हरियाणा के सोनीपत के नागरिक अस्पताल में गुरुवार को हंगामा हो गया। यहां डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत ने एक्स-रे विभाग में कार्यरत कर्मचारी दीपक को थप्पड़ जड़ दिया। इस दौरान कर्मचारी ने वीडियो बनाने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल छीनने का प्रयास किया गया। हंगामे की सूचना के बाद अस्पताल में पुलिस बुलानी पड़ी। वहीं डॉ. आशा का कहना है कि कर्मी ने बगैर इजाजत के वीडियो बनाई है, यह अपराध है। दोनों तरफ से आरोप प्रत्यारोप लगाए गए हैं। नागरिक अस्पताल में कार्यरत दीपक ने बताया कि अस्पताल में सब कुछ ठीक चल रहा था। वह रूम नबंर 61 में था। इसी दौरान डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत वहां पहुंची। उसके साथ स्टाफ नर्स राजेश भी उसके साथ थी। दोनों ने कमरे में घुस कर उसके साथ गाली गलौज की, बदतमीजी की। डा. आशा ने उससे कहा कि एक बार तू बाहर आ। मैंने पूछा कि क्या बात हो गई मैडम। फिर उससे कहा कि तू बस बाहर आ जा एक बार। मैंने बोल दिया न बाहर आ। दीपक का कहना है कि इससे वह डर गया। उसने अपना मोबाइल फोन निकाल लिया और अपनी वीडियो बनानी शुरू कर दी। डॉक्टर व स्टाफ नर्स ने पहले तो उसका मोबाइल छीनने की कोशिश की। फोन हाथ नहीं लगा तो दोनों ने उसके साथ हाथापाई की। उसके मुंह पर थप्पड़ मारे। वहां 20-30 मरीज भी थे। सभी ने देखा कि डॉक्टर ने उसके साथ क्या किया है। थप्पड़ क्यों मारे, इस पर दीपक ने कहा कि डॉक्टर गुंडागर्दी पर उतरी हुई है। नागरिक अस्पताल सोनीपत के रेडियोलॉजिस्ट राजेश दहिया ने बताया कि डा. आशा सहरावत व स्टाफ नर्स राजेश आई थी। दीपक के साथ बुरा व्यवहार किया। बाहर बुला कर उसे थप्पड़ मारे। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच कोई पुरपानी बातचीत है। आज ऐसा कुछ नहीं हुआ था कि डाक्टर को जिसके कारण थप्पड़ मारने पड़े। आशा सहरावत ने आते ही दीपक को थप्पड़ मारा। फिर मेरे कमरे के सामने भी उसको थप्पड़ मारा। घटना के बाद अस्पताल के कर्मचारी भड़क गए। उन्होंने काम छोड़ कर हंगामा करना शुरू कर दिया। अस्पताल के बाहर एकजुट हो गए। विवाद की सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से घटना को लेकर बातचीत की। दूसरी तरफ कर्मचारियों ने बताया कि डा. आशा सहरावत जहां भी जाती है, वहीं विवाद खड़ा कर देती है। इससे पहले खरखौदा के अस्पताल में भी कर्मचारियों व डॉक्टर आशा के बीच काफी लंबे समय तक विवाद रहा था। डॉक्टर बोली- मेरी वीडियो बनाई दूसरी तरफ इस मामले में डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत ने कहा कि दीपक ने बगैर इजाजत के उसकी वीडियो बनाई है। मैंने वीडियो बनाने को लेकर आपत्ति जाहिर की थी और कहा कि यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। हरियाणा के सोनीपत के नागरिक अस्पताल में गुरुवार को हंगामा हो गया। यहां डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत ने एक्स-रे विभाग में कार्यरत कर्मचारी दीपक को थप्पड़ जड़ दिया। इस दौरान कर्मचारी ने वीडियो बनाने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल छीनने का प्रयास किया गया। हंगामे की सूचना के बाद अस्पताल में पुलिस बुलानी पड़ी। वहीं डॉ. आशा का कहना है कि कर्मी ने बगैर इजाजत के वीडियो बनाई है, यह अपराध है। दोनों तरफ से आरोप प्रत्यारोप लगाए गए हैं। नागरिक अस्पताल में कार्यरत दीपक ने बताया कि अस्पताल में सब कुछ ठीक चल रहा था। वह रूम नबंर 61 में था। इसी दौरान डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत वहां पहुंची। उसके साथ स्टाफ नर्स राजेश भी उसके साथ थी। दोनों ने कमरे में घुस कर उसके साथ गाली गलौज की, बदतमीजी की। डा. आशा ने उससे कहा कि एक बार तू बाहर आ। मैंने पूछा कि क्या बात हो गई मैडम। फिर उससे कहा कि तू बस बाहर आ जा एक बार। मैंने बोल दिया न बाहर आ। दीपक का कहना है कि इससे वह डर गया। उसने अपना मोबाइल फोन निकाल लिया और अपनी वीडियो बनानी शुरू कर दी। डॉक्टर व स्टाफ नर्स ने पहले तो उसका मोबाइल छीनने की कोशिश की। फोन हाथ नहीं लगा तो दोनों ने उसके साथ हाथापाई की। उसके मुंह पर थप्पड़ मारे। वहां 20-30 मरीज भी थे। सभी ने देखा कि डॉक्टर ने उसके साथ क्या किया है। थप्पड़ क्यों मारे, इस पर दीपक ने कहा कि डॉक्टर गुंडागर्दी पर उतरी हुई है। नागरिक अस्पताल सोनीपत के रेडियोलॉजिस्ट राजेश दहिया ने बताया कि डा. आशा सहरावत व स्टाफ नर्स राजेश आई थी। दीपक के साथ बुरा व्यवहार किया। बाहर बुला कर उसे थप्पड़ मारे। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच कोई पुरपानी बातचीत है। आज ऐसा कुछ नहीं हुआ था कि डाक्टर को जिसके कारण थप्पड़ मारने पड़े। आशा सहरावत ने आते ही दीपक को थप्पड़ मारा। फिर मेरे कमरे के सामने भी उसको थप्पड़ मारा। घटना के बाद अस्पताल के कर्मचारी भड़क गए। उन्होंने काम छोड़ कर हंगामा करना शुरू कर दिया। अस्पताल के बाहर एकजुट हो गए। विवाद की सूचना पाकर पुलिस भी मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से घटना को लेकर बातचीत की। दूसरी तरफ कर्मचारियों ने बताया कि डा. आशा सहरावत जहां भी जाती है, वहीं विवाद खड़ा कर देती है। इससे पहले खरखौदा के अस्पताल में भी कर्मचारियों व डॉक्टर आशा के बीच काफी लंबे समय तक विवाद रहा था। डॉक्टर बोली- मेरी वीडियो बनाई दूसरी तरफ इस मामले में डिप्टी सीएमओ डा. आशा सहरावत ने कहा कि दीपक ने बगैर इजाजत के उसकी वीडियो बनाई है। मैंने वीडियो बनाने को लेकर आपत्ति जाहिर की थी और कहा कि यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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तलाशी लेने पर उनके पास चार अवैध पिस्तौल और 15 कारतूस बरामद हुए। इसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। आरोपियों के खिलाफ लाइनपार में आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान सन्नी, रवींद्र निवासी टिटौली (रोहतक), अमन निवासी नौनंद (रोहतक) तथा दिनेश उर्फ गोगा निवासी निजामपुर माजरा सोनीपत के रूप में हुई है। आरोपियों की गांव में ही एक दूसरे से रंजिश चल रही है। अब सन्नी और उसके तीन साथियों को बहादुरगढ़ पुलिस ने काबू किया है। सन्नी पर सात आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जबकि रवींद्र उसके साथ लगभग सभी वारदातों में शामिल रहा है। पूछताछ में होंगे खुलासे
रवींद्र पर 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जबकि दिनेश पर भी हत्या व हत्या के प्रयास सहित अन्य केस हैं। पुलिस ने सन्नी को चार दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है। ये सभी बदमाश बहादुरगढ़ इलाके में भारी मात्रा में हथियार लेकर किससे और किस मकसद से मिलने आए थे, इसका खुलासा पूछताछ के दौरान हो पाएगा। पूछताछ में वारदातों और हथियारों के बारे में भी अहम सुराग लगने की उम्मीद है। प्रारंभिक तौर पर सामने आया है कि सन्नी और उसके साथियों द्वारा कुछ समय पहले एमपी से हथियारों की खेप लाई गई थी। इनमें से काफी हथियार रोहतक और झज्जर की पुलिस बरामद कर चुकी है।
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करनाल के युवक को जर्मनी की बजाय रूस भेजा:शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, एजेंट ने धोखाधड़ी कर ऐंठे 9 लाख रुपए हरियाणा के करनाल में विदेश भेजने के नाम पर एक युवक और उसके परिवार से लाखों रुपये की ठगी की गई है। करनाल निवासी राहुल को एजेंट ने जर्मनी भेजने का वादा किया था, लेकिन उसे रूस भेज दिया गया। जहां उसे शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर थी, लेकिन इस धोखाधड़ी ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है। राहुल के माता-पिता गुरुदेव और उषा रानी ने अपने बेटे को विदेश भेजने के लिए काफी मुश्किलों का सामना किया। राहुल का सपना था कि वह जर्मनी जाकर अच्छी नौकरी करेगा और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारेगा। इस सपने को पूरा करने के लिए राहुल के पिता ने कर्ज लिया और अपनी पत्नी के गहने तक बेच दिए। एजेंट अंकुश, राहुल के दोस्त का रिश्तेदार था, उसने उन्हें जर्मनी भेजने का वादा किया और इस वादे के एवज में 15 लाख रुपए की मांग की। राहुल का परिवार किसी भी तरह पैसे इकट्ठा कर अंकुश को दे दिया, जिसमें साढ़े 9 लाख रुपए पहले ही दे दिए गए थे। रूस में प्रताड़ित 11 मई को राहुल को दिल्ली से विदेश भेजा गया। लेकिन एजेंट ने उसे जर्मनी की जगह रूस भेज दिया। वहां पहुंचने पर राहुल को भयंकर यातनाएं झेलनी पड़ीं। 27 जून को राहुल ने अपने परिवार को फोन करके बताया कि रूस में उसके साथ मारपीट की जा रही है और बंदूक की नोक पर उससे पैसे मांगे जा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता राहुल के परिवार ने इस धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस से की, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और कहा कि परिवार ने समझौता कर लिया है, जबकि हकीकत में न तो उनका बेटा मिला और न ही उनके पैसे वापस किए गए। राहुल के माता-पिता ने कहा कि हमारी बस यही मांग है कि हमारा बेटा सुरक्षित घर लौट आए। अगर हमें पैसे नहीं भी मिले तो भी हम अपने बेटे की सुरक्षा के लिए तैयार हैं। अंतहीन संघर्ष और निराशा राहुल के परिवार के लिए यह समय बहुत कठिनाइयों से भरा है। बेटे की सलामती की चिंता के साथ-साथ उनके ऊपर कर्ज का भारी बोझ भी है। एजेंट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने से परिवार की निराशा और भी बढ़ गई है। अब उनका एकमात्र लक्ष्य है कि राहुल किसी भी तरह से सुरक्षित घर लौट आए।