<p style=”text-align: justify;”><strong>Siddharthnagar News:</strong> उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में भगवान गौतम बुद्ध की क्रीड़ा स्थली कपिलवस्तु पिपरहवा से 1898 में खुदाई करके निकाली गई बुद्ध कालीन अवशेषों की हांगकांग में नीलामी होने जा रही है. 7 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे होने जा रही इस नीलामी को रोकने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में उन्होंने बुद्धकालीन पुरातात्विक इन अवशेषों को भारत वापस लाने की मांग की है और नीलामी को आस्था के साथ खिलवाड़ और भारतीय अस्मिता से जोड़ते हुए इसे चिंताजनक बताया है. आपको बताते चलें कि भगवान गौतम बुद्ध के कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के बाद उनके धातु अवशेषों में से एक भाग को लाकर शाक्य वंशजों ने कपिलवस्तु पिपरहवा में स्तूप का निर्माण करवाया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिपरहवा स्तूप विश्वभर के बौद्ध के लिए महत्वपूर्ण<br /></strong>भारत के मूल स्तूपों में शामिल यह पिपरहवा स्तूप पूरे विश्व के बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा का केंद्र और सिद्धार्थनगर जिले का प्रमुख पर्यटन केंद्र है. यहां खुदाई में निकले बौद्ध कालीन पुरातात्विक अवशेषों को कोलकाता स्थित भारतीय संग्रहालय में रखा गया गया है. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत भूमि से बाहर ले जाना खुलेआम पेपे की औपनिवेशिक डकैती थी और अब उसके वंशजों द्वारा इन पवित्र अवशेषों को चंद्र रुपए की खातिर नीलम करना अपराध है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>7 मई 2025 को हांगकांग में नीलाम होने जा रहे इन बुद्ध अवशेषों को इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज इंजीनियर और जमींदार विलियम कलक्स्टन पेपे ने 1898 में पिपरवाह में खुदाई करके 331 बौद्ध कालीन अवशेषों और रत्नों को औपनिवेशिक अनुमति से अपने पास रख लिया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बौद्ध अवशेषों की निलामी 7 मई को<br /></strong>2500 वर्ष पुराने इन बौद्ध अवशेषों की नीलामी अब अंग्रेज अफसर पेपे के चौथे वंशज नीलामी करने जा रहे हैं. इस नीलामी को रोकने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के सहायक प्रोफेसर ने प्रधानमंत्री सहित अन्य संबंधित विभागों को पत्र लिखा है. सहायक प्रोफेसर शरदेंदु का कहना है कि सिद्धार्थनगर जिले के स्तूप से मिली 2500 वर्ष पुराने बौद्ध कालीन इन 331 अवशेषों की नीलामी तत्काल भारत सरकार को रुकवा कर उन्हें वापस भारत लाना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(सिद्धार्थनगर से चंदन कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-weather-updates-imd-alerts-rain-thunderstorms-gorakhpur-agra-moradabad-2936718″>यूपी में आज भी झमाझम बारिश का अलर्ट, आगरा से गोरखपुर तक तेज आंधी-तूफान की चेतावनी</a>ॉ</strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Siddharthnagar News:</strong> उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में भगवान गौतम बुद्ध की क्रीड़ा स्थली कपिलवस्तु पिपरहवा से 1898 में खुदाई करके निकाली गई बुद्ध कालीन अवशेषों की हांगकांग में नीलामी होने जा रही है. 7 मई 2025 को सुबह 10:30 बजे होने जा रही इस नीलामी को रोकने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर शरदेन्दु कुमार त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में उन्होंने बुद्धकालीन पुरातात्विक इन अवशेषों को भारत वापस लाने की मांग की है और नीलामी को आस्था के साथ खिलवाड़ और भारतीय अस्मिता से जोड़ते हुए इसे चिंताजनक बताया है. आपको बताते चलें कि भगवान गौतम बुद्ध के कुशीनगर में महापरिनिर्वाण के बाद उनके धातु अवशेषों में से एक भाग को लाकर शाक्य वंशजों ने कपिलवस्तु पिपरहवा में स्तूप का निर्माण करवाया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पिपरहवा स्तूप विश्वभर के बौद्ध के लिए महत्वपूर्ण<br /></strong>भारत के मूल स्तूपों में शामिल यह पिपरहवा स्तूप पूरे विश्व के बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा का केंद्र और सिद्धार्थनगर जिले का प्रमुख पर्यटन केंद्र है. यहां खुदाई में निकले बौद्ध कालीन पुरातात्विक अवशेषों को कोलकाता स्थित भारतीय संग्रहालय में रखा गया गया है. उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत भूमि से बाहर ले जाना खुलेआम पेपे की औपनिवेशिक डकैती थी और अब उसके वंशजों द्वारा इन पवित्र अवशेषों को चंद्र रुपए की खातिर नीलम करना अपराध है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>7 मई 2025 को हांगकांग में नीलाम होने जा रहे इन बुद्ध अवशेषों को इतिहासकारों के अनुसार अंग्रेज इंजीनियर और जमींदार विलियम कलक्स्टन पेपे ने 1898 में पिपरवाह में खुदाई करके 331 बौद्ध कालीन अवशेषों और रत्नों को औपनिवेशिक अनुमति से अपने पास रख लिया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बौद्ध अवशेषों की निलामी 7 मई को<br /></strong>2500 वर्ष पुराने इन बौद्ध अवशेषों की नीलामी अब अंग्रेज अफसर पेपे के चौथे वंशज नीलामी करने जा रहे हैं. इस नीलामी को रोकने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास के सहायक प्रोफेसर ने प्रधानमंत्री सहित अन्य संबंधित विभागों को पत्र लिखा है. सहायक प्रोफेसर शरदेंदु का कहना है कि सिद्धार्थनगर जिले के स्तूप से मिली 2500 वर्ष पुराने बौद्ध कालीन इन 331 अवशेषों की नीलामी तत्काल भारत सरकार को रुकवा कर उन्हें वापस भारत लाना चाहिए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(सिद्धार्थनगर से चंदन कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट)</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-weather-updates-imd-alerts-rain-thunderstorms-gorakhpur-agra-moradabad-2936718″>यूपी में आज भी झमाझम बारिश का अलर्ट, आगरा से गोरखपुर तक तेज आंधी-तूफान की चेतावनी</a>ॉ</strong></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड नैनीताल में छात्रा के साथ दुष्कर्म पर हाई कोर्ट का बयान, कहा- ध्वस्तीकरण नोटिस से सांप्रदायिक तनाव बढ़ा
सिद्धार्थनगर: बुद्ध काल के 331 अवशेष हांगकांग में होंगे नीलाम? PM मोदी को पत्र लिखकर भारत लाने की मांग
