हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, इंडियन आर्मी में राज्य की अपनी अलग रेजिमेंट होनी चाहिए। देवभूमि हिमाचल के जवानों का समय-समय पर लड़ी गई लड़ाइयों में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि हिमाचल की भारतीय सशस्त्र बल में एक रेजिमेंट बनाई जाए। विधानसभा परिसर में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कुलदीप पठानिया ने कहा, हिमाचल लंबे समय से अलग रेजिमेंट की मांग कर रहा है। यहां के लोगों में देशभक्ति व सेवा भावना को देखते हुए और यहां के जवानों द्वारा दी गई शहादत को ध्यान में रखते हुए इस मांग को जल्द पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हिमाचल के जवानों ने इंडियन आर्मी में युद्ध और कठिन समय में खुद को साबित किया है। हिमाचल हमेशा युद्ध और राष्ट्रीय संकट के समय अग्रिम मोर्चे पर खड़ा रहा है। हमारे सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। परमवीर चक्र से लेकर वीर चक्र और कीर्ति चक्र तक अनेक वीरता पुरस्कार हिमाचल के जवानों ने जीते हैं। 1962, 1972 और कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: कुलदीप कुलदीप पठानिया ने इस बात पर जोर दिया कि पहाड़ी राज्य के सैनिकों ने लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे वह 1962 का युद्ध हो, 1972 का युद्ध हो, कारगिल लड़ाई हो या सिंदूर जैसे ऑपरेशन हों। हालिया ऑपरेशन सिंदूर की भी पठानिया ने प्रशंसा करते हुए कहा, इस ऑपरेशन के दौरान उनके क्षेत्र के एक बहादुर सैनिक ने भी शहादत दी है। उनका बलिदान हिमाचली युवाओं द्वारा राष्ट्र के प्रति की जा रही निस्वार्थ सेवा की याद दिलाता है। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य शक्ति का प्रमाण विधानसभा अध्यक्ष ने, ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करते हुए कहा, यह भारत की सैन्य शक्ति का प्रमाण है। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्तियों को एक मजबूत संदेश दिया है। इस ऑपरेशन ने दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्तियों को एक मजबूत संदेश दिया है। हिमाचल सरकार में उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने भी हिमालयन रेजिमेंट के गठन की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से यह मसला केंद्र के समक्ष उठाने की मांग की। उन्होंने कहा, हिमालयन रेजिमेंट के गठन से यहां के युवाओं को सेना में और अधिक अवसर मिलेंगे। उनकी पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध करने की स्वाभाविक क्षमता का सही उपयोग हो सकेगा। हिमाचल में पहले परमवीर चक्र विजेता केंद्र सरकार को उनकी इस भावना को सम्मान देते हुए अलग रेजिमेंट बनानी चाहिए। उन्होंने कहा, पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर कारगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा तक, प्रदेश के लोगों ने हर युद्ध और सैन्य संघर्ष में अद्वितीय साहस दिखाया है। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वालों में अकेले 52 जवान हिमाचल के थे। इसी तरह देश की आजादी से बाद से अब तक हिमाचल के 1708 जवान शहादत दे चुके हैं। फिर भी पहाड़ी राज्यों की पहचान को दर्शाने वाली अलग रेजिमेंट नहीं है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, इंडियन आर्मी में राज्य की अपनी अलग रेजिमेंट होनी चाहिए। देवभूमि हिमाचल के जवानों का समय-समय पर लड़ी गई लड़ाइयों में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि हिमाचल की भारतीय सशस्त्र बल में एक रेजिमेंट बनाई जाए। विधानसभा परिसर में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कुलदीप पठानिया ने कहा, हिमाचल लंबे समय से अलग रेजिमेंट की मांग कर रहा है। यहां के लोगों में देशभक्ति व सेवा भावना को देखते हुए और यहां के जवानों द्वारा दी गई शहादत को ध्यान में रखते हुए इस मांग को जल्द पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हिमाचल के जवानों ने इंडियन आर्मी में युद्ध और कठिन समय में खुद को साबित किया है। हिमाचल हमेशा युद्ध और राष्ट्रीय संकट के समय अग्रिम मोर्चे पर खड़ा रहा है। हमारे सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। परमवीर चक्र से लेकर वीर चक्र और कीर्ति चक्र तक अनेक वीरता पुरस्कार हिमाचल के जवानों ने जीते हैं। 1962, 1972 और कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई: कुलदीप कुलदीप पठानिया ने इस बात पर जोर दिया कि पहाड़ी राज्य के सैनिकों ने लगातार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे वह 1962 का युद्ध हो, 1972 का युद्ध हो, कारगिल लड़ाई हो या सिंदूर जैसे ऑपरेशन हों। हालिया ऑपरेशन सिंदूर की भी पठानिया ने प्रशंसा करते हुए कहा, इस ऑपरेशन के दौरान उनके क्षेत्र के एक बहादुर सैनिक ने भी शहादत दी है। उनका बलिदान हिमाचली युवाओं द्वारा राष्ट्र के प्रति की जा रही निस्वार्थ सेवा की याद दिलाता है। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य शक्ति का प्रमाण विधानसभा अध्यक्ष ने, ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करते हुए कहा, यह भारत की सैन्य शक्ति का प्रमाण है। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्तियों को एक मजबूत संदेश दिया है। इस ऑपरेशन ने दुनिया की प्रमुख सैन्य शक्तियों को एक मजबूत संदेश दिया है। हिमाचल सरकार में उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने भी हिमालयन रेजिमेंट के गठन की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से यह मसला केंद्र के समक्ष उठाने की मांग की। उन्होंने कहा, हिमालयन रेजिमेंट के गठन से यहां के युवाओं को सेना में और अधिक अवसर मिलेंगे। उनकी पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध करने की स्वाभाविक क्षमता का सही उपयोग हो सकेगा। हिमाचल में पहले परमवीर चक्र विजेता केंद्र सरकार को उनकी इस भावना को सम्मान देते हुए अलग रेजिमेंट बनानी चाहिए। उन्होंने कहा, पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर कारगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा तक, प्रदेश के लोगों ने हर युद्ध और सैन्य संघर्ष में अद्वितीय साहस दिखाया है। कारगिल युद्ध में शहादत पाने वालों में अकेले 52 जवान हिमाचल के थे। इसी तरह देश की आजादी से बाद से अब तक हिमाचल के 1708 जवान शहादत दे चुके हैं। फिर भी पहाड़ी राज्यों की पहचान को दर्शाने वाली अलग रेजिमेंट नहीं है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
