हरियाणा में सरकार बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सियासी खेल शुरू कर दिया है। जल्द ही 2 विधायक अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देंगे। इसके बदले में भाजपा उन्हें सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट देगी। इसको लेकर चंडीगढ़ में CM सैनी की विधायकों को दी गई डिनर पार्टी में रणनीति बन चुकी है। केंद्र में NDA की सरकार बनते ही इस सियासी खेल को अमली जामा पहनाना शुरू हो जाएगा। सरकार बचाने की इस मुहिम में भाजपा के पास विपक्ष से 1 विधायक ज्यादा हो जाएगा। हरियाणा विधानसभा में लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद नंबर गेम बदल चुका है। 90 सदस्यों की विधानसभा में 87 मेंबर ही बचे हैं। कौन इस्तीफा देगा हरियाणा विधानसभा से जजपा से बागी हो चुके 2 विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा देंगे। इनमें JJP के MLA जोगीराम सिहाग (बरवाला) और राम निवास सुरजाखेड़ा (नरवाना) का नाम है। हाल ही में इन दोनों विधायकों ने चंडीगढ़ में सीएम नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मीटिंग की थी। मीटिंग में विधानसभा में सरकार की स्थिति को देखते हुए सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री ने दोनों जजपा विधायकों के साथ इसको लेकर चर्चा की गई थी। जिसके बाद तय हुआ था कि वे अपनी सदस्यता से इस्तीफा देंगे, जिसके बदले में उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट दी जाएगी। सरकार का मौजूदा गणित हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही विधानसभा का गुणा-गणित बदल चुका है। CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा के सदन में 41 विधायक पूरे हो चुके हैं। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इन दोनों का साथ पाकर विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 43 हो गई है। हालांकि सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा में 87 सदस्य ही बचे हैं। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। इस्तीफे के बाद का गणित जजपा ने अभी बागी हुए जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा दोनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा में एक याचिका डाली हुई है। इस याचिका में दोनों विधायकों के द्वारा बीजेपी के समर्थन के ऐलान पर दलबदलू कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। इसके सबूत भी जजपा की ओर से दिए गए हैं। यदि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता इन दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो सरकार के खिलाफ विपक्ष के विधायकों की संख्या 2 कम हो जाएगी। जिसका फायदा यदि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है उसमें भाजपा को मिलेगा।हालांकि भाजपा की रणनीति के तहत स्पीकर के फैसले से पहले दोनों विधायक इस्तीफा दे देंगे। जिसके बाद विपक्ष दलों की संख्या पर असर पड़ेगा। अभी विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी को छोड़कर) जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के अभय चौटाला शामिल हैं। JJP के 2 विधायकों के इस्तीफे के बाद विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जो भाजपा से एक कम होगी। अल्पमत की नौबत क्यों आई? तीन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दियाहरियाणा में 7 मई को भाजपा को झटका देते हुए 3 निर्दलीय विधायकों ने नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। 3 विधायकों-सोमबीर सांगवान, रणधीर गोलन और धर्मपाल गोंदर ने समर्थन वापसी के साथ यह भी ऐनान किया था कि उन्होंने चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया है। तीनों विधायकों ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान की मौजूदगी में रोहतक में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की थी। जिसके बाद भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई थी। इससे पहले तीनों विधायकों के समर्थन से भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़कर सरकार बनाई थी। विपक्ष की रणनीति क्या?हरियाणा सरकार के अल्पमत में होने का दावा करने वाली कांग्रेस ने अब आगे की रणनीति बना ली है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 10 जून को कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग बुला ली है। इस मीटिंग में प्रदेश में विधानसभा भंग करने के लिए रणनीति बनाई जाएगी। मीटिंग में यह भी तय किया जाएगा कि गवर्नर द्वारा जवाब नहीं दिए जाने को लेकर क्या करना चाहिए। भाजपा को सरकार बचाना जरूरी क्यों?… इसकी दो वजहें लोकसभा में क्लीन स्वीप नहीं कर पाई भाजपा के लिए हरियाणा में सरकार बचाने की पहली वजह यह है कि वह लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप नहीं कर पाई। जबकि 2019 में भाजपा ने सूबे की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में वह पांच सीटों पर हार गई। लोकसभा चुनाव में इस खराब प्रदर्शन को सुधारने को लेकर सूबा सरकार पर काफी दवाब है। तीन महीने के लिए बने मुख्यमंत्री नायब सैनी का भी भविष्य भी इसी सरकार के कार्यकाल में तय होगा। इसी साल विधानसभा चुनाव हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद अब इसी साल सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं। यह चुनाव जितने कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं, उससे कही ज्यादा भाजपा के लिए भी हैं। चूंकि हरियाणा में दस साल से भाजपा सत्ता में है। केंद्रीय नेतृत्व ने भी एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए जजपा से गठबंधन तोड़कर सीएम फेस भी बदल दिया। हालांकि इसका फायदा भाजपा को अभी तक नहीं हुआ है। हरियाणा में सरकार बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सियासी खेल शुरू कर दिया है। जल्द ही 2 विधायक अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देंगे। इसके बदले में भाजपा उन्हें सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट देगी। इसको लेकर चंडीगढ़ में CM सैनी की विधायकों को दी गई डिनर पार्टी में रणनीति बन चुकी है। केंद्र में NDA की सरकार बनते ही इस सियासी खेल को अमली जामा पहनाना शुरू हो जाएगा। सरकार बचाने की इस मुहिम में भाजपा के पास विपक्ष से 1 विधायक ज्यादा हो जाएगा। हरियाणा विधानसभा में लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद नंबर गेम बदल चुका है। 90 सदस्यों की विधानसभा में 87 मेंबर ही बचे हैं। कौन इस्तीफा देगा हरियाणा विधानसभा से जजपा से बागी हो चुके 2 विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा देंगे। इनमें JJP के MLA जोगीराम सिहाग (बरवाला) और राम निवास सुरजाखेड़ा (नरवाना) का नाम है। हाल ही में इन दोनों विधायकों ने चंडीगढ़ में सीएम नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मीटिंग की थी। मीटिंग में विधानसभा में सरकार की स्थिति को देखते हुए सीएम और पूर्व मुख्यमंत्री ने दोनों जजपा विधायकों के साथ इसको लेकर चर्चा की गई थी। जिसके बाद तय हुआ था कि वे अपनी सदस्यता से इस्तीफा देंगे, जिसके बदले में उन्हें आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट दी जाएगी। सरकार का मौजूदा गणित हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के साथ ही विधानसभा का गुणा-गणित बदल चुका है। CM नायब सैनी के करनाल विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा के सदन में 41 विधायक पूरे हो चुके हैं। हलोपा के गोपाल कांडा और एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इन दोनों का साथ पाकर विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या 43 हो गई है। हालांकि सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला के इस्तीफे, बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद के निधन से और अंबाला लोकसभा सीट से मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी के अंबाला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद विधानसभा में 87 सदस्य ही बचे हैं। 87 सदस्यीय इस विधानसभा में अब बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है। इस्तीफे के बाद का गणित जजपा ने अभी बागी हुए जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा दोनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा में एक याचिका डाली हुई है। इस याचिका में दोनों विधायकों के द्वारा बीजेपी के समर्थन के ऐलान पर दलबदलू कानून के तहत सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। इसके सबूत भी जजपा की ओर से दिए गए हैं। यदि स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता इन दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो सरकार के खिलाफ विपक्ष के विधायकों की संख्या 2 कम हो जाएगी। जिसका फायदा यदि विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है उसमें भाजपा को मिलेगा।हालांकि भाजपा की रणनीति के तहत स्पीकर के फैसले से पहले दोनों विधायक इस्तीफा दे देंगे। जिसके बाद विपक्ष दलों की संख्या पर असर पड़ेगा। अभी विपक्ष के पास कुल 44 विधायक हैं, जिसमें कांग्रेस के 29 ( वरुण चौधरी को छोड़कर) जजपा के 10, 4 निर्दलीय और 1 इनेलो के अभय चौटाला शामिल हैं। JJP के 2 विधायकों के इस्तीफे के बाद विपक्षी विधायकों की संख्या गिरकर 42 हो जाएगी, जो भाजपा से एक कम होगी। अल्पमत की नौबत क्यों आई? 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अंबानी-अडाणी के बाद सावित्री जिंदल देश में सबसे अमीर:एक महीने में 1 करोड़ संपत्ति बढ़ी, 3 दिन पहले हिसार से विधायक बनीं जिंदल परिवार की मुखिया एवं जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल देश में तीसरे नंबर पर सबसे अमीर हैं। उनसे आगे अंबानी और अडानी हैं। सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला भी हैं। सावित्री जिंदल हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं और स्टील किंग स्वर्गीय ओपी जिंदल की पत्नी हैं। इनके बेटे नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद हैं। वह खुद 3 दिन पहले ही हिसार से विधायक बनी हैं। फोर्ब्स की रिपोर्ट इंडियाज 100 रिचेस्ट 2024 के मुताबिक, टॉप-100 में 80 प्रतिशत से ज्यादा अमीर भारतीय पहले से ज्यादा अमीर हो गए। 10.03 लाख करोड़ रुपए के साथ मुकेश अंबानी पहले और 9.74 लाख करोड़ रुपए के साथ गौतम अडाणी दूसरे स्थान पर हैं। इसके बाद तीसरे नंबर पर सावित्री जिंदल हैं। 2020 की तुलना में दोगुनी हुई संपत्ति
देश के टॉप 100 अमीरों की संपत्ति इस साल पहली बार 90 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल गई है। एक साल में इनकी संपत्ति 40 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 93.64 लाख करोड़ रुपए हो गई। 2020 की तुलना में इन अमीरों की संपत्ति दोगुनी से ज्यादा हो गई है। 2023 के मुकाबले इनकी संपत्ति में 26.50 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। खास बात है कि इनकी संपत्ति बढ़ने में भारतीय शेयर बाजार का अहम योगदान है। सावित्री की एक महीने में 0.9 लाख करोड़ संपत्ति बढ़ी
एक महीने पहले सावित्री जिंदल देश में चौथे नंबर पर सबसे अमीर थी। फॉर्च्यून इंडिया ने सबसे अमीर लोगों की सूची जारी की थी। जिसके मुताबिक 74 वर्षीय सावित्री देवी जिंदल लगभग 2.77 लाख करोड़ रुपए की मालकिन थी। टॉप 10 में इकलौती महिला होने के साथ वह चौथे स्थान पर थीं। अब एक महीने में वह चौथे से तीसरे पायदान पर आ गई हैं। उनकी संपत्ति 0.9 लाख करोड़ रुपए बढ़कर 3.67 लाख करोड़ हो गई है। पति ओपी जिंदल ने कोलकाता में लगाई पहली फैक्ट्री
हिसार के गांव नलवा में जन्मे ओपी जिंदल किसान परिवार से आते थे। छठी कक्षा तक पढ़े ओपी जिंदल अपने भाइयों की तरह ही बाहर जाकर कमाना चाहते थे। दूसरे विश्व युद्ध के अंतिम समय में असम अमेरिकी फौजियों का बड़ा गढ़ था। इसलिए युद्ध के बाद लोहे और इस्पात से बना बहुत सा माल वे यहीं छोड़ गए थे। ओपी जिंदल को यहीं से व्यापार करने का आइडिया आया। साल 1952 में जिंदल ने कोलकाता के पास लिलुआ में पाइप बेंड और सॉकेट बनाने की फैक्ट्री लगाई। उन्होंने इस फैक्ट्री का नाम जिंदल इंडिया लिमिटेड रखा। यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई। ओपी जिंदल असम के बाजारों से नीलामी में पुराने पाइप खरीदते थे और उन्हें कोलकाता में बेचते थे। टाटा और कलिंग के बाद भारत में यह तीसरी इस किस्म की फैक्ट्री थी। इसके बाद 1960 में ओपी जिंदल अपने पैतृक जिले हिसार में वापस आ गए। हिसार में बाल्टी बनाने का काम शुरू किया
ओपी जिंदल ने हिसार आकर सबसे पहले बाल्टी बनाने की फैक्ट्री लगाई। इससे आमदनी शुरू हुई तो 1962 में जिंदल इंडिया लिमिटेड की हिसार में भी फैक्ट्री खोल दी। इसके बाद 1969 में जिंदल स्ट्रिप्स लिमिटेड के नाम से फैक्ट्री खोली। आज इसका नाम स्टेनलेस है। अब जिंदल ग्रुप का देश विदेश में इस्पात, बिजली, सीमेंट और बुनियादी ढांचे में निवेश है। साल 2005 में हेलिकॉप्टर क्रैश में ओपी जिंदल की मौत के बाद जिंदल समूह की कंपनियों का 4 बेटों में बंटवारा हो गया। उनमें से एक बिजनेस टाइकून सज्जन जिंदल हैं, जो JSW स्टील चलाते हैं। 15 साल की उम्र में 6 बच्चों के पिता से शादी की
सावित्री जिंदल का जन्म असम के तिनसुकिया में 20 मार्च 1950 को हुआ था। उनकी 15 साल की उम्र में ओपी जिंदल से शादी हो गई। ओपी जिंदल की यह दूसरी शादी थी। जिंदल को पहले पत्नी विद्या देवी से 6 बच्चे हैं। नवीन जिंदल सावित्री जिंदल का बेटे हैं और नवीन की 3 और बहने भी हैं। सावित्री ने 2005 में पति की मौत के बाद बिजनेस संभाला और राजनीति में भी हाथ आजमाए। सावित्री जिंदल ने पति की मौत के बाद 2005 में हिसार से उपचुनाव लड़ा और जीतकर राजनीति में एंट्री की। लगातार 2 चुनाव जीतकर हरियाणा कैबिनेट में मंत्री बनी। 2024 में हिसार से फिर चुनाव लड़ा और निर्दलीय जीतकर विधायक बनी हैं।
बरवाला में कांग्रेस प्रत्याशी घोड़ेला का विरोध:किसान नेताओं ने बैठक बोले- CLU मामले के आरोपी को टिकट दिया, 20 को पंचायत बुलाई
बरवाला में कांग्रेस प्रत्याशी घोड़ेला का विरोध:किसान नेताओं ने बैठक बोले- CLU मामले के आरोपी को टिकट दिया, 20 को पंचायत बुलाई हरियाणा के हिसार जिले की बरवाला विधानसभा में कांग्रेस नेता रामनिवास घोड़ेला की उम्मीदवारी का विरोध हो रहा है। किसान नेताओं ने इसको लेकर 20 सितंबर को पंचायत बुलाई है। बरवाला के किसानों और मजदूर वर्ग के मुख्य लोगों की एक मीटिंग भी जाट धर्मशाला में हुई। इसमें किसान नेता जोगेन्द्र माईयड़ ने बताया कि एक तरफ तो कांग्रेस हरियाणा में जगह-जगह पर कहती है कि हमें तो लोकसभा की 5 सीटें किसान, सरदारी व मजदूरों के मिले अपार समर्थन से मिली है। राहुल गांधी ने ये भी कहा था कि किसी भ्रष्ट व्यक्ति को टिकट ना दी जाए। किसानों ने एआईसीसी दफ्तर दिल्ली में पिछले दिनों टिकट वितरण को लेकर भारी विरोध किया था। मगर कांग्रेस ने बरवाला में सीएलयू कांड के आरोपी को टिकट दे दी। किसानों ने कहा कि हमने मीटिंग करके सर्व सम्मति से एक 31 सदस्यीय कमेटी बनाई है और उनकी ड्यूटी लगाई है। ये कमेटियां स्वयं गांव-गांव जाएंगी और 20 सितंबर को होने वाली मीटिंग के लिए निमंत्रण देंगी। घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे कांग्रेसी
बता दें कि सीएलयू कांड के आरोप में राम निवास घोड़ेला पर आरोप हैं। उम्मीदवार का विरोध टिकट मिलने से पहले हो रहा था। ऐसे में कांग्रेस के स्थानीय नेता भी घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राजेंद्र सूरा, कृष्ण सातरोड़ और भूपेंद्र गंगवा कांग्रेस प्रत्याशी से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव में आगे और मुश्किलें बढ़ने वाली है। राम निवास घोड़ेला पर दर्ज हुआ था केस
2009 से 2014 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे विनोद भ्याना, रामकिशन फौजी, विधायक जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, विधायक नरेश सेलवाल ने सीएलयू करवाने के लिए, वक्फ बोर्ड की जमीन रिलीज करवाने के लिए और विधायक रामनिवास घोड़ेला ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ईंट भट्टों पर बच्चों को पढ़ाने का काम एनजीओ को दिलवाने के लिए घूस की मांग की थी। इस मामले के बारे में एक स्टिंग आपरेशन किया गया था। उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर इनेलो ने 2014 में इन सबके खिलाफ भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त से की थी। तत्कालीन लोकायुक्त ने 16 दिसंबर, 2015 को उपरोक्त सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई, 2015 को तत्कालीन एडीजीपी एवं एसआईटी के इंचार्ज वी कामराजा ने इन सबको भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दोषी माना और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। जिसके आधार पर इन सबके खिलाफ मुकदमे स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए थे। विनोद भ्याना का पीए जेल में भी रहा और उसके खिलाफ हिसार में मुकदमा चल रहा है। कुम्हार समाज ने भी घोड़ेला का साथ छोड़ा, गंगवा ने समर्थन दिया
रामनिवास घोड़ेला के विरोध के चलते बरवाला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रणबीर गंगवा को हलके के कुम्हार समाज के लोगों ने अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इसको लेकर बरवाला की कुम्हार धर्मशाला के प्रधान डॉ देशराज, सचिव जगरूप व अन्य पदाधिकारियों की उपस्तिथि में कुम्हार समाज के प्रतिनिधियों ने यह घोषणा की। कुम्हार समाज के लोगों ने कहा कि घोड़ेला सीएलयू कांड का आरोपी है जबकि रणबीर गंगवा सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे मगर उन पर एक दाग तक नहीं है। प्रतिनिधियों ने कहा कि वे समाज के बागी व दागी उम्मीदवार का साथ नहीं देंगे। ऐसा नेता समाज का भला नहीं कर सकता जो पहली बार विधायक बनने पर अपने समाज को भूल सीएलयू गैंग में शामिल हो गया था।
भिवानी में पानी की समस्या से लोग परेशान:महिलाओं ने किया प्रदर्शन, जेई ने कहा- टैंकरों से हो रही सप्लाई,दोनों जलघर खाली
भिवानी में पानी की समस्या से लोग परेशान:महिलाओं ने किया प्रदर्शन, जेई ने कहा- टैंकरों से हो रही सप्लाई,दोनों जलघर खाली भिवानी जिले के बवानी खेड़ा स्थित वार्ड-12 में पीने के पानी की समस्या को लेकर महिलाओं ने जलघर पहुंचकर रोष जाहिर किया। महिलाओं के प्रदर्शन के बाद कनिष्ट अभियंता ने बताया कि पानी की व्यवस्था करवाई जा रही है। बवानी खेड़ा के दोनों जलघरों में नहीं है पानी बवानी खेड़ा के दोनों जलघरों में पानी नहीं है। एनएचएआई द्वारा व्यवस्था को बिगाड़ने व उसे समय पर दुरुस्त न करवाए जाने को लेकर सुंदर नहर से पानी जलघर नहीं पहुंच पाया। जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग द्वारा भरसक प्रयास करके टैंकरों के माध्यम से लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई करवाई जा रही है। लोग बाल्टियों के सहारे टैंकर से पानी भरने पर मजबूर है और घरों में पानी जमा नहीं कर पा रहे हैँ। क्योंकि अधिकतर लोगों की छतों पर पानी की टंकियां बनी हुई है। छत पर बाल्टियों के सहारे पानी ले जाना सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। कई दिनों से नहीं हुई पानी की सप्लाई वहीं महिलाओं ने बताया कि उनके वार्ड में पिछले कई दिनों से पानी की सप्लाई नहीं हुई है। पानी की सप्लाई आती है, तो बहुत कम आती है। जिससे उन्हें खरीदकर पानी पीना पड़ रहा है। महिलाओं ने पानी न आने से रोष होकर जलघर में प्रदर्शन किया और जल्द समाधान न होने पर कड़ा निर्णय लेने के संकेत दिए हैँ। टैंकरों से की जा रही पानी की व्यवस्था जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के कनिष्ट अभियंता सचिन कौशिक ने बताया कि दोनों जलघर खाली है, सुंदर नहर में पानी नहीं है। टैंकरों के सहारे पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है, जिससे कोई पानी से वंचित न रहे।