सोनीपत जिले के गोहाना के घडवाल गांव की रहने वाली प्रिया सिवाच ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में 219वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन कर दिया। उनके दिल्ली से गांव लौटने पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। प्रिया के पिता संजय सिवाच ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को बचपन से ही अफसर बनाने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ खेती की, बल्कि बचे हुए समय में टैक्सी चलाकर अपनी बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाया। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। प्रिया ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से वादा किया था कि वह उन्हें कभी शर्मिंदा नहीं करेंगी। इसी विश्वास और पिता के आशीर्वाद के बल पर उन्होंने कठिन परिश्रम किया और यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। गांव की गलियों से दिल्ली तक का सफर प्रिया की प्रारंभिक शिक्षा गोहाना में हुई जबकि उच्च शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। उन्होंने बताया कि दिल्ली जाकर पढ़ाई करना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था और इस सफर में सबसे बड़ा योगदान उनके पिता का रहा।प्रिया ने बताया कि यह उनका चौथा प्रयास था और आखिरकार उन्होंने 219वां रैंक हासिल किया। इससे पहले वह प्रयासों में सफल नहीं हो सकीं थीं, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने मामा-मामी और पूरे परिवार का भी आभार जताया। समाज के खिलाफ जाकर दिलाया बेटी को हक प्रिया ने खुलासा किया कि उनके पिता को समाज से कई ताने सुनने पड़े, जब उन्होंने बेटी को पढ़ने के लिए दिल्ली भेजा। लेकिन पिता का जवाब होता था कि मुझे अपनी बेटी पर विश्वास है, वह एक दिन अफसर बनकर लौटेगी। दोस्त सृष्टि डबास भी उनके साथ गांव पहुंची प्रिया की दोस्त सृष्टि डबास भी उनके साथ गांव पहुंची थीं, जिनकी पिछले साल ऑल इंडिया रैंक 6 थी। दोनों कॉलेज की बैचमेट हैं। सृष्टि ने बताया कि प्रिया की मेहनत और संघर्ष सराहनीय है, और उनका सफर प्रेरणादायक है। सपने को हकीकत में बदलने की कहानी बनी मिसाल प्रिया की बहन स्वाति सिवाच और गांव के लोग प्रिया की सफलता से बेहद खुश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पिता छोटे किसान हैं और एक समय पहलवान भी रहे हैं, लेकिन उन्होंने तमाम संघर्षों के बावजूद बेटी को मंज़िल तक पहुंचाया सोनीपत जिले के गोहाना के घडवाल गांव की रहने वाली प्रिया सिवाच ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में 219वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन कर दिया। उनके दिल्ली से गांव लौटने पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया। प्रिया के पिता संजय सिवाच ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को बचपन से ही अफसर बनाने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ खेती की, बल्कि बचे हुए समय में टैक्सी चलाकर अपनी बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाया। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। प्रिया ने बताया कि उन्होंने अपने पिता से वादा किया था कि वह उन्हें कभी शर्मिंदा नहीं करेंगी। इसी विश्वास और पिता के आशीर्वाद के बल पर उन्होंने कठिन परिश्रम किया और यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। गांव की गलियों से दिल्ली तक का सफर प्रिया की प्रारंभिक शिक्षा गोहाना में हुई जबकि उच्च शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। उन्होंने बताया कि दिल्ली जाकर पढ़ाई करना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था और इस सफर में सबसे बड़ा योगदान उनके पिता का रहा।प्रिया ने बताया कि यह उनका चौथा प्रयास था और आखिरकार उन्होंने 219वां रैंक हासिल किया। इससे पहले वह प्रयासों में सफल नहीं हो सकीं थीं, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने मामा-मामी और पूरे परिवार का भी आभार जताया। समाज के खिलाफ जाकर दिलाया बेटी को हक प्रिया ने खुलासा किया कि उनके पिता को समाज से कई ताने सुनने पड़े, जब उन्होंने बेटी को पढ़ने के लिए दिल्ली भेजा। लेकिन पिता का जवाब होता था कि मुझे अपनी बेटी पर विश्वास है, वह एक दिन अफसर बनकर लौटेगी। दोस्त सृष्टि डबास भी उनके साथ गांव पहुंची प्रिया की दोस्त सृष्टि डबास भी उनके साथ गांव पहुंची थीं, जिनकी पिछले साल ऑल इंडिया रैंक 6 थी। दोनों कॉलेज की बैचमेट हैं। सृष्टि ने बताया कि प्रिया की मेहनत और संघर्ष सराहनीय है, और उनका सफर प्रेरणादायक है। सपने को हकीकत में बदलने की कहानी बनी मिसाल प्रिया की बहन स्वाति सिवाच और गांव के लोग प्रिया की सफलता से बेहद खुश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पिता छोटे किसान हैं और एक समय पहलवान भी रहे हैं, लेकिन उन्होंने तमाम संघर्षों के बावजूद बेटी को मंज़िल तक पहुंचाया हरियाणा | दैनिक भास्कर
