हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा मंत्री बोलीं:कोई जबरदस्ती है, वहीं पढ़ना हैं?, स्कूल बदल लो; जितना गुड़ खाएंगे, कीमत देनी पड़ेगी

हरियाणा में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा मंत्री बोलीं:कोई जबरदस्ती है, वहीं पढ़ना हैं?, स्कूल बदल लो; जितना गुड़ खाएंगे, कीमत देनी पड़ेगी

हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा का कहना है कि कोई जबरदस्ती थोड़ी न है कि उसी स्कूल में पढ़ना है, स्कूल बदल लो। त्रिखा शनिवार देर शाम करनाल के घरौंडा में आई थी। पत्रकारों के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि जितना गुड़ हम खाएंगे, उसकी कीमत भी तो अदा करनी पड़ेगी। शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा से 2 सवाल और उनके जवाब 1. सवाल: प्राइवेट स्कूल बुक्स को लेकर मनमानी करते हैं, एडमिशन फीस महंगी है, क्या लगाम लग पाएगी? शिक्षा मंत्री: हम किसी अभिभावक को नहीं कहते कि आप अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में डाले। हम तो दोनों बाहें पसार करके बच्चों को अपनी बड़ी गोद देने के लिए तैयार बैठे है कि बच्चे हमारी गोद में आए। मगर, सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि कभी कभी मानसिकता ऐसी हो जाती है कि सरकारी स्कूल में भेजने से व्यक्ति सोचता है कि मैं छोटा हो रहा हूं। प्राइवेट का इंप्रेशन अलग डाला जाता है। सभी प्राइवेट स्कूल बुरे भी नहीं है। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में भी तीन श्रेणियां है, जिसमें एक श्रेणी नॉमिनल फीस, दूसरी श्रेणी, वह है जिसमें स्कूल थोड़ी सी ज्यादा फीस ले रहे है। तीसरी श्रेणी वह है, जिसमें बच्चे को एसी बस लेने जाती है, एसी कमरे से बच्चा निकलता है, एसी कॉरिडोर में उतरता है और एसी क्लास रूम में जाता है। अब इतना गुड़ हम खाऐंगे तो गुड़ की कीमत भी अदा करनी होगी। प्राइवेट स्कूल में शिक्षा पेरेंट्स की चॉइस बन चुकी है। 2. सवाल: प्राइवेट स्कूल सरकारी नियमों को ताक पर रखकर अभिभावकों से फीस वसूलते हैं और उनका शोषण करते हैं, आपके (शिक्षा मंत्री) पास भी शिकायतें पहुंची है? शिक्षा मंत्री: हां, मैं इस चीज को मान रही हूं, लेकिन मैं यह भी तो बात मान रही हूं कि जबरदस्ती थोड़ी न है कि उसी स्कूल में पढ़ाना है, स्कूल बदलने की मुहिम चलाए ना। स्कूलों का बायकॉट करने की मुहिम चलाए। यह कोई कह थोड़े न रहा है कि आप उसी स्कूल में लेकर जाए, जहां पर शोषण हो रहा है। 4 लाख फर्जी एडमिशन पर बोलीं- एक्शन क्या लेना, कांग्रेस हिसाब दे
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 4 लाख फर्जी एडमिशन के मामले में किस प्रकार से एक्शन लिया जा रहा है? इस सवाल पर शिक्षा मंत्री का जवाब था कि उसके ऊपर एक्शन क्या लेना है जी, वो जो एक पार्टी वाले नहीं है, जो कहते है कि कौन मांगे हिसाब, वो हिसाब मांग रहे है ना, ये उन्हीं के बोए हुए बीज हैं। उनको बोला कि चार लाख का हिसाब दे दो, ये कैसे भर्ती किए थे। इन चार लाख स्टूडेंट की एवज में कौन से रिश्तेदार थे, जो स्कूलों में भर्ती किए। स्टाफ की कमी है, साढ़े 14 हजार स्कूलों को कैटर करने के लिए ताकत चाहिए
सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने माना कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है। 2014 से पहले और आज की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर है। जहां पर शिक्षकों की कमी है उसको हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के माध्यम से भी भर रहे हैं। अभी प्रिंसिपल के तौर पर 500 टीचरों का प्रमोशन भी करने जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त जेबीटी के माध्यम से भी टीचर की कमी पूरी करने की कोशिश की है। 22 जिलो में 14500 स्कूल है। साढ़े 14 हजार स्कूलों को कैटर करने के लिए भी ताकत चाहिए। सरकार इस काम को करने में सक्षम है और पूरा भी करेगी। रही बात सरकारी स्कूलों की तो, सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है और इसमें कोई संदेह नहीं है। हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा का कहना है कि कोई जबरदस्ती थोड़ी न है कि उसी स्कूल में पढ़ना है, स्कूल बदल लो। त्रिखा शनिवार देर शाम करनाल के घरौंडा में आई थी। पत्रकारों के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने यहां तक कह दिया कि जितना गुड़ हम खाएंगे, उसकी कीमत भी तो अदा करनी पड़ेगी। शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा से 2 सवाल और उनके जवाब 1. सवाल: प्राइवेट स्कूल बुक्स को लेकर मनमानी करते हैं, एडमिशन फीस महंगी है, क्या लगाम लग पाएगी? शिक्षा मंत्री: हम किसी अभिभावक को नहीं कहते कि आप अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में डाले। हम तो दोनों बाहें पसार करके बच्चों को अपनी बड़ी गोद देने के लिए तैयार बैठे है कि बच्चे हमारी गोद में आए। मगर, सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि कभी कभी मानसिकता ऐसी हो जाती है कि सरकारी स्कूल में भेजने से व्यक्ति सोचता है कि मैं छोटा हो रहा हूं। प्राइवेट का इंप्रेशन अलग डाला जाता है। सभी प्राइवेट स्कूल बुरे भी नहीं है। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में भी तीन श्रेणियां है, जिसमें एक श्रेणी नॉमिनल फीस, दूसरी श्रेणी, वह है जिसमें स्कूल थोड़ी सी ज्यादा फीस ले रहे है। तीसरी श्रेणी वह है, जिसमें बच्चे को एसी बस लेने जाती है, एसी कमरे से बच्चा निकलता है, एसी कॉरिडोर में उतरता है और एसी क्लास रूम में जाता है। अब इतना गुड़ हम खाऐंगे तो गुड़ की कीमत भी अदा करनी होगी। प्राइवेट स्कूल में शिक्षा पेरेंट्स की चॉइस बन चुकी है। 2. सवाल: प्राइवेट स्कूल सरकारी नियमों को ताक पर रखकर अभिभावकों से फीस वसूलते हैं और उनका शोषण करते हैं, आपके (शिक्षा मंत्री) पास भी शिकायतें पहुंची है? शिक्षा मंत्री: हां, मैं इस चीज को मान रही हूं, लेकिन मैं यह भी तो बात मान रही हूं कि जबरदस्ती थोड़ी न है कि उसी स्कूल में पढ़ाना है, स्कूल बदलने की मुहिम चलाए ना। स्कूलों का बायकॉट करने की मुहिम चलाए। यह कोई कह थोड़े न रहा है कि आप उसी स्कूल में लेकर जाए, जहां पर शोषण हो रहा है। 4 लाख फर्जी एडमिशन पर बोलीं- एक्शन क्या लेना, कांग्रेस हिसाब दे
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 4 लाख फर्जी एडमिशन के मामले में किस प्रकार से एक्शन लिया जा रहा है? इस सवाल पर शिक्षा मंत्री का जवाब था कि उसके ऊपर एक्शन क्या लेना है जी, वो जो एक पार्टी वाले नहीं है, जो कहते है कि कौन मांगे हिसाब, वो हिसाब मांग रहे है ना, ये उन्हीं के बोए हुए बीज हैं। उनको बोला कि चार लाख का हिसाब दे दो, ये कैसे भर्ती किए थे। इन चार लाख स्टूडेंट की एवज में कौन से रिश्तेदार थे, जो स्कूलों में भर्ती किए। स्टाफ की कमी है, साढ़े 14 हजार स्कूलों को कैटर करने के लिए ताकत चाहिए
सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने माना कि सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी है। 2014 से पहले और आज की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर है। जहां पर शिक्षकों की कमी है उसको हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के माध्यम से भी भर रहे हैं। अभी प्रिंसिपल के तौर पर 500 टीचरों का प्रमोशन भी करने जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त जेबीटी के माध्यम से भी टीचर की कमी पूरी करने की कोशिश की है। 22 जिलो में 14500 स्कूल है। साढ़े 14 हजार स्कूलों को कैटर करने के लिए भी ताकत चाहिए। सरकार इस काम को करने में सक्षम है और पूरा भी करेगी। रही बात सरकारी स्कूलों की तो, सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है और इसमें कोई संदेह नहीं है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर