साइबर क्राइम और ड्रग्स तस्करी पर नकेल कसने के लिए बिहार पुलिस की बड़ी कवायद, दो तरह की यूनिट का गठन

साइबर क्राइम और ड्रग्स तस्करी पर नकेल कसने के लिए बिहार पुलिस की बड़ी कवायद, दो तरह की यूनिट का गठन

<p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Crime News:</strong> बिहार पुलिस साइबर क्राइम और ड्रग्स तस्करी पर नकेल कसने के लिए व्यापक स्तर पर कवायद करने जा रही है. पुलिस महकमा में दो तरह की यूनिट का गठन किया गया है. साइबर क्राइम सह साइबर सुरक्षा और स्टेट एंटी नारकोटिक सह मद्य निषेध यूनिट तैयार कर ली गई है. इस पर जल्द ही कैबिनेट के स्तर से अंतिम रूप से मुहर लगने जा रही है. इसके बाद यह पूरी तरह से काम करने लग जाएगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में इन दोनों यूनिट की कमान एडीजी या आईजी रैंक के अधिकारी संभालेंगे. यह जानकारी एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने सोमवार (09 जून) को पुलिस मुख्यालय के सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अवैध तरीके से कमाई करने वाले अपराधियों की पहचान हो रही'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने कहा, ”मादक पदार्थों और अवैध हथियारों की तस्करी के जरिए अवैध तरीके से कमाई करने वाले अपराधियों की पहचान की जा रही है. इनकी संपत्ति अंतिम रूप से जब्त करने की प्रक्रिया की जाएगी. अब तक ऐसे 6-7 अपराधियों की पहचान कर ली गई है. इनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा कि बिहार में रसायनिक या ओपियम (अफीम का फल) से बनने वाली मादक पदार्थों का उपयोग सर्वाधिक होता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ये भी कहा कि कई रसायनिक पदार्थों या दवाओं मसलन कफ सिरप या कुछ चुनिंदा सुइयों का उपयोग नशीले पदार्थ के तौर पर होता है. कई दुकानदार इन दवाओं को बिना किसी डॉक्टरी पुर्जा के भी दे देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिहार में कहां-कहां से होती है ड्रग्स की तस्करी?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी ने आगे कहा, ”बिहार में नेपाल, यूपी, उत्तर-पूर्वी राज्यों खासकर मणीपुर से मादक पदार्थों की तस्करी होती है. म्यांमार से भी इसकी तस्करी बड़ी मात्रा में होती है. गया से सटे झारखंड के कुछ इलाकों चतरा, पलामू, कौऔकोल समेत अन्य में अफीम की अवैध तरीके से खेती होती है. इन इलाकों में कार्रवाई करने के लिए मादक निषेध इकाई की भूमिका बेहद अहम होगी. इस यूनिट की कार्यशैली एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की तर्ज पर होगी. कुछ महत्वपूर्ण मामलों की जांच एनसीबी के साथ मिलकर की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्रग्स तस्करी में भोजपुर, मोतिहारी हॉटस्पॉट!</strong><br />&nbsp;<br />उन्होंने कहा, ”मादक पदार्थों की तस्करी में भोजपुर, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) जिले हॉटस्पॉट माने जाते हैं. हाल में आरा में एक बड़े तस्कर की गिरफ्तारी की गई, जिसके पास से एक डायरी मिली है. इसमें एक दर्जन छोटे तस्करों या डीलरों का ब्योरा मिला है. इनकी जांच कर कार्रवाई की जा रही है. एक बैंक खाते में 30 लाख रुपये का लेनदेन भी पकड़ा गया है.” उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ बेचने वाले छोटे स्थानों झोपड़ी, गुमटी जैसे अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई होगी. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी ने कहा कि साइबर अपराध यूनिट को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा. साइबर अपराधियों को दबोचने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. इसमें एक साइबर लैब भी तैयार किया जाएगा, जिसमें मोबाइल फोन, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों का विश्लेषण किया जाएगा. इसके लिए कुछ खास पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिछले वर्ष से घटे रेप और लूट के मामले</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा, ”पिछले वर्ष 2024 की तुलना में इस वर्ष अब तक रेप और लूट के मामले कम हुए हैं.” हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि हत्या के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है. 2024 में 2205 रेप के मामले हुए थे. पिछले वर्ष मई तक 490 मामले दर्ज किए गए थे. पिछले वर्ष राज्य में प्रति महीने औसतन 104 घटनाएं रेप की सामने आई थी, जो इस वर्ष अब तक हुई घटनाओं के आधार पर घटकर 98 मामले औसतन प्रति महीने सामने आई हैं. उन्होंने कहा, ”पिछले वर्ष हत्या के औसतन 232 मामले प्रति महीने दर्ज किए गए थे. इस वर्ष यह आंकड़ा औसतन 235 प्रति महीने का है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Bihar Crime News:</strong> बिहार पुलिस साइबर क्राइम और ड्रग्स तस्करी पर नकेल कसने के लिए व्यापक स्तर पर कवायद करने जा रही है. पुलिस महकमा में दो तरह की यूनिट का गठन किया गया है. साइबर क्राइम सह साइबर सुरक्षा और स्टेट एंटी नारकोटिक सह मद्य निषेध यूनिट तैयार कर ली गई है. इस पर जल्द ही कैबिनेट के स्तर से अंतिम रूप से मुहर लगने जा रही है. इसके बाद यह पूरी तरह से काम करने लग जाएगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार में इन दोनों यूनिट की कमान एडीजी या आईजी रैंक के अधिकारी संभालेंगे. यह जानकारी एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने सोमवार (09 जून) को पुलिस मुख्यालय के सभागार में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’अवैध तरीके से कमाई करने वाले अपराधियों की पहचान हो रही'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने कहा, ”मादक पदार्थों और अवैध हथियारों की तस्करी के जरिए अवैध तरीके से कमाई करने वाले अपराधियों की पहचान की जा रही है. इनकी संपत्ति अंतिम रूप से जब्त करने की प्रक्रिया की जाएगी. अब तक ऐसे 6-7 अपराधियों की पहचान कर ली गई है. इनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा कि बिहार में रसायनिक या ओपियम (अफीम का फल) से बनने वाली मादक पदार्थों का उपयोग सर्वाधिक होता है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ये भी कहा कि कई रसायनिक पदार्थों या दवाओं मसलन कफ सिरप या कुछ चुनिंदा सुइयों का उपयोग नशीले पदार्थ के तौर पर होता है. कई दुकानदार इन दवाओं को बिना किसी डॉक्टरी पुर्जा के भी दे देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बिहार में कहां-कहां से होती है ड्रग्स की तस्करी?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी ने आगे कहा, ”बिहार में नेपाल, यूपी, उत्तर-पूर्वी राज्यों खासकर मणीपुर से मादक पदार्थों की तस्करी होती है. म्यांमार से भी इसकी तस्करी बड़ी मात्रा में होती है. गया से सटे झारखंड के कुछ इलाकों चतरा, पलामू, कौऔकोल समेत अन्य में अफीम की अवैध तरीके से खेती होती है. इन इलाकों में कार्रवाई करने के लिए मादक निषेध इकाई की भूमिका बेहद अहम होगी. इस यूनिट की कार्यशैली एनसीबी (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) की तर्ज पर होगी. कुछ महत्वपूर्ण मामलों की जांच एनसीबी के साथ मिलकर की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ड्रग्स तस्करी में भोजपुर, मोतिहारी हॉटस्पॉट!</strong><br />&nbsp;<br />उन्होंने कहा, ”मादक पदार्थों की तस्करी में भोजपुर, मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) जिले हॉटस्पॉट माने जाते हैं. हाल में आरा में एक बड़े तस्कर की गिरफ्तारी की गई, जिसके पास से एक डायरी मिली है. इसमें एक दर्जन छोटे तस्करों या डीलरों का ब्योरा मिला है. इनकी जांच कर कार्रवाई की जा रही है. एक बैंक खाते में 30 लाख रुपये का लेनदेन भी पकड़ा गया है.” उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ बेचने वाले छोटे स्थानों झोपड़ी, गुमटी जैसे अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई होगी. &nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी ने कहा कि साइबर अपराध यूनिट को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के तौर पर विकसित किया जाएगा. साइबर अपराधियों को दबोचने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. इसमें एक साइबर लैब भी तैयार किया जाएगा, जिसमें मोबाइल फोन, लैपटॉप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों का विश्लेषण किया जाएगा. इसके लिए कुछ खास पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिछले वर्ष से घटे रेप और लूट के मामले</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा, ”पिछले वर्ष 2024 की तुलना में इस वर्ष अब तक रेप और लूट के मामले कम हुए हैं.” हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि हत्या के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है. 2024 में 2205 रेप के मामले हुए थे. पिछले वर्ष मई तक 490 मामले दर्ज किए गए थे. पिछले वर्ष राज्य में प्रति महीने औसतन 104 घटनाएं रेप की सामने आई थी, जो इस वर्ष अब तक हुई घटनाओं के आधार पर घटकर 98 मामले औसतन प्रति महीने सामने आई हैं. उन्होंने कहा, ”पिछले वर्ष हत्या के औसतन 232 मामले प्रति महीने दर्ज किए गए थे. इस वर्ष यह आंकड़ा औसतन 235 प्रति महीने का है.</p>  बिहार चारधाम यात्रा 2025: हेलीकॉप्टर संचालन में लापरवाही पर DGCA सख्त, सुरक्षा जांच और निगरानी बढ़ी