया। उसके मुताबिक, राहुल ठाकुर नाम के व्यक्ति के साथ उनका एग्रीमेंट हुआ था। राहुल ने अपना पता पंजाब के जालंधर का बताया था। वहीं का आधार कार्ड भी लगाया। ये लोग महीने के 40 हजार रुपए किराया दे रहे थे। टावर के मालिक को इनके फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस ने कहा- आधार कार्ड तक फर्जी इस पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई जानने के लिए हम विभूति खंड पुलिस चौकी पहुंचे। वहां हमें इंस्पेक्टर शांतनु बालियान मिले। वह इस पूरे मामले को लेकर कहते हैं- इस कंपनी में सब कुछ फर्जी है। जो आधार कार्ड दिया गया, उस पते पर या उस नाम से कुछ है ही नहीं। पीड़ितों ने जिन खातों में पैसा भेजा, उसकी जांच करवाई गई। उन खातों में अब 100-120 रुपए निकल रहे हैं। इस पूरे मामले में जांच चल रही है, अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। विभूति खंड पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर शांतनु बालियान ने कहा… कंपनी ने जहां किराए पर ऑफिस लिया, उसके मालिक को दिया आधार कार्ड फर्जी है। पूरे मामले में जांच चल रही है। शांतनु कहते हैं- हम लोग ठगी को लेकर अक्सर अपने क्षेत्र में जांच-पड़ताल करते रहते हैं। लेकिन, ज्यादातर मामलों में होता यह है कि लोग पहले सूचना ही नहीं देते। जहां यह कंपनी ऑफिस बनाकर चला रही थी, उसका मुख्य रास्ता हमारी चौकी के सामने से ही जाता है। लेकिन, लोग हमसे बचने के लिए पीछे के रास्ते से जाते हैं। जब ठगी होती है, तब हमारे पास आते हैं। अब तो बैग लेकर जा रहे लोगों से हम लोग अक्सर पूछते हैं कि कहां जा रहे हो? फिलहाल, इस कंपनी ने पिछले 8 महीने में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को ऐसे ही चूना लगाया है। पिछले साल गोरखपुर में भी ऐसी ही एक कंपनी ने कर्मचारियों को तजाकिस्तान बताकर कजाकिस्तान भेज दिया था। वहां न खाने की व्यवस्था थी न काम का कोई तय समय। सैलरी भी बताए गए पैसे से कम थी। उस मामले में विदेश मंत्रालय तक शिकायत हुई थी। तब जाकर कर्मचारियों को भारत लाया जा सका था। ——————– ये भी पढ़ें… फतेहपुर में ठगी पीड़ितों ने रोड जाम किया:बैंक और कंपनियों में फंसा करोड़ों रुपए वापस दिलाने की मांग, जुलूस निकालकर नारेबाजी नहर कालोनी परिसर में पिछले 51 दिनों से विभिन्न कंपनियों और प्राइवेट बैंकों में फंसे करोड़ों रुपए की वापसी की मांग को लेकर ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार ने आज एक बड़ा प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष अमृतलाल के नेतृत्व में सैकड़ों पीड़ितों ने जुलूस निकालकर पटेल नगर चौराहे पर सड़कों को जाम कर दिया। पढ़ें पूरी खबर… लखनऊ के गोमतीनगर में कुछ लोगों ने कंपनी खोली। सोशल मीडिया पर ऐड करवाया। विदेश में नौकरी लगवाने का वादा किया। बड़ी संख्या में लोगों ने अप्लाई कर दिया। कंपनी ने सबको बुलाया। मेडिकल करवाया, टिकट दिया। वीजा दिया। इसके लिए हर एक स्टेप पर पैसा लिया। लोग टिकट और वीजा लेकर एयरपोर्ट पहुंचे। वहां जब टिकट चेक हुआ तो पता चला कि टिकट ही कैंसिल है। यहां तक आवेदन करने वालों को लग गया था कि उनके साथ कुछ फर्जीवाड़ा हो रहा है। लेकिन, कंपनी के लोग कुछ ज्यादा ही शातिर निकले। उन्होंने सभी को दिल्ली बुलाया। एक-दो दिन तक टालमटोल करते रहे। जब लोगों को लग गया कि वे पूरी तरह से फंस गए हैं, तब लौटकर लखनऊ आए। हंगामा हुआ, FIR दर्ज हुई। लेकिन, कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं हुआ। क्योंकि जिन्होंने ठगी की उनका नाम और पता सब कुछ फर्जी था। अब 150 से ज्यादा लोग अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद लगाए इंतजार कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने ठगी के इस पूरे मामले को कवर किया। हमने उन लोगों से बात की, जो ठगे गए। कहां-क्या कुछ हुआ, कैसे संपर्क में आए, सब कुछ समझा। आइए पीड़ित के जरिए ही जानते हैं… फेसबुक-इंस्टाग्राम से नौकरी के बारे में पता चला
लखनऊ के गोमतीनगर में इसी साल फरवरी महीने में एक कंपनी आई। उसने विभूति खंड के बिलाल टॉवर में ऑफिस के लिए एक हॉल लिया। पंजाब के जालंधर के राहुल ठाकुर नाम के एक व्यक्ति के नाम से एग्रीमेंट हुआ। वीजा स्पॉट (Visa Spot) नाम से कंपनी की शुरुआत हुई। कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों को इनवाइट करने के लिए वीडियो फॉर्मेट में विज्ञापन बनवाए। इस विज्ञापन में एक लड़की बताती है कि हमें कुवैत के लिए कुछ लोगों की जरूरत है। वहां 220 कुवैती दिनार सैलरी के रूप में मिलेंगे। इसे भारतीय रुपए में कंवर्ट करेंगे तो 60 हजार रुपए महीना होगा। सैलरी सुनकर तमाम लोगों ने कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने सभी को अपने स्कूल-कॉलेज के सर्टिफिकेट के साथ विभूति खंड के दफ्तर में आने के लिए कहा। मार्च महीने से यहां भीड़ जुटने लगी। जीजा को विदेश भेजने के लिए दिए पैसे
कंपनी के जरिए जिन लोगों को विदेश जाना था, उनमें लखनऊ के पारा इलाके के भीम जायसवाल भी थे। हम भीम के घर पहुंचे। वहां हमें उनके साले संदीप जायसवाल मिले। वह बताते हैं- भीम दुकान पर मिठाई बनाने का काम करते हैं। साथ ही उन्हें प्लंबरिंग का भी काम आता है। उन्होंने वीजा स्पॉट कंपनी का वो वीडियो ऐड देखा और सैलरी सुनने के बाद मुझसे कहा कि इसमें कुछ देखा जाए। इसके बाद वीडियो में बताए गए पते पर हम और जीजा भीम पहुंचे। संदीप कहते हैं- वहां हम लोग गए, तो ऑफिस का सेटअप लगा था। इसलिए शक जैसा कुछ नहीं हुआ। रिसेप्शन पर बातचीत के बाद हमारी मुलाकात तान्वी पाठक नाम की महिला से हुई। उन्होंने हमें सब कुछ बताया। मेडिकल करवाने के नाम पर सबसे पहले 10 हजार रुपए जमा करने को कहा गया। हम लोगों ने 10 हजार रुपए जमा कर दिए। इसके बाद मेडिकल हो गया। वहां भीम के साथ करीब 20 और लोग थे, जिनका मेडिकल हुआ। संदीप बताते हैं- इसके बाद हम लोगों से कहा गया कि 10 हजार रुपए और दे दीजिए। हमने वो पैसा भी जमा कर दिया। ये सारे पैसे बलविंदर सिंह नाम के व्यक्ति के अकाउंट में जा रहे थे। कुछ दिन बाद जीजा का वीजा आ गया। इसके बाद कंपनी ने 40 हजार रुपए लिए और कहा कि अगले एक हफ्ते में आप सभी को कुवैत भेज दिया जाएगा। सभी से फ्लाइट टिकट का पैसा लिया
संदीप बताते हैं- कंपनी ने करीब 50 लोगों से टिकट के 20-20 हजार रुपए लिए। सबका एयर टिकट लखनऊ से दिल्ली का करवाया। कुछ लोगों ने ऑनलाइन चेक किया तो टिकट शो कर रहा था। कहा गया कि कुवैत वाला टिकट दिल्ली में ही मिलेगा। 17 सितंबर को सभी लोग सुबह-सुबह लखनऊ एयरपोर्ट पर पहुंच गए। वहां जाने पर पता चला कि सबका टिकट कैंसिल कर दिया गया है। लोगों ने कंपनी के लोगों को फोन मिलाया, तो शुरू में उठा नहीं। कुछ देर बाद फोन उठा और कहा गया कि आप लोग ट्रेन से दिल्ली पहुंचिए, वहां आगे का टिकट होगा। जिन लोगों ने पैसे दिए थे, उन्हें कंपनी पर शक हुआ। लेकिन पैसा दे चुके थे, इसलिए सभी ट्रेन के जरिए दिल्ली पहुंच गए। जो लोकेशन बताई गई थी, वहां पहुंचे। वहां भी जांच के नाम पर करीब दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा। इसके बाद लोगों ने हंगामा शुरू किया। वहां से कह दिया गया कि आप लोगों ने जहां पैसा दिए हैं, वहां जाइए। यहां हंगामा मत कीजिए। दिल्ली से वापस लखनऊ पहुंचे तो पता चला कंपनी फरार
लोग लौट कर लखनऊ आ गए। ऑफिस पहुंचे, तो पता चला कि कंपनी फरार हो चुकी है। यहां 20 से ज्यादा लोग और थे, जो मेडिकल और वीजा का पैसा दे चुके थे। सभी ने हंगामा शुरू कर दिया। लोगों ने मकान मालिक और ऑफिस ब्वॉय को पकड़ा। ऑफिस ब्वॉय ने कहा, मैं तो यहां चाय बनाने का काम करता था। हमें कंपनी के काम और फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। दिल्ली में भी मेडिकल के नाम पर साढ़े 7 हजार रुपए मांगे
कंपनी की ठगी का शिकार गोंडा के विनोद कुमार भी हुए हैं। हमने इनसे फोन से संपर्क किया। विनोद कहते हैं- हम लोग 16 सितंबर को ही लखनऊ पहुंच गए, क्योंकि अगले दिन सुबह की फ्लाइट थी। कंपनी ने हम लोगों की तनेजा होटल में रहने की व्यवस्था की। हमारा 8 लोगों का ग्रुप था। सभी अगली सुबह लखनऊ एयरपोर्ट के अंदर पहुंच गए। वहां पता चला कि सबका टिकट ही कैंसिल कर दिया गया है। कहा गया कि ट्रेन से दिल्ली जाइए। फिर वहां से आगे का बताया जाएगा। विनोद बताते हैं- दिल्ली में हम लोगों से कहा गया कि आप वीजा की ओरिजिनल कॉपी दीजिए। साथ ही साढ़े सात हजार रुपए जमा करिए। इस पैसे से आपका मेडिकल होगा। हम लोगों को शक हो गया, इसलिए पैसा नहीं दिया और वापस लखनऊ आए। यहां पता चला कि कंपनी फ्रॉड थी, फरार हो गई। सभी ने वहां हंगामा किया और फिर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। विनोद कुमार ने कहा… हमने बड़ी मेहनत से पैसा जुटाकर रखा था। कंपनी ने हमारे साथ धोखा किया है। बिलाल टावर के मकान मालिक फहाद सिद्दीकी और जोहरान सिद्दीकी ने रेंट एग्रीमेंट दिखाया। उसके मुताबिक, राहुल ठाकुर नाम के व्यक्ति के साथ उनका एग्रीमेंट हुआ था। राहुल ने अपना पता पंजाब के जालंधर का बताया था। वहीं का आधार कार्ड भी लगाया। ये लोग महीने के 40 हजार रुपए किराया दे रहे थे। टावर के मालिक को इनके फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस ने कहा- आधार कार्ड तक फर्जी इस पूरे मामले में पुलिस कार्रवाई जानने के लिए हम विभूति खंड पुलिस चौकी पहुंचे। वहां हमें इंस्पेक्टर शांतनु बालियान मिले। वह इस पूरे मामले को लेकर कहते हैं- इस कंपनी में सब कुछ फर्जी है। जो आधार कार्ड दिया गया, उस पते पर या उस नाम से कुछ है ही नहीं। पीड़ितों ने जिन खातों में पैसा भेजा, उसकी जांच करवाई गई। उन खातों में अब 100-120 रुपए निकल रहे हैं। इस पूरे मामले में जांच चल रही है, अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। विभूति खंड पुलिस चौकी के इंस्पेक्टर शांतनु बालियान ने कहा… कंपनी ने जहां किराए पर ऑफिस लिया, उसके मालिक को दिया आधार कार्ड फर्जी है। पूरे मामले में जांच चल रही है। शांतनु कहते हैं- हम लोग ठगी को लेकर अक्सर अपने क्षेत्र में जांच-पड़ताल करते रहते हैं। लेकिन, ज्यादातर मामलों में होता यह है कि लोग पहले सूचना ही नहीं देते। जहां यह कंपनी ऑफिस बनाकर चला रही थी, उसका मुख्य रास्ता हमारी चौकी के सामने से ही जाता है। लेकिन, लोग हमसे बचने के लिए पीछे के रास्ते से जाते हैं। जब ठगी होती है, तब हमारे पास आते हैं। अब तो बैग लेकर जा रहे लोगों से हम लोग अक्सर पूछते हैं कि कहां जा रहे हो? फिलहाल, इस कंपनी ने पिछले 8 महीने में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को ऐसे ही चूना लगाया है। पिछले साल गोरखपुर में भी ऐसी ही एक कंपनी ने कर्मचारियों को तजाकिस्तान बताकर कजाकिस्तान भेज दिया था। वहां न खाने की व्यवस्था थी न काम का कोई तय समय। सैलरी भी बताए गए पैसे से कम थी। उस मामले में विदेश मंत्रालय तक शिकायत हुई थी। तब जाकर कर्मचारियों को भारत लाया जा सका था। ——————– ये भी पढ़ें… फतेहपुर में ठगी पीड़ितों ने रोड जाम किया:बैंक और कंपनियों में फंसा करोड़ों रुपए वापस दिलाने की मांग, जुलूस निकालकर नारेबाजी नहर कालोनी परिसर में पिछले 51 दिनों से विभिन्न कंपनियों और प्राइवेट बैंकों में फंसे करोड़ों रुपए की वापसी की मांग को लेकर ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार ने आज एक बड़ा प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष अमृतलाल के नेतृत्व में सैकड़ों पीड़ितों ने जुलूस निकालकर पटेल नगर चौराहे पर सड़कों को जाम कर दिया। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर