सरकारी कर्मचारी फिर बनेंगे भाजपा सरकार के लिए मुसीबत:OPS को लेकर सड़क पर उतरने का फैसला, 1 जुलाई से शुरू होगा आंदोलन

सरकारी कर्मचारी फिर बनेंगे भाजपा सरकार के लिए मुसीबत:OPS को लेकर सड़क पर उतरने का फैसला, 1 जुलाई से शुरू होगा आंदोलन

हरियाणा में लोकसभा की 5 सीटें हारने के बाद भाजपा पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण कर्मचारी वर्ग की नाराजगी है। अब ये कर्मचारी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन तेज करने जा रहे हैं। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इसलिए कर्मचारी सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। इसको देखते हुए प्रदेश में पेंशन आंदोलन फिर से तेज होने जा रहा है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति 1 जुलाई से 10 अगस्त के बीच प्रदेश के सभी जिलों में ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) सम्मेलन करेगी और जिले में पेंशन आक्रोश मार्च निकालेगी तथा 1 सितंबर को पंचकूला में रैली निकालेगी और चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेगी। आज पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक का संचालन महासचिव ऋषि नैन ने किया। विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेश का हर कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक ओपीएस बहाली को लेकर कोई उचित कदम नहीं उठाया है, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों में आक्रोश है। कमेटी बनने के बाद भी सरकार ने नहीं बुलाई मीटिंग
प्रदेश अध्यक्ष धारीवाल ने कहा कि सरकार द्वारा 20 फरवरी 2023 को OPS के लिए उच्चस्तरीय कमेटी के गठन किया गया था लेकिन 3 मार्च के बाद सरकार द्वारा कोई मीटिंग नहीं बुलाई गई। विजेंद्र धारीवाल में कहा कि कर्मचारियों को नाराज कर सरकार अपने लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। लोकसभा चुनाव में भी संघर्ष समिति द्वारा चलाई है वोट फॉर OPS मुहिम प्रभावी साबित हुई है। धारीवाल ने कहा कि प्रदेश का हर कर्मचारी पेंशन बहाली के लिए सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है। कर्मचारी बोले-सरकार के पास अब भी मौका
पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा का कहना है कि अभी सरकार के पास समय है OPS बहाल करके इस नाराजगी को दूर कर सकती है। जब तक पेंशन स्कीम बहाल नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 1 जुलाई से सभी जिलों में OPS सम्मेलन कर जिला स्तरीय आक्रोश मार्च निकाल उपयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा। उसके बावजूद अगर सरकार बहाली के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता तो 1 सितंबर को पंचकूला में रैली कर मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। कर्मचारियों की नाराजगी सरकार को पड़ गई थी भारी
हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का सामना BJP को लोकसभा चुनाव में करना पड़ा था। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में सिर्फ 4 ही सीटों पर भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा सर्विस वोट मिले थे। 6 सीटों पर सर्विस वोटरों की पहली पसंद कांग्रेस रही। अंबाला, हिसार, करनाल, सोनीपत, रोहतक और सिरसा लोकसभा में सर्विस वोट यानी पोस्टल बैलट से मतदान में भाजपा पिछड़ गई। पूर्व CM मनोहर लाल की करनाल और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट को छोड़ दिया जाए तो भाजपा को जहां सर्विस वोट कम पड़े हैं, उन सीटों पर भाजपा को हार मिली है। सबसे ज्यादा सर्विस वोट भाजपा को भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर मिले हैं। हरियाणा में 1 लाख 11 हजार 143 सर्विस वोटर हैं। कांग्रेस की बात करें तो रोहतक में दीपेंद्र हुड्‌डा, सिरसा में कुमारी सैलजा, सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी, अंबाला में वरुण चौधरी, हिसार में जयप्रकाश और करनाल में दिव्यांशु बुद्धिराजा को सबसे ज्यादा सर्विस वोट मिले। हरियाणा में लोकसभा की 5 सीटें हारने के बाद भाजपा पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है। इसका सबसे बड़ा कारण कर्मचारी वर्ग की नाराजगी है। अब ये कर्मचारी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन तेज करने जा रहे हैं। हरियाणा में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इसलिए कर्मचारी सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। इसको देखते हुए प्रदेश में पेंशन आंदोलन फिर से तेज होने जा रहा है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति 1 जुलाई से 10 अगस्त के बीच प्रदेश के सभी जिलों में ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) सम्मेलन करेगी और जिले में पेंशन आक्रोश मार्च निकालेगी तथा 1 सितंबर को पंचकूला में रैली निकालेगी और चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेगी। आज पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक का संचालन महासचिव ऋषि नैन ने किया। विजेंद्र धारीवाल ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली को लेकर प्रदेश का हर कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार ने अभी तक ओपीएस बहाली को लेकर कोई उचित कदम नहीं उठाया है, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों में आक्रोश है। कमेटी बनने के बाद भी सरकार ने नहीं बुलाई मीटिंग
प्रदेश अध्यक्ष धारीवाल ने कहा कि सरकार द्वारा 20 फरवरी 2023 को OPS के लिए उच्चस्तरीय कमेटी के गठन किया गया था लेकिन 3 मार्च के बाद सरकार द्वारा कोई मीटिंग नहीं बुलाई गई। विजेंद्र धारीवाल में कहा कि कर्मचारियों को नाराज कर सरकार अपने लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। लोकसभा चुनाव में भी संघर्ष समिति द्वारा चलाई है वोट फॉर OPS मुहिम प्रभावी साबित हुई है। धारीवाल ने कहा कि प्रदेश का हर कर्मचारी पेंशन बहाली के लिए सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है। कर्मचारी बोले-सरकार के पास अब भी मौका
पेंशन बहाली संघर्ष समिति हरियाणा का कहना है कि अभी सरकार के पास समय है OPS बहाल करके इस नाराजगी को दूर कर सकती है। जब तक पेंशन स्कीम बहाल नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। 1 जुलाई से सभी जिलों में OPS सम्मेलन कर जिला स्तरीय आक्रोश मार्च निकाल उपयुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जाएगा। उसके बावजूद अगर सरकार बहाली के लिए कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता तो 1 सितंबर को पंचकूला में रैली कर मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। कर्मचारियों की नाराजगी सरकार को पड़ गई थी भारी
हरियाणा के सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी का सामना BJP को लोकसभा चुनाव में करना पड़ा था। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में सिर्फ 4 ही सीटों पर भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा सर्विस वोट मिले थे। 6 सीटों पर सर्विस वोटरों की पहली पसंद कांग्रेस रही। अंबाला, हिसार, करनाल, सोनीपत, रोहतक और सिरसा लोकसभा में सर्विस वोट यानी पोस्टल बैलट से मतदान में भाजपा पिछड़ गई। पूर्व CM मनोहर लाल की करनाल और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट को छोड़ दिया जाए तो भाजपा को जहां सर्विस वोट कम पड़े हैं, उन सीटों पर भाजपा को हार मिली है। सबसे ज्यादा सर्विस वोट भाजपा को भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर मिले हैं। हरियाणा में 1 लाख 11 हजार 143 सर्विस वोटर हैं। कांग्रेस की बात करें तो रोहतक में दीपेंद्र हुड्‌डा, सिरसा में कुमारी सैलजा, सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी, अंबाला में वरुण चौधरी, हिसार में जयप्रकाश और करनाल में दिव्यांशु बुद्धिराजा को सबसे ज्यादा सर्विस वोट मिले।   हरियाणा | दैनिक भास्कर