<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर दिल्ली के पूर्व सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह तैयारी कर ली है. अरविंद केजरीवाल एक ओर जहां विधायकों के काम का जायजा ले रहे हैं तो वही दूसरी ओर राजनीतिक जरूरत के अनुसार कांग्रेस-बीजेपी पार्टी के बड़े चेहरों को पार्टी में शामिल करने का काम भी कर रहे हैं. शुक्रवार को सीमापुरी सीट से तीन बार के विधायक रहे वीर सिंह धींगान ने कांग्रेस पार्टी छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीमापुरी सीट से किसी बड़े चेहरे की खोज खत्म</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बीते दो चुनावों में सीमापुरी सीट से विधायक और महत्वपूर्ण दलित नेता राजेंद्र पाल गौतम सितंबर महीने में आप छोड़ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी. गौतम केजरीवाल सरकार में मंत्री भी रहे हैं लेकिन पार्टी का दामन छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी को सीमापुरी सीट से किसी बड़े चेहरे की खोज थी, जो विधायक वीर सिंह धींगान के रूप में खत्म हुई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीमापुरी का भावी विधायक – केजरीवाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>धींगाना को आप में शामिल करने के मौके पर केजरीवाल ने उन्हें “सीमापुरी का भावी विधायक” बताया. बता दे कि ये वही सीमापुरी है जहां के सुंदर नगरी में आप पार्टी के गठन के बाद साल 2013 में बिजली और पानी के बिल के मुद्दे को लेकर केजरीवाल ने शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ पहला आंदोलन किया था और लंबे समय तक अनशन पर बैठे थे. केजरीवाल ने राशन माफिया के खिलाफ भी आंदोलन की शुरुआत पूर्वी दिल्ली की सीमा पर बसे इसी सीमापुरी इलाके से की थी. इस इलाके में ज्यादातर निम्न मध्यवर्ग और गरीब लोग रहते हैं. इनकी तकलीफ समझने के लिए केजरीवाल ने कुछ समय इसी इलाके में बिताया था. यही की एक सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कोली भी उनके आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं जिन पर कई बार अज्ञात लोगों ने हमला भी किया था. सुंदर नगरी वाला अनशन केजरीवाल ने संतोष कोली के घर ही किया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2013 में विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले संतोष कोली की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट से संतोष कोली के भाई धर्मेंद्र सीमापुरी से चुनाव लड़े और तीन बार के विधायक वीर सिंह धींगा को हराया. हालांकि साल 2015 और 2020 में आप ने राजेंद्र पाल गौतम को सीमापुरी सीट से उम्मीदवार उतारा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता</strong><br />आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल के शुरुआती आंदोलन हो या राशन माफिया या फिर संतोष कोली की मौत को लेकर केजरीवाल टीम वीर सिंह धींगान पर उंगली उठाती रही है. संतोष कोली की मौत के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धींगान के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. ये देखकर एक बात तो सही साबित हो जाती है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. वीर सिंह धींगान को सीमापुरी का भावी विधायक बताते हुए केजरीवाल ने इसे सिद्ध कर दिया. </p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/lg-vinai-kumar-saxena-takes-cognizance-on-report-of-illegal-migrants-in-delhi-2823861″>दिल्ली में अवैध प्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी, LG ने अधिकारियों को दिया ये निर्देश</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर दिल्ली के पूर्व सीएम और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह तैयारी कर ली है. अरविंद केजरीवाल एक ओर जहां विधायकों के काम का जायजा ले रहे हैं तो वही दूसरी ओर राजनीतिक जरूरत के अनुसार कांग्रेस-बीजेपी पार्टी के बड़े चेहरों को पार्टी में शामिल करने का काम भी कर रहे हैं. शुक्रवार को सीमापुरी सीट से तीन बार के विधायक रहे वीर सिंह धींगान ने कांग्रेस पार्टी छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीमापुरी सीट से किसी बड़े चेहरे की खोज खत्म</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बीते दो चुनावों में सीमापुरी सीट से विधायक और महत्वपूर्ण दलित नेता राजेंद्र पाल गौतम सितंबर महीने में आप छोड़ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी. गौतम केजरीवाल सरकार में मंत्री भी रहे हैं लेकिन पार्टी का दामन छोड़ने के बाद आम आदमी पार्टी को सीमापुरी सीट से किसी बड़े चेहरे की खोज थी, जो विधायक वीर सिंह धींगान के रूप में खत्म हुई. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीमापुरी का भावी विधायक – केजरीवाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>धींगाना को आप में शामिल करने के मौके पर केजरीवाल ने उन्हें “सीमापुरी का भावी विधायक” बताया. बता दे कि ये वही सीमापुरी है जहां के सुंदर नगरी में आप पार्टी के गठन के बाद साल 2013 में बिजली और पानी के बिल के मुद्दे को लेकर केजरीवाल ने शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ पहला आंदोलन किया था और लंबे समय तक अनशन पर बैठे थे. केजरीवाल ने राशन माफिया के खिलाफ भी आंदोलन की शुरुआत पूर्वी दिल्ली की सीमा पर बसे इसी सीमापुरी इलाके से की थी. इस इलाके में ज्यादातर निम्न मध्यवर्ग और गरीब लोग रहते हैं. इनकी तकलीफ समझने के लिए केजरीवाल ने कुछ समय इसी इलाके में बिताया था. यही की एक सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कोली भी उनके आंदोलन का प्रमुख चेहरा थीं जिन पर कई बार अज्ञात लोगों ने हमला भी किया था. सुंदर नगरी वाला अनशन केजरीवाल ने संतोष कोली के घर ही किया था. </p>
<p style=”text-align: justify;”>साल 2013 में विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले संतोष कोली की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की टिकट से संतोष कोली के भाई धर्मेंद्र सीमापुरी से चुनाव लड़े और तीन बार के विधायक वीर सिंह धींगा को हराया. हालांकि साल 2015 और 2020 में आप ने राजेंद्र पाल गौतम को सीमापुरी सीट से उम्मीदवार उतारा था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>राजनीति में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता</strong><br />आम आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल के शुरुआती आंदोलन हो या राशन माफिया या फिर संतोष कोली की मौत को लेकर केजरीवाल टीम वीर सिंह धींगान पर उंगली उठाती रही है. संतोष कोली की मौत के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने धींगान के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. ये देखकर एक बात तो सही साबित हो जाती है कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है. वीर सिंह धींगान को सीमापुरी का भावी विधायक बताते हुए केजरीवाल ने इसे सिद्ध कर दिया. </p>
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