हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) ने अपने “नशा मुक्त नायाब जीवन अभियान” को एक नया आयाम देते हुए हरियाणवी गायकों को नशा और हिंसा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की चुनौती दी है। यह अभियान न केवल लोगों को नशा मुक्त जीवन के लिए प्रेरित कर रहा है, बल्कि उन सांस्कृतिक प्रभावों को भी संबोधित कर रहा है, जो गानों के जरिए हानिकारक व्यवहार को बढ़ावा देते हैं। नशा मुक्त नायाब जीवन अभियान के बारे में हरियाणा पुलिस के डीजी और एचएसएनसीबी के प्रमुख वरिष्ठ आईपीएस अफसर ओ.पी. सिंह ने कहा, “गानों और लोकप्रिय संस्कृति का युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, गाने मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन वे अक्सर अनजाने में गलत संदेश देते हैं। इस चुनौती के माध्यम से, हम कलाकारों को अपने कला और व्यक्तिगत मूल्यों के बीच अंतर को स्पष्ट करने का अवसर दे रहे हैं। अनिल कौशिक और मासूम शर्मा जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों का इस पहल में शामिल होना इसे और प्रभावी बना रहा है।” ब्यूरो ने उन हरियाणवी गायकों को इस चुनौती में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, जिनके गानों को अक्सर नशा, हिंसा और “गन कल्चर” को बढ़ावा देने वाला माना जाता है। इस पहल का उद्देश्य गायकों को अपनी कला और वास्तविक जीवन के मूल्यों के बीच अंतर स्पष्ट करने का अवसर देना है। नशा मुक्त जीवन का लिया संकल्प इस कड़ी में पहला नाम हरियाणवी पॉप गायक मासूम शर्मा का है, जो “गोली चल जावेगी,” “कसोटे 2,” और “बम लेहरी” जैसे गानों के लिए जाने जाते हैं। इन गानों पर हिंसा और नशे को महिमामंडित करने के आरोप लगते रहे हैं। मासूम शर्मा ने चुनौती स्वीकार करते हुए गंदे पानी की बाल्टी खाली की और “नशा मुक्त जीवन, नायाब जीवन” लिखते हुए नशा मुक्त जीवन का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “मेरे गाने केवल मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं और यह दर्शकों की पसंद और व्यवसायिक मांगों पर आधारित होते हैं। इनका उद्देश्य नशा या हिंसा को बढ़ावा देना नहीं है। वास्तविक जीवन में, मैं नशे और हिंसा के पूरी तरह खिलाफ हूं और सभी से दूर रहने का आग्रह करता हूं।“ नारनौल के प्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल कौशिक भी साथ आए एचएसएनसीबी के इस अभियान को और व्यापक बनाने के लिए सांस्कृतिक हस्तियों को भी शामिल किया है। नारनौल के प्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल कौशिक ने इस चुनौती का समर्थन करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण और समय पर की गई पहल बताया, जो गानों और लोकप्रिय मीडिया के माध्यम से बढ़ते नकारात्मक प्रभाव को रोकने में मदद करेगी। कौशिक ने कहा, “कला और संस्कृति में समाज को बदलने की शक्ति होती है। यह चुनौती केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति को नशा और हिंसा को नकारने के लिए प्रेरित करती है। मैं सभी कलाकारों से अपील करता हूं कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बनें और अपने प्रभाव का उपयोग समाज के भले के लिए करें।” NCB जमीनी स्तर पर चला रही अभियान एचएसएनसीबी की योजना अधिक से अधिक लोगों को नशे के खिलाफ इस अभियान से जोड़ने की है। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। भविष्य में, गायकों के अलावा और अधिक प्रभावशाली हस्तियों को इस अभियान में शामिल करने की योजना है। इस अभियान में प्रतिभागियों को गंदे पानी की एक बाल्टी खाली करनी होती है, जो नशे और उसके दुष्प्रभावों का प्रतीक है। इसके बाद, उन्हें “नशा मुक्त जीवन, नायाब जीवन” जैसा एक संदेश लिखकर नशा मुक्त जीवन की शपथ लेनी होती है और तीन अन्य लोगों को इस चुनौती में भाग लेने के लिए नामांकित करना होता है। इस रचनात्मक पहल में हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नशा और हिंसा के प्रचार को रोकने के लिए सांस्कृतिक हस्तियों और गायकों को शामिल कर रहा है। यह पहल न केवल जागरूकता फैलाने में मदद कर रही है, बल्कि कलाकारों को अपने प्रभाव का जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रही है। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एचएसएनसीबी) ने अपने “नशा मुक्त नायाब जीवन अभियान” को एक नया आयाम देते हुए हरियाणवी गायकों को नशा और हिंसा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की चुनौती दी है। यह अभियान न केवल लोगों को नशा मुक्त जीवन के लिए प्रेरित कर रहा है, बल्कि उन सांस्कृतिक प्रभावों को भी संबोधित कर रहा है, जो गानों के जरिए हानिकारक व्यवहार को बढ़ावा देते हैं। नशा मुक्त नायाब जीवन अभियान के बारे में हरियाणा पुलिस के डीजी और एचएसएनसीबी के प्रमुख वरिष्ठ आईपीएस अफसर ओ.पी. सिंह ने कहा, “गानों और लोकप्रिय संस्कृति का युवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, गाने मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन वे अक्सर अनजाने में गलत संदेश देते हैं। इस चुनौती के माध्यम से, हम कलाकारों को अपने कला और व्यक्तिगत मूल्यों के बीच अंतर को स्पष्ट करने का अवसर दे रहे हैं। अनिल कौशिक और मासूम शर्मा जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों का इस पहल में शामिल होना इसे और प्रभावी बना रहा है।” ब्यूरो ने उन हरियाणवी गायकों को इस चुनौती में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, जिनके गानों को अक्सर नशा, हिंसा और “गन कल्चर” को बढ़ावा देने वाला माना जाता है। इस पहल का उद्देश्य गायकों को अपनी कला और वास्तविक जीवन के मूल्यों के बीच अंतर स्पष्ट करने का अवसर देना है। नशा मुक्त जीवन का लिया संकल्प इस कड़ी में पहला नाम हरियाणवी पॉप गायक मासूम शर्मा का है, जो “गोली चल जावेगी,” “कसोटे 2,” और “बम लेहरी” जैसे गानों के लिए जाने जाते हैं। इन गानों पर हिंसा और नशे को महिमामंडित करने के आरोप लगते रहे हैं। मासूम शर्मा ने चुनौती स्वीकार करते हुए गंदे पानी की बाल्टी खाली की और “नशा मुक्त जीवन, नायाब जीवन” लिखते हुए नशा मुक्त जीवन का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, “मेरे गाने केवल मनोरंजन के लिए बनाए जाते हैं और यह दर्शकों की पसंद और व्यवसायिक मांगों पर आधारित होते हैं। इनका उद्देश्य नशा या हिंसा को बढ़ावा देना नहीं है। वास्तविक जीवन में, मैं नशे और हिंसा के पूरी तरह खिलाफ हूं और सभी से दूर रहने का आग्रह करता हूं।“ नारनौल के प्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल कौशिक भी साथ आए एचएसएनसीबी के इस अभियान को और व्यापक बनाने के लिए सांस्कृतिक हस्तियों को भी शामिल किया है। नारनौल के प्रसिद्ध रंगकर्मी अनिल कौशिक ने इस चुनौती का समर्थन करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण और समय पर की गई पहल बताया, जो गानों और लोकप्रिय मीडिया के माध्यम से बढ़ते नकारात्मक प्रभाव को रोकने में मदद करेगी। कौशिक ने कहा, “कला और संस्कृति में समाज को बदलने की शक्ति होती है। यह चुनौती केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति को नशा और हिंसा को नकारने के लिए प्रेरित करती है। मैं सभी कलाकारों से अपील करता हूं कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बनें और अपने प्रभाव का उपयोग समाज के भले के लिए करें।” NCB जमीनी स्तर पर चला रही अभियान एचएसएनसीबी की योजना अधिक से अधिक लोगों को नशे के खिलाफ इस अभियान से जोड़ने की है। स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। भविष्य में, गायकों के अलावा और अधिक प्रभावशाली हस्तियों को इस अभियान में शामिल करने की योजना है। इस अभियान में प्रतिभागियों को गंदे पानी की एक बाल्टी खाली करनी होती है, जो नशे और उसके दुष्प्रभावों का प्रतीक है। इसके बाद, उन्हें “नशा मुक्त जीवन, नायाब जीवन” जैसा एक संदेश लिखकर नशा मुक्त जीवन की शपथ लेनी होती है और तीन अन्य लोगों को इस चुनौती में भाग लेने के लिए नामांकित करना होता है। इस रचनात्मक पहल में हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो नशा और हिंसा के प्रचार को रोकने के लिए सांस्कृतिक हस्तियों और गायकों को शामिल कर रहा है। यह पहल न केवल जागरूकता फैलाने में मदद कर रही है, बल्कि कलाकारों को अपने प्रभाव का जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
Related Posts
रोहतक में जीजा-साले को मोटरसाइकिल ने मारी टक्कर:2 बच्चों के पिता की मौत, 3 घायल, ससुराल आया था मृतक कार मैकेनिक
रोहतक में जीजा-साले को मोटरसाइकिल ने मारी टक्कर:2 बच्चों के पिता की मौत, 3 घायल, ससुराल आया था मृतक कार मैकेनिक रोहतक के गांव फरमाणा में सड़क किनारे बैठे जीजा-साले को मोटरसाइकिल ने टक्कर मार दी। इस एक्सीडेंट में जीजा-साले व मोटरसाइकिल सवार 2 युवकों को चोटें आई। जिन्हें घायल अवस्था में उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया। चिकित्सकों ने 2 बच्चों के पिता कार मैकेनिक को मृत घोषित कर दिया। मृतक सोनीपत के गांव बनवासा से अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया हुआ था। रोहतक के गांव फरमाणा खास निवासी बंटी ने महम पुलिस थाने में एक्सीडेंट की शिकायत दी। शिकायत में बताया कि उसके चाचा की लड़की प्रवीण की शादी करीब 8 साल पहले सोनीपत के गांव बनवासा में हो रखी है। 11 जुलाई को उसके चाचा की लड़की प्रवीण अपने पति विजय के साथ अपने मायके में आई हुई थी। इसके बाद वह अपने जीजा विजय व चचेरे भाई नवीन के साथ तीनों गांव फरमाणा से सैमाण रोड की तरफ घूमने गए थे। इसी दौरान तीनों का कुएं पर नहाने का मन हुआ तो बंटी अपने जीजा विजय व चचेरे भाई नवीन को सैमाण रोड पर ही छोड़कर नहाने का समान लेने चला गया। रोड पर बैठे जीजा-साले को मारी टक्कर
बंटी ने बताया कि जब वह रात करीब साढ़े 8 बजे वापस आ रहा था तो देखा कि उसका भाई नवीन व जीजा विजय रोड के किनारे बैठे थे। इसी दौरान गांव सैमाण की तरफ से एक मोटरसाइकिल आई, जिस पर 2 युवक सवार थे। मोटरसाइकिल चालक ने तेज रफ्तार में लापरवाही से मोटरसाइकिल चलाते हुए नवीन व विजय को सीधी टक्कर मार दी। जिसके कारण विजय व नवीन को काफी चोटें लगी। वहीं मोटरसाइकिल सवार आगे चलकर गिर गए। जिसके कारण मोटरसाइकिल सवार दोनों युवक गांव फरमाणा निवासी जतिन व रोहित भी घायल हो गए। 2 बच्चों के पिता थे कार मैकेनिक
उन्होंने बताया कि प्राइवेट वाहन का इंतजाम करके चारों घायलों को उपचार के लिए महम अस्पताल में भर्ती करवाया। महम अस्पताल से विजय व नवीन को रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया। रोहतक पीजीआई में इलाज के दौरान शुक्रवार को उसके जीजा विजय ने दम तोड़ दिया। वहीं मामले की शिकायत पुलिस को दे दी। उन्होंने बताया कि उसके जीजा विजय कार मैकेनिक थे और वे दो बच्चों के पिता थे। बड़ा लड़का करीब 6 साल का और छोटी बेटी करीब 2 साल की हैं। मोटरसाइकिल चालक के खिलाफ केस दर्ज
महम थाना के जांच अधिकारी नरेंद्र सिंह ने बताया कि गांव फरमाणा में मोटरसाइकिल ने दो युवकों को टक्कर मार दी। इस हादसे में 4 लोग घायल हुए थे। जिनमें से एक की मौत हो गई। वहीं अन्य तीन लोगों को चोटें आई है। जिसके बाद मृतक विजय के साले बंटी की शिकायत के आधार पर मोटरसाइकिल चालक के खिलाफ केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
फरीदाबाद में पूर्व मंत्री का केजरीवाल सरकार पर हमला:मूलचंद शर्मा बोले-AAP ने खत्म की दिल्ली की चमक, अब लोग चाहते हैं बदलाव
फरीदाबाद में पूर्व मंत्री का केजरीवाल सरकार पर हमला:मूलचंद शर्मा बोले-AAP ने खत्म की दिल्ली की चमक, अब लोग चाहते हैं बदलाव हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने दिल्ली में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के 10 साल के शासन में दिल्ली की चमक खो गई है, जबकि पड़ोसी शहर फरीदाबाद और गुरुग्राम अंतर्राष्ट्रीय हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। भाजपा को भारी बहुमत से विजय दिलाएगी जनता शर्मा ने जोर देकर कहा कि दिल्ली की जनता अब बदलाव चाहती है और विकास के नाम पर भाजपा को भारी बहुमत से जिताएगी। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि मुफ्त की रेवडिय़ां बांटने से वोट नहीं मिलते। इस दौरान पूजा शर्मा ने भी आप सरकार पर हमला बोला और कहा कि पिछले 10 वर्षों में दिल्ली की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि लोगों का वहां जाने का मन भी नहीं करता। 2020 चुनाव में जीती थी 70 में से 62 सीटें विधायक का यह बयान दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां भाजपा पिछले 25 वर्षों से सत्ता से बाहर है। वर्तमान में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार है, जिसने 2020 के चुनाव में 70 में से 62 सीटें जीती थी।
लाड़वा में भाजपा नेता ने बढ़ाई सीएम की मुश्किलें:नायब सैनी के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं संदीप गर्ग, कल बुलाई कार्यकर्ताओं की मीटिंग
लाड़वा में भाजपा नेता ने बढ़ाई सीएम की मुश्किलें:नायब सैनी के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं संदीप गर्ग, कल बुलाई कार्यकर्ताओं की मीटिंग हरियाणा के लाडवा विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की राह में अब बगावत के बादल छा गए हैं। भाजपा नेता संदीप गर्ग टिकट न मिलने से नाराज चल रहे है। उन्होंने बुधवार (कल) को लाडवा की मंडी में कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। इस मीटिंग में संदीप गर्ग आजाद उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ सकते है। बता दें कि लाडवा की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय गर्ग का यहां अच्छा-खासा रुतबा है और उनकी बगावत से भाजपा को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। पार्टी से नारज चल रहे संदीप गर्ग को खुद सीएम नायब सैनी मनाने के लिए उनके निवास पर भी पहुंचे थे। इसके अलाव भी उनको पार्टी से किरण चौधरी ने भी उन्हें कॉल करके समझाने का प्रयास किया, लेकिन संदीप गर्ग यह फैसला कल होने वाली समाज की मीटिंग पर छोड़ा है। कौन हैं संदीप गर्ग? संदीप गर्ग भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उनका अग्रवाल समाज में अच्छा खासा प्रभाव है। इस सीट पर करीब 12 हजार वोट इस समुदाय के है। इस बार वह लाडवा से भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन टिकट मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को मिल गई। इसके बाद से ही गर्ग नाराज चल रहे हैं। संदीप गर्ग ने समाज सेवा में अपनी अलग पहचान बनाई है। अन्नपूर्णा रसोई, जो 5 रुपए में भरपेट खाना देती है, उनकी एक प्रमुख पहल है। इसके अलावा, उन्होंने सामाजिक संस्थाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गर्ग के मामा मदन मोहन मित्तल पंजाब सरकार में पूर्व मंत्री और भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं। लाडवा: सैनी बाहुल्य सीट लाडवा विधानसभा सीट को सैनी बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, जो खुद सैनी समुदाय से आते हैं, यहां चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले करनाल विधानसभा सीट पर पंजाबी समाज के विरोधी स्वर सुनाई दे रहे थे। इसलिए भाजपा ने लाडवा को चुना, जहां सैनी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इस सीट पर लगभग 1 लाख 95 हजार 816 मतदाताओं में से 20 प्रतिशत से अधिक सैनी बिरादरी के हैं। इसके अलावा यहां 18 प्रतिशत जाट और 11 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता भी हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि लाडवा में जीत के लिए इन 3 प्रमुख जातियों का समर्थन जरूरी है।