संसद में इकलौते पति-पत्नी होंगे अखिलेश और डिंपल:यूपी में कौन होगा नेता प्रतिपक्ष? चाचा शिवपाल समेत चार नामों पर चर्चा तेज

संसद में इकलौते पति-पत्नी होंगे अखिलेश और डिंपल:यूपी में कौन होगा नेता प्रतिपक्ष? चाचा शिवपाल समेत चार नामों पर चर्चा तेज

अखिलेश यादव कन्नौज सीट से सांसद रहेंगे और केंद्र की राजनीति करेंगे। देश में सपा तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद, अखिलेश यादव ने यह फैसला लिया है। संसद में अखिलेश यादव और डिंपल यादव इकलौते दंपत्ति होंगे। अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से सपा विधायक और सदन में नेता प्रतिपक्ष थे। ऐसे में चर्चा तेज हो गई है कि अब यूपी में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? इस सवाल के जवाब में चार नामों की चर्चा तेजी से की जा रही है। पहला नाम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव का है। चर्चा है कि अखिलेश उन्हें जिम्मेदारी सौंप, भाजपा को जवाब दे सकते हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में मैनपुरी में एक रैली के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था- शिवपाल मुलायम सिंह यादव के सिपहसालार हुआ करते थे, लेकिन पार्टी में उनका कद काफी घट गया है। सीएम योगी ने शिवपाल को टारगेट करते हुए कहा था- मुझे असहाय शिवपाल पर दया आती है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो सत्यनारायण की कथा सुनता है और वहां वितरित किए जाने वाला चूरन ग्रहण करता है। भाजपा समय-समय पर शिवपाल सिंह यादव को लेकर बयानबाजी करती रही है। लेकिन, इस लोकसभा चुनाव में यादव फैमिली पूरी तरह एकजुट रही है। चर्चा है कि चाचा शिवपाल को यूपी का नेता प्रतिपक्ष बना अखिलेश यादव परिवार की एकता को मजबूती देंगे। PDA की मजबूती के लिए तीन और सामने आए
शिवपाल सिंह यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग उनके गृह जिले इटावा से भी उठी है। हालांकि, यूपी में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा इसका निर्णय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में यूपी विधानसभा नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवपाल सिंह यादव के अलावा अन्य तीन नामों की चर्चा जोरों पर है। सपा से जुड़े नेताओं में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष बनने की उम्मीद जता रहे हैं। लेकिन नवनिर्वाचित सपा के 37 सांसदों ने शिवपाल यादव के नाम पर ज्यादा जोर दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि अखिलेश PDA फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए, भी नेता प्रतिपक्ष के चेहरे पर मुहर लगा सकते हैं। क्योंकि इस चुनाव में उनका यह फॉर्मूला हिट हुआ है। अगर अखिलेश यादव PDA फॉर्मूला लगाते हैं तो नेता प्रतिपक्ष की रेस में कौन से नेता होंगे, चलिए जानते हैं… समाजवादी पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अगर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी सदन से इस्तीफा देंगे, तो उनके बाद यूपी के चार नेता यूपी में नेता प्रतिपक्ष बनाएं जाने की पूरी संभावनाएं है। जिसमें पहला नाम सपा विधायक इंद्रजीत सरोज, एमएलए राम अचल राजभर, सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव और सपा विधायक कमाल अख्तर को बनाया जा सकता है। सपा नेता ने यह दावा इसलिए किया क्योंकि जिस तरह से यूपी में लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूला के तहत चुनाव लड़ा है। इस हिसाब से यह उम्मीद है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इन नामों में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष बना सकते है। इटावा लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद जितेंद्र दोहरे ने मीडिया के सवाल के जवाब में शिवपाल यादव को यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की। जितेंद्र दोहरे ने कहा- उनके नेता प्रतिपक्ष बनने से यूपी में सपा और मजबूत होगी। हमारी मांग है वह नेता प्रतिपक्ष बने और उनको बनना भी चाहिए। 1. इंद्रजीत सरोज पहला नाम सपा विधायक इंद्रजीत सरोज का है। 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के कांशीराम से प्रेरित होकर मुख्य राजनीतिक धारा और बहुजन समाज पार्टी में आ गए। 1996 के विधानसभा चुनाव में वह मंझनपुर से पहली बार विधायक चुने गए। कई बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। वह मंझनपुर विधानसभा से अब तक 4 बार विधायक रहे हैं। लेकिन मायावती से मतभेद के बाद, उन्होंने 2018 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। वर्तमान में वह विधान सभा में सदन में विपक्ष के उपनेता हैं और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। 2. रामअचल राजभर रामअचल राजभर 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और समाजवादी पार्टी के राम मूर्ति वर्मा को हराकर सीट जीती थी, 2017 से विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया था। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। अकबरपुर से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। 3. कमाल अख्तर कमाल अख्तर मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे है। 2004 कमाल अख्तर सीधे राज्यसभा भेज दिए गए थे। यानी राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीधे बतौर राज्यसभा सदस्य की। 2012 में सपा ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर सीट से मैदान में उतारा था। कमाल अख्तर ने जीत दर्ज की और उन्हें पंचायती राज मंत्री बना दिया गया। 2014 का लोकसभा चुनाव आया और सपा ने कमाल अख्तर की पत्नी हुमेरा अख्तर को अमरोहा सीट से चुनाव लड़ा दिया। हुमेरा 3.70 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहीं। 2015 में कमाल अख्तर को अखिलेश यादव ने खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया। इसके बाद 2017 का चुनाव भी कमाल अख्तर ने हसनपुर सीट से लड़ा, लेकिन वह 27 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए। 2022 में सपा ने मुरादाबाद की कांठ सीट से विधानसभा टिकिट दिया और वह चुनकर विधानसभा पहुंचे। अब शिवपाल सिंह यादव के बारे में भी जान लेते हैं… शिवपाल सिंह यादव 1988 से 1991 और 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। 13 वीं विधानसभा में वे जसवंतनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। उसके बाद से अब तक लगातार विधायक है। जनवरी 2009 तक वह पूर्णकालिक सपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। शिवपाल ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। अखिलेश यादव कन्नौज सीट से सांसद रहेंगे और केंद्र की राजनीति करेंगे। देश में सपा तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद, अखिलेश यादव ने यह फैसला लिया है। संसद में अखिलेश यादव और डिंपल यादव इकलौते दंपत्ति होंगे। अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से सपा विधायक और सदन में नेता प्रतिपक्ष थे। ऐसे में चर्चा तेज हो गई है कि अब यूपी में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? इस सवाल के जवाब में चार नामों की चर्चा तेजी से की जा रही है। पहला नाम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव का है। चर्चा है कि अखिलेश उन्हें जिम्मेदारी सौंप, भाजपा को जवाब दे सकते हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में मैनपुरी में एक रैली के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था- शिवपाल मुलायम सिंह यादव के सिपहसालार हुआ करते थे, लेकिन पार्टी में उनका कद काफी घट गया है। सीएम योगी ने शिवपाल को टारगेट करते हुए कहा था- मुझे असहाय शिवपाल पर दया आती है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो सत्यनारायण की कथा सुनता है और वहां वितरित किए जाने वाला चूरन ग्रहण करता है। भाजपा समय-समय पर शिवपाल सिंह यादव को लेकर बयानबाजी करती रही है। लेकिन, इस लोकसभा चुनाव में यादव फैमिली पूरी तरह एकजुट रही है। चर्चा है कि चाचा शिवपाल को यूपी का नेता प्रतिपक्ष बना अखिलेश यादव परिवार की एकता को मजबूती देंगे। PDA की मजबूती के लिए तीन और सामने आए
शिवपाल सिंह यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग उनके गृह जिले इटावा से भी उठी है। हालांकि, यूपी में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा इसका निर्णय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेंगे। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में यूपी विधानसभा नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवपाल सिंह यादव के अलावा अन्य तीन नामों की चर्चा जोरों पर है। सपा से जुड़े नेताओं में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष बनने की उम्मीद जता रहे हैं। लेकिन नवनिर्वाचित सपा के 37 सांसदों ने शिवपाल यादव के नाम पर ज्यादा जोर दिया है। कहा यह भी जा रहा है कि अखिलेश PDA फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए, भी नेता प्रतिपक्ष के चेहरे पर मुहर लगा सकते हैं। क्योंकि इस चुनाव में उनका यह फॉर्मूला हिट हुआ है। अगर अखिलेश यादव PDA फॉर्मूला लगाते हैं तो नेता प्रतिपक्ष की रेस में कौन से नेता होंगे, चलिए जानते हैं… समाजवादी पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि अगर सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी सदन से इस्तीफा देंगे, तो उनके बाद यूपी के चार नेता यूपी में नेता प्रतिपक्ष बनाएं जाने की पूरी संभावनाएं है। जिसमें पहला नाम सपा विधायक इंद्रजीत सरोज, एमएलए राम अचल राजभर, सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव और सपा विधायक कमाल अख्तर को बनाया जा सकता है। सपा नेता ने यह दावा इसलिए किया क्योंकि जिस तरह से यूपी में लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूला के तहत चुनाव लड़ा है। इस हिसाब से यह उम्मीद है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इन नामों में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष बना सकते है। इटावा लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद जितेंद्र दोहरे ने मीडिया के सवाल के जवाब में शिवपाल यादव को यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की। जितेंद्र दोहरे ने कहा- उनके नेता प्रतिपक्ष बनने से यूपी में सपा और मजबूत होगी। हमारी मांग है वह नेता प्रतिपक्ष बने और उनको बनना भी चाहिए। 1. इंद्रजीत सरोज पहला नाम सपा विधायक इंद्रजीत सरोज का है। 1985 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के कांशीराम से प्रेरित होकर मुख्य राजनीतिक धारा और बहुजन समाज पार्टी में आ गए। 1996 के विधानसभा चुनाव में वह मंझनपुर से पहली बार विधायक चुने गए। कई बार यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। वह मंझनपुर विधानसभा से अब तक 4 बार विधायक रहे हैं। लेकिन मायावती से मतभेद के बाद, उन्होंने 2018 में बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। वर्तमान में वह विधान सभा में सदन में विपक्ष के उपनेता हैं और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। 2. रामअचल राजभर रामअचल राजभर 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और समाजवादी पार्टी के राम मूर्ति वर्मा को हराकर सीट जीती थी, 2017 से विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया था। लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। अकबरपुर से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे। 3. कमाल अख्तर कमाल अख्तर मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे है। 2004 कमाल अख्तर सीधे राज्यसभा भेज दिए गए थे। यानी राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीधे बतौर राज्यसभा सदस्य की। 2012 में सपा ने कमाल अख्तर को अमरोहा की हसनपुर सीट से मैदान में उतारा था। कमाल अख्तर ने जीत दर्ज की और उन्हें पंचायती राज मंत्री बना दिया गया। 2014 का लोकसभा चुनाव आया और सपा ने कमाल अख्तर की पत्नी हुमेरा अख्तर को अमरोहा सीट से चुनाव लड़ा दिया। हुमेरा 3.70 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहीं। 2015 में कमाल अख्तर को अखिलेश यादव ने खाद्य एवं रसद विभाग का कैबिनेट मंत्री बना दिया। इसके बाद 2017 का चुनाव भी कमाल अख्तर ने हसनपुर सीट से लड़ा, लेकिन वह 27 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हार गए। 2022 में सपा ने मुरादाबाद की कांठ सीट से विधानसभा टिकिट दिया और वह चुनकर विधानसभा पहुंचे। अब शिवपाल सिंह यादव के बारे में भी जान लेते हैं… शिवपाल सिंह यादव 1988 से 1991 और 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। 13 वीं विधानसभा में वे जसवंतनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। उसके बाद से अब तक लगातार विधायक है। जनवरी 2009 तक वह पूर्णकालिक सपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। शिवपाल ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई। वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर