संभल में इस बार नेजा मेला नहीं लगेगा। पूरे यूपी में इस आदेश की चर्चा है। प्रशासन ने रोक नहीं लगाई होती तो आज से मेले की शुरुआत होती। पहले दिन मेले का आयोजन संभल से 4 किलोमीटर दूर गांव शहवाजपुर सूरा नगला में होता। जिस क्षेत्र में मेला लगता था, आज वहां गाड़ियां खड़ी कराई गई हैं। 2 किलोमीटर रेंज में मेला लगता था, उस जगह पर पुलिस टीम गश्त कर रही है। लोगों को वहां खड़ा नहीं होने दे रही है। जो भी छोटे-मोटे स्टॉल लगाने आ रहे, उन्हें वापस किया जा रहा है। पूरा मेला क्षेत्र सुनसान पड़ा है। मेला क्षेत्र से लगभग 800 मीटर की दूरी पर मेले की ढाल गाढ़ी (झंडा लगाना) जाती थी। मेला शुरू होने के 7 दिन पहले 30 फिट गहरे गड्ढे में ढाल गाढ़ी जाती। प्रशासन ने इस गड्ढे में भी सीमेंट भरवा दिया है। यहां किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। पहले यहां मुस्लिम समुदाय के लोग जमा होकर दुआ करते थे। अब पढ़िए दुकानदारों और लोगों की बातचीत… पहले दुकानदारों की बात… दैनिक भास्कर की टीम ऐसे दुकानदारों के पास पहुंची जो मेले की तैयारी कर चुके थे। मेला कैंसिल होने से छोटे-बड़े दुकानदार परेशान हैं। उनका कहना है, हमें तो पता ही नहीं था, हम लोग होली के सामान के साथ नेजा मेले के लिए भी सामान खरीद लाए। अब इस सामान का क्या करेंगे, ये हमारे किस काम आएगा? मेला न लगने पर बहुत नुकसान हुआ
35 साल के मोहम्मद फहीम हर साल नेजा मेले में चारपाई, खटिया, सिल-बट्टा और लकड़ी के स्टूल की दुकान लगाते रहे हैं। उन्होंने बताया- मैं करीब 20 साल से इस मेले में दुकान लगा रहा हूं। मेरे बाबा-पापा भी मेले में दुकान लगाते रहे हैं। हम लोग छोटे व्यापारी हैं। मेहनत की कमाई खाते हैं। 50-60 हजार लगाकर पूरा सामान तैयार किया था। 2-3 महीने लगकर काम किया और सबकुछ बनाया। सोचा था मेले में सब बिक जाएगा लेकिन अब ये सारा सामान लेकर कहां जाएंगे? हमारा बहुत नुकसान हुआ है। शहर-ग्रामीण दोनों ही जगह के लोग ये सामान खरीदते हैं। मेले में काफी भीड़ आती है। सभी दुकानदारों का नुकसान हुआ है। हमारा 3-4 लाख का नुकसान हुआ है- दुकानदार गौरव संभल के रहने वाले 45 साल के गौरव की खिलौने की दुकान है। वो नेजा मेले में अलग से भी एक दुकान लगाते हैं। गौरव बताते हैं, संभल में मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार नेजा का माना जाता है। उसमें खिलौने सबसे ज्यादा बिकते थे। 7 दिन में ही 3-4 लाख की बिक्री हो जाती थी। मेला नहीं लगने से बहुत नुकसान हो रहा है। सैयद सालार मसूद गाजी के साथियों की दरगाह पर रहने वाले हुसैन बताते हैं कि नेजा मेले में हर जाति का व्यक्ति आता था। मजदूरी करके 4 पैसे कमा लेता था। मेला लगना अच्छी बात थी। लेकिन अब प्रशासन के आगे कौन ही बोल सकता है? जूस के दुकानदार सुहेल बोले- मेरा सारा गन्ना सड़ जाएगा 20 साल के सुहेल संभल शहर में गन्ने के जूस का स्टॉल लगाते हैं। सुहेल का कहना है, मैं 25 हजार का गन्ना खरीदकर लाया था। मुझे लगा था, मेले में इतने गन्ने का जूस तो आराम से निकल जाएगा, लेकिन मेला ही रोक दिया गया है। अब सारा गन्ना ऐसे ही पड़ा हुआ है, वो सूख जाएगा। मेला लगता है तो दुकानदारी बढ़िया होती है। मेरा तो बहुत नुकसान हो गया है। ‘हम लोगों के बच्चे भूखे-प्यासे हैं, अब क्या करें’ मेले में झूले की दुकान लगाने वाले फिदा हुसैन बताते हैं, हमारा इस बार 50-60 हजार का नुकसान हुआ है। पिछले साल भी यही हुआ था। हम लोग सामान लेकर उधर-इधर फिरते रहते हैं। हम भी परेशान-हमारे लेबर भी परेशान हो रहे हैं। 40-50 साल से हम लोग मेले में आ रहे हैं। लोग दूर-दूर से मेले में लोग आते थे। 400-500 दुकानें मेले में लगती थीं। कुछ दुकानें बाहर भी लगती हैं। बच्चे-महिलाएं, पुरुष सब आते थे, झूला झूलते थे लेकिन मेला न होने से हमारा तो नुकसान हो रहा है। हम लोगों के बच्चे भूखे-प्यासे हैं, हम लोग क्या करें? मेला कैंसिल होने पर मेरी सारी तैयारियां बेकार चली गईं- रूबीना
नेजा मेले में महिलाओं के दुल्हन की तरह सजकर बैठने का रिवाज है। जिन महिलाओं की शादी 1 साल पहले होती है, वो इस मेले में दुल्हन की तरह तैयार होकर बैठती हैं। मेले में आने वाली दूसरी महिलाएं इन दुल्हनों की बड़ाई करती हैं और कुछ नेग भी देती हैं। इस बार नेजा मेले में बैठने वाली रूबीना ने बताया, मेरी शादी को 10 महीने हो चुके हैं। मेले की डेट करीब आने पर मैंने तैयारियां शुरू कर दी थीं। शादी का जोड़ा और चूड़ा निकाल लिया था। उसको साफ भी करवा लिया था। कुछ चीजें नई भी खरीदी थीं। इस मेले में जाकर बहुत अच्छा लगता था, लेकिन इस बार मेला कैंसिल होने पर मेरी सारी तैयारियां बेकार चली गईं। पढ़िए नेजा मेला पर महंत बालयोगी दीनानाथ का बयान… महंत बालयोगी दीनानाथ बोले- मैं धन्यवाद दूंगा, प्रशासन और शासन को जो उन्होंने ये नेजा मेला रोक दिया है। किसी भी आक्रामक का महिमा मंडन जो करे वो देशद्रोही है। ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए। जिसने भारत को बार-बार लूटने का प्रयास किया, क्या उसके नाम पर मेला लगाना सही है। ये सरासर गलत है, जो ऐसे लोगों को महिमा मंडन करता है, ऐसे लोगों को भारत में रहने का भी हक नहीं है। उसकी जो भी गाथा है, वो जग जाहिर है। उसने किस प्रकार से हिंदू लोगों की हत्या की। हिंदू बहन-बेटियों की इज्जत लूटी। छोटे बच्चों को भाले की नोक पर टांग दिया। क्या ये सही था? क्या हिंदुओं के अंदर वैसा डर का माहौल आज भी बनाने का प्लान तैयार किया जा रहा है? क्या उनकी मानसिकता यही है? ये सरासर गलत है। जो भी भारत के विरोधी का महिमा मंडन करे उसको भारत के बाहर जाना चाहिए। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग इसपर क्या कहते हैं पढ़िए… सभी धर्मों के लोग मेले में आते हैं- अतीक संभल में बिछौली के ग्राम प्रधान अतीक अहमद मेला लगाने की बात करने एसडीएम से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने बताया, हम लोग इसे नेजा नहीं सद्भावना मेला मानते हैं। साल 2023 से इसको सद्भावना मेला नाम दिया गया। सभी धर्मों के लोग मेले में आते हैं। हम लोग तभी इस मेले को लगाने की मांग कर रहे हैं। इस मेले में बदतमीजी की हद थी- हरित गौड़ प्राइवेट नौकरी करने वाले 40 साल के हरित गौड़ मेले को लेकर बोले- ऐसे आक्रांता जिसने भारत को लूटा, उसके नाम पर कोई भी मेला नहीं लगना चाहिए। अभी तक मेला इसलिए होता चला जा रहा था क्योंकि किसी ने इसको रोकने की पहल नहीं की। नेजा मेला न हो, ये बहुत अच्छा निर्णय है। इस मेले में 15-35 साल के बच्चे-युवा आते थे, मेले में बदतमीजी हद की थी। लड़के खूब पीटे जाते थे। आवारागर्दी खूब होती थी, तभी महिलाएं भी कम आती थीं। अच्छा हुआ मेला बंद हो गया। कैसा होता था नेजा मेले का माहौल…
किराने की दुकान के मालिक बालमुकुंद गुप्ता ने बताया, जब शहर में मेला लगता था तो बाजार में काफी भीड़ होती थी। हम लोगों का व्यापार बहुत बढ़िया चलता था। सारे दुकानदार अपनी दुकानें मेले में भी लगाते थे। इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखने की भी जगह नहीं होती थी। खूब बर्तन बिकते थे। लेकिन इस बार बाजार खाली पड़ा है, बाजार में कोई रौनक नहीं है। नगर पालिका परिषद को 30 लाख का नुकसान
नेजा मेला कैंसिल होने पर संभल के नगर पालिका परिषद अध्यक्ष आसिया मुशीर खां ने बताया, नेजा मेले की टेंडर प्रक्रिया की गई थी। एक लाख रुपए की बोली के साथ टेंडर निकाला गया था। लेकिन किसी ने भी टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जिसकी वजह से इसे कैंसिल कर दिया गया। साल 2024 में 15,23,500 रुपए में मेले की टेंडर प्रक्रिया हुई थी। लेकिन प्रशासन ने मेले की अनुमति नहीं दी थी, जिसकी वजह से उस टेंडर को निरस्त कर दिया गया था। साल 2022 के नेजा मेले का बोर्ड में प्रस्ताव रखा गया था। संभल के नगर पालिका परिषद के प्रशासक/एडीएम कमलेश अवस्थी ने मेले की वसूली के लिए टेंडर प्रक्रिया को शुरू किया। प्रशासक/एडीएम प्रदीप वर्मा ने टेंडर निकाला, सद्भावना मेले के नाम से आयोजन हुआ। साल 2022 से पहले नगर पालिका परिषद स्वयं वसूली करती थी। उसकी 25-30 हजार रुपए की वसूली हो पाती थी लेकिन टेंडर प्रक्रिया होने के बाद लाखों रुपए का संभल नगर पालिका परिषद को फायदा होने लगा। साल 2024 और 2025 में मेला नहीं होने से करीब 30 लाख रुपए से अधिक का नगर पालिका परिषद संभल को नुकसान हुआ है। इसका असर जिले के विकास पर भी पड़ेगा। ———————————— नेजा मेले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…. मुस्लिम बोले- गाजी मियां लुटेरा था, हम कैसे कह दें:संभल ASP की नसीहत- कुरीतियों को खत्म होना चाहिए, नेजा मेले का झंडा लगने से रोका यूपी के संभल में लगातार दूसरे साल नेजा मेला नहीं लगेगा। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगाया जाता है, जो महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। संभल के ASP श्रीश्चंद ने साफ कह दिया है- जिसने सोमनाथ मंदिर सहित देश के 2 लाख मंदिरों को लूटा और तोड़ा, उसकी याद में मेला नहीं लगेगा। पढ़ें पूरी खबर… संभल में इस बार नेजा मेला नहीं लगेगा। पूरे यूपी में इस आदेश की चर्चा है। प्रशासन ने रोक नहीं लगाई होती तो आज से मेले की शुरुआत होती। पहले दिन मेले का आयोजन संभल से 4 किलोमीटर दूर गांव शहवाजपुर सूरा नगला में होता। जिस क्षेत्र में मेला लगता था, आज वहां गाड़ियां खड़ी कराई गई हैं। 2 किलोमीटर रेंज में मेला लगता था, उस जगह पर पुलिस टीम गश्त कर रही है। लोगों को वहां खड़ा नहीं होने दे रही है। जो भी छोटे-मोटे स्टॉल लगाने आ रहे, उन्हें वापस किया जा रहा है। पूरा मेला क्षेत्र सुनसान पड़ा है। मेला क्षेत्र से लगभग 800 मीटर की दूरी पर मेले की ढाल गाढ़ी (झंडा लगाना) जाती थी। मेला शुरू होने के 7 दिन पहले 30 फिट गहरे गड्ढे में ढाल गाढ़ी जाती। प्रशासन ने इस गड्ढे में भी सीमेंट भरवा दिया है। यहां किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा है। पहले यहां मुस्लिम समुदाय के लोग जमा होकर दुआ करते थे। अब पढ़िए दुकानदारों और लोगों की बातचीत… पहले दुकानदारों की बात… दैनिक भास्कर की टीम ऐसे दुकानदारों के पास पहुंची जो मेले की तैयारी कर चुके थे। मेला कैंसिल होने से छोटे-बड़े दुकानदार परेशान हैं। उनका कहना है, हमें तो पता ही नहीं था, हम लोग होली के सामान के साथ नेजा मेले के लिए भी सामान खरीद लाए। अब इस सामान का क्या करेंगे, ये हमारे किस काम आएगा? मेला न लगने पर बहुत नुकसान हुआ
35 साल के मोहम्मद फहीम हर साल नेजा मेले में चारपाई, खटिया, सिल-बट्टा और लकड़ी के स्टूल की दुकान लगाते रहे हैं। उन्होंने बताया- मैं करीब 20 साल से इस मेले में दुकान लगा रहा हूं। मेरे बाबा-पापा भी मेले में दुकान लगाते रहे हैं। हम लोग छोटे व्यापारी हैं। मेहनत की कमाई खाते हैं। 50-60 हजार लगाकर पूरा सामान तैयार किया था। 2-3 महीने लगकर काम किया और सबकुछ बनाया। सोचा था मेले में सब बिक जाएगा लेकिन अब ये सारा सामान लेकर कहां जाएंगे? हमारा बहुत नुकसान हुआ है। शहर-ग्रामीण दोनों ही जगह के लोग ये सामान खरीदते हैं। मेले में काफी भीड़ आती है। सभी दुकानदारों का नुकसान हुआ है। हमारा 3-4 लाख का नुकसान हुआ है- दुकानदार गौरव संभल के रहने वाले 45 साल के गौरव की खिलौने की दुकान है। वो नेजा मेले में अलग से भी एक दुकान लगाते हैं। गौरव बताते हैं, संभल में मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार नेजा का माना जाता है। उसमें खिलौने सबसे ज्यादा बिकते थे। 7 दिन में ही 3-4 लाख की बिक्री हो जाती थी। मेला नहीं लगने से बहुत नुकसान हो रहा है। सैयद सालार मसूद गाजी के साथियों की दरगाह पर रहने वाले हुसैन बताते हैं कि नेजा मेले में हर जाति का व्यक्ति आता था। मजदूरी करके 4 पैसे कमा लेता था। मेला लगना अच्छी बात थी। लेकिन अब प्रशासन के आगे कौन ही बोल सकता है? जूस के दुकानदार सुहेल बोले- मेरा सारा गन्ना सड़ जाएगा 20 साल के सुहेल संभल शहर में गन्ने के जूस का स्टॉल लगाते हैं। सुहेल का कहना है, मैं 25 हजार का गन्ना खरीदकर लाया था। मुझे लगा था, मेले में इतने गन्ने का जूस तो आराम से निकल जाएगा, लेकिन मेला ही रोक दिया गया है। अब सारा गन्ना ऐसे ही पड़ा हुआ है, वो सूख जाएगा। मेला लगता है तो दुकानदारी बढ़िया होती है। मेरा तो बहुत नुकसान हो गया है। ‘हम लोगों के बच्चे भूखे-प्यासे हैं, अब क्या करें’ मेले में झूले की दुकान लगाने वाले फिदा हुसैन बताते हैं, हमारा इस बार 50-60 हजार का नुकसान हुआ है। पिछले साल भी यही हुआ था। हम लोग सामान लेकर उधर-इधर फिरते रहते हैं। हम भी परेशान-हमारे लेबर भी परेशान हो रहे हैं। 40-50 साल से हम लोग मेले में आ रहे हैं। लोग दूर-दूर से मेले में लोग आते थे। 400-500 दुकानें मेले में लगती थीं। कुछ दुकानें बाहर भी लगती हैं। बच्चे-महिलाएं, पुरुष सब आते थे, झूला झूलते थे लेकिन मेला न होने से हमारा तो नुकसान हो रहा है। हम लोगों के बच्चे भूखे-प्यासे हैं, हम लोग क्या करें? मेला कैंसिल होने पर मेरी सारी तैयारियां बेकार चली गईं- रूबीना
नेजा मेले में महिलाओं के दुल्हन की तरह सजकर बैठने का रिवाज है। जिन महिलाओं की शादी 1 साल पहले होती है, वो इस मेले में दुल्हन की तरह तैयार होकर बैठती हैं। मेले में आने वाली दूसरी महिलाएं इन दुल्हनों की बड़ाई करती हैं और कुछ नेग भी देती हैं। इस बार नेजा मेले में बैठने वाली रूबीना ने बताया, मेरी शादी को 10 महीने हो चुके हैं। मेले की डेट करीब आने पर मैंने तैयारियां शुरू कर दी थीं। शादी का जोड़ा और चूड़ा निकाल लिया था। उसको साफ भी करवा लिया था। कुछ चीजें नई भी खरीदी थीं। इस मेले में जाकर बहुत अच्छा लगता था, लेकिन इस बार मेला कैंसिल होने पर मेरी सारी तैयारियां बेकार चली गईं। पढ़िए नेजा मेला पर महंत बालयोगी दीनानाथ का बयान… महंत बालयोगी दीनानाथ बोले- मैं धन्यवाद दूंगा, प्रशासन और शासन को जो उन्होंने ये नेजा मेला रोक दिया है। किसी भी आक्रामक का महिमा मंडन जो करे वो देशद्रोही है। ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाई होनी चाहिए। जिसने भारत को बार-बार लूटने का प्रयास किया, क्या उसके नाम पर मेला लगाना सही है। ये सरासर गलत है, जो ऐसे लोगों को महिमा मंडन करता है, ऐसे लोगों को भारत में रहने का भी हक नहीं है। उसकी जो भी गाथा है, वो जग जाहिर है। उसने किस प्रकार से हिंदू लोगों की हत्या की। हिंदू बहन-बेटियों की इज्जत लूटी। छोटे बच्चों को भाले की नोक पर टांग दिया। क्या ये सही था? क्या हिंदुओं के अंदर वैसा डर का माहौल आज भी बनाने का प्लान तैयार किया जा रहा है? क्या उनकी मानसिकता यही है? ये सरासर गलत है। जो भी भारत के विरोधी का महिमा मंडन करे उसको भारत के बाहर जाना चाहिए। हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग इसपर क्या कहते हैं पढ़िए… सभी धर्मों के लोग मेले में आते हैं- अतीक संभल में बिछौली के ग्राम प्रधान अतीक अहमद मेला लगाने की बात करने एसडीएम से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने बताया, हम लोग इसे नेजा नहीं सद्भावना मेला मानते हैं। साल 2023 से इसको सद्भावना मेला नाम दिया गया। सभी धर्मों के लोग मेले में आते हैं। हम लोग तभी इस मेले को लगाने की मांग कर रहे हैं। इस मेले में बदतमीजी की हद थी- हरित गौड़ प्राइवेट नौकरी करने वाले 40 साल के हरित गौड़ मेले को लेकर बोले- ऐसे आक्रांता जिसने भारत को लूटा, उसके नाम पर कोई भी मेला नहीं लगना चाहिए। अभी तक मेला इसलिए होता चला जा रहा था क्योंकि किसी ने इसको रोकने की पहल नहीं की। नेजा मेला न हो, ये बहुत अच्छा निर्णय है। इस मेले में 15-35 साल के बच्चे-युवा आते थे, मेले में बदतमीजी हद की थी। लड़के खूब पीटे जाते थे। आवारागर्दी खूब होती थी, तभी महिलाएं भी कम आती थीं। अच्छा हुआ मेला बंद हो गया। कैसा होता था नेजा मेले का माहौल…
किराने की दुकान के मालिक बालमुकुंद गुप्ता ने बताया, जब शहर में मेला लगता था तो बाजार में काफी भीड़ होती थी। हम लोगों का व्यापार बहुत बढ़िया चलता था। सारे दुकानदार अपनी दुकानें मेले में भी लगाते थे। इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखने की भी जगह नहीं होती थी। खूब बर्तन बिकते थे। लेकिन इस बार बाजार खाली पड़ा है, बाजार में कोई रौनक नहीं है। नगर पालिका परिषद को 30 लाख का नुकसान
नेजा मेला कैंसिल होने पर संभल के नगर पालिका परिषद अध्यक्ष आसिया मुशीर खां ने बताया, नेजा मेले की टेंडर प्रक्रिया की गई थी। एक लाख रुपए की बोली के साथ टेंडर निकाला गया था। लेकिन किसी ने भी टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जिसकी वजह से इसे कैंसिल कर दिया गया। साल 2024 में 15,23,500 रुपए में मेले की टेंडर प्रक्रिया हुई थी। लेकिन प्रशासन ने मेले की अनुमति नहीं दी थी, जिसकी वजह से उस टेंडर को निरस्त कर दिया गया था। साल 2022 के नेजा मेले का बोर्ड में प्रस्ताव रखा गया था। संभल के नगर पालिका परिषद के प्रशासक/एडीएम कमलेश अवस्थी ने मेले की वसूली के लिए टेंडर प्रक्रिया को शुरू किया। प्रशासक/एडीएम प्रदीप वर्मा ने टेंडर निकाला, सद्भावना मेले के नाम से आयोजन हुआ। साल 2022 से पहले नगर पालिका परिषद स्वयं वसूली करती थी। उसकी 25-30 हजार रुपए की वसूली हो पाती थी लेकिन टेंडर प्रक्रिया होने के बाद लाखों रुपए का संभल नगर पालिका परिषद को फायदा होने लगा। साल 2024 और 2025 में मेला नहीं होने से करीब 30 लाख रुपए से अधिक का नगर पालिका परिषद संभल को नुकसान हुआ है। इसका असर जिले के विकास पर भी पड़ेगा। ———————————— नेजा मेले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…. मुस्लिम बोले- गाजी मियां लुटेरा था, हम कैसे कह दें:संभल ASP की नसीहत- कुरीतियों को खत्म होना चाहिए, नेजा मेले का झंडा लगने से रोका यूपी के संभल में लगातार दूसरे साल नेजा मेला नहीं लगेगा। यह मेला सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगाया जाता है, जो महमूद गजनवी का भांजा और सेनापति था। संभल के ASP श्रीश्चंद ने साफ कह दिया है- जिसने सोमनाथ मंदिर सहित देश के 2 लाख मंदिरों को लूटा और तोड़ा, उसकी याद में मेला नहीं लगेगा। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
संभल में जहां नेजा मेला, वहां खड़े नहीं हो सकते:2 किमी रेंज में पुलिस की गश्त; दुकानदारों को लौटाया; दुल्हन बोली– तैयारियां बेकार
