शनिवार से 2 दिवसीय आर्थोप्लास्टी कॉन्फ्रेंस का आगाज:लखनऊ में जुटेंगे जॉइंट रिप्लेसमेंट के एक्सपर्ट, घुटने और कुल्हे की सर्जरी पर देंगे टिप्स

शनिवार से 2 दिवसीय आर्थोप्लास्टी कॉन्फ्रेंस का आगाज:लखनऊ में जुटेंगे जॉइंट रिप्लेसमेंट के एक्सपर्ट, घुटने और कुल्हे की सर्जरी पर देंगे टिप्स

यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी द्वारा लखनऊ में 2 दिवसीय आर्थोप्लास्टी कोर्स का 21 दिसंबर से आयोजन किया जा रहा है। 22 दिसंबर तक चलने वाले इस कोर्स में भारत, नेपाल,मलेशिया, फिलीपींस समेत अन्य देशों से करीब 300 डॉक्टर प्रशिक्षण लेने लखनऊ पहुंचेंगे। ये जानकारी यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी के चेयरमैन डॉ. अमल शंकर प्रसाद ने दी है। उन्होंने बताया कि कोर्स के दौरान डॉक्टरों को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में नवीन तकनीक की जानकारी दी जाएगी। इतना ही नहीं इसकी सर्जरी के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित करते हैं। उनकी सोसाइटी इस दिशा में कई दशक से काम कर रही है। यहां तक कि कोविड में भी इस कोर्स को ऑनलाइन चलाया गया था। इस बार जर्मनी से डॉ. पुष्कर भिडे कोर्स में शामिल होंगे, जो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट कोर्स के लिए चुने गए सर्जनों के लिए फेलोशिप प्रशिक्षण का नेतृत्व करेंगे। घुटने का कभी नहीं होता ट्रांसप्लांट, होती है रिपेरिंग यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी के चेयरमैन डॉ. अमल शंकर प्रसाद ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का घुटना खराब हो जाता है, तो डॉक्टर उसको घुटना प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की सलाह देते हैं, लोग भी यही समझते हैं कि उनका घुटना प्रत्यारोपण (नी-ट्रांसप्लांट) होना है, लेकिन असल में घुटना ट्रांसप्लांट नहीं होता है, बल्कि घुटने को रिपेयर किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिस तरह खराब दांतों को ठीक करने के लिए उसके ऊपर कैपिंग की जाती है, ठीक उसी तरह घुटनों पर भी कैपिंग की जाती है। शुरुआत में स्टील, बाद में टाइटेनियम और अब सिरेमिक धातु की कैप लगाई जाती है। इसी को नी-ट्रांसप्लांट कहा जाता है, जबकि सही शब्द नी रिपेयरिंग है, लेकिन आम लोगों में नी ट्रांसप्लांट यानी घुटना प्रत्यारोपण ही प्रचलन में है। अटल जी के घुटना प्रत्योरोपण के समय OT में थे मौजूद डॉ.अमल शंकर प्रसाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटना प्रत्यारोपण के समय पीएमओ की तरफ से ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किये गये थे। जब अटल जी की सर्जरी हो रही थी, तब वह OT में ही मौजूद थे। यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी द्वारा लखनऊ में 2 दिवसीय आर्थोप्लास्टी कोर्स का 21 दिसंबर से आयोजन किया जा रहा है। 22 दिसंबर तक चलने वाले इस कोर्स में भारत, नेपाल,मलेशिया, फिलीपींस समेत अन्य देशों से करीब 300 डॉक्टर प्रशिक्षण लेने लखनऊ पहुंचेंगे। ये जानकारी यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी के चेयरमैन डॉ. अमल शंकर प्रसाद ने दी है। उन्होंने बताया कि कोर्स के दौरान डॉक्टरों को ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के क्षेत्र में नवीन तकनीक की जानकारी दी जाएगी। इतना ही नहीं इसकी सर्जरी के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित करते हैं। उनकी सोसाइटी इस दिशा में कई दशक से काम कर रही है। यहां तक कि कोविड में भी इस कोर्स को ऑनलाइन चलाया गया था। इस बार जर्मनी से डॉ. पुष्कर भिडे कोर्स में शामिल होंगे, जो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट कोर्स के लिए चुने गए सर्जनों के लिए फेलोशिप प्रशिक्षण का नेतृत्व करेंगे। घुटने का कभी नहीं होता ट्रांसप्लांट, होती है रिपेरिंग यूपी आर्थोप्लास्टी सोसायटी के चेयरमैन डॉ. अमल शंकर प्रसाद ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का घुटना खराब हो जाता है, तो डॉक्टर उसको घुटना प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) की सलाह देते हैं, लोग भी यही समझते हैं कि उनका घुटना प्रत्यारोपण (नी-ट्रांसप्लांट) होना है, लेकिन असल में घुटना ट्रांसप्लांट नहीं होता है, बल्कि घुटने को रिपेयर किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिस तरह खराब दांतों को ठीक करने के लिए उसके ऊपर कैपिंग की जाती है, ठीक उसी तरह घुटनों पर भी कैपिंग की जाती है। शुरुआत में स्टील, बाद में टाइटेनियम और अब सिरेमिक धातु की कैप लगाई जाती है। इसी को नी-ट्रांसप्लांट कहा जाता है, जबकि सही शब्द नी रिपेयरिंग है, लेकिन आम लोगों में नी ट्रांसप्लांट यानी घुटना प्रत्यारोपण ही प्रचलन में है। अटल जी के घुटना प्रत्योरोपण के समय OT में थे मौजूद डॉ.अमल शंकर प्रसाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटना प्रत्यारोपण के समय पीएमओ की तरफ से ऑब्जर्वर के तौर पर तैनात किये गये थे। जब अटल जी की सर्जरी हो रही थी, तब वह OT में ही मौजूद थे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर