हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने सोनीपत में वन स्टॉप सेंटर का दौरा किया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि महिला आयोग पूरे हरियाणा में सक्रिय रूप से जिलावार दौरे कर रहा है और महिलाओं से जुड़ी शिकायतों का तुरंत निपटान सुनिश्चित किया जा रहा है। ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी सूटकेस मामले में भी उन्होंने टिप्पणी की और कहा कि जिंदल यूनिवर्सिटी ने लड़की को बचाने के लिए और अपने काले कारनामें को बचाने के लिए प्रैंक का नाम दिया। रेनू भाटिया ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल महिलाओं को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति कानूनी रूप से साक्षर और आत्मनिर्भर बनाना भी है। उन्होंने बताया कि इसी लक्ष्य के तहत वे हर जिले में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का दौरा करती हैं और छात्राओं को महिला अधिकारों, आत्मसुरक्षा और कानून की जानकारी देती हैं। जिंदल यूनिवर्सिटी “प्रैंक” मामले पर उठाए सवाल सोनीपत के राठधाना नरेला रोड स्थित ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी में हाल ही में सामने आए सूटकेस और गर्लफ्रेंड विवाद पर भी चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जिंदल यूनिवर्सिटी पर ताजुब्ब होता है और हंसी भी आती है कि वहां के ऐसे मामलों को प्रैंक का नाम दिया जाता है। यूनिवर्सिटी में किस तरह की शिक्षा दी जा रही है? उन्होंने सवाल किया, “लड़की किस आधार पर सूटकेस में गई थी? जिसको प्रैंक कहा जा रहा है, हम उसे प्रैंक नहीं मानते। अगर यह ‘प्रैंक’ किसी हादसे में तब्दील हो जाता, तो यूनिवर्सिटी प्रशासन, परिजन और छात्र क्या करते?” यूनिवर्सिटी प्रशासन को लताड़, पुराने मामलों की भी दिलाई याद रेनू भाटिया ने कहा कि जिंदल यूनिवर्सिटी में इस प्रकार के मामलों को नजरअंदाज किया जा रहा है और उन्हें कई शिकायतें भी मिली हैं। उन्होंने याद दिलाया कि साल 2020 में भी उन्होंने कार्रवाई की थी, जिसमें 180 लड़कियों को बब्बल एप के जरिए रिश्ते करवाए जा रहे थे और उस पर रोक लगाने का प्रयास किया गया था। साथ ही प्रोफेसर समीना दिलवई के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा, यूनिवर्सिटी या तो समझ नहीं रही या बाज नहीं आ रही। मैं दोनों शब्दों का इस्तेमाल करूंगी। भारत के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ आखिर क्यों किया जा रहा है? लड़की और यूनिवर्सिटी की मंशा पर गंभीर सवाल रेनू भाटिया ने यह भी कहा कि अगर उस लड़की के साथ वहां कुछ गलत हो जाता, जहां वह इंटेंसली जा रही थी। मालूम था कि वहां उसके साथ में क्या होगा। इसी तरीके से वह सूटकेस में वापस आती या फिर टुकड़ों में वापस आती, क्या वह लड़की इस बात को जानती थी। उन्होंने यह भी कहा कि एक दोस्त ले जा रहा था या छह लड़के लेकर जा रहे थे। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह एक दिन में वापस आती या 6 दिन में वापस आती। वहां उसकी परिस्थिति क्या होती, फिर वह महिला थाने या महिला आयोग में खड़ी मिलती। देश की बेटियों को चेताया, ऐसा ‘प्रैंक’ न करें रेनू भाटिया ने कहा कि वह देश की बेटियों को आगाह करना चाहती हैं कि ऐसे ‘प्रैंक’ न करें। उन्होंने कहा, “जो किया गया, वो प्रैंक नहीं था। अगर ऐसा प्रैंक भी कोई करने की सोचता है, तो उससे बड़ा हादसा हो सकता है। अपने दौरे के मकसद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि वहां की बेटियों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके। हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने सोनीपत में वन स्टॉप सेंटर का दौरा किया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि महिला आयोग पूरे हरियाणा में सक्रिय रूप से जिलावार दौरे कर रहा है और महिलाओं से जुड़ी शिकायतों का तुरंत निपटान सुनिश्चित किया जा रहा है। ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी सूटकेस मामले में भी उन्होंने टिप्पणी की और कहा कि जिंदल यूनिवर्सिटी ने लड़की को बचाने के लिए और अपने काले कारनामें को बचाने के लिए प्रैंक का नाम दिया। रेनू भाटिया ने कहा कि उनका उद्देश्य केवल महिलाओं को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि उन्हें उनके अधिकारों के प्रति कानूनी रूप से साक्षर और आत्मनिर्भर बनाना भी है। उन्होंने बताया कि इसी लक्ष्य के तहत वे हर जिले में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का दौरा करती हैं और छात्राओं को महिला अधिकारों, आत्मसुरक्षा और कानून की जानकारी देती हैं। जिंदल यूनिवर्सिटी “प्रैंक” मामले पर उठाए सवाल सोनीपत के राठधाना नरेला रोड स्थित ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी में हाल ही में सामने आए सूटकेस और गर्लफ्रेंड विवाद पर भी चेयरपर्सन रेनू भाटिया ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जिंदल यूनिवर्सिटी पर ताजुब्ब होता है और हंसी भी आती है कि वहां के ऐसे मामलों को प्रैंक का नाम दिया जाता है। यूनिवर्सिटी में किस तरह की शिक्षा दी जा रही है? उन्होंने सवाल किया, “लड़की किस आधार पर सूटकेस में गई थी? जिसको प्रैंक कहा जा रहा है, हम उसे प्रैंक नहीं मानते। अगर यह ‘प्रैंक’ किसी हादसे में तब्दील हो जाता, तो यूनिवर्सिटी प्रशासन, परिजन और छात्र क्या करते?” यूनिवर्सिटी प्रशासन को लताड़, पुराने मामलों की भी दिलाई याद रेनू भाटिया ने कहा कि जिंदल यूनिवर्सिटी में इस प्रकार के मामलों को नजरअंदाज किया जा रहा है और उन्हें कई शिकायतें भी मिली हैं। उन्होंने याद दिलाया कि साल 2020 में भी उन्होंने कार्रवाई की थी, जिसमें 180 लड़कियों को बब्बल एप के जरिए रिश्ते करवाए जा रहे थे और उस पर रोक लगाने का प्रयास किया गया था। साथ ही प्रोफेसर समीना दिलवई के खिलाफ भी कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा, यूनिवर्सिटी या तो समझ नहीं रही या बाज नहीं आ रही। मैं दोनों शब्दों का इस्तेमाल करूंगी। भारत के भविष्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ आखिर क्यों किया जा रहा है? लड़की और यूनिवर्सिटी की मंशा पर गंभीर सवाल रेनू भाटिया ने यह भी कहा कि अगर उस लड़की के साथ वहां कुछ गलत हो जाता, जहां वह इंटेंसली जा रही थी। मालूम था कि वहां उसके साथ में क्या होगा। इसी तरीके से वह सूटकेस में वापस आती या फिर टुकड़ों में वापस आती, क्या वह लड़की इस बात को जानती थी। उन्होंने यह भी कहा कि एक दोस्त ले जा रहा था या छह लड़के लेकर जा रहे थे। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह एक दिन में वापस आती या 6 दिन में वापस आती। वहां उसकी परिस्थिति क्या होती, फिर वह महिला थाने या महिला आयोग में खड़ी मिलती। देश की बेटियों को चेताया, ऐसा ‘प्रैंक’ न करें रेनू भाटिया ने कहा कि वह देश की बेटियों को आगाह करना चाहती हैं कि ऐसे ‘प्रैंक’ न करें। उन्होंने कहा, “जो किया गया, वो प्रैंक नहीं था। अगर ऐसा प्रैंक भी कोई करने की सोचता है, तो उससे बड़ा हादसा हो सकता है। अपने दौरे के मकसद पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि वहां की बेटियों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा सके। हरियाणा | दैनिक भास्कर
