लखनऊ के लोहिया संस्थान और SGPGI के डॉक्टरों ने एक बच्ची के सिर की हड्डी को चार टुकड़ों में काटा ताकि दिमाग का विकास हो सके। ऑपरेशन के बाद बच्ची की तबीयत बेहतर है। डॉक्टरों का दावा है कि लोहिया में इस तरह का पहला ऑपरेशन है। गोंडा के रहना वाला हैं परिवार गोंडा निवासी किसान की दो वर्ष की बेटी आराध्या सिंह के सिर का आकार जन्म के बाद से ही असामान्य रूप से बढ़ता रहा। आंखें बाहर की ओर आ गईं। लगातार सिर में दर्द हो रहा था। चक्कर और उल्टी की भी शिकायत शुरू हुई। धीरे-धीरे आंखों की रोशनी भी कमजोर हो रही थी। परिजनों ने बच्ची को कई अस्पतालों में दिखाया लेकिन राहत नहीं मिली। परिजन उसको लेकर लोहिया संस्थान पहुंचे। न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार (डीके) सिंह ने जांच कराई तो सिर की गंभीर बीमारी केनियोफेशियल सिंड्रोम की पुष्टि हुई। ऐसा हुआ ऑपरेशन डॉ.सिंह ने बताया कि जन्म के समय बच्चों के सिर की हड्डियां कई हिस्सों में बंटी होती हैं, जो छह माह बाद से आपस में धीरे-धीरे जुड़नी शुरू होती हैं। 10 से 11 साल की उम्र में सिर की सारी हड्डियां आपस में जुड़ती हैं। इस बच्ची की हड्डियां समय से पहले ही जुड़ गईं नतीजतन उसके दिमाग का विकास प्रभावित होने लगा। इसका असर चेहरे और आंखों पर भी पड़ा। उन्होंने बताया कि बच्ची को बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन करने की सलाह दी गई तो परिवारीजन राजी हो गए। 9 घंटे चला ऑपरेशन डॉ.डीके सिंह ने बताया कि न्यूरो साइंस सेंटर भवन में बच्ची के सिर का करीब 9 घंटे ऑपरेशन चला। सिर की हड्डी के चार टुकड़े किए गए ताकि दिमाग का विकास हो सके। हड्डी के दो छोटे टुकड़े निकाल कर आंखें के ऊपरी और नीचे के हिस्से में प्रत्यारोपित किये गए। इससे आंखे सामान्य रूप से भीतर जाएंगी। वहीं, चेहरे की विकृति भी डेढ़ से दो साल में ठीक होगी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची को सिर दर्द, उल्टी और चक्कर जैसी समस्याओं से निजात मिल गई है। यह सर्जरी SGPGI प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल के सहयोग से हुई है। मरीज की पूरी विकृत खोपड़ी को निकाला गया केनियोफेशियल सर्जन डॉ.राजीव अग्रवाल ने सबसे पहले चपटे माथे के स्वरूप को सुधारा रीमांडलिंग की प्रक्रिया से पूरे विकृत कपाल वॉल्ट को आकार दिया गयाउसके बाद हड्डी को प्रत्यारोपित किया गया लखनऊ के लोहिया संस्थान और SGPGI के डॉक्टरों ने एक बच्ची के सिर की हड्डी को चार टुकड़ों में काटा ताकि दिमाग का विकास हो सके। ऑपरेशन के बाद बच्ची की तबीयत बेहतर है। डॉक्टरों का दावा है कि लोहिया में इस तरह का पहला ऑपरेशन है। गोंडा के रहना वाला हैं परिवार गोंडा निवासी किसान की दो वर्ष की बेटी आराध्या सिंह के सिर का आकार जन्म के बाद से ही असामान्य रूप से बढ़ता रहा। आंखें बाहर की ओर आ गईं। लगातार सिर में दर्द हो रहा था। चक्कर और उल्टी की भी शिकायत शुरू हुई। धीरे-धीरे आंखों की रोशनी भी कमजोर हो रही थी। परिजनों ने बच्ची को कई अस्पतालों में दिखाया लेकिन राहत नहीं मिली। परिजन उसको लेकर लोहिया संस्थान पहुंचे। न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार (डीके) सिंह ने जांच कराई तो सिर की गंभीर बीमारी केनियोफेशियल सिंड्रोम की पुष्टि हुई। ऐसा हुआ ऑपरेशन डॉ.सिंह ने बताया कि जन्म के समय बच्चों के सिर की हड्डियां कई हिस्सों में बंटी होती हैं, जो छह माह बाद से आपस में धीरे-धीरे जुड़नी शुरू होती हैं। 10 से 11 साल की उम्र में सिर की सारी हड्डियां आपस में जुड़ती हैं। इस बच्ची की हड्डियां समय से पहले ही जुड़ गईं नतीजतन उसके दिमाग का विकास प्रभावित होने लगा। इसका असर चेहरे और आंखों पर भी पड़ा। उन्होंने बताया कि बच्ची को बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन करने की सलाह दी गई तो परिवारीजन राजी हो गए। 9 घंटे चला ऑपरेशन डॉ.डीके सिंह ने बताया कि न्यूरो साइंस सेंटर भवन में बच्ची के सिर का करीब 9 घंटे ऑपरेशन चला। सिर की हड्डी के चार टुकड़े किए गए ताकि दिमाग का विकास हो सके। हड्डी के दो छोटे टुकड़े निकाल कर आंखें के ऊपरी और नीचे के हिस्से में प्रत्यारोपित किये गए। इससे आंखे सामान्य रूप से भीतर जाएंगी। वहीं, चेहरे की विकृति भी डेढ़ से दो साल में ठीक होगी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची को सिर दर्द, उल्टी और चक्कर जैसी समस्याओं से निजात मिल गई है। यह सर्जरी SGPGI प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल के सहयोग से हुई है। मरीज की पूरी विकृत खोपड़ी को निकाला गया केनियोफेशियल सर्जन डॉ.राजीव अग्रवाल ने सबसे पहले चपटे माथे के स्वरूप को सुधारा रीमांडलिंग की प्रक्रिया से पूरे विकृत कपाल वॉल्ट को आकार दिया गयाउसके बाद हड्डी को प्रत्यारोपित किया गया उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
सिर की हड्डी के टुकड़े कर, बच्ची को जीवन दिया:लोहिया संस्थान-SGPGI के डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया, 9 घंटे सर्जरी जटिल चली
