बाबा सिद्दीकी हत्याकांड; आरोपी खुद को गैंगस्टर, किंग, बाजीगर कहता:नेपाल में बर्थडे पार्टी, गन रखने का शौक; शादियों में हवाई फायरिंग करते दिखे एक कमरे का घर। उसी के सामने झोपड़ी। झोपड़ी के सामने खाट (चारपाई) पर रोती हुई सुमन देवी। उनके इलाज के लिए पैसे के इंतजाम में चिंतित बैठे बाल किशन। आसपास फटे कपड़ों में इनके बच्चे हैं। तंगहाली के चलते बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। आसपास के लोग कुछ दिन से इस परिवार से बात नहीं कर रहे। यह कहानी NCP नेता बाबा सिद्दीकी को गोली मारने के आरोपी शिवकुमार गौतम के घर की है। शिवकुमार फरार है। मुंबई पुलिस से लेकर यूपी पुलिस और SOG तक रोज इस गांव के चक्कर लगा रही। लेकिन, अब तक शिव कुमार का कुछ पता नहीं चल सका है। इसी गांव के धर्मराज को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोप है, वह भी गोली मारने में शामिल था। शिवकुमार का परिवार भले ही गरीबी में है, लेकिन वह खुद को किंग और बाजीगर मानता था। सोशल मीडिया पोस्ट में उसने खुद को गैंगस्टर भी बताया है। दैनिक भास्कर की टीम लखनऊ से बहराइच के गंडारा गांव पहुंची। दोनों हत्यारोपियों के बारे में जानने की कोशिश की। उनका स्वभाव, बैकग्राउंड, शौक और पढ़ाई…सब कुछ जाना। मुंबई में हत्या, सन्नाटा गंडारा में फैल गया
12 अक्टूबर की रात मुंबई के बांद्रा में NCP नेता बाबा सिद्दीकी को गोली मार दी गई। बाबा अपने विधायक बेटे जीशान के ऑफिस से जैसे ही बाहर निकले, 3 बदमाशों ने 6 गोलियां मारीं। इन 3 बदमाशों में धर्मराज कश्यप और मोहम्मद जीशान अख्तर को पुलिस ने हत्याकांड के अगले दिन गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, शिवकुमार गौतम फरार है। 8 दिन बाद भी वह पुलिस के हाथ नहीं लगा। धर्मराज और शिव बहराइच के गंडारा गांव के हैं। जीशान पंजाब के जालंधर का रहने वाला है। गंडारा गांव में अब एक अलग सा सन्नाटा दिखता है। हर आने-जाने वाली गाड़ियों को स्थानीय लोग बड़े ध्यान से देखते हैं। लेकिन, जैसे ही गाड़ी रुकती है, उठकर चल देते हैं। इस गांव की आबादी करीब 12 हजार है। इसमें 70 फीसदी मुस्लिम और 30 फीसदी हिंदू हैं। गांव के बीच ही एक बाजार है। पुलिस की लगातार आवाजाही से बाजार में भी चहल-पहल कम हो गई है। गंडारा बाजार से होते हुए हम गांव के अंदर पहुंचे। मार्केट से करीब 400 मीटर दूर गांव के एकदम किनारे शिवकुमार का घर है। घर के बाहर एक खाट पर शिवकुमार की मां सुमन देवी लेटी थीं। पास में ही पिता बाल किशन बैठे थे। सुमन से हालचाल पूछा तो कहती हैं, मैं BP की मरीज हूं। घटना के बारे में सुनने के बाद मेरी हालत खराब हो गई है। बेटे ने ऐसा क्यों किया, इसका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। बेटे ने नहीं सोचा कि बीमार मां मर जाएगी
हमने घटना को लेकर सुमन देवी से बात शुरू की। पहला सवाल यही था कि आपको कब पता चला कि बेटे शिवकुमार ने बाबा सिद्दीकी को गोली मार दी? सुमन कहती हैं- मैं सुबह-सुबह घर के बाहर झाड़ू लगा रही थी। गांव के लोगों ने रात में मोबाइल में देखा था। उन लोगों शिवकुमार के पापा को बताया। इन्होंने हमको नहीं बताया, क्योंकि मैं BP की मरीज हूं। लेकिन, कुछ देर बाद मीडिया वाले आने लगे तो पता चला कि मेरे बेटे ने किसी की हत्या कर दी। सुमन आगे बताती हैं- शिवा यहां ईंट-गारा का काम करता था। कभी-कभी टेंट हाउस में काम कर लेता था। जो पैसा मिलता था, वह लेकर आता था। इसी साल होली के बाद वह पुणे गया था। गांव के ही हरीश की दुकान पर कबाड़ का काम करता था। हमने पूछा कि क्या पिछले कुछ दिनों से स्वभाव बदला हुआ दिखा? वह कहती हैं- बहुत फोन नहीं करता था। जब पैसा मांगो तो कहता था कि यहां बहुत पानी बरस रहा, काम नहीं हो पा रहा। उसने 2-3 बार 1000-1500 रुपए भेजे थे। सुमन यह सब बताते हुए रो देती हैं। वह कहती हैं- बेटे ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। एक बार भी नहीं सोचा कि मां बीमार है, मर जाएगी। हमने कभी उसे नहीं कहा कि ऐसे पैसा कमाकर लाओ। अब ऐसी घटना कर दी कि हमारा तो रोना खत्म नहीं हो पा रहा। शिवकुमार पुणे में भंगार (कबाड़) का काम करता था। उसकी कोई फिक्स सैलरी नहीं थी। मोहल्लों में ट्रॉली ले जाकर कबाड़ खरीदता था। वही कबाड़ शाम को हरीश की दुकान पर बेच देता था। हरीश भी गंडारा गांव का है। करीब 4 साल से पुणे में कबाड़ का काम कर रहा है। 2 महीने पहले शिवकुमार ने गांव के ही धर्मराज को भी पुणे बुला लिया था। धर्मराज गांव में मछली बेचने का काम करता था। वह यहां घास तक नहीं काट पाता था, पता नहीं हत्या कैसे कर दी
शिवकुमार के घर से करीब 300 मीटर दूर धर्मराज का घर है। धर्मराज 2 महीने पहले पुणे गया था। वह भी शिवकुमार के साथ भंगार खरीदने का काम करता था। हम धर्मराज के घर पहुंचे। घर में कुल 3 कमरे हैं, प्लास्टर नहीं है। फर्श भी कच्ची है। घर के बाहर धर्मराज के पिता राधे बैठे थे। उनसे धर्मराज की उम्र और पढ़ाई के बारे में पूछा। वह कहते हैं कि हमको इसकी कोई जानकारी नहीं है। राधे कहते हैं- मैं मछली बेचने का काम करता था। आंख में मोतियाबिंद हो गया, तो दिखना कम हो गया। दुकान पर नोट तक नहीं पहचान पाता था। तब धर्मराज साथ बैठने लगा। वह दुकान लगा देता और फिर जो ग्राहक आते वह जो पैसा देते वही सब कुछ रखता था। बेटे ने हत्या कर दी, यह बात गांव वालों से पता चली। यहां तो वह घास भी नहीं काट पाता था, पता नहीं उसने हत्या कैसे कर दी। अब पुलिस हमारे दूसरे बेटे अनुराग को भी मुंबई लेकर गई है। धर्मराज 10वीं तक पढ़ा, क्लास कभी-कभार ही जाता था
शिवकुमार तो 5वीं के बाद पढ़ाई छोड़ चुका था। धर्मराज ने गांव के ही केबीएल स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की थी। हम उसके स्कूल पहुंचे। कोई भी टीचर कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुआ। टीचर ऑफ कैमरा बताते हैं कि वह क्लास में बहुत कम आता था। उस वक्त उसे देखने से ऐसा नहीं लगता था कि वह गैंगस्टर बनेगा, किसी की हत्या करेगा। 2021 में जब उसने 10वीं पास की थी तब कोरोना के चलते परीक्षा नहीं हुई थी। ऐसे ही पास कर दिया गया था। हरीश एक महीने से यहीं था, मां ने बेकसूर बताया
इसी गांव के हरीश को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हरीश की ही दुकान पर धर्मराज और शिवकुमार काम करते थे। हरीश, धर्मराज का चचेरा भाई है। हम हरीश के घर पहुंचे, उसकी मां श्यामकली मिलीं। वह कहती हैं- मेरा बेटा 17 सितंबर को घर आ गया था। मेरी तबीयत बहुत खराब थी, इसलिए आया था। लेकिन, यहीं उसका एक्सीडेंट हो गया। फिर वह नहीं गया। पहले जब वहां रहता था, तब महीने में 1000-1500 रुपए भेजता था। मेरा बेटा बेकसूर है, उसने कुछ नहीं किया। हमको बहुत उलझन हो रही है। इसके बाद वह कुछ भी नहीं बोलतीं। विशेष वर्ग से चिढ़ता था शिवकुमार
शिवकुमार का स्वभाव पिछले 1 साल में काफी बदल गया था। गांव में उसके दोस्त कहते हैं- इस गांव में मुस्लिम वर्ग बहुसंख्यक है, इसलिए वह धीरे-धीरे इनसे चिढ़ने लगा था। 3 महीने पहले जब मुहर्रम को लेकर कहीं विवाद हुआ था तो इसने अपने इंस्टाग्राम पर स्टोरी लगाई और मुस्लिमों को लेकर अपशब्द लिखे थे। वह अक्सर देख लेने की बात कहता था। हमने उसका इंस्टाग्राम चेक किया तो कई पोस्ट ऐसे मिले। इसी साल 24 जुलाई को उसने अपनी फोटो पोस्ट की। लिखा- ‘यार तेरा गैंगस्टर है जानी’। जुलाई महीने में एक और पोस्ट पर कैप्शन था- ‘शरीफ बाप है, हम नहीं’। इसी तरह कभी वह खुद को किंग बताता, तो कभी बाजीगर। उसके अंदर यह सब बदलाव इसी साल आया। दोस्त बताते हैं कि वह पिछले महीने तक वॉट्सऐप पर जो स्टेटस लगाता था, उसमें भी रसूख की बात करता था। ऐसा लगता है कि जैसे उसे हत्या की सुपारी बहुत पहले मिल गई हो। धर्मराज को हरीश ने बुलाया और खुद घर आ गया
पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या की सुपारी करीब डेढ़ महीने पहले ही मिल चुकी थी। हरीश को एडवांस पैसे मिल गए थे। उसने ही अपने चचेरे भाई धर्मराज को वहां बुलाया और पूरी प्लानिंग की। हरीश ने ही तीनों को कुर्ला में किराए का कमरा दिलवाया। वहीं बाइक का इंतजाम किया गया। 17 सितंबर को वह खुद बहराइच अपने घर आ गया। शिवकुमार और धर्मराज 20 तारीख को उसकी दुकान छोड़कर मुंबई में बस गए। अब सवाल है कि धर्मराज के भाई अनुराग को पुलिस ने क्यों गिरफ्तार किया? इसका जवाब गांव में ही कुछ लोग देते हैं। वे कहते हैं- शिवकुमार और धर्मराज को 40-40 हजार रुपए मिले थे। धर्मराज ने अपने बड़े भाई अनुराग को पैसा भेज दिया। शिवा (शिवकुमार) ने किसे पैसे भेजे? यह उसकी गिरफ्तारी के बाद पता चलेगा। अनुराग को इस हत्याकांड की जानकारी थी या नहीं, ये तो वही बता सकता है। बर्थडे मनाने नेपाल जाते, हवाई फायरिंग करते
गंडारा गांव का ही एक लड़का कहता है, शिवा, धर्मराज, ओम, अखिलेंद्र समेत कई लोग हैं जो अक्सर साथ रहते थे। यहां से नेपाल की दूरी करीब 44 किलोमीटर है। ये सब अक्सर वहां तक चले जाते हैं। वहां बर्थडे पार्टी करते हैं। शादियों में कई बार हवाई फायरिंग करते दिखे हैं। हमने कहा कि क्या इसका कोई वीडियो मिलेगा? वह कहता है, वीडियो तो नहीं है लेकिन आप किसी से भी पूछ लीजिए, सब बता देंगे। बाबा सिद्दीकी की हत्या करने के लिए इन्हें यूरोप में बनी GLOCK पिस्टल और देसी गोलियां दी गई थीं। इन लोगों ने मुंबई में ही इसकी प्रैक्टिस की। चूंकि पहले से तमंचा चलाते रहे हैं, इसलिए अभ्यास में बहुत दिक्कत नहीं आई। शिवकुमार ने बाबा सिद्दीकी के आसपास की सुरक्षा को देखते हुए बाकी के दोनों शूटरों से कहा कि पहली गोली वह चलाएगा। उसने आगे बढ़कर फायरिंग झोंक दिया। कुल 6 गोलियां मारी गईं। पुलिस ने मौके पर धर्मराज और जीशान को पकड़ लिया, शिवा भागने में सफल रहा। जो पकड़े गए, उनके पास से 2 पिस्तौल और 28 जिंदा कारतूस मिले। पुलिस ने गंडारा गांव के धर्मराज, हरीश और अनुराग को गिरफ्तार किया है। राजेश, अखिलेंद्र और ओम से पूछताछ की है। एसओजी इस गांव में लगातार आ रही। कुछ और लोग हैं, जिनसे पूछताछ हो सकती है। गंडारा गांव में ही पुलिस चौकी है, जो कैसरगंज थाने के अंतर्गत आती है। हम यहां पहुंचे। एक सिपाही बताते हैं, इस पूरे मामले में महाराष्ट्र की पुलिस ही एक्शन ले रही है। हम लोगों से जिसे पकड़ने या पूछताछ करने को कहा जाता है, हम करते हैं। ——————- ये भी पढ़ें… बाबा सिद्दीकी मर्डर केस, शूटर शिवकुमार-धर्मराज शादी में मिले, गांववाले बोले- दोनों नेपाल जाते थे, हमारे लड़कों को गैंगस्टर बना दिया ‘मेरे पिता की मौत बेकार नहीं जाएगी।’ बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी जिस दिन ये इमोशनल नोट लिख रहे थे, उसी दिन मुंबई से 1500 किलोमीटर दूर UP के बहराइच के गंडारा गांव में पुलिस ने इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में 9वें सस्पेक्ट राजेश के घर छापा मारा। उस पर बाबा सिद्दीकी की हत्या के आरोपी हरीश से पैसों के लेन-देन का शक है। पढ़ें पूरी खबर…