सोनीपत जिला बार एसोसिएशन में एक बार फिर अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। एसोसिएशन की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने 8 अधिवक्ताओं को डी-बार कर दिया है और प्रत्येक पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका है। इस फैसले को लेकर कानूनी गलियारों में हड़कंप मच गया है। डी-बार किए गए अधिवक्ताओं ने इस निर्णय को नकारते हुए कमेटी की वैधता और पूर्व बार प्रधान की स्थिति पर ही सवाल उठा दिए हैं। आठ अधिवक्ताओं को डी-बार, जुर्माना भी ठोका
बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी द्वारा शुक्रवार को जारी प्रेस नोट के अनुसार, अधिवक्ता राजेश कुमार दहिया, प्रदीप कुमार दहिया, रमन छिल्लर, अजय सिंह गहलावत, जयभगवान शर्मा, राजकुमार पांचाल, अनुप दहिया और विजय इंदौरा को एसोसिएशन से डी-बार कर दिया गया है। इसके साथ ही इन सभी पर दो-दो लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। बार चुनाव और पदाधिकारियों के खिलाफ बैठक बना कारण
एसोसिएशन के प्रधान अनिल ढूल ने इस कार्रवाई के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि उक्त अधिवक्ताओं ने 7 मार्च को बार चुनावों और निर्वाचित पदाधिकारियों के खिलाफ बैठक आयोजित की थी, जिससे संस्था की गरिमा और छवि को ठेस पहुंची। इसके अलावा एक एडवोकेट पर बार पदाधिकारियों के साथ अभद्रता करने का आरोप भी लगाया गया है। इन्हीं आधारों पर कमेटी ने कार्रवाई की है। पूर्व प्रधान अनूप दहिया ने फैसले को बताया बेबुनियाद
पूर्व बार प्रधान रहे अधिवक्ता अनूप दहिया, जो स्वयं भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं, ने एसोसिएशन के निर्णय को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई पूरी तरह असंवैधानिक है। मैं पहले ही इस कमेटी द्वारा डी-बार किया जा चुका हूं, ऐसे में यह कमेटी नियमों के विरुद्ध गठित की गई है और इसका कोई वैध अधिकार नहीं है।” उन्होंने कहा कि चुनावों को लेकर पहले की गई कार्रवाई नियमों के मुताबिक थीं। वकीलों में नाराजगी, निर्णय को बताया एकतरफा
डी-बार किए गए अन्य अधिवक्ताओं ने भी इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण और बिना सूचना के लिया गया निर्णय बताया। अधिवक्ता विजय इंदौरा ने साफ कहा, इस तरह की बैठक के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी। न तो हमें बुलाया गया और न ही अपनी बात रखने का मौका मिला। इस फैसले के बाद जिला बार एसोसिएशन के भीतर दो गुटों की स्पष्ट स्थिति उभरती दिखाई दे रही है। जहां एक ओर मौजूदा पदाधिकारी अपने निर्णय को एसोसिएशन की गरिमा बचाने का कदम बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डी-बार किए गए एडवोकेट इसे निजी रंजिश और नियमों के खिलाफ लिया गया फैसला मान रहे हैं। माना जा रहा है कि यह मामला अब न्यायिक मंचों या एसोसिएशन की उच्च इकाइयों तक पहुंच सकता है। सोनीपत जिला बार एसोसिएशन में एक बार फिर अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। एसोसिएशन की एक्जीक्यूटिव कमेटी ने 8 अधिवक्ताओं को डी-बार कर दिया है और प्रत्येक पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका है। इस फैसले को लेकर कानूनी गलियारों में हड़कंप मच गया है। डी-बार किए गए अधिवक्ताओं ने इस निर्णय को नकारते हुए कमेटी की वैधता और पूर्व बार प्रधान की स्थिति पर ही सवाल उठा दिए हैं। आठ अधिवक्ताओं को डी-बार, जुर्माना भी ठोका
बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी द्वारा शुक्रवार को जारी प्रेस नोट के अनुसार, अधिवक्ता राजेश कुमार दहिया, प्रदीप कुमार दहिया, रमन छिल्लर, अजय सिंह गहलावत, जयभगवान शर्मा, राजकुमार पांचाल, अनुप दहिया और विजय इंदौरा को एसोसिएशन से डी-बार कर दिया गया है। इसके साथ ही इन सभी पर दो-दो लाख रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। बार चुनाव और पदाधिकारियों के खिलाफ बैठक बना कारण
एसोसिएशन के प्रधान अनिल ढूल ने इस कार्रवाई के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि उक्त अधिवक्ताओं ने 7 मार्च को बार चुनावों और निर्वाचित पदाधिकारियों के खिलाफ बैठक आयोजित की थी, जिससे संस्था की गरिमा और छवि को ठेस पहुंची। इसके अलावा एक एडवोकेट पर बार पदाधिकारियों के साथ अभद्रता करने का आरोप भी लगाया गया है। इन्हीं आधारों पर कमेटी ने कार्रवाई की है। पूर्व प्रधान अनूप दहिया ने फैसले को बताया बेबुनियाद
पूर्व बार प्रधान रहे अधिवक्ता अनूप दहिया, जो स्वयं भी इस कार्रवाई की जद में आए हैं, ने एसोसिएशन के निर्णय को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई पूरी तरह असंवैधानिक है। मैं पहले ही इस कमेटी द्वारा डी-बार किया जा चुका हूं, ऐसे में यह कमेटी नियमों के विरुद्ध गठित की गई है और इसका कोई वैध अधिकार नहीं है।” उन्होंने कहा कि चुनावों को लेकर पहले की गई कार्रवाई नियमों के मुताबिक थीं। वकीलों में नाराजगी, निर्णय को बताया एकतरफा
डी-बार किए गए अन्य अधिवक्ताओं ने भी इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण और बिना सूचना के लिया गया निर्णय बताया। अधिवक्ता विजय इंदौरा ने साफ कहा, इस तरह की बैठक के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी। न तो हमें बुलाया गया और न ही अपनी बात रखने का मौका मिला। इस फैसले के बाद जिला बार एसोसिएशन के भीतर दो गुटों की स्पष्ट स्थिति उभरती दिखाई दे रही है। जहां एक ओर मौजूदा पदाधिकारी अपने निर्णय को एसोसिएशन की गरिमा बचाने का कदम बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डी-बार किए गए एडवोकेट इसे निजी रंजिश और नियमों के खिलाफ लिया गया फैसला मान रहे हैं। माना जा रहा है कि यह मामला अब न्यायिक मंचों या एसोसिएशन की उच्च इकाइयों तक पहुंच सकता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
