मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए 28 जनवरी रात 10 बजे से श्रद्धालु संगम पर पहुंचने लगे थे। सुबह तक इंतजार करना था, इसलिए ये लोग संगम नोज से पहले बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर सो गए। पीछे से भीड़ आती गई और करीब आधा किमी एरिया पूरी तरह चोक हो गया। भीड़ बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ी, तो सोए लोग कुुचलते चले गए। संगम की भगदड़ में रमेश और उनका परिवार भी फंस गया। रमेश बताते हैं कि ‘हम 12:30 बजे संगम घाट पर पहुंच गए थे। वहीं आराम करने लगे थे। तभी पुलिस वाले लाउडस्पीकर लेकर आए और कहने लगे कि जाओ स्नान करो।’ ‘इसी दौरान भगदड़ मच गई। 15 मिनट तक हम लोग भीड़ में दबे रहे। मैंने मां का हाथ पकड़ रखा था, लेकिन कुछ देर में वह छूट गया। पत्नी भी बिछड़ गई। मैंने जो देखा था, उसके बाद घर फोन कर दिया कि सब लोग खत्म हो गए।’ रमेश की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें हॉस्पिटल में मां और पत्नी सही-सलामत मिल गईं। प्रशासन के मुताबिक इस भगदड़ में 30 लोग मारे गए, हालांकि भास्कर रिपोर्टर्स के मुताबिक ये आंकड़ा 35-40 है। संगम की तरह सेक्टर-21 में भी भगदड़ मची। यहां हालात संगम से भी बुरे थे। भास्कर की टीम ने दोनों जगह जाकर भगदड़ की वजह समझीं। लोगों से बात करके ये 4 वजह समझ आईं। 1. हर तरफ से भीड़ संगम की तरफ बढ़ती गई
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए ज्यादातर श्रद्धालु संगम पहुंचना चाहते थे। भारी भीड़ की वजह से प्रयागराज और मेले में जितने भी रैन बसेरे, धर्मशाला, होटल थे, सब फुल हो गए। लोग सड़कों पर सोने लगे। सड़कों पर भी जगह नहीं मिली, तो लोग संगम के किनारे पहुंच गए। यहां का आधा हिस्सा अखाड़ों के लिए रिजर्व है। आम लोग उधर नहीं जा सकते थे। आम लोगों के लिए तय जगह पर भीड़ जमा होती गई। चुंगी और गऊ घाट से आ रहे लोग भी संगम की तरफ पहुंच रहे थे। संगम पर भीड़ का आगे बढ़ना रुक गया, लेकिन पीछे से लोग आते रहे। इससे 500 मीटर का एरिया चोक हो गया। भगदड़ की दूसरी घटना संगम से करीब एक किमी दूर सेक्टर-21 में हुई। ये संगम के बाद सबसे प्राइम एरिया सेक्टर-20 से सटा है। सेक्टर-20 में सभी प्रमुख अखाड़े हैं। इसलिए यहां ज्यादा भीड़ होती है। यहां जमा भीड़ संगम की तरफ जाना चाहती थी। पुलिस उन्हें जिस रास्ते से भेज रही थी, उस पर करीब 7 किमी चलना था। 2. प्रशासन और पुलिस भीड़ मैनेज नहीं कर सकी
मेला प्रशासन ने दावा किया था कि क्राउड मैनेजमेंट के लिए 328 AI कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे हेड काउंट कर कंट्रोल रूम को अलर्ट करते रहेंगे। संगम में भीड़ बढ़ती जा रही थी, लेकिन उसे डायवर्ट नहीं किया गया। सारे पांटून पुल बंद कर दिए गए। इससे जिन लोगों को दूसरी तरफ कल्पवासियों या अपने पंडो के आश्रम में जाना था, वे नहीं जा सके। इसलिए भी संगम पर भीड़ का प्रेशर बना। प्रशासन इसे नहीं संभाल पाया। संगम एरिया में उस वक्त करीब 1000 पुलिसवाले तैनात थे। 3. पुलिस ने लोगों को हटाना चाहा, इससे भगदड़ की स्थिति बनी
घटना के वक्त मौजूद लोगों के मुताबिक, पुलिसवाले माइक पर अनाउंस करके लोगों से स्नान के लिए कह रहे थे। लोग ब्रह्म मुहुर्त में तीन बजे से स्नान की बात कह रहे थे। पुलिस ने जबरदस्ती लोगों को उठाना शुरू कर दिया। इससे भगदड़ की स्थिति बन गई। 4. नागा साधुओं के स्नान के लिए आने की अफवाह
संगम पर मौजूद लोगों ने बताया कि भारी भीड़ के बीच अफवाह फैली कि नागा साधु स्नान के लिए आ रहे हैं। इसलिए जो लोग बैठे या लेटे हैं, हट जाएं। इसके बाद अफरातफरी मची और लोग दब गए। हालांकि, घटना के पीछे की वजह की जांच हो रही है। भगदड़ के बाद संगम पहुंची 50 एंबुलेंस
संगम से करीब डेढ़ किमी दूर सेंट्रल हॉस्पिटल महाकुंभ एरिया का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां 225 बेड हैं। भगदड़ के वक्त यहां करीब 50 लोगों का स्टाफ था। महाकुंभ एरिया में 25–25 बेड के तीन और हॉस्पिटल हैं। भगदड़ के बाद घायलों को पहले सेंट्रल हॉस्पिटल ही लाया गया। हमारी टीम हॉस्पिटल पहुंची। देखा कि यहां एक के बाद एक एंबुलेंस आ रही हैं। डॉक्टर घायलों को उतारकर अंदर ले जाते। करीब 50 एंबुलेंस लगातार संगम तक दौड़ रही थीं। एक एंबुलेंस में दो से तीन लोग हॉस्पिटल लाए गए। थोड़ी ही देर में महिला वार्ड के सभी 100 बेड भर गए। डॉक्टरों ने कुर्सी पर बैठाकर इलाज शुरू कर दिया। मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही थी। भगदड़ वाली जगह से 400 मीटर दूर हॉस्पिटल
संगम से करीब 400 मीटर दूर सेक्टर-4 में संगम हॉस्पिटल है। यहां हमें दो लोगों का स्टाफ मिला। हमने पूछा कि यहां कितने बेड है? जवाब मिला- 20 बेड है। यहां बेड कम हैं, इसलिए मरीजों को सीधे सेंट्रल हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। 2 बजे से एंबुलेंस का आना-जाना शुरू हुआ और 90 मिनट तक लगातार वे फेरे लगाती रहीं। मरने वालों की डेडबॉडी मेडिकल कॉलेज भेज दी गईं। चश्मदीद बोले– आधे घंटे बाद आईं एंबुलेंस
गोंडा के कर्नलगंज से आए रमेश बताते हैं, ‘भगदड़ के बाद चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। वहां बहुत कम पुलिसवाले थे। एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन वो 30 मिनट बाद आई। पता चला कि सेंट्रल हॉस्पिटल से एंबुलेंस निकली है, लेकिन भीड़ में फंस गई है। इसके बाद पुलिस ने लोगों को हटाकर एंबुलेंस को आगे पहुंचाया। एंबुलेंस अखाड़ों के लिए रिजर्व रास्तों से होकर सेंट्रल हॉस्पिटल की तरफ पहुंची।’ भगदड़ की दूसरी घटना सेक्टर-21 में
सेक्टर-21 में सतुआ बाबा का आश्रम है। यहां 28 जनवरी की रात करीब 3 बजे भीड़ बढ़ने लगी। ये लोग संगम की तरफ जाना चाहते थे। चश्मदीद बताते हैं कि पुलिस और CRPF के जवान भीड़ को दूसरी तरफ भेज रहे थे। इसी बीच भगदड़ मच गई। बैरिकेड्स टूट गए। लोहे की जालियां लगी थीं, उसमें लोग फंस गए। 5 मिनट में ही 250 मीटर एरिया में चीख-पुकार मच गई। यहां से करीब 200 मीटर दूर हॉस्पिटल है। ये घायलों से भर गया। एक कमरे में डेड बॉडी रखी जाने लगीं। हॉस्पिटल के एक स्टाफ ने नाम जाहिर न करते हुए बताया कि हादसे के कुछ देर बाद ही 24 डेड बॉडी यहां लाई गई थीं। इनमें से 21 को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भेज दिया गया। यहां हमें उत्तराखंड के रूद्रपुर से आए सूरज पाल मिले। वे हॉस्पिटल के बाहर बैठकर रो रहे थे। उनके पिता नंदराम और मामा शीशपाल लापता थे। सूरज ने बताया, ‘संगम पर जाने के लिए एक ही रास्ता खुला था। उस पर बहुत ज्यादा भीड़ थी। इसी से भगदड़ मच गई। मैं पिता की तलाश में हॉस्पिटल आया हूं।’ 65 साल के देवशरण बलिया जिले से आए हैं। वे बताते हैं, मेरे सामने ही पत्नी नीचे गिर गई और लोग उसके ऊपर से निकलने लगे। मुझे एक लड़के ने खींच लिया, इसलिए मैं बच गया। पत्नी का अब तक कुछ पता नहीं है। उसे तलाशते हुए हॉस्पिटल आया हूं। इसी बीच हॉस्पिटल के बाहर एक कागज चिपका दिया गया। इस पर लिखा है, ‘जिन लोगों के रिश्तेदार खो गए हैं, वो स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज के शवगृह या सेक्टर-21 के खोया-पाया केंद्र में जाकर पता कर लें।’ महाकुंभ एरिया में 10 खोया-पाया सेंटर हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए उनके परिवार वाले यहां पहुंचते रहे। सुबह 11 बजे तक ही करीब 3 हजार लोग यहां इन्क्वायरी कर चुके थे। शुरुआत में हॉस्पिटल में किसी को एंट्री नहीं दी गई। कुछ देर बाद हम अंदर गए तो देखा कि 20 बेड के हॉस्पिटल में 30 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा था। स्टाफ इस बात का ध्यान रख रहा था कि कोई फोटो या वीडियो न बनाए। प्रशासन ने देर शाम माना- भगदड़ में 30 मौतें
मौनी अमावस्या का स्नान खत्म हो गया। मेला प्रशासन हर दो घंटे में स्नान के लिए आ रहे लोगों की तादाद बताता रहा, लेकिन भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई, इसकी जानकारी नहीं दी। शाम 7 बजे मीडिया सेंटर में मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG कुंभ वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 30 मौतों की पुष्टि की। महाकुंभ की भगदड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए
1. 12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी, लाशों के बीच अपनों को तलाशते रहे लोग महाकुंभ कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के 12 रिपोर्टर प्रयागराज में हैं। मौनी अमावस्या के स्नान से पहले रात करीब 2 बजे एक के बाद एक एंबुलेंस की आवाजें आने लगीं। संगम तट पर मची भगदड़ के बाद स्थिति भयावह थी। लोग लाशों के बीच अपनों को तलाश रहे थे। हमारे रिपोर्टर सभी घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, सेंट्रल हॉस्पिटल और स्वरूपरानी हॉस्पिटल पहुंचे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 2. महाकुंभ मेले में 4 फरवरी तक नहीं जा सकेंगे वाहन, VVIP पास भी कैंसिल प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर भगदड़ और मौतों के बाद 5 बड़े बदलाव किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। एक रास्ते से आए श्रद्धालुओं को स्नान के बाद दूसरे रास्ते से भेजा जा रहा है। 29 जनवरी की सुबह प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमा पर रोक दिया गया। शाम 5 बजे के बाद बीच-बीच में एंट्री दी गई। पढ़िए पूरी खबर… मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए 28 जनवरी रात 10 बजे से श्रद्धालु संगम पर पहुंचने लगे थे। सुबह तक इंतजार करना था, इसलिए ये लोग संगम नोज से पहले बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर सो गए। पीछे से भीड़ आती गई और करीब आधा किमी एरिया पूरी तरह चोक हो गया। भीड़ बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ी, तो सोए लोग कुुचलते चले गए। संगम की भगदड़ में रमेश और उनका परिवार भी फंस गया। रमेश बताते हैं कि ‘हम 12:30 बजे संगम घाट पर पहुंच गए थे। वहीं आराम करने लगे थे। तभी पुलिस वाले लाउडस्पीकर लेकर आए और कहने लगे कि जाओ स्नान करो।’ ‘इसी दौरान भगदड़ मच गई। 15 मिनट तक हम लोग भीड़ में दबे रहे। मैंने मां का हाथ पकड़ रखा था, लेकिन कुछ देर में वह छूट गया। पत्नी भी बिछड़ गई। मैंने जो देखा था, उसके बाद घर फोन कर दिया कि सब लोग खत्म हो गए।’ रमेश की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें हॉस्पिटल में मां और पत्नी सही-सलामत मिल गईं। प्रशासन के मुताबिक इस भगदड़ में 30 लोग मारे गए, हालांकि भास्कर रिपोर्टर्स के मुताबिक ये आंकड़ा 35-40 है। संगम की तरह सेक्टर-21 में भी भगदड़ मची। यहां हालात संगम से भी बुरे थे। भास्कर की टीम ने दोनों जगह जाकर भगदड़ की वजह समझीं। लोगों से बात करके ये 4 वजह समझ आईं। 1. हर तरफ से भीड़ संगम की तरफ बढ़ती गई
मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए ज्यादातर श्रद्धालु संगम पहुंचना चाहते थे। भारी भीड़ की वजह से प्रयागराज और मेले में जितने भी रैन बसेरे, धर्मशाला, होटल थे, सब फुल हो गए। लोग सड़कों पर सोने लगे। सड़कों पर भी जगह नहीं मिली, तो लोग संगम के किनारे पहुंच गए। यहां का आधा हिस्सा अखाड़ों के लिए रिजर्व है। आम लोग उधर नहीं जा सकते थे। आम लोगों के लिए तय जगह पर भीड़ जमा होती गई। चुंगी और गऊ घाट से आ रहे लोग भी संगम की तरफ पहुंच रहे थे। संगम पर भीड़ का आगे बढ़ना रुक गया, लेकिन पीछे से लोग आते रहे। इससे 500 मीटर का एरिया चोक हो गया। भगदड़ की दूसरी घटना संगम से करीब एक किमी दूर सेक्टर-21 में हुई। ये संगम के बाद सबसे प्राइम एरिया सेक्टर-20 से सटा है। सेक्टर-20 में सभी प्रमुख अखाड़े हैं। इसलिए यहां ज्यादा भीड़ होती है। यहां जमा भीड़ संगम की तरफ जाना चाहती थी। पुलिस उन्हें जिस रास्ते से भेज रही थी, उस पर करीब 7 किमी चलना था। 2. प्रशासन और पुलिस भीड़ मैनेज नहीं कर सकी
मेला प्रशासन ने दावा किया था कि क्राउड मैनेजमेंट के लिए 328 AI कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे हेड काउंट कर कंट्रोल रूम को अलर्ट करते रहेंगे। संगम में भीड़ बढ़ती जा रही थी, लेकिन उसे डायवर्ट नहीं किया गया। सारे पांटून पुल बंद कर दिए गए। इससे जिन लोगों को दूसरी तरफ कल्पवासियों या अपने पंडो के आश्रम में जाना था, वे नहीं जा सके। इसलिए भी संगम पर भीड़ का प्रेशर बना। प्रशासन इसे नहीं संभाल पाया। संगम एरिया में उस वक्त करीब 1000 पुलिसवाले तैनात थे। 3. पुलिस ने लोगों को हटाना चाहा, इससे भगदड़ की स्थिति बनी
घटना के वक्त मौजूद लोगों के मुताबिक, पुलिसवाले माइक पर अनाउंस करके लोगों से स्नान के लिए कह रहे थे। लोग ब्रह्म मुहुर्त में तीन बजे से स्नान की बात कह रहे थे। पुलिस ने जबरदस्ती लोगों को उठाना शुरू कर दिया। इससे भगदड़ की स्थिति बन गई। 4. नागा साधुओं के स्नान के लिए आने की अफवाह
संगम पर मौजूद लोगों ने बताया कि भारी भीड़ के बीच अफवाह फैली कि नागा साधु स्नान के लिए आ रहे हैं। इसलिए जो लोग बैठे या लेटे हैं, हट जाएं। इसके बाद अफरातफरी मची और लोग दब गए। हालांकि, घटना के पीछे की वजह की जांच हो रही है। भगदड़ के बाद संगम पहुंची 50 एंबुलेंस
संगम से करीब डेढ़ किमी दूर सेंट्रल हॉस्पिटल महाकुंभ एरिया का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां 225 बेड हैं। भगदड़ के वक्त यहां करीब 50 लोगों का स्टाफ था। महाकुंभ एरिया में 25–25 बेड के तीन और हॉस्पिटल हैं। भगदड़ के बाद घायलों को पहले सेंट्रल हॉस्पिटल ही लाया गया। हमारी टीम हॉस्पिटल पहुंची। देखा कि यहां एक के बाद एक एंबुलेंस आ रही हैं। डॉक्टर घायलों को उतारकर अंदर ले जाते। करीब 50 एंबुलेंस लगातार संगम तक दौड़ रही थीं। एक एंबुलेंस में दो से तीन लोग हॉस्पिटल लाए गए। थोड़ी ही देर में महिला वार्ड के सभी 100 बेड भर गए। डॉक्टरों ने कुर्सी पर बैठाकर इलाज शुरू कर दिया। मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही थी। भगदड़ वाली जगह से 400 मीटर दूर हॉस्पिटल
संगम से करीब 400 मीटर दूर सेक्टर-4 में संगम हॉस्पिटल है। यहां हमें दो लोगों का स्टाफ मिला। हमने पूछा कि यहां कितने बेड है? जवाब मिला- 20 बेड है। यहां बेड कम हैं, इसलिए मरीजों को सीधे सेंट्रल हॉस्पिटल ले जाया जा रहा है। 2 बजे से एंबुलेंस का आना-जाना शुरू हुआ और 90 मिनट तक लगातार वे फेरे लगाती रहीं। मरने वालों की डेडबॉडी मेडिकल कॉलेज भेज दी गईं। चश्मदीद बोले– आधे घंटे बाद आईं एंबुलेंस
गोंडा के कर्नलगंज से आए रमेश बताते हैं, ‘भगदड़ के बाद चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। वहां बहुत कम पुलिसवाले थे। एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन वो 30 मिनट बाद आई। पता चला कि सेंट्रल हॉस्पिटल से एंबुलेंस निकली है, लेकिन भीड़ में फंस गई है। इसके बाद पुलिस ने लोगों को हटाकर एंबुलेंस को आगे पहुंचाया। एंबुलेंस अखाड़ों के लिए रिजर्व रास्तों से होकर सेंट्रल हॉस्पिटल की तरफ पहुंची।’ भगदड़ की दूसरी घटना सेक्टर-21 में
सेक्टर-21 में सतुआ बाबा का आश्रम है। यहां 28 जनवरी की रात करीब 3 बजे भीड़ बढ़ने लगी। ये लोग संगम की तरफ जाना चाहते थे। चश्मदीद बताते हैं कि पुलिस और CRPF के जवान भीड़ को दूसरी तरफ भेज रहे थे। इसी बीच भगदड़ मच गई। बैरिकेड्स टूट गए। लोहे की जालियां लगी थीं, उसमें लोग फंस गए। 5 मिनट में ही 250 मीटर एरिया में चीख-पुकार मच गई। यहां से करीब 200 मीटर दूर हॉस्पिटल है। ये घायलों से भर गया। एक कमरे में डेड बॉडी रखी जाने लगीं। हॉस्पिटल के एक स्टाफ ने नाम जाहिर न करते हुए बताया कि हादसे के कुछ देर बाद ही 24 डेड बॉडी यहां लाई गई थीं। इनमें से 21 को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भेज दिया गया। यहां हमें उत्तराखंड के रूद्रपुर से आए सूरज पाल मिले। वे हॉस्पिटल के बाहर बैठकर रो रहे थे। उनके पिता नंदराम और मामा शीशपाल लापता थे। सूरज ने बताया, ‘संगम पर जाने के लिए एक ही रास्ता खुला था। उस पर बहुत ज्यादा भीड़ थी। इसी से भगदड़ मच गई। मैं पिता की तलाश में हॉस्पिटल आया हूं।’ 65 साल के देवशरण बलिया जिले से आए हैं। वे बताते हैं, मेरे सामने ही पत्नी नीचे गिर गई और लोग उसके ऊपर से निकलने लगे। मुझे एक लड़के ने खींच लिया, इसलिए मैं बच गया। पत्नी का अब तक कुछ पता नहीं है। उसे तलाशते हुए हॉस्पिटल आया हूं। इसी बीच हॉस्पिटल के बाहर एक कागज चिपका दिया गया। इस पर लिखा है, ‘जिन लोगों के रिश्तेदार खो गए हैं, वो स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज के शवगृह या सेक्टर-21 के खोया-पाया केंद्र में जाकर पता कर लें।’ महाकुंभ एरिया में 10 खोया-पाया सेंटर हैं। लापता लोगों को ढूंढने के लिए उनके परिवार वाले यहां पहुंचते रहे। सुबह 11 बजे तक ही करीब 3 हजार लोग यहां इन्क्वायरी कर चुके थे। शुरुआत में हॉस्पिटल में किसी को एंट्री नहीं दी गई। कुछ देर बाद हम अंदर गए तो देखा कि 20 बेड के हॉस्पिटल में 30 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा था। स्टाफ इस बात का ध्यान रख रहा था कि कोई फोटो या वीडियो न बनाए। प्रशासन ने देर शाम माना- भगदड़ में 30 मौतें
मौनी अमावस्या का स्नान खत्म हो गया। मेला प्रशासन हर दो घंटे में स्नान के लिए आ रहे लोगों की तादाद बताता रहा, लेकिन भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई, इसकी जानकारी नहीं दी। शाम 7 बजे मीडिया सेंटर में मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और DIG कुंभ वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 30 मौतों की पुष्टि की। महाकुंभ की भगदड़ से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए
1. 12 रिपोर्टर्स की आंखों देखी, लाशों के बीच अपनों को तलाशते रहे लोग महाकुंभ कवरेज के लिए दैनिक भास्कर के 12 रिपोर्टर प्रयागराज में हैं। मौनी अमावस्या के स्नान से पहले रात करीब 2 बजे एक के बाद एक एंबुलेंस की आवाजें आने लगीं। संगम तट पर मची भगदड़ के बाद स्थिति भयावह थी। लोग लाशों के बीच अपनों को तलाश रहे थे। हमारे रिपोर्टर सभी घटनास्थल, गंगा घाट, अखाड़े, सेंट्रल हॉस्पिटल और स्वरूपरानी हॉस्पिटल पहुंचे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 2. महाकुंभ मेले में 4 फरवरी तक नहीं जा सकेंगे वाहन, VVIP पास भी कैंसिल प्रयागराज महाकुंभ में संगम तट पर भगदड़ और मौतों के बाद 5 बड़े बदलाव किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। एक रास्ते से आए श्रद्धालुओं को स्नान के बाद दूसरे रास्ते से भेजा जा रहा है। 29 जनवरी की सुबह प्रयागराज से सटे जिलों से आने वाले वाहनों को जिले की सीमा पर रोक दिया गया। शाम 5 बजे के बाद बीच-बीच में एंट्री दी गई। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर