लखनऊ हाईकोर्ट ने 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में आरक्षण लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया। आदेश दिया, चयन प्रक्रिया की लिस्ट फिर से बनाई जाए। अगले 3 महीने में यूपी सरकार और शिक्षा विभाग इस प्रक्रिया को पूरा करे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नौकरी पा चुके शिक्षकों के परिवारों की चिंता बढ़ गई। माना जा रहा है, सामान्य वर्ग के 6 से 7 हजार शिक्षकों पर इस आदेश का असर पड़ेगा। हालांकि, याचिकाकर्ता का दावा है कि 19 हजार से ज्यादा पदों पर आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया गया। सवाल उठ रहा है कि आखिर डबल बेंच के आदेश के बाद अब क्या होगा? अगर यह फैसला लागू होगा, तो किसका नुकसान होगा और किसको फायदा मिलेगा? ऐसे कई सवालों का जवाब यूपी शिक्षा विभाग के सामान्य, ओबीसी, एससी वर्ग संगठन के नेताओं और याचिकाकर्ताओं ने दिया। शिक्षक नेताओं और याचिकाकर्ताओं से हुए सवाल-जवाब से समझें अब आगे क्या होगा? सवाल- इस आदेश को कैसे देखते हैं?
जवाब- हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश में कई खामियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में पहली हियरिंग पर ही स्टे ऑर्डर हो जाएगा। सवाल- मौजूदा समय के शिक्षकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाब- मौजूदा समय में शिक्षकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जब तक सरकार निर्णय नहीं लेगी, तब तक जो लोग कार्य कर रहे हैं, वे करते रहेंगे। उनके पदों पर सरकार की तरफ से जब तक कोई एक्शन नहीं लिया जाता, वे कार्य करते रहेंगे। सवाल- 2022 चुनाव से पहले 6800 नए पद शिक्षक भर्ती में जोड़े गए थे, उसका क्या होगा?
जवाब- आरक्षण नियमावली में जो डबल बेंच का आदेश है, उसमें केवल 69000 पदों पर ही आरक्षण प्रक्रिया लागू हो सकती है। ऐसे में 6800 पदों को जोड़ने से पदों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। इसमें केवल 69000 शिक्षकों पर ही यह आदेश लागू होता है। सवाल- क्या डबल बेंच के आदेश का कोई प्रभाव नहीं है?
जवाब- डबल बेंच के आदेश को देखा जाए, तो जितने शिक्षक हैं, आज की डेट में शिक्षक पद से उनकी सेवाएं समाप्त हो चुकी हैं। इसी आधार पर ये पद भरे गए हैं, यह नियम उन सब पर भी लागू होता है। सवाल- कोर्ट के आदेश में क्या कहा गया है?
जवाब- डबल बेंच के आदेश में साफ तौर पर कोर्ट ने कहा है कि कोई भी बाहर होता है, तो आप उसके भविष्य को देखते हुए फैसला मत लीजिए। जो सही है, उनका ही चयन कीजिए। इसमें जो ओवर लैप होगा, वह 1994 नियमावली के तहत होगा। एमआरसी एक्ट-9, नियम 14 के तहत होगा। सवाल- किसकी वजह से डबल बेंच का ऐसा फैसला आया? आप किसको जिम्मेदार मानते हैं?
जवाब- सब ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है, लेकिन इस आदेश के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार सरकार है। सरकार ने 1984 नियमावली, 1981 नियमावली को लेकर कोर्ट में भ्रम फैलाया। सरकार की तरफ से यह भ्रम फैलाया गया कि 1984 के तहत हमने सब कुछ दे दिया है। इस पर कोर्ट ने 1984 नियमावली मांग ली। 1984 एक्ट को देखा तो कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब इसमें ओवर लैप और एमआरसी ठीक से नहीं किया गया है। जो OBC अभ्यर्थी 97 नंबर पाए हैं, उनको आपने सामान्य कैटेगरी में रखा है। जो शिक्षामित्र 90 या 96 नंबर पाए हैं, उनको भी आपने जनरल में रखा है। सवाल- क्या जनरल वर्ग का संगठन सुप्रीम कोर्ट जाएगा?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट जाने की शिक्षक संघ ने पूरी तैयारी की है। सबसे पहले जो आदेश आया है, इस पर स्टे लिया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी। हमारी मांग होगी कि जो जिस पद पर हैं, उन्हें वहां बनाए रखा जाए। सवाल- सभी ने अपने हिसाब से अपना पक्ष रखा या कोई कमजोर रहा?
जवाब- एमआरसी के जो कैंडिडेट हैं, उन्होंने अपने हिसाब से बहस की। उसी के तहत कोर्ट से अपने अनुसार आदेश पारित करवाया गया। इसके विपरीत जनरल कैटेगरी के जितने भी वकील रहे, सभी ने अपने अनुसार बहस की। फिलहाल कहें, तो कोर्ट ने अपने विवेक से पूरे मामले पर निर्णय दिया है। कोर्ट का जो भी आदेश है, सही माना जा सकता है। हालांकि यह सवाल भी है, अब उन अभ्यर्थियों का क्या होगा, जो सरकार की गलती से बेदखल होने के कगार पर है? सवाल- यदि डबल बेंच का आदेश अगर लागू होगा, तो कितने शिक्षक बाहर होंगे?
जवाब- अगर चयन प्रक्रिया सही तरह से लागू हो जाएगी, तो एमआरसी-जनरल को मिलाकर 6 से 7 हजार पद खाली होंगे। जो शिक्षामित्र 96 नंबर या 90 नंबर पाकर जनरल सीट पर हैं, वे भी एमआरसी के जरिए बाहर हो जाएंगे। सवाल- क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है?
जवाब- सरकार 100 फीसदी सुप्रीम कोर्ट जाएगी, क्योंकि साल 2022 चुनाव पहले शिक्षा विभाग ने जो इस भर्ती में 6800 की नई वैकेंसी जोड़ दी थी। तभी से इस प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। कोर्ट ने भी कहा था कि हम 69000 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती का आदेश नहीं दे सकते। मतलब, नौकरी के लिए जो विज्ञापन निकाला गया, केवल उतने ही कैंडिडेट शामिल होंगे। अब पढ़िए आरक्षण पर याचिका दाखिल करने वाले फैसले पर क्या कहते हैं… मेरिट लिस्ट बनाने में कहां चूक हुई?
एक्सपर्ट बताते हैं, पहली चूक मेरिट लिस्ट में ओवर लैप करने से शुरू हुई। यूपी सुपरटेक के पेपर में कट-ऑफ मेरिट लिस्ट ओबीसी-एससी के लिए 82 नंबर था। सामान्य के लिए 90 नंबर था। इसमें जब कट-ऑफ लिस्ट आई तो इससे ज्यादा नंबर पाने वाले को ओवर लैप किया गया। कई अभ्यर्थियों को आरक्षण नियमावली में शामिल करके उनको कट-ऑफ लिस्ट के बराबर रखा गया। दूसरी चूक मानी जा रही है कि शिक्षा विभाग ने जो मेरिट लिस्ट बनाई, उसमें शुरू से आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया गया। तैयार की लिस्ट गई में आरक्षण नियमावली-1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का प्रयोग नहीं गया है। डबल बेंच का आदेश आने के बाद सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेताओं ने क्या बोला पढ़िए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर लिखा- 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नए सिरे से न्यायपूर्ण नई सूची बने। जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें। प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था फिर से पटरी पर आ सके। हम नई सूची पर लगातार निगाह रखेंगे। किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएंगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं। लखनऊ हाईकोर्ट ने 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में आरक्षण लागू करने के तरीके पर सवाल उठाया। आदेश दिया, चयन प्रक्रिया की लिस्ट फिर से बनाई जाए। अगले 3 महीने में यूपी सरकार और शिक्षा विभाग इस प्रक्रिया को पूरा करे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद नौकरी पा चुके शिक्षकों के परिवारों की चिंता बढ़ गई। माना जा रहा है, सामान्य वर्ग के 6 से 7 हजार शिक्षकों पर इस आदेश का असर पड़ेगा। हालांकि, याचिकाकर्ता का दावा है कि 19 हजार से ज्यादा पदों पर आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया गया। सवाल उठ रहा है कि आखिर डबल बेंच के आदेश के बाद अब क्या होगा? अगर यह फैसला लागू होगा, तो किसका नुकसान होगा और किसको फायदा मिलेगा? ऐसे कई सवालों का जवाब यूपी शिक्षा विभाग के सामान्य, ओबीसी, एससी वर्ग संगठन के नेताओं और याचिकाकर्ताओं ने दिया। शिक्षक नेताओं और याचिकाकर्ताओं से हुए सवाल-जवाब से समझें अब आगे क्या होगा? सवाल- इस आदेश को कैसे देखते हैं?
जवाब- हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश में कई खामियां हैं। सुप्रीम कोर्ट में पहली हियरिंग पर ही स्टे ऑर्डर हो जाएगा। सवाल- मौजूदा समय के शिक्षकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाब- मौजूदा समय में शिक्षकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जब तक सरकार निर्णय नहीं लेगी, तब तक जो लोग कार्य कर रहे हैं, वे करते रहेंगे। उनके पदों पर सरकार की तरफ से जब तक कोई एक्शन नहीं लिया जाता, वे कार्य करते रहेंगे। सवाल- 2022 चुनाव से पहले 6800 नए पद शिक्षक भर्ती में जोड़े गए थे, उसका क्या होगा?
जवाब- आरक्षण नियमावली में जो डबल बेंच का आदेश है, उसमें केवल 69000 पदों पर ही आरक्षण प्रक्रिया लागू हो सकती है। ऐसे में 6800 पदों को जोड़ने से पदों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। इसमें केवल 69000 शिक्षकों पर ही यह आदेश लागू होता है। सवाल- क्या डबल बेंच के आदेश का कोई प्रभाव नहीं है?
जवाब- डबल बेंच के आदेश को देखा जाए, तो जितने शिक्षक हैं, आज की डेट में शिक्षक पद से उनकी सेवाएं समाप्त हो चुकी हैं। इसी आधार पर ये पद भरे गए हैं, यह नियम उन सब पर भी लागू होता है। सवाल- कोर्ट के आदेश में क्या कहा गया है?
जवाब- डबल बेंच के आदेश में साफ तौर पर कोर्ट ने कहा है कि कोई भी बाहर होता है, तो आप उसके भविष्य को देखते हुए फैसला मत लीजिए। जो सही है, उनका ही चयन कीजिए। इसमें जो ओवर लैप होगा, वह 1994 नियमावली के तहत होगा। एमआरसी एक्ट-9, नियम 14 के तहत होगा। सवाल- किसकी वजह से डबल बेंच का ऐसा फैसला आया? आप किसको जिम्मेदार मानते हैं?
जवाब- सब ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है, लेकिन इस आदेश के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार सरकार है। सरकार ने 1984 नियमावली, 1981 नियमावली को लेकर कोर्ट में भ्रम फैलाया। सरकार की तरफ से यह भ्रम फैलाया गया कि 1984 के तहत हमने सब कुछ दे दिया है। इस पर कोर्ट ने 1984 नियमावली मांग ली। 1984 एक्ट को देखा तो कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब इसमें ओवर लैप और एमआरसी ठीक से नहीं किया गया है। जो OBC अभ्यर्थी 97 नंबर पाए हैं, उनको आपने सामान्य कैटेगरी में रखा है। जो शिक्षामित्र 90 या 96 नंबर पाए हैं, उनको भी आपने जनरल में रखा है। सवाल- क्या जनरल वर्ग का संगठन सुप्रीम कोर्ट जाएगा?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट जाने की शिक्षक संघ ने पूरी तैयारी की है। सबसे पहले जो आदेश आया है, इस पर स्टे लिया जाएगा। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी। हमारी मांग होगी कि जो जिस पद पर हैं, उन्हें वहां बनाए रखा जाए। सवाल- सभी ने अपने हिसाब से अपना पक्ष रखा या कोई कमजोर रहा?
जवाब- एमआरसी के जो कैंडिडेट हैं, उन्होंने अपने हिसाब से बहस की। उसी के तहत कोर्ट से अपने अनुसार आदेश पारित करवाया गया। इसके विपरीत जनरल कैटेगरी के जितने भी वकील रहे, सभी ने अपने अनुसार बहस की। फिलहाल कहें, तो कोर्ट ने अपने विवेक से पूरे मामले पर निर्णय दिया है। कोर्ट का जो भी आदेश है, सही माना जा सकता है। हालांकि यह सवाल भी है, अब उन अभ्यर्थियों का क्या होगा, जो सरकार की गलती से बेदखल होने के कगार पर है? सवाल- यदि डबल बेंच का आदेश अगर लागू होगा, तो कितने शिक्षक बाहर होंगे?
जवाब- अगर चयन प्रक्रिया सही तरह से लागू हो जाएगी, तो एमआरसी-जनरल को मिलाकर 6 से 7 हजार पद खाली होंगे। जो शिक्षामित्र 96 नंबर या 90 नंबर पाकर जनरल सीट पर हैं, वे भी एमआरसी के जरिए बाहर हो जाएंगे। सवाल- क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है?
जवाब- सरकार 100 फीसदी सुप्रीम कोर्ट जाएगी, क्योंकि साल 2022 चुनाव पहले शिक्षा विभाग ने जो इस भर्ती में 6800 की नई वैकेंसी जोड़ दी थी। तभी से इस प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। कोर्ट ने भी कहा था कि हम 69000 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती का आदेश नहीं दे सकते। मतलब, नौकरी के लिए जो विज्ञापन निकाला गया, केवल उतने ही कैंडिडेट शामिल होंगे। अब पढ़िए आरक्षण पर याचिका दाखिल करने वाले फैसले पर क्या कहते हैं… मेरिट लिस्ट बनाने में कहां चूक हुई?
एक्सपर्ट बताते हैं, पहली चूक मेरिट लिस्ट में ओवर लैप करने से शुरू हुई। यूपी सुपरटेक के पेपर में कट-ऑफ मेरिट लिस्ट ओबीसी-एससी के लिए 82 नंबर था। सामान्य के लिए 90 नंबर था। इसमें जब कट-ऑफ लिस्ट आई तो इससे ज्यादा नंबर पाने वाले को ओवर लैप किया गया। कई अभ्यर्थियों को आरक्षण नियमावली में शामिल करके उनको कट-ऑफ लिस्ट के बराबर रखा गया। दूसरी चूक मानी जा रही है कि शिक्षा विभाग ने जो मेरिट लिस्ट बनाई, उसमें शुरू से आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया गया। तैयार की लिस्ट गई में आरक्षण नियमावली-1994 की धारा 3 (6) और बेसिक शिक्षा नियमावली-1981 का प्रयोग नहीं गया है। डबल बेंच का आदेश आने के बाद सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेताओं ने क्या बोला पढ़िए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर लिखा- 69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नए सिरे से न्यायपूर्ण नई सूची बने। जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें। प्रदेश में भाजपा काल में बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था फिर से पटरी पर आ सके। हम नई सूची पर लगातार निगाह रखेंगे। किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएंगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाएं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर