यह बात खरी है… इसमें आप देखेंगे यूपी की राजनीति और सरकारी विभागों में अंदरखाने चल क्या रहा है? ऊपर VIDEO पर क्लिक करें… यह बात खरी है… इसमें आप देखेंगे यूपी की राजनीति और सरकारी विभागों में अंदरखाने चल क्या रहा है? ऊपर VIDEO पर क्लिक करें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल में पेयजल घोटाले में एक्सईएन-SDO समेत 10 अधिकारी सस्पेंड:ठेकेदार ब्लैकलिस्ट, विजिलेंस जांच के लिए लेटर लिखा; बाइक-कार में ढोया था पानी
हिमाचल में पेयजल घोटाले में एक्सईएन-SDO समेत 10 अधिकारी सस्पेंड:ठेकेदार ब्लैकलिस्ट, विजिलेंस जांच के लिए लेटर लिखा; बाइक-कार में ढोया था पानी हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को ठियोग में पेयजल सप्लाई घोटाले में 10 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। साथ ही पानी की सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने के आदेश दिए। जल शक्ति विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी डॉ. ओंकार चंद शर्मा ने सुप्रिंटेंडिंग इंजीनियर (SE) की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की। साथ ही विजिंलेंस के ADGP को डिटेल इंक्वायरी के लिए लेटर लिखा है। सस्पेंड किए गए अधिकारियों में मत्याना डिवीजन के एक्सईएन अशोक कुमार भोपाल, कसुम्प्टी डिवीजन के एक्सईएन बसंत सिंह, मत्याना SDO परनीत ठाकुर, कोटी SDO राकेश कुमार, वर्तमान में कोटगढ़ में तैनात SDO विवेक शर्मा, ठियोग के JE मस्त राम बराक्टा, लाफूघाटी के JE सुरेश कुमार, मत्याना के JE नीम चंद, रिटायर्ड JE सुदर्शन और धरेच फागू के JE सुनील कुमार शामिल हैं। पूर्व माकपा विधायक राकेश सिंघा ने ठियोग में 1 करोड़ 13 लाख रुपए का पानी लोगों को टैंकर से पिलाने के दावे को गलत बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था, ‘पानी बाइक, ऑल्टो कार, के-10, होंडा सिटी कार और हॉर्टीकल्चर डायरेक्टर की बोलेरो में ढोया गया। एक मोटर साइकिल पर 11 चक्कर में 22 हजार लीटर पानी ढोया गया। इसकी एवज में 23 हजार रुपए का भुगतान किया गया। शिमला में हार्टिकल्चर डायरेक्टर की बोलेरो जीप से 15 हजार लीटर पानी सप्लाई किया गया। इसके बदले 94 हजार की रकम ठेकेदार को दी गई।’ अधिकारियों के सस्पेंशन ऑर्डर…. राकेश सिंघा की 4 बड़ी बातें…. 1. ठेकेदार को पेमेंट की तो गबन दिखा राकेश सिंघा ने RTI की सूचना का हवाला देते कहा था कि ठियोग में जल शक्ति विभाग ने इस साल गर्मी के दौरान लोगों को पानी पिलाया है और जब इसकी पेमेंट ठेकेदार को की गई तो उसमें बड़ा गबन लग रहा है। उन्होंने मुख्य सचिव से इसकी जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने सचिवालय के घेराव की चेतावनी भी दी। 2. एक दिन में 1000 किलोमीटर वाहन की रनिंग दिखाई सिंघा ने कहा कि जल शक्ति विभाग ने बाइक पर भी लोगों को पानी पिलाया है। बिल लेने के लिए जब ठेकेदार ने बिल प्रोड्यूस किए तो बाइक, ऑल्टो कार, K-10, होंडा सिटी कार और हॉर्टिकल्चर डायरेक्टर की बोलेरो जैसी गाड़ियों के नंबर दिए गए। एक दिन में ही एक गाड़ी को 500 से 1000 किलोमीटर रनिंग दर्शाई गई, जो पहाड़ों में संभव ही नहीं है। 3. जहां सड़कें नहीं, वहां भी पानी की सप्लाई हर साल ठियोग में पानी की सप्लाई के लिए 10-12 लाख रुपए खर्च होते थे, लेकिन 2024 में यह आंकड़ा अचानक एक करोड़ के पार पहुंच गया। कई ऐसे वाहन नंबर भी दिखाए गए, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। यहां तक कि कुछ इलाकों में, जहां सड़कें तक नहीं हैं, वहां भी वाहनों से पानी की सप्लाई दिखाई गई। 4. एक महीने में ठेकेदार को पेमेंट का भुगतान किया
ठेकेदार को पानी की सप्लाई के पैसे का भुगतान एक महीने के भीतर कर दिया गया। अधिकारियों ने भी बिना जांच के बिल का भुगतान किया। ठियोग क्षेत्र में पानी की हर साल भारी किल्लत रहती है, लेकिन घोटाले के चलते लोगों को राहत नहीं मिल पाई। घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की जाए और इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए। विधायक ने कहा था- दाल में कुछ काला घोटाले के आरोपों पर ठियोग के कांग्रेस विधायक कुलदीप राठौर ने कहा था, भ्रष्टाचार व विकास कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। वह स्वयं गुणवत्ता की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। एक्सईएन और DC को इस पूरे मामले की जांच करने को कहा गया है। सरकार को इसकी जांच जल्द पूरा कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। प्रथम दृष्टि में मामले में दाल में काला नजर आ रहा है। जांच रिपोर्ट के बाद ही पूरे तथ्य सामने आएंगे। दोषियों को किसी भी स्तर पर छोड़ा नहीं जाएगा।
रामलला को पसंद है खुरचन पेड़ा:110 साल पुराना स्वाद आज भी बरकरार, देश-विदेश के श्रद्धालुओं में बढ़ी डिमांड
रामलला को पसंद है खुरचन पेड़ा:110 साल पुराना स्वाद आज भी बरकरार, देश-विदेश के श्रद्धालुओं में बढ़ी डिमांड अयोध्या…जहां बसते हैं प्रभु श्रीराम। रामलला की इस धरा पर हर रोज अनगिनत श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। जिस राम जन्मभूमि पर वो माथा टेकते हैं, उससे सिर्फ 800 मीटर की दूरी पर बनती है एक खास मिठाई, जिसका नाम है- खुरचन पेड़ा। रामलला को हर दिन पेड़े का भोग लगाया जाता है। यही भोग भक्तों तक प्रसाद के रूप में पहुंच जाता है। ये सिलसिला 1986 से लगातार जारी है। अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया समेत विदेश से पहुंचने वाले टूरिस्ट भी अपने साथ इस मशहूर पेड़े को ले जाना नहीं भूलते। कह सकते हैं कि अयोध्या में रामलला की पसंद के भोग को चखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। सबसे पहले आपको बताते हैं कि ये खुरचन पेड़ा पहली बार बना कैसे… दैनिक भास्कर एप की टीम खुरचन पेड़े के बारे में जानने के लिए चंद्रा स्वीट्स की दुकान पहुंची। छोटी सी इस दुकान में हमें अमित मोदनवाल मिले। उन्होंने बताया- रामलला के भोग के लिए यहीं पर खुरचन पेड़ा बनाया जाता है। सबसे पहले ये पेड़ा हमारे परदादा भगेलू राम मोदनवाल ने तैयार किया था। खुरचन पेड़ा तैयार करने का किस्सा भी दिलचस्प है, पढ़िए लगा कि मावा खराब हो गया, फिर सामने आया लाजवाब स्वाद इस पेड़े को तैयार करने की कहानी भी रोचक है। भगेलू राम अपनी रसोई में मावा को कड़ाही में घोंट रहे थे। ये प्रक्रिया करते-करते मावा गहरे भूरे रंग का हो गया। उन्हें लगा कि मावा खराब हो गया। लेकिन, जब परिवार के सदस्यों को चखाया, तो उसका स्वाद सबको खूब पसंद आया। इसके बाद उन्होंने नए सिरे से मावा तैयार करके पेड़े बनाए। सबसे पहले कनक भवन स्थित रामलला का भोग लगाने पहुंच गए। वहां पुजारी जी ने भी इस स्वाद (भोग) को चखा। इसके बाद कनक भवन सरकार को सबसे पहले इसी पेड़े को भोग लगने लगा। मोदनवाल परिवार के लोग मानते हैं कि ये पेड़ा रामलला के आशीर्वाद से तैयार हुआ। कैसे प्रभु श्रीराम के भोग तक पहुंचा ये पेड़ा
नंद किशोर बताते हैं- भोग लगने की शुरुआत 1949 से हुई। उस समय राम जन्मभूमि परिसर स्थित विवादित भूमि में रामलला की मूर्ति रखी गई। तो पूजन के दौरान सबसे पहले रामलला का इसी पेड़े से भोग लगाया गया। हालांकि, बाद में विवाद के कारण ताला लगा दिया गया। 1986 के बाद जब मंदिर का ताला खुला, तो फिर से रामलला का भोग लगना शुरू हुआ। विवाद की वजह से कुछ समय खुरचन पेड़ा रामलला तक नहीं पहुंच सका। मगर 1998 से लगातार इसी पेड़े का भोग रामलला को लगता आ रहा है। चौथी पीढ़ी बना रही खुरचन पेड़ा
सबसे पहले खुरचन पेड़ा बनाने वाले भगेलू राम मोदनवाल इसे बाजार में लेकर आए। फिर, उनके बेटे गुलाब चंद्र, मूल चंद्र, राम सेवक और राम चंद्र ने इस कारोबार को आगे बढ़ाया। मगर उस दौर में आमदनी कम होने की वजह से 3 भाइयों ने इस कारोबार को छोड़ दिया। गुलाब चंद्र मिठाई की दुकान चलाने लगे, बाकी लोगों ने होटल वगैरह खोल लिए। गुलाब चंद के नाम से ही दुकान का नाम चंद्रा स्वीट्स पड़ा। गुलाब चंद्र के बाद उनके बेटे नंद किशोर ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। अब उनके 3 बेटे अमित मोदनवाल, रंजीत मोदनवाल और सुमित मोदनवाल अपनी पुश्तैनी मिठाई की दुकान को आगे बढ़ा रहे हैं। इस मिठाई को तैयार करने वाले दुकानदार क्या कहते हैं… ये प्रभु का भोग, इसलिए बनाते वक्त शुद्धता-सफाई का खास ध्यान अमित मोदनवाल बताते हैं कि प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से तैयार इस पेड़े को बनाने के दौरान शुद्धता का वैसा ही ख्याल भी रखा जाता है। कोई कारीगर इस स्थान पर चप्पल तक नहीं पहनता है। नहाने के बाद पूजा होती है, फिर ये खास पेड़ा तैयार होता है। सबसे पहले दूध से मावा तैयार करते हैं। उसको करीब 1 घंटे तक धीमी आंच पर तैयार करते हैं। इसके बाद 45 मिनट तक धीमी आंच पर भूना जाता है। इस दौरान कारीगर के हाथ रुकते नहीं है। इसके बाद 2 घंटे तक मावा को ठंडा होने तक रखा जाता है। फिर खुरचन पेड़ा तैयार करते हैं। खुरचन पेड़े का स्वाद चखने वाले लोग क्या-कुछ कहते हैं… देश-विदेश से आए भक्त ले जाते हैं खुरचन पेड़ा
सुमित मोदनवाल बताते हैं- खुरचन पेड़ा आज इतना मशहूर हो गया है कि यह आस-पास की सभी दुकान वाले इसे बनाने लगे हैं। राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से यह मांग और बढ़ गई है। प्रतिदिन 200 क्विंटल दूध से पेड़ा तैयार किया जाता है। नंद किशोर बताते है- मावा को ठीक से भूनने की वजह से ये पेड़ा 15 दिन तक खराब नहीं होता है। अयोध्या में अमेरिका, सऊदी, कनाडा और आस्ट्रेलिया समेत विदेशों से आने वाले लोग अपने साथ ये पेड़ा लेकर जाते हैं। यूपी में बेस्ट मिठाई के लिए चयनित
दुकान पर बैठे रंजीत ने बताया- लखनऊ में आयोजित यूपी दिवस पर अयोध्या से खुरचन पेड़ा को बेस्ट मिठाई में चयनित किया जा चुका है। इस दौरान कई जानी मानी हस्तियों ने भी अयोध्या के खुरचन पेड़ा का स्वाद चखा था। ……………………………. महाकुंभ में मिठास घोलेगा देहाती रसगुल्ला: 1 रुपए से शुरू हुआ था 40 साल पुराना स्वाद, मिट्टी की हांडी बढ़ाती है जायका संगम सिटी प्रयागराज। इसकी पहचान महाकुंभ, जवाहरलाल नेहरु और अमिताभ बच्चन से है। मगर, जब बात स्वाद की होती है, तो याद आता है- देहाती रसगुल्ला। आप सोचेंगे कि क्या कोई रसगुल्ला देहाती भी हो सकता है, जी हां… बिल्कुल। पढ़ें पूरी स्टोरी…
फतेहाबाद में सिलेंडर में फंसा कोबरा:फुंकार सुनकर परिवार को चला पता; निकालने में लगे 2 घंटे, कटर की आवाज से गुस्साया सांप
फतेहाबाद में सिलेंडर में फंसा कोबरा:फुंकार सुनकर परिवार को चला पता; निकालने में लगे 2 घंटे, कटर की आवाज से गुस्साया सांप हरियाणा के फतेहाबाद के गांव कुकड़ांवाली में एक घर में कोबरा सांप घुस गया। हालांकि इस बार लोगों को सांप से खतरा नहीं हुआ, बल्कि सांप खुद संकट में फंस गया। हुआ यूं कि सांप घर में रखे एक गैस सिलेंडर के नीचे छुपने के प्रयास में सिलेंडर में बने सुराख में फंस गया। सांप की फुंकार सुनकर सांप होने का आभास हुआ तो स्नेक मैन पवन जोगपाल को मौके पर बुलाया गया। सिलेंडर के नीचे को काट कर सांप को बाहर बुलाया गया। मरहम पट्टी कर जंगल में छोड़ दिया गया। पवन जोगपाल ने बताया कि उन्हें कुकड़ावाली से ग्रामीण का फोन आया और बताया गया कि उनके घर में सांप घुस आया है और सिलेंडर में फंस गया है। वे मौके पर पहुंचे तो देखा कि सांप कोबरा प्रजाति का खतरनाक सांप था और काफी मोटा व बड़ा सांप था। लेकिन सांप सिलेंडर से निकलने के प्रयास में जख्मी हो गया था, इसलिए उन्होंने सावधानी से उसे निकालने का प्रयास किया। देखें सांप के रेस्क्यू ऑपरेशन के कुछ PHOTOS… पहले उन्होंने पानी पिलाकर सांप को शांत किया और फिर सरसों का तेल डालकर सांप को निकालना चाहा। इस प्रयास में सांप के और जख्मी होने का खतरा था, इसलिए फिर कटर मंगवाया गया और दो घंटों बाद सांप को बाहर निकाला गया। इस दौरान कटर की आवाज से सांप और ज्यादा गुस्सैल हो रहा था, जिस पर उसे काबू करना आसान नहीं हो रहा था। आखिरकार सांप को आजाद कर उसकी मरहम पट्टी की और उसे सुरक्षित जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया गया।