अमृतसर| शहर में बिजली के कई ऐसे खंबे है जो टेढ़े हो चुके है और किसी भी समय हादसे का कारण बन सकते है। वहीं मजीठा रोड बाईपास सड़क के किनारे लगाए बिजली के कई खंबे टेढ़े हो चुके हैं जो किसी भी समय गिर सकते है। इलाकावासी तरसेम सिंह, आशीष कुमार, गौरव कपूर और शालिनी देवी का कहना है कि बिजली बोर्ड अपना काम खुद न करके ठेकेदारी सिस्टम पर दे देता है। जबकि ठेकेदार अपना काम जल्दबाजी में निपटने के चक्कर में कहीं बिजली तारें ढीली छोड़ देते है तो कहीं बिजली के खंबे कम जमीन गड्ढा खोदकर लगा देते हैं। वहीं बरसाती पानी पड़ते ही दिनों के बाद यह खंबे टेढ़े हो जाते हैं। क्योंकि ठेकेदार की ओर से इन्हें कोई स्पोर्ट नहीं दी जाती। लोगों का कहना है कि शहर में ऐसे कई बिजली के खंभे टेढ़े हो चुके हैं जो ठेकेदारों की ओर से लगाए गए थे। उन्होंने कहा कि इन टेढ़े खंबों के कारण किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। गौर है कि करीब 5 साल पहले निक्का सिंह कॉलोनी की सड़क पर बिजली का खंबा अचानक टूट कर एक्टिवा सवार दंपति पर गिर गया था। जिसके कारण वह दंपति गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी और उनके इलाज के लिए परिवार के लाखों रुपए लग गए थे। अमृतसर| शहर में बिजली के कई ऐसे खंबे है जो टेढ़े हो चुके है और किसी भी समय हादसे का कारण बन सकते है। वहीं मजीठा रोड बाईपास सड़क के किनारे लगाए बिजली के कई खंबे टेढ़े हो चुके हैं जो किसी भी समय गिर सकते है। इलाकावासी तरसेम सिंह, आशीष कुमार, गौरव कपूर और शालिनी देवी का कहना है कि बिजली बोर्ड अपना काम खुद न करके ठेकेदारी सिस्टम पर दे देता है। जबकि ठेकेदार अपना काम जल्दबाजी में निपटने के चक्कर में कहीं बिजली तारें ढीली छोड़ देते है तो कहीं बिजली के खंबे कम जमीन गड्ढा खोदकर लगा देते हैं। वहीं बरसाती पानी पड़ते ही दिनों के बाद यह खंबे टेढ़े हो जाते हैं। क्योंकि ठेकेदार की ओर से इन्हें कोई स्पोर्ट नहीं दी जाती। लोगों का कहना है कि शहर में ऐसे कई बिजली के खंभे टेढ़े हो चुके हैं जो ठेकेदारों की ओर से लगाए गए थे। उन्होंने कहा कि इन टेढ़े खंबों के कारण किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। गौर है कि करीब 5 साल पहले निक्का सिंह कॉलोनी की सड़क पर बिजली का खंबा अचानक टूट कर एक्टिवा सवार दंपति पर गिर गया था। जिसके कारण वह दंपति गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी और उनके इलाज के लिए परिवार के लाखों रुपए लग गए थे। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब उपचुनाव में गैंगस्टर की हुई एंट्री:कांग्रेस सांसद ने EC को लिखा पत्र, जग्गू भगवानपुरिया वोटरों को दे रहा धमकी पंजाब में 4 विधानसभा सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव में गैंगस्टर की एंट्री हो गई है। गुरदासपुर के सांसद और डेरा बाबा नानक से कांग्रेस उम्मीदवार जतिंदर कौर के पति सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इस मामले में इलेक्शन कमीशन को शिकायत दी है। उनका आरोप है कि हरियाणा की कुरुक्षेत्र जेल में बंद गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया वीडियो कॉल कर लोगों को धमका रहा है। वह लोगों को धमकी दे रहा है कि अगर उपचुनाव में कांग्रेस को वोट दिया तो देख लेना। गैंगस्टर की माता जेल में जाकर अपने फोन से बात करवाती है। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। साथ ही लोगों की सुरक्षा का ध्यान में रखा जाना चाहिए। उनका आरोप है कि वह मामले को पुलिस के ध्यान में लेकर लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोपी को सरकार की शह है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने इन आरोप को बेबुनियाद बताया है। उनका कहना यह कल्चर हमारी पार्टी का नहीं है। वहीं, जो आरोप लगा रहे हैं, उनके बारे में हर कोई जानता है। जेल मैं भी आरोपी से फोन मिला है सुखजिंदर सिंह रंधावा पहले डेरा बाबा नानक से विधायक थे, लेकिन गुरदासपुर से उनके सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है। वहीं, अब चुनाव में मात्र 12 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में अब यह मामला उठा है। उनका कहना है कि वह भी इस चीज को नहीं समझ पा रहे है कि जेल से यह कैसे चल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चार दिन पहले ही जग्गू से जेल में मोबाइल मिला है। जिसका केस भी दर्ज हुआ है। उनका आरोप है कि उनके परिजनों को सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया करवाई गई। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गैंगस्टर की बात नहीं सुनेगा, उस पर वह कार्रवाई कर सकता है। उनका कहना है कि इस मामले की पड़ताल होनी चाहिए। पंचायत चुनाव में भी कई लोगों को धमकाया कांग्रेस नेता ने बताया कि पंचायत चुनाव के समय भी इस तरह के मामले सामने आए थे। कई लोगों पर गैंगस्टर से दस्तावेज वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया। हालांकि लोग भी उनसे डरते हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान माहौल खराब होने का खतरा है।
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पंजाब सरकार और किसानों की मीटिंग थोड़ी देर में:कृषि पॉलिसी पर बनेगी रणनीति, कृषि मंत्री और अधिकारी रहेंगे मौजूद कृषि पॉलिसी को लेकर आज (बुधवार) को पंजाब सरकार और किसानों के बीच एक अहम मीटिंग होने जा रही है। मीटिंग पंजाब भवन में कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडि्डयां की अगुवाई में होगी। इस मौके विभाग के सारे अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां और खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले किसानों का प्रतिनिधिमंडल मीटिंग में शामिल होगा। इस मीटिंग के बाद किसानों द्वारा अपने संघर्ष का ऐलान किया जाएगा। मीटिंग में पॉलिसी को लेकर सुझाव किसान नेताओं ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई कृषि पॉलिसी के ड्राफ्ट पर उन्होंने माहिरों से चर्चा की है। इसमें कई नए चीजें सामने आई है। मीटिंग में इन चीजों को रखा जाएगा। सरकार से मांग की जाएगी कि उक्त सुझावों को पॉलिसी में शामिल किया जाए। इसके अलावा पिछली बार जब किसानों ने 5 दिन संघर्ष किया था। उस समय कई मांगों को सरकार ने मानने का ऐलान किया था। उन्हें भी लागू करवाने की मांग उठाई जाएगी। 15 साल बाद चंडीगढ़ में हुआ किसानों का प्रदर्शन सितंबर माह में पंजाब सरकार का मानसून सेशन हुआ था। इस दाैरान कृषि पॉलिसी को लेकर चंडीगढ़ में पहुंचे थे। चंडीगढ प्रशासन ने करीब 15 साल के बाद किसानों को शर्तों के साथ प्रदर्शन की अनुमति दे दी थी। इस दौरान किसानों ने सेक्टर-34 से मटका चौक तक मार्च निकाला था।
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मनमोहन सिंह के पाकिस्तान स्थित पैतृक गांव में शोकसभा:आज भी संभालकर रखी पूर्व पीएम की यादें, मोहणा कहकर बुलाते थे लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से पूरे भारत में शोक की लहर है। इसी के साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित उनके पैतृक गांव गाह के लोग भी डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरे दुख में हैं। गांव के लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा है जैसे हमारे परिवार का कोई सदस्य चला गया हो, जो हमसे दूर हो गया हो। गाह गांव के कुछ वीडियो भारत में भेजे गए। जिसमें गांव के लोगों की तरफ से डॉ. मनमोहन सिंह के लिए एक शोक सभा रखी गई। गांव के निवासी अल्ताफ हुसैन ने बताया कि मनमोहन सिंह के निधन पर दुख प्रकट करने के लिए स्थानीय लोगों के एक समूह ने शोक सभा आयोजित की। हुसैन उसी स्कूल में शिक्षक हैं, जहां मनमोहन सिंह ने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की थी। प्रधानमंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने गांव के लिए कई कुछ किया। जिस स्कूल में वे पढ़े थे, वहां सोलर सिस्टम लगवाया। उन्होंने भारतीय इंजीनियर भेजकर ये काम करवाए थे। इतना ही नहीं, गांव में लगी सोलर लाइटें भी उन्हीं की देन हैं। टेक्स्टाइल कारोबारी थे उनके पिता डॉ. मनमोहन सिंह के पिता गुरमुख सिंह टेक्सटाइल कारोबारी थे और उनकी मां अमृत कौर एक गृहिणी थी। उनका बचपन पाकिस्तान के गाह गांव में बीता, और उनके दोस्त उन्हें ‘मोहणा’ कहकर बुलाते थे। गाह गांव इस्लामाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह गांव डॉ. सिंह के जन्म के समय झेलम जिले का हिस्सा था, लेकिन 1986 में इसे चकवाल जिले में शामिल कर लिया गया। स्कूल में रखा है दूसरी कक्षा का रिपोर्ट कार्ड डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाह गांव के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल से प्राप्त की। आज भी स्कूल के रजिस्टर में उनका रोल नंबर 187 दर्ज है और प्रवेश की तारीख 17 अप्रैल 1937 है। उनकी जन्मतिथि 4 फरवरी 1932 और जाति ‘कोहली’ के रूप में दर्ज है। उनका दूसरी कक्षा का रिपोर्ट कार्ड संरचित रखा गया है। डॉ. मनमोहन नहीं गए कभी गांव गाह गांव के लोगों का कहना है कि डॉ. मनमोहन सिंह अपने जीवनकाल में गाह नहीं आ सके, लेकिन अब जब वह नहीं रहे, तो सभी चाहते हैं कि उनके परिवार का कोई सदस्य इस गांव का दौरा करे। मनमोहन सिंह के कुछ सहपाठी, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, ने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने पर खुशी जाहिर की थी। उनके सहपाठियों के परिवार आज भी गांव में रहते हैं और मनमोहन सिंह के साथ अपने पुराने रिश्ते पर गर्व महसूस करते हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के गांव की कुछ तस्वीरें-