हरियाणा के किसान मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल (एमएफएमबी) पर पंजीकरण कराने से बच रहे हैं। किसानों के इस कदम ने हरियाणा सरकार को भी टेंशन में डाल दिया है। इसकी वजह यह है कि गेहूं की खरीद शुरू होने में अब सिर्फ 11 दिन बचे हैं, ऐसे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी चिंतित है। इसे देखते हुए विभाग ने अब किसानों को एमएफएमबी पोर्टल पर पंजीकरण करवाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। विभाग ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अब पंजीकरण शिविरों की संख्या बढ़ा दी है। इसके अलावा घर-घर संपर्क कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। यहां तक कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी फोन कॉल के जरिए किसानों से सक्रिय रूप से संपर्क करने लगे हैं। सिलसिलेवार ढंग से सवालों-जवाबों में पढ़िए पूरा मामला.. 1. क्या है MFMB पोर्टल? हरियाणा का मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां किसान अपनी फसल, खेत और अन्य संबंधित जानकारी दर्ज कर सकते हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ आसानी से मिल सके। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों को ही सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ सरकार देती है। इसके जरिए खाद, बीज, लोन और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का लाभ मिलता है। सरकार उन्हीं किसानों की फसल MSP पर खरीदती है, जिनका रजिस्ट्रेशन इस पोर्टल पर किया गया हो। 2. कब हुई शुरुआत, कैसे होता है काम? इसकी शुरुआत 5 जुलाई 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी। इस पोर्टल पर किसान अपना फसल संबंधी डिटेल अपलोड कर खेती-किसानी से जुड़ी राज्य की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। यह जमीन के रिकॉर्ड के साथ एकीकृत है। इसमें किसान अपनी निजी जमीन पर बोई गई फसल का ब्यौरा देता है। इसी आधार पर उसकी फसल उपज की खरीद तय होती है। 3. अब तक कितने किसानों ने किया रजिस्ट्रेशन? 20 मार्च को दोपहर 3 बजे तक कुल 10,83,448 किसानों ने 62,80,694 एकड़ कृषि भूमि को एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया है। जिलों में, सिरसा 7.54 लाख एकड़ रजिस्टर्ड भूमि के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद हिसार (5.74 लाख एकड़), भिवानी (5.63 लाख एकड़), फतेहाबाद (4.17 लाख एकड़), करनाल (4.11 लाख एकड़) तथा कैथल और जींद (3.66 लाख एकड़ प्रत्येक) का स्थान है। अकेले गेहूं के लिए 44.22 लाख एकड़ का पंजीकरण हुआ है, जिसमें सिरसा (5.62 लाख एकड़), हिसार (4 लाख एकड़), करनाल (3.89 लाख एकड़) और फतेहाबाद (3.79 लाख एकड़) सबसे आगे हैं। सबसे कम गेहूं पंजीकरण फरीदाबाद (32,503 एकड़) और पंचकूला (26,400 एकड़) में हुआ है। 4. सरकार ने किसानों को जोड़ने के लिए क्या कर रही? किसानों को पोर्टल से जोड़ने के लिए सरकार ने कई प्रयास शुरू किए हैं। किसानों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, विभाग ने रजिस्ट्रेशन कैंपों की संख्या बढ़ा दी है। इसके अलावा विभाग के द्वारा घर-घर जाकर संपर्क कार्यक्रम शुरू किए हैं। फोन कॉल के माध्यम से किसानों से सक्रिय रूप से संपर्क कर रहा है। हालांकि, कई किसानों ने अभी तक अपनी जमीन का पंजीकरण नहीं कराया है, जिससे खरीद के दौरान देरी और जटिलताएं हो सकती हैं। 5. क्या बोल रहे हैं अधिकारी? कृषि उपनिदेशक (DDA) डॉ. वजीर सिंह ने किसानों से जल्द से जल्द अपना पंजीकरण पूरा करने का आग्रह किया है। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों में तेजी ला दी है कि हर पात्र किसान अपनी जमीन और फसल को MFMB पोर्टल पर पंजीकृत कराए। पंजीकरण के बिना किसान अपनी उपज अनाज मंडियों में नहीं बेच पाएंगे। हमारी टीमें घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं और प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए पंजीकरण शिविरों का आयोजन कर रही हैं। हरियाणा के किसान मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल (एमएफएमबी) पर पंजीकरण कराने से बच रहे हैं। किसानों के इस कदम ने हरियाणा सरकार को भी टेंशन में डाल दिया है। इसकी वजह यह है कि गेहूं की खरीद शुरू होने में अब सिर्फ 11 दिन बचे हैं, ऐसे में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी चिंतित है। इसे देखते हुए विभाग ने अब किसानों को एमएफएमबी पोर्टल पर पंजीकरण करवाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। विभाग ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अब पंजीकरण शिविरों की संख्या बढ़ा दी है। इसके अलावा घर-घर संपर्क कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। यहां तक कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी फोन कॉल के जरिए किसानों से सक्रिय रूप से संपर्क करने लगे हैं। सिलसिलेवार ढंग से सवालों-जवाबों में पढ़िए पूरा मामला.. 1. क्या है MFMB पोर्टल? हरियाणा का मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जहां किसान अपनी फसल, खेत और अन्य संबंधित जानकारी दर्ज कर सकते हैं, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ आसानी से मिल सके। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों को ही सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ सरकार देती है। इसके जरिए खाद, बीज, लोन और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी का लाभ मिलता है। सरकार उन्हीं किसानों की फसल MSP पर खरीदती है, जिनका रजिस्ट्रेशन इस पोर्टल पर किया गया हो। 2. कब हुई शुरुआत, कैसे होता है काम? इसकी शुरुआत 5 जुलाई 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी। इस पोर्टल पर किसान अपना फसल संबंधी डिटेल अपलोड कर खेती-किसानी से जुड़ी राज्य की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। यह जमीन के रिकॉर्ड के साथ एकीकृत है। इसमें किसान अपनी निजी जमीन पर बोई गई फसल का ब्यौरा देता है। इसी आधार पर उसकी फसल उपज की खरीद तय होती है। 3. अब तक कितने किसानों ने किया रजिस्ट्रेशन? 20 मार्च को दोपहर 3 बजे तक कुल 10,83,448 किसानों ने 62,80,694 एकड़ कृषि भूमि को एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया है। जिलों में, सिरसा 7.54 लाख एकड़ रजिस्टर्ड भूमि के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद हिसार (5.74 लाख एकड़), भिवानी (5.63 लाख एकड़), फतेहाबाद (4.17 लाख एकड़), करनाल (4.11 लाख एकड़) तथा कैथल और जींद (3.66 लाख एकड़ प्रत्येक) का स्थान है। अकेले गेहूं के लिए 44.22 लाख एकड़ का पंजीकरण हुआ है, जिसमें सिरसा (5.62 लाख एकड़), हिसार (4 लाख एकड़), करनाल (3.89 लाख एकड़) और फतेहाबाद (3.79 लाख एकड़) सबसे आगे हैं। सबसे कम गेहूं पंजीकरण फरीदाबाद (32,503 एकड़) और पंचकूला (26,400 एकड़) में हुआ है। 4. सरकार ने किसानों को जोड़ने के लिए क्या कर रही? किसानों को पोर्टल से जोड़ने के लिए सरकार ने कई प्रयास शुरू किए हैं। किसानों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, विभाग ने रजिस्ट्रेशन कैंपों की संख्या बढ़ा दी है। इसके अलावा विभाग के द्वारा घर-घर जाकर संपर्क कार्यक्रम शुरू किए हैं। फोन कॉल के माध्यम से किसानों से सक्रिय रूप से संपर्क कर रहा है। हालांकि, कई किसानों ने अभी तक अपनी जमीन का पंजीकरण नहीं कराया है, जिससे खरीद के दौरान देरी और जटिलताएं हो सकती हैं। 5. क्या बोल रहे हैं अधिकारी? कृषि उपनिदेशक (DDA) डॉ. वजीर सिंह ने किसानों से जल्द से जल्द अपना पंजीकरण पूरा करने का आग्रह किया है। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों में तेजी ला दी है कि हर पात्र किसान अपनी जमीन और फसल को MFMB पोर्टल पर पंजीकृत कराए। पंजीकरण के बिना किसान अपनी उपज अनाज मंडियों में नहीं बेच पाएंगे। हमारी टीमें घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं और प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए पंजीकरण शिविरों का आयोजन कर रही हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
