हरियाणा के 8 एचसीएस अफसरों के आईएएस बनने पर पेंच फंस गया है। दरअसल, 2002 और 2004 बैच के एचसीएस अफसरों के प्रमोशन की फाइल हरियाणा सरकार ने लोक सेवा आयोग (UPSC) भेजी थी, इस फाइल में दोनों बैच के 27 अफसरों के नाम थे। इन नामों में आठ ऐसे अफसर भी हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार या अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल हो रखी है। यही वजह है कि यूपीएससी ने इन अफसरों की प्रमोशन फाइल को फिर से होल्ड पर कर दिया है। इस लिस्ट को यूपीएससी पहली भी दो बार खारिज कर चुका है। इसकी वजह यह है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों की मिलीभगत से चयनित उम्मीदवारों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, शरारत, भ्रष्टाचार, अवैधता, अनियमितताएं और कदाचार किए जाने के आरोप लग चुके हैं। सरकार प्रमोशन के पक्ष में सॉलिटेयर जनरल की राय के बाद यूपीएससी ने हरियाणा सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। इस पर सरकार की ओर से सभी अफसरों को सशर्त प्रमोशन देने की वकालत की गई है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से यूपीएससी भेजे गए लेटर में कहा गया है कि प्रदेश में पहले भी ऐसे कई अफसरों के प्रमोशन होते रहे हैं, इसलिए इन्हें भी सशर्त प्रमोशन दिया जा सकता है। इसके बाद अब इन दागी अफसरों के प्रमोशन पर आखिरी फैसला यूपीएससी को ही लेना है। इन 27 अफसरों का होना है प्रमोशन हरियाणा सरकार द्वारा जिन एचसीएस अधिकारियों को आईएएस प्रमोट किया जाएगा, उनमें वीना हुड्डा, सुरेंद्र सिंह, जगदीप ढांडा, डा.सरिता मलिक, कमलेश कुमार भादू, मुनीष नागपाल, कुलधीर सिंह, वत्सल वशिष्ठ, जगनिवास, महाबीर प्रसाद, महेंद्र पाल, सतपाल शर्मा, सुशील कुमार, वर्षा खंगवाल, वीरेंद्र सहरावत, सतेंद्र दुहन, मनिता मलिक, सतबीर सिंह, अमृता सिवाच, योगेश कुमार, डा. वंदना दिसोदिया, डा. सुभिता ढाका, जयदीप कुमार, संवर्तक खंगवाल, अनुराग ढालिया, योगेश कुमार मेहता व नवीन कुमार आहूजा शामिल हैं। 2002 बैच के अफसरों के खिलाफ राष्ट्रपति को शिकायत हरियाणा में 2002 बैच के एचसीएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने के मामले में कांग्रेस के पूर्व मंत्री करण दलाल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। दलाल ने इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि इन दागी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में पर्याप्त प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि वे चयनित होने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 9 पन्नों की दलाल की चिट्ठी की ये अहम बातें.. 1. चयन में अफसरों ने करप्शन के रास्ते अपनाएं चिट्ठी में दलाल ने लिखा है, इन दागी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में पर्याप्त प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि वे चयनित होने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह तथ्य कि उनका चयन दागदार हैं, पक्षपात से भरा हुआ है, यह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका के लंबित रहने और हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा जांच की गई एक एफआईआर से उत्पन्न भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही से स्पष्ट है। 2. सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र के बिना ही यूपीएससी भेज दिए नाम उन्होंने कहा, विशेष रूप से, रिट कार्यवाही और एफआईआर में अंतिम रिपोर्ट दोनों में इन अधिकारियों को एचसीएस के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य, अनुपयुक्त और सबसे बढ़कर अक्षम पाया गया है। हालांकि, इन अधिकारियों के बारे में उपरोक्त तथ्यात्मक स्थिति को अनदेखा करते हुए, हरियाणा सरकार ने कानून और नियमों के अनुसार सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र जारी करने की आवश्यकता को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए उनके नाम यूपीएससी को भेज दिए हैं ताकि उन्हें आईएएस अधिकारियों के रूप में पदोन्नत किया जा सके। 3. पहले रिजेक्ट कर चुकी यूपीएससी नाम दलाल ने कहा कि इससे पहले भी दो बार यूपीएससी ने इन दागी अफसरों के नाम वापस भेजे थे। उन्होंने आरोप लगाया, “इससे साफ है कि इन दागी अफसरों को हरियाणा सरकार के उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि इनके नाम बार-बार पदोन्नति के लिए भेजे जा रहे हैं। 4. HPSC के अफसरों ने नियुक्ति में किया भ्रष्टाचार दलाल ने कहा, सफल उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण के दौरान, हरियाणा लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों की मिलीभगत से चयनित उम्मीदवारों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, शरारत, भ्रष्टाचार, अवैधता, अनियमितताएं और कदाचार किए गए थे। हरियाणा के 8 एचसीएस अफसरों के आईएएस बनने पर पेंच फंस गया है। दरअसल, 2002 और 2004 बैच के एचसीएस अफसरों के प्रमोशन की फाइल हरियाणा सरकार ने लोक सेवा आयोग (UPSC) भेजी थी, इस फाइल में दोनों बैच के 27 अफसरों के नाम थे। इन नामों में आठ ऐसे अफसर भी हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार या अन्य मामलों में चार्जशीट दाखिल हो रखी है। यही वजह है कि यूपीएससी ने इन अफसरों की प्रमोशन फाइल को फिर से होल्ड पर कर दिया है। इस लिस्ट को यूपीएससी पहली भी दो बार खारिज कर चुका है। इसकी वजह यह है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों की मिलीभगत से चयनित उम्मीदवारों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, शरारत, भ्रष्टाचार, अवैधता, अनियमितताएं और कदाचार किए जाने के आरोप लग चुके हैं। सरकार प्रमोशन के पक्ष में सॉलिटेयर जनरल की राय के बाद यूपीएससी ने हरियाणा सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। इस पर सरकार की ओर से सभी अफसरों को सशर्त प्रमोशन देने की वकालत की गई है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से यूपीएससी भेजे गए लेटर में कहा गया है कि प्रदेश में पहले भी ऐसे कई अफसरों के प्रमोशन होते रहे हैं, इसलिए इन्हें भी सशर्त प्रमोशन दिया जा सकता है। इसके बाद अब इन दागी अफसरों के प्रमोशन पर आखिरी फैसला यूपीएससी को ही लेना है। इन 27 अफसरों का होना है प्रमोशन हरियाणा सरकार द्वारा जिन एचसीएस अधिकारियों को आईएएस प्रमोट किया जाएगा, उनमें वीना हुड्डा, सुरेंद्र सिंह, जगदीप ढांडा, डा.सरिता मलिक, कमलेश कुमार भादू, मुनीष नागपाल, कुलधीर सिंह, वत्सल वशिष्ठ, जगनिवास, महाबीर प्रसाद, महेंद्र पाल, सतपाल शर्मा, सुशील कुमार, वर्षा खंगवाल, वीरेंद्र सहरावत, सतेंद्र दुहन, मनिता मलिक, सतबीर सिंह, अमृता सिवाच, योगेश कुमार, डा. वंदना दिसोदिया, डा. सुभिता ढाका, जयदीप कुमार, संवर्तक खंगवाल, अनुराग ढालिया, योगेश कुमार मेहता व नवीन कुमार आहूजा शामिल हैं। 2002 बैच के अफसरों के खिलाफ राष्ट्रपति को शिकायत हरियाणा में 2002 बैच के एचसीएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत करने के मामले में कांग्रेस के पूर्व मंत्री करण दलाल ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। दलाल ने इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि इन दागी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में पर्याप्त प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि वे चयनित होने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 9 पन्नों की दलाल की चिट्ठी की ये अहम बातें.. 1. चयन में अफसरों ने करप्शन के रास्ते अपनाएं चिट्ठी में दलाल ने लिखा है, इन दागी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में पर्याप्त प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि वे चयनित होने के लिए भ्रष्ट तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह तथ्य कि उनका चयन दागदार हैं, पक्षपात से भरा हुआ है, यह पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका के लंबित रहने और हरियाणा सतर्कता ब्यूरो द्वारा जांच की गई एक एफआईआर से उत्पन्न भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक कार्यवाही से स्पष्ट है। 2. सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र के बिना ही यूपीएससी भेज दिए नाम उन्होंने कहा, विशेष रूप से, रिट कार्यवाही और एफआईआर में अंतिम रिपोर्ट दोनों में इन अधिकारियों को एचसीएस के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए अयोग्य, अनुपयुक्त और सबसे बढ़कर अक्षम पाया गया है। हालांकि, इन अधिकारियों के बारे में उपरोक्त तथ्यात्मक स्थिति को अनदेखा करते हुए, हरियाणा सरकार ने कानून और नियमों के अनुसार सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र जारी करने की आवश्यकता को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए उनके नाम यूपीएससी को भेज दिए हैं ताकि उन्हें आईएएस अधिकारियों के रूप में पदोन्नत किया जा सके। 3. पहले रिजेक्ट कर चुकी यूपीएससी नाम दलाल ने कहा कि इससे पहले भी दो बार यूपीएससी ने इन दागी अफसरों के नाम वापस भेजे थे। उन्होंने आरोप लगाया, “इससे साफ है कि इन दागी अफसरों को हरियाणा सरकार के उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि इनके नाम बार-बार पदोन्नति के लिए भेजे जा रहे हैं। 4. HPSC के अफसरों ने नियुक्ति में किया भ्रष्टाचार दलाल ने कहा, सफल उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं के निरीक्षण के दौरान, हरियाणा लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों की मिलीभगत से चयनित उम्मीदवारों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, शरारत, भ्रष्टाचार, अवैधता, अनियमितताएं और कदाचार किए गए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
