हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी ब्यूरोक्रेसी पर सख्त हुए हैं। सूबे में जिला स्तर पर पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने मुख्यालय और जिलों में एक्स्ट्रा चार्ज रखने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कस दी है। राज्य भर के विभागों के प्रमुखों (HOD) और विभागों तथा जिलों में कार्यरत नोडल अधिकारियों को भेजे गए पत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ने उनसे कहा कि वे उच्च वेतनमान वाले पद का अतिरिक्त प्रभार कम वेतनमान पर काम कर रहे अधिकारियों को न सौंपें। इसके अलावा, अधिकारियों को उनके गृहनगर में अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया जाएगा, यह एक ऐसा कदम है जो उनके द्वारा किए जा रहे अनरिस्पांसबिल डायरेक्शन को रोकने में काफी मददगार साबित होगा। यहां पढ़िए इन दोनों फैसलों का क्या पड़ेगा असर… 1. जूनियर ऑफिसर्स के प्रमोशन के रास्ते खुलेंगे इस निर्णय से जूनियर अधिकारियों के लिए पदोन्नति के रास्ते खुलेंगे। इन दोनों निर्णयों के पीछे तर्क देते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग को रोकना और प्रशासन में पारदर्शिता लाना है। वर्तमान में, मुख्यालय और जिला स्तर पर दोहरे प्रभार वाले ऐसे सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी सरकारी आवास सहित दोहरे लाभ का आनंद ले रहे हैं। 2. दो आवास अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी कई अधिकारी पदोन्नति और मुख्यालय में पोस्टिंग के बावजूद जिला स्तर पर अच्छी पोस्टिंग बनाए रखते हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं जब अधिकारी जिला स्तर पर तैनात होने के बावजूद चंडीगढ़ या पंचकूला में अपनी पोस्टिंग बनाए रखते हैं ताकि मुख्यालय में आधिकारिक आवास जैसे लाभों का आनंद उठा सकें। ये अधिकारी दोहरी पोस्टिंग से जुड़े अन्य लाभों का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, ऐसे अधिकारी अपनी दोहरी पोस्टिंग में निहित स्वार्थ विकसित करते हैं, अधिकारी बोले- फिजूल खर्ची रुकेगी हरियाणा के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि ये अधिकारी अपने जूनियर अधिकारियों के पदोन्नति के रास्ते को अवरुद्ध करते हैं। प्रशासन में पारदर्शिता लाने के अलावा, यह दोहरा निर्णय राज्य के खजाने से ‘व्यर्थ’ व्यय को बचाने में भी सहायक होगा। हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी ब्यूरोक्रेसी पर सख्त हुए हैं। सूबे में जिला स्तर पर पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने मुख्यालय और जिलों में एक्स्ट्रा चार्ज रखने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कस दी है। राज्य भर के विभागों के प्रमुखों (HOD) और विभागों तथा जिलों में कार्यरत नोडल अधिकारियों को भेजे गए पत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) ने उनसे कहा कि वे उच्च वेतनमान वाले पद का अतिरिक्त प्रभार कम वेतनमान पर काम कर रहे अधिकारियों को न सौंपें। इसके अलावा, अधिकारियों को उनके गृहनगर में अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया जाएगा, यह एक ऐसा कदम है जो उनके द्वारा किए जा रहे अनरिस्पांसबिल डायरेक्शन को रोकने में काफी मददगार साबित होगा। यहां पढ़िए इन दोनों फैसलों का क्या पड़ेगा असर… 1. जूनियर ऑफिसर्स के प्रमोशन के रास्ते खुलेंगे इस निर्णय से जूनियर अधिकारियों के लिए पदोन्नति के रास्ते खुलेंगे। इन दोनों निर्णयों के पीछे तर्क देते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग को रोकना और प्रशासन में पारदर्शिता लाना है। वर्तमान में, मुख्यालय और जिला स्तर पर दोहरे प्रभार वाले ऐसे सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी सरकारी आवास सहित दोहरे लाभ का आनंद ले रहे हैं। 2. दो आवास अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी कई अधिकारी पदोन्नति और मुख्यालय में पोस्टिंग के बावजूद जिला स्तर पर अच्छी पोस्टिंग बनाए रखते हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं जब अधिकारी जिला स्तर पर तैनात होने के बावजूद चंडीगढ़ या पंचकूला में अपनी पोस्टिंग बनाए रखते हैं ताकि मुख्यालय में आधिकारिक आवास जैसे लाभों का आनंद उठा सकें। ये अधिकारी दोहरी पोस्टिंग से जुड़े अन्य लाभों का भी आनंद लेते हैं। साथ ही, ऐसे अधिकारी अपनी दोहरी पोस्टिंग में निहित स्वार्थ विकसित करते हैं, अधिकारी बोले- फिजूल खर्ची रुकेगी हरियाणा के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि ये अधिकारी अपने जूनियर अधिकारियों के पदोन्नति के रास्ते को अवरुद्ध करते हैं। प्रशासन में पारदर्शिता लाने के अलावा, यह दोहरा निर्णय राज्य के खजाने से ‘व्यर्थ’ व्यय को बचाने में भी सहायक होगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
