वेश्यालय से भीख में मांगकर लाई मिट्‌टी:कानपुर में मां दुर्गा की मूर्ति का किया निर्माण; 82 साल से चली आ रही परंपरा

वेश्यालय से भीख में मांगकर लाई मिट्‌टी:कानपुर में मां दुर्गा की मूर्ति का किया निर्माण; 82 साल से चली आ रही परंपरा

कानपुर में एक अनोखी दुर्गा पूजा आयोजित की जाती है। जहां वेश्यालय से भिक्षा मांगकर पहले मिट्‌टी लाई जाती है। फिर उसी मिट्‌टी से मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण कराया जाएगा। आज यानी बुधवार से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है। कोलकाता की तर्ज पर पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा नारी सशक्तिकरण थीम पर शुरू की जा रही है। वैश्यालय से लाई गई मिट्‌टी का प्रयोग
खास बात यह है कि अर्मापुर में स्थापित होने वाली 10 फीट की प्रतिमा के निर्माण में गंगा की मिट्टी के साथ वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग किया गया है। इस कोलकाता के कालीघाट स्थित एक वेश्या के आवास से मूर्तिकार लेकर आएं हैं। कमेटी महिसासुर मर्दनी की प्रतिमा को 2.5 लाख के मूल्यों की मांगबेंदी, नथ व हार पहनाएगी। 82 साल से आयोजित की जा रही दुर्गा पूजा
अर्मापुर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी 82वां दुर्गा पूजा समारोह कराने जा रही है। संस्था के सदस्य राजा गुहा ने बताया कि पुराण कथा के अनुसार गुरु विश्वामित्र को इंद्र का आसन पाने की लालसा थी, जिसके लिए उन्होंने तप शुरू किया। तप को भंग करने के लिए इंद्र ने मेनका को भेजा, जिससे विश्वामित्र कामातुर हो गए और इंद्र का सिंहासन डोलने से बच गया। इंद्र का आसन बचाने के लिए मेनका ने कलंक का जहर धारण किया था। मेनका स्वर्ग की अप्सरा के साथ एक नारी भी है। दुर्गा पूजा का मुख्य उद्देश्य नारी जाति को सम्मान अर्पित करना है, इसलिए समाज में तिरस्कृत, लेकिन समाज की रक्षा करने वाली वेश्या को सम्मान देने के लिए यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। मनुष्य अपने सदकर्म वैश्या की देहरी पर छोड़ आता है
राजा गुहा ने बताया कि आज के दौर में भी मनुष्य अपनी कामवासना को पूरा करने के लिए वेश्यालय जाता है और वेश्यालय की देहरी पर अपने सारे कर्म, सदगुण छोड़ कर आता है। वेश्यालय की मिट्टी में समाज के अनेक पुरुषों के कर्म मिल जाते है, इस प्रकार वेश्या समाज को शुद्ध और सुरक्षित रखने का काम करती है। नारी के इस रूप को सम्मान देने के लिए इस मिट्टी को मां दुर्गा की प्रतिमा के निर्माण में किया जाता है। मां दुर्गा के अकाल बोधन रूप में पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा का मुख्य उद्देश्य नारी को सम्मान अर्पित करना है, इसलिए समाज में तिस्कृत, लेकिन समाज की सुरक्षा करने वाली वैश्या को सम्मान देने के लिए यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। वैश्यालय से मूर्तिकार भिक्षा मांग कर लाए मिट्टी
राजा ने बताया कि 10 भुजाधारी महिसासुर मर्दनी की प्रतिमा के निर्माण में मुख्यरुप से 4 वस्तुएं गौमूत्र, गोबर, धान की शीश, वेश्यालय के देहरी की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, जिसे मूर्तिकार मूर्ति निर्माण के लिए वैश्या से भिक्षा मांग कर मिट्टी लेकर आते हैं। 3 हजार लोगों के शामिल होने की व्यवस्था
संस्था के वाइस प्रेसीडेंट सत्यरंजन दास ने बताया कि दूसरे पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। एक फूड स्टॉल का भी आयोजन किया गया है, जिसमें तरह-तरह के व्यंजनों का भक्त लुत्फ उठा सकेंगे। गुरुदीक्षा लेने वाले तैयार करेंगे भोग
कमेटी सदस्यों ने बताया कि मां दुर्गा को 5 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। जिसमें पुलाव, पनीर, मिक्स खीर, खिचड़ी के साथ फ्राइ सब्जी बैगन, परवल, गोभी, आलू का भोग लगाया जाएगा। सभी व्यंजन देशी घी से तैयार किए जाएंगे, जिन्हें वहीं लोग तैयार करेंगे जिन्होंने गुरुमंत्र लिया होगा। इस प्रकार होंगे आयोजन 9 अक्टूबर- क्लासिकल नाइट्स
10 अक्टूबर- कला प्रतियोगिता, बांग्ला कविता पाठ, मयूरी डांस ग्रुप व भजन संध्या
11 अक्टूबर- आरती प्रतियोगिता (मेल) व बंग संस्कृति सम्मेलन का कल्चरल प्रोग्राम
12 अक्टूबर- ऊलु ध्वनि व शंख ध्वनि कंप्टीशन (फीमेल) व म्यूजिकल चेयर, आरती कंप्टीशन कानपुर में एक अनोखी दुर्गा पूजा आयोजित की जाती है। जहां वेश्यालय से भिक्षा मांगकर पहले मिट्‌टी लाई जाती है। फिर उसी मिट्‌टी से मां दुर्गा की मूर्ति का निर्माण कराया जाएगा। आज यानी बुधवार से दुर्गा पूजा शुरू हो रही है। कोलकाता की तर्ज पर पारंपरिक रूप से दुर्गा पूजा नारी सशक्तिकरण थीम पर शुरू की जा रही है। वैश्यालय से लाई गई मिट्‌टी का प्रयोग
खास बात यह है कि अर्मापुर में स्थापित होने वाली 10 फीट की प्रतिमा के निर्माण में गंगा की मिट्टी के साथ वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग किया गया है। इस कोलकाता के कालीघाट स्थित एक वेश्या के आवास से मूर्तिकार लेकर आएं हैं। कमेटी महिसासुर मर्दनी की प्रतिमा को 2.5 लाख के मूल्यों की मांगबेंदी, नथ व हार पहनाएगी। 82 साल से आयोजित की जा रही दुर्गा पूजा
अर्मापुर सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी 82वां दुर्गा पूजा समारोह कराने जा रही है। संस्था के सदस्य राजा गुहा ने बताया कि पुराण कथा के अनुसार गुरु विश्वामित्र को इंद्र का आसन पाने की लालसा थी, जिसके लिए उन्होंने तप शुरू किया। तप को भंग करने के लिए इंद्र ने मेनका को भेजा, जिससे विश्वामित्र कामातुर हो गए और इंद्र का सिंहासन डोलने से बच गया। इंद्र का आसन बचाने के लिए मेनका ने कलंक का जहर धारण किया था। मेनका स्वर्ग की अप्सरा के साथ एक नारी भी है। दुर्गा पूजा का मुख्य उद्देश्य नारी जाति को सम्मान अर्पित करना है, इसलिए समाज में तिरस्कृत, लेकिन समाज की रक्षा करने वाली वेश्या को सम्मान देने के लिए यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। मनुष्य अपने सदकर्म वैश्या की देहरी पर छोड़ आता है
राजा गुहा ने बताया कि आज के दौर में भी मनुष्य अपनी कामवासना को पूरा करने के लिए वेश्यालय जाता है और वेश्यालय की देहरी पर अपने सारे कर्म, सदगुण छोड़ कर आता है। वेश्यालय की मिट्टी में समाज के अनेक पुरुषों के कर्म मिल जाते है, इस प्रकार वेश्या समाज को शुद्ध और सुरक्षित रखने का काम करती है। नारी के इस रूप को सम्मान देने के लिए इस मिट्टी को मां दुर्गा की प्रतिमा के निर्माण में किया जाता है। मां दुर्गा के अकाल बोधन रूप में पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा का मुख्य उद्देश्य नारी को सम्मान अर्पित करना है, इसलिए समाज में तिस्कृत, लेकिन समाज की सुरक्षा करने वाली वैश्या को सम्मान देने के लिए यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। वैश्यालय से मूर्तिकार भिक्षा मांग कर लाए मिट्टी
राजा ने बताया कि 10 भुजाधारी महिसासुर मर्दनी की प्रतिमा के निर्माण में मुख्यरुप से 4 वस्तुएं गौमूत्र, गोबर, धान की शीश, वेश्यालय के देहरी की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, जिसे मूर्तिकार मूर्ति निर्माण के लिए वैश्या से भिक्षा मांग कर मिट्टी लेकर आते हैं। 3 हजार लोगों के शामिल होने की व्यवस्था
संस्था के वाइस प्रेसीडेंट सत्यरंजन दास ने बताया कि दूसरे पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। एक फूड स्टॉल का भी आयोजन किया गया है, जिसमें तरह-तरह के व्यंजनों का भक्त लुत्फ उठा सकेंगे। गुरुदीक्षा लेने वाले तैयार करेंगे भोग
कमेटी सदस्यों ने बताया कि मां दुर्गा को 5 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। जिसमें पुलाव, पनीर, मिक्स खीर, खिचड़ी के साथ फ्राइ सब्जी बैगन, परवल, गोभी, आलू का भोग लगाया जाएगा। सभी व्यंजन देशी घी से तैयार किए जाएंगे, जिन्हें वहीं लोग तैयार करेंगे जिन्होंने गुरुमंत्र लिया होगा। इस प्रकार होंगे आयोजन 9 अक्टूबर- क्लासिकल नाइट्स
10 अक्टूबर- कला प्रतियोगिता, बांग्ला कविता पाठ, मयूरी डांस ग्रुप व भजन संध्या
11 अक्टूबर- आरती प्रतियोगिता (मेल) व बंग संस्कृति सम्मेलन का कल्चरल प्रोग्राम
12 अक्टूबर- ऊलु ध्वनि व शंख ध्वनि कंप्टीशन (फीमेल) व म्यूजिकल चेयर, आरती कंप्टीशन   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर